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Asha Padvi

Action Inspirational

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Asha Padvi

Action Inspirational

उसे क्या करना चाहिए?

उसे क्या करना चाहिए?

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एक २४ साल की लड़की नियति नाशिक में काम करती थी। अकेली किसी छात्रावास में रहती। सोमवार से शुक्रवार तक काम करती और शनिवार को सुबह ट्रेन पकड़कर घर मुंबई आ जाती थी। कभी कभी उसकी नाइट शिफ्ट होती तो वही से निकल जाती। उसका ट्रेन का टिकट हमेशा की तरह पहलेसे बुक था। वो अपनी सीट पे जाकर बैठ गई। उसकी बगल वाली सीट पे कोई ५० से ६० साल का आदमी बैठा था। उसने उस वक्त इतना कुछ सोचा नहीं क्योंकि वो उसकी कन्फर्म सीट थी। वो नाइट शिफ्ट कर के आई थी तो और उसे नींद भी आ रही थी।एक घंटा किसी तरह उसने अपनी नींद पे काबू किया पर अब ये मुमकिन नहींं था। क्योंकि घर पूछने में अभी ढाई घंटा और था इसीलिए वो सो गई। वो नींद में गुम होके के सो रही थी।किसी स्टेशन पर गाड़ी रुकने से उसकी नींद अचानक खुल गई। ऐसे अचानक नींद खुलने से वो थोड़ी चौक गई।पर उसके बाद उसने कुछ महसूस किया जो उसने सोचा नहीं। उसने अपने पैर पर किसी का हाथ मेहसूस किया।

जब उसने गौर किया तो उसे पता चला वो उसी आदमी का हाथ था जो उसके बगल में बैठा था। जैसे उसे पता चला उसने झटके से अपने हाथ से उस आदमी हाथ हटाया।क्योंकि नियति ने अपना बैग पैरो पर रखा था इसीलिए आस पास के लोगो को कुछ नजर नहींं आया। उस आदमी ने दोबारा नियति पे पैरो पे हाथ रखने की कोशिश की पर नियती ने उतने ही जोर के साथ दोबारा उसका हाथ झटका और घुरके बहुत गुस्से से उस आदमी को देखा। उन दोनो के बीच में बैग रख दिया। पर फिर भी वो अपनी कोशिश कर रहा था।वो इस सबसे शौक भी थी, हैरान भी थी।नींद और गुस्से के सारे भावनाएं एकसाथ उसके अंदर थी। वो चिल्लाना चाहती थी पर भीड़ बहुत थी और अगले स्टेशन पर उसे उतरना था। वो यह सब सोच रही थी पर न जाने क्यों वो आदमी अब रुक गया मानो जैसे उसने कुछ पा लिया हो ऐसी अजीब सी मुस्कान उसके चेहरे पे थी। पर नियती बिना कुछ किए वहा से उठी और दरवाजे की और बढ़ गई। वो पीछे मुड़कर देख रही थी कही वो मेरे पीछे तो नहीं।

पर ऐसा कुछ नहीं था। क्यों हुवा ऐसा ? मेरी क्या गलती थी यही सब नियति बार बार सोचे जा रही थी। शायद उसकी गलती थी वो रिजर्वेशन के डब्बे में अकेले सफर कर रही थी। वो नाइट शिफ्ट करने आई थी और नींद आ रही थी। शायद उसे ध्यान रखना चाहिए था की सो न जाए। या फिर शायद उसे अपने शहर से दूर जाके काम नहीं करना चाहिए था। अगर वो चिल्लाती तो क्या उसे कोई मदद मिलती या फिर ये गलती से हुवा कहके वो निकल जाता। क्या करना चाहिए था उसे ? 

एक २१ साल की लड़की मेघा अपने ट्यूशन के लिए ५ बजे घर से निकलती। रात ९:३० तक घर वापस आ जाती। उसका ट्यूशन घर से दूर था इसीलिए उसे बस से आना जाना करना पड़ता। वो हमेशा की तरह ट्यूशन से निकली बस पकड़ी और एक सीट पे बैठ गई। उसके कोई और नंबर की बस पकड़ी थी उसे थोड़ा समय जड़ा लग रहा था। उसका स्टॉप आनेवाला था इसीलिए वो आगे जाके खड़ी हो गई। उतरनेवालो की भीड़ थी।इतने में उसे किसी का हाथ उसके पीछे के होने का एहसास हूवा।भीड़मे किसी का हाथ था वो समाज नहीं पा रही थी।पर उसने उसका हाथ झटका और वो भीड़ से थोड़ा आगे निकल गई। और स्टॉप पर उतार गई।उसने पीछे देखा तो कोई शक्स उसका पीछा कर रहा था। वो जितनी तेज हो सके चल रही थी ताकि भीड़ के बीच में से निकल जाए। कुछ दूर तक उसने पीछा किया और फिर लौट गया। वो थोड़ी शांत हुई और घर की और चल पड़ी। क्या उसे चिल्लाना चाहिए था। शायद हा या फिर ? ऐसा क्यों हुवा? शायद इसीलिए की वो उस वक्त अकेली थी बस से आना जाना कर रही थी।उसे इतनी दूर ट्यूशन नहीं लेना चाहिए था। उसे घर से बाहर नहींं आना चाहिए था। कौन था वो क्या वो उसे जानती थी। पहचानती थी ? क्या करना चाहिए था उसे ? 

एक २५ साल की लड़की अनु अकेली बस से घर तक जा रही थी। जो १२ से १४ घंटे की दूरी पर था। वो एक एसी बस में रिजर्वेशन की सीट पे बैठी थी। क्यों की वो लड़की थी इसीलिए उसे लेडीज सीट ही मिली।

एक घंटा बीतने के बाद उसे नींद आनेलगी और वो गहरी नींद में सो गई कुछ घंटो बाद किसी स्टॉप पे बस रुकने से उसकी नींद टूटी।तो उसने किसी का हाथ अपने पैरो पर महसूस किया बस में रोशनी थोड़ी कम थी इसीलिए उसे उस वक्त कुछ दिखाई नहींं दिया। पर जब रोशनी हुई तो उसने देखा आगे वाली सीट के लड़के ने उसके पैरो पर हाथ रखा था। उसने गुस्से से पूछा आप का हाथ हटाओ।ये क्या तरीका है और आपका हाथ यह क्यों है। उसने कहा माफ करना गलती से हो गया। उसने बात को जाने दिया क्यों की उसे बहुत दूर जाना था। थोड़ी देर बादली और लेडी उसकी पास वाली सीट पे आके बैठ गई। तब वो थोड़ी शांत हुई।सुरक्षित। मेहसूस करने लगी। पर कितनी कमाल की बात थी की आगे बैठनेवाले लड़के का हाथ गलती से पीछे बैठनेवाली लड़की को छू गया। वो भी दो तीन घंटे तक कमाल है। माना जा सकता है की बस चलते समय एक दो बार गलती से ऐसा हो पर क्या वो वाकई में गलती थी।या वो लड़का जान बूझकर ऐसा करता था।

क्यों की वो नींद ने थी। उसे कुछ समाज नहीं आया। क्या ये कोई आमंत्रण था। आओ जो करना है करो। नहीं, शायद ये उसी लड़की की गलती थी की वो अकेली बस से जा रही थी और ऊपर से सो रही थी। शायद उसी ने कुछ इशारा किया हो लड़के को की उसकी इतनी हिम्मत हुई।पर क्या वो उसे जानती थी? जब अपना स्टॉप पे उतर के अनु ने सोचा था तो उसे भूत बुरा लगा। वो अंदर से डर गई पेरघर में किया कहती।बोलती तो उसी को सवाल होता तुम अकेली क्यों आई हम आ जाते ? पर क्या ये संभव है की किसी लड़की के साथ हमेशा किसी बड़े का, भाई का या सुरक्षक का होना।शायद हा या शायद नहीं।

अब सवाल ये है क्या इन तीनो किस्सों में गलती लड़की की है? उसने छोटे कपड़े या गलत तरह के कपड़े पहने थे। क्या उसने इन लोगो को गलत इशारे किए ? क्या वो उन लोगो को पहले से जानती थी ? मुझे तो इनका का एक ही जवाब मिला "नहीं "। तो फिर उन तीनो के साथ ऐसा क्यों हुवा ? जवाब है,की वो एक लड़की है। जिसे जब चाहे , जो चाहे छेड़ सकता है। गलत बाते बोल सकता है। वो कुछ नहीं कहेगी, कुछ नहीं करेगी।क्योंकि उसे सहना आता है। सिखाया गया है हमेशा से। अगर उसने कुछ बोल दिया, कर दिया तो भी क्या ? किसी का क्या ही बिगाड़ लेगी ? रोएगी, चिल्लाएगी और चुप हो जायेगी। यही तो समझते है लोग । न अंदर न बाहर न घर में न दफ्तर में न बस में न ट्रेन में आखिर कौन सी ऐसी जगह है जहां एक लड़की सुरक्षित है। अगर ऐसी जगह है में उस जगह जरूर जाना चाहूंगी और मेरी सखी, मेरी मां, मेरी बहन और इन सबको अपने साथ ले जाऊंगी।

उसे क्या करना चाहिए था ? इस सवाल का एक ही जवाब है उसे इस दुनिया में होना ही नहींं चाहिए था। अगर वो नहीं होती तो लोगोकी नजर उसपे ना पड़ती। अगर वो नहीं होती तो उसे ये सब सहना ही न पड़ता। उसका ना होना ही उसके लिए सही है।


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