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Devendraa Kumar mishra

Tragedy

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Devendraa Kumar mishra

Tragedy

कातिल

कातिल

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धर्म की बात आते ही तुम कातिल 

क्यों बन जाते हो 

अच्छा है कि हम अधर्म की बात करें 

क्योंकि धर्म में तो छुपी होती है करुणा, दया, प्रेम, भाईचारा, अहिंसा 

और तुम बिल्कुल विपरीत हो जाते हो 

तो तुमसे सत्य, सदाचार पर कैसे बातें करें 

ये तो धर्म की बातें हैं 

और तुम्हारा धर्म 

क्या है तुम्हारा धर्म............ 

कहीं अधर्म को धर्म तो नहीं मान बैठे तुम 

यदि नहीं तो फिर इतने आक्रमक, हिंसक क्यों 

हो जाते हो. 

क्यों सुनने, सहने की क्षमता खो बैठते हो 

और केवल बकबक करते हुए उसे जायज 

भी ठहराते हो. 



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