विचार
विचार
एक विचार जो
शून्य से निकल कर
यात्रा करता है अनंत पथ की
संभव है क्या
बदल पाना इसके भाव को
या उसके चरित्र को
समझ पाएगा क्या समाज
उसमे निहित आक्रोश को
या उसमे डूबी सौम्यता को
मुख से निकले विचार
की सुन लेना
शब्दों से पिरोए हुए विचार
को पढ़ लेना
बदलाव को क्या
आमंत्रित करेगा या
शून्य से निकल
शून्य में तिरोहित हो जायेगा।।
