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एक बार फिर सोचती हूं , क्या ये एक सपना है। एक बार फिर सोचती हूं , क्या ये एक सपना है।
अगर वो नहीं होती तो उसे ये सब सहना ही न पड़ता। उसका ना होना ही उसके लिए सही है। अगर वो नहीं होती तो उसे ये सब सहना ही न पड़ता। उसका ना होना ही उसके लिए सही है।
फर्क बस है इतना की कल नासमझ थी मैं आज समझ के भी नासमझ हूँ मैं फर्क बस है इतना की कल नासमझ थी मैं आज समझ के भी नासमझ हूँ मैं