मगर ये भी तय है, मुझमें वतन में हर हाल में ही, तुम देश चुनोगे
हिंदुस्तानी फौजी को देख कर सभी उसे मारने दौड़े। मैंने उन्हें रोका और कहा, ‘सब जान कर भी अंजान क्यों बन रहे हो। ये हिंदुस...
अपनी देशभक्ति के जज्बे से मर कर भी बल्लू अमर हो गया था। अब वह भी अमर जवान था।
इसलिए चाहती हूँ बाकी लोग लिखते रहें और मै आराम से पढ़ती रहूँ।
कांपते ओठों से कुछ शब्द निकले ’’मुझे आप लोगों से कोई शिकायत नहीं है।’’
ब्रेकिंग न्यूज़
अजनबी है !! कहीं से भूल-भटककर आया होगा। परन्तु, इसे तो गाँव में जाना चाहिए। यहाँ इस बाज़ार में कौन रहता है ,दिन में थोड़...
स्नेहा ने बताया कि शर्मा आंटी को गुड़िया ने मारा है तो इंस्पेक्टर मंगेश के होश उड़ गए। अब आगे पढ़िए
जंगल के जिस बीहड़ स्थान पर उसकी लाश मिली थी उसके पास ही चार आतंकवादियों की लाशें भी मिली थीं यानि राजू ने चार आतंकवादियो...
पाँच सौ रुपये के लिए तुम अपने देश से गद्दारी करोगे अख्तर, अपने ही देश के जवानो पर पत्थर फेकोगे उस बेरोजगार नवयुवक को उसक...
इंस्पेक्टर अभिशप्त गुड़िया को लेकर खिलौना बाज़ार गया और वहाँ उसका भयानक एक्सीडेंट हो गया। अब आगे पढिये ।
लेखक : राजगुरू द. आगरकर अनुवाद : आ. चारुमति रामदास
जहाँ पहले से ही बैठे एसीपी प्रद्युम्न ओर इंस्पेक्टर दयानंद (दया) को देखकर वे एकदम चौंक
विश्वास और अविश्वास की डोर पर झूलती संजना की गाथा।
‘‘मैंने एक हिन्दुस्तानी होने के कारण इस संघर्ष में भाग लिया था,’’ असलम ने मिल की नज़रों से नजरें मिलाते हुए जवाब दिया। ...
इस बिछोह पीड़ा में मैं जिस अश्रुधारा के प्रेम रूपी झरने के नीचे भीग रहा था , उस सुखद अतु
प्रकाश घुटनों पर बैठ गया और चीख-चीखकर रोने लगा क्योंकि वह भी इस आंदोलन का हिस्सा था।
यह कहानी समाज के ख़ोखलेपन से लडती महिला पर आधारित है।
आँखों से टपक रहे अश्रु, उनके सीने के, वस्त्र के, हिस्से को गीला कर रहे हैं।
मंगेश स्नेहा के घर गुड़िया लेकर पूछताछ करने जाता है जहाँ स्नेहा उसपर प्राणघातक हमला कर देती है अब आगे पढ़िए अंन्तिम भाग! य...