रुदन भरा चेहरा
रुदन भरा चेहरा
कितनी कोशिश करूँ मुस्कराने की
छलक ही उठता है दर्द
छलक ही जाता है आँखों से पानी
और हजार कोशिशों के बाद भी
रूदन छा ही जाता है चेहरे पर
दर्द को जितना दबाओ, जितना हंसा ओ
होने ही लगती है चेहरे पर कंपन
दुख का लावा फूट ही पड़ता है
और फिर आह, कराह, चीख
रुदन से भर जाता है चेहरा.
