Akshat Garhwal

Action Thriller

4.8  

Akshat Garhwal

Action Thriller

द १३थ

द १३थ

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बरसात के मौसम में आज का सूरज ढल रहा था जिसकी रोशनी में वो नहर जैसी नदी की धारा का पानी सोने सा चमक रहा था। इसी नदी की पतली धारा के दोनों ओर जो कुछ जगह थी वहां पर अक्सर बच्चें खेलने के लिए आया करते थे। दोंनो तरफ सड़क कुछ ऊपर की ओर थीं जहाँ से वाहन कम ही निकला करते थे और हमेशा की तरह सब कुछ शांत ही था, माहौल भी और उन दोनो के बीच का फासला भी।

“ क्या बात है, तुम ने मुझे यहाँ क्यों बुलाया है?” उस भूरे बालों वाली लड़की की आवाज़ कम होते हुए भी माहौल के सन्नाटे में गूंज गई।

सामने खड़ा वो लड़का अब भी दोनों हांथो को पीछे किये हुए चुप ही खड़ा था।

“ कुछ दिनों से तुम काफी परेशानी में लग रहे हों, मुझे बताओ आख़िर हम दोनों दोस्त है।“ लड़की की आवाज़ में काफी नरमी थी इस बार और वह उस लड़के को बहुत मासूमियत से देख रही थी।

“ तुम कल वापस अपने देश चली जाओगी_______” लड़के की आवाज में कुछ परेशानी झलक रही थी

“ हाँ।“ लड़की ने जवाब दिया।

“ और फिर में तुमसे कभी नहीं मिल पाऊंगा।“

“ अच्छा तो तुम इस बात से परेशान थे।“ उस लड़की ने तेजी से उसके पास आकर कहा, उसके हाथों को थामा और मुस्कान के साथ बोली “ तुम्हारे पास मेरा मोबाइल नम्बर और ईमेल तो है ना, उसी से हम रोज मिल लिया करेंगे। और अगर में तुमसे मिलने ना आ पाई तो तुम खुद आ जाना।“

फिर उस लड़के के चेहरे पर एक छोटी सी मुस्कान आ ही गई।

“ हाँ, जरूर। पर में तुम्हें कुछ और भी बताना चाहता हूँ।“ एक बार फिर कुछ परेशानी भरी नजरें उस लजाते हुए चेहरे पर आ गई।

“ मैं सुन कर रही हूँ, कहो।“ लड़की ने बहुत ही उत्सुकता से पूछा।

एक पल को उस लड़के के हाथ कांपे, नजरे झुकी रही। पर अगले ही उसने अपनी ज़ेब में हाथ डाला और उसमें से कुछ निकाल कर लड़की की तरफ बढ़ाते हुए बोला,

“ आई लव यू रोज़। मैं तुम्हे बहुत चाहता हूं, समझ नही आ रहा था कि तुमसे यह कैसे कहुँ, इसलिए हिम्मत जुटाने में काफी समय लग गया।“ हांथ उसके अब भी कांप रहे थे, आंखें बंद थीं और जुबान भी लड़खड़ा रही थी। उसके हाथ में एक लव लेटर था और उसके ऊपर दो काले रंग की नक्काशी वाली अंगूठियां। और अब इंतज़ार था तो बस उसके जवाब का ________

वो सूनी सी ठंडी हवा उन दोनों को छूकर चली गई , माहौल अब भी शांत था। सूरज ढलने में बस कुछ ही वक्त बाकी था और उसका जवाब सुनते-सुनते वह सूरज भी ढल गया।

“ आई एम सॉरी, पर मेरे लिए तुम एक दोस्त से ज्यादा कुछ भी नही हो, आई डू लाइक यु वेरी मच पर में तुमसे उस तरह प्यार नही करती।“ रोज़ उसका हाथ छोड़ पीछे हट गई, उसकी वो पहले वाली मुस्कुराहट गायब हो गई। उसके जवाब को सुन कर लड़के का चेहरा सफेद पड़ गया, उसकी हिम्मत जैसे जवाब दे गई पर उसने कुछ ब भी नहीं कहा

“ कल में जा रही हूँ और मैं नहीं चाहती कि तुम मुझे इस तरह दुखी होकर विदा करो।“ रोज़ के हाथ उस लड़के के पास पहुंचते ठिठक गए, उस लड़के को इस तरह दुखी देखना शायद उससे देखा नहीं गया। इतने में वहाँ ऊपर से एक जानी पहचानी आवाज़ आ गई

“ रोज़, प्रोफेसर तुम्हें बुला रहे है, जल्दी।“ कोई लड़की रोज़ को सड़क के ऊपर से बुला रही थी।

रोज़ ने एक दफा उस लड़के को देखा, दूसरी ओर ऊपर उसे बुलाने वाली लड़की को देखा

“ मैं जा रहीं हूं, तुम भी जल्दी आ जाना।“ रोज़ की आवाज़ कुछ झिझक गई और मुठ्ठी भींचे वो वहाँ से चली गई।

हमेशा की तरह आज भी अंधेरा छाने लगा, जो पहले से कही ज्यादा घाना मालूम पड़ रहा था। और उस पर जंचने के लिए बादलों ने अपना बोझ हल्का कर दिया। धीरे धीरे शुरू हुईं बारिश ने रफ्तार पकड़ ली किसी रेलगाड़ी की तरह, कुछ दूरी पर जल रहे स्ट्रीट लाइट की रोशनी उस पेड़ के पास नाम मात्र की पड़ रही थी जिसके नीचे बरसात में वह लड़का बैठा भीग रहा था।

पेड़ से टिक कर वह एक घुटने को मोड़ कर उस पर हांथ रखा हुआ था, बरसात की बूंदे उसके शरीर को तर कर रही थी और वह पेड़ उसे पानी से पूरी तरह बचाने में असमर्थ था। जैसे बादल अपना बोझ कम करने को बरस रहे थे वैसे ही उस लड़के की पलके अपने बोझ हल्का करने के लिए रो रही थी। उसने एक आह भरी और अपना चेहरा ऊपर कर बैठा रहा। आँसू उसकी आँखों के किनारों से निकलते हुए गालों को रास्ता बनाये हुए थे, अपने हांथो में गीले होते लेटर को उसने जल्दी से वापस जेब मे रख लिया, अंगूठियों के सांथ।

उसके होंठ धीरे से हिल और वह कुछ बड़बड़ाया 

“ हाँ, सही तो कहा रोज़, ने मुझसे ज़्यादा उसके बारे में को जानता है” उसकी आवाज़ धीमी होने के बावजूद भारी थी “ उसने तो खुद मुझे बताया था कि उसे किस तरह का लड़का पसंद है। जो स्मार्ट हो और मज़ाकिया भी, अच्छी बॉडी हो और जिसे डर छू भी ना पाए।“

बड़बड़ाते हुए उसका दिल जैसे दर्द से रिस गया, उसके आँसुओ ने एकाएक तेज़ रफ़्तार पकड़ ली। उसे आज पता चल रहा था कि दिल का दर्द शरीर को लगी चोट से कहीं ज्यादा दर्दनाक होता है, क्योंकि उस पर ऊपर से कोई मरहम भी नही लगाया जा सकता। अपनी छाती को कचोटते हुए एक बार फिर उसके होंठ हिले

“ कहना तुम्हारे लिए शायद आसान था रोज़, मगर सुनना मेरे लिए एक श्राप जैसा था। 4 साल साथ गुजारे है हमने और तुम कहती हो में भूल जाऊ__________ कैसे रोज़ कैसे।“

अब जाकर उसके सब्र का बांध पूरी तरह से टूट गया, वो वहीं फूट फूट के रो पड़ा, असहाय सा वह ख़ुद से ही बातें करता हुआ रोता रहा। अपने आप को ढांढस बांधता पर उसके चुप होने पर भी उसकी आंखें चुप नहीं रह पाई और पता नहीं कब उसके अंदर दर्द ने लंबे समय के लिए अपना घर कर लिया।

रात का वह कौन सा पहर था यह नहीं पता, पर उसकी लाल आंखे अब सूज कर बंद हो चुकी थी, दर्द अब भी चेहरे पर था और अब तक वो एक लंबी नींद में जा चुका था। उसका शरीर वही निढाल सा पेड़ से टिका हुआ था जिसमें नाम मात्र की भी जिंदगी नही दिख रही थी। तेज हवाओं की सनन-सनन में गजब की ठंडक थी पर उसका शरीर उससे भी ज्यादा शीत जान पड़ता था, जिसमें कोई हलचल नहीं थी।

यू ही रात का अन्धकार घना था जिसमें सिर्फ तारे टिमटिमा रहे थे और चाँद तो अमावस्या को वैसे भी नहीं आता था। आज किसी का दिल टूटा तो बादलों ने भी उसके साथ शोक किया पर उसका कल तो कोई भी नहीं जानता, वो ख़ुद भी नहीं। कई बार किस्मत ऐंसे खेल खेलती है जिसका जोड़ कई खिलाड़ियों से होता है और खिलाड़ियों को तो यह पता भी नहीं होता कि वे इस खेल में उतर चुके है।

यहाँ हमारे दोस्त का दिल टूटा और वहाँ आसमान में एक अनजान तारा जिसकी रोशनी ने उसे सराबोर कर दिया।


असल किस्मत का खेल तो यहाँ चल रहा था......

वो एक बहुत ही चकाचोंध वाली जगह थी, आस पास की इमारतें, दुकानें आंखफोड़ू रोशनी से जगमग थीं। देखने में ये सब एक मुख्य सड़क के आसपास थीं। बी एम डब्ल्यू, फ़रारी जैसी गाड़ियां बहुत ही आम लग रहीं थी, ऐंसा लग रहा था साक्षात कुबेर जमीन पर उतर कर वाहन में घूम रहे हो।

उन्ही में से एक इमारत शायद होटेल थी, जिसके बाहर एक 20-25 साल का युवक बहुत जल्दी में अपनी बाइक से उतरा और सनसनाते हुए उस महंगी सी इमारत में दौड़ पड़ा, उसके कपड़े इतने भी अच्छे नही थे कि उस इमारत के दरवाजे के बाहर खड़ा वो हट्टा कट्टा दरबान उसे रोकता नहीं...................

“ ऐss रुको कहाँ घुसे जा रहें होss!” उसने झपट्टा मरते हुए उस युवक को रोकने की कोशिश की।

“ ये लो!” हांफते हुए उस दरबान की तरफ एक कार्ड उछाल दिया कर उसके झपट्टे से बचता हुआ अंदर भाग गया। दरबान ने वो कार्ड देखा जो उनकी होटेल में रुके हुए लोगों को दिया जाता है, उस पर लिखा था

“ पैराडाइज व्हाईट मोटेल

एन. वाय.

                       रूम नंबर 312 “

“ अजीब आदमी हैं, यहीं रुका हुआ है तब भी ऐंसे भाग रहा है जैसे घुसपैठ करने के इरादे हो।“ झल्लाते हुए दरबान ने उस कार्ड को रिसेप्शन पर दे दिया।

वो युवक जल्दी से लिफ्ट में चढ़ कर 25वे माले पर पहुंच गया। 312 नंबर के कमरे के दरवाजे को जोर से पीटने लगा, इतनी तेज़ की आस पास के लोग दरवाजे खोल कर उसे देखने लगे। कुछ ही देर में दरवाजा खुला और वो युवक बिना देखे तुरंत अंदर जा घुसा

“ अरे कारलोस, इतनी हड़बड़ाहट में क्यों है?” दरवाजा बंद करते हुए उस लम्बे बाल वाले लड़के ने पूछा, कर उसके पीछे आ गया। उसे इस हड़बड़ाहट में देख कर अंदर बैठे हुए वो 2 और युवक सकते में आ गए। कारलोस जल्दी में सामने रखी टेबल पर गया और उस पर अपने जेब में से एक लंबा सा काग़ज निकाल कर बिछा दिया, उसके चेहरे पर खुशी और ख़ौफ़ का मिला जुला से भाव था।

“बोरिस, दरवाजा बंद कर जल्दी यहाँ आओ, जॉर्ज तुम भी।“ कारलोस ने सामने खड़े उस दाड़ी वाले युवक को बुलाया जिसका नाम जॉर्ज था।

“ क्या मैथ्यू को यही बैठे रहने दूँ?” जॉर्ज ने कुर्सी पर आराम फरमा रहे उस युवक की तरफ इशारा कर कहा जो कि उसके कपड़ो से अलग ही अमीर लग रहा था, और उसके सुनहरे बाल उसके अमीरीपन को अलग ही परिभाषित करते थे।

“ हाँ, उसे वही रहने दो” अपनी सांस संभालता हुआ कारलोस बोला “ आखिरकार मुझे उस किताब के बारे में पता चल ही गया जो हमारी किस्मत बदल देगी।“ उसके चेहरे पर कुछ तीखी सी हंसी थी कर उसकी बात सुन सभी बहुत खुश हुए, यहां तक कि मजे से बैठा मैथ्यू भी खुशी से उछल पड़ा।

“ वाह यार वाह, तेरी बात सुनकर तो दिल खुश हो गया पर तुझे इसका पता कहा से चला?” तेज़ी से पास आकर मैथ्यू ने पूछा

“ मै कब से पापा का सामान टटोल रहा था और आखिर उनकी मेज़ के नींचे छुपी हुई उनकी डायरी मुझे मिल गई जिसमें से मैंने जरूरत की सारी चीजों को इसमें उतार लिया।“ सामने बिछे हुए उस काग़ज पर हांथ रख उसने कहा

“ इससे अच्छा तू वो डायरी ही ले आता!” जॉर्ज ने उसे ताना मारते हुए कहा और प्रश्न भरी निगाहों से घेर लिया। तीनों ही उसके उत्तर की राह देख रहे थे।

“ अरे यार तुम्हें तो मालूम है ना मेरे घर पर अब भी पुलिस लगी हुई है। अगर मैं वो डायरी लाने की कोशिश करता तो पुलिस को शक हो जाता कि इस डायरी में कुछ खास है। और अगर ये पुलिस वाले उस कमीने रुसेव से मिले हुए हो तो वो मेरे पापा की रिसर्च को अपने नाम कर लेता जैसे पहले किया था।“ आखिरी शब्दों में गुस्सा छा गया था। उसने पास रखी कुर्सी खिसकाई और उस पर बैठ गया।

कुछ देर यू ही शांति छाई रही, वो चारों ही जिंदगी के बचकाने खेल से परेशान थे। उन्हें जिंदगी पर और लोगों पर भरोसा नहीं रह गया था, सभी अच्छी भली जिंदगी जी रहे थे पर उन्हें शायद किसी की नजर लग गई। कारलोस के पिता एक पुरातात्विक विद्वान और वे पुरानी परंपराओं से जुड़ी चीजों पर खोजबीन करते थे पर एक दिन कारलोस के पिता के दोस्त डॉ रुसेव ने उन्हें धोका दिया और उनकी रिसचर्स को चुरा कर अपने नाम कर लिया। परेशान होकर उन्होंने आत्महत्या कर ली, जहर पीकर और डॉ रूसेव के आरोप के कारण अब तक उनके घर पुलिस की जांच जारी है।

जॉर्ज बहुत ही बदकिस्मत युवा था, वो कोई भी काम करता तो हमेशा ही कुछ ना कुछ उल्टा पुल्टा हो जाता। बचपन से ही उसने अच्छी कहानियां सुनी थी और उन्हीं पर अमल कर वो अच्छे काम करने की कोशिश करता था पर हमेशा उसका काम किसी का या खुद का नुकसान कर देता था। एक बार उसने अपने एक कॉलेज के दोस्त की मदद के लिए उसे 10000 डॉलर दिए तो पुलिस ने जॉर्ज को ही अंदर डाल दिया। दरअसल उसका वो दोस्त ड्रग्स बेंचा करता था, उसने पुलिस को जॉर्ज का नाम देकर यह कह दिया कि जॉर्ज ही ड्रग्स का धंधा करता था और ये पैसे उसी ने दिए थे। बेचारे जॉर्ज को पुलिस ने बहुत मारा और ड्रग्स केस में अंदर कर दिया, जॉर्ज के माता पिता ने उसे घर से निकाल दिया और आखिर में वो थक हार कर आत्महत्या करने जा रहा था कि कारलोस ने उसे रोक लिया। कारलोस भी जॉर्ज का दोस्त था और उस पर नज़र रखे हुए था, उसी ने जॉर्ज की बेल कराई थी पर उसके मां बाप को नहीं समझा पाया।

बोरिस उन चारों में सबसे बड़ा था, वो एक डॉ था और उसने हमेशा अपने माँ बाप की सेवा की, उनकी इच्छाओं को सबसे ऊपर रख कर पूरा किया पर आखिर में हुआ क्या? उसके मां बाप ने उसे जायदाद से दखल कर दिया क्योंकि वो उनका सौतेला बेटा था और इतने समय की उसकी कमाई, वो घर सब कुछ तो बोरिस ने उन्हीं के नाम कर दिया था। सो अब ना घर था ना ही गाड़ी, बची थी तो सिर्फ वो निजी नौकरी जो हमेशा ही चले इसका कोई भरोसा नहीं।

सिर्फ़ मैथ्यू ही था जिसका आगा पीछा सब सही था। उसके पिता शहर के सबसे अमीर आदमी थे और उनकी मौत के बाद सब कुछ मैथ्यू का हो गया। अब क्योंकि ये चारों बचपन के दोस्त थे, कारलोस के प्लान में शामिल भी हो गए और क्यों ना हो? आखिर कारलोस उन्हें उनकी मंजिल तक पहुंचने का रास्ता बना रहा था।

“ तो, कहाँ जाने का प्रोग्राम है हमारा?” बोरिस ने कुर्सी पकड़ते हुए कहा

“ अफ्रीका के चाड देश में एक गांव है गालो, बस वहीं चलना हैं।“ कारलोस ने अपनी आंखें बंद किये हुए कहा

“ कुछ ज्यादा दूर नहीं है ये जगह?”

“ वैसे भी हमें वहाँ जल्दी पहुंचा पड़ेगा!” कारलोस की बात सुनकर सब चोंक गए।

“ ऐंसा क्यों, कुछ गड़बड़ है क्या?”

“ वहां पर फितरी नाम का तालाब है, जहाँ पर आज से 4 दिन बाद रात को वहाँ के आदिवासी अपनी परंपरा के अनुसार हर 100 साल में वहां चन्द्रमा की पूजा करते है। हमें उस पूजा के समय ही अपना काम करना पड़ेगा, वारना फिर 100 साल का इंतजार!” कारलोस ने सर पर हांथ रख कहा।

“ और येsss..........Ss........ हो गया!” मैथ्यू ने अपने फोन पर उंगलियां चलते हुए सबका ध्यान खींचा

“ क्या हो गया?” जॉर्ज ने कुछ गर्म लहजे से पूछा

“ चाड जाने का इंतजाम! और क्या” उसने सभी को फ़ोन सामने दिखाया, जिसकी स्क्रीन पर 4 लोगों की टिकटों का चित्रण था। और वो भी हवाई जहाज की टिकटों का।

सूरज की रोशनी से छंट कर अब अँधेरा घिरने लगा था,चाँद बेधड़क खुले आसमान में बिना बादल की चादर ओढ़े घूम रहा था। सामने एक बस्ती यही जो बहुत ही बेजान लग रही थी, न कोई आवाज थी न ही कोई घर की रोशनी चालू थी। वैसे तो गांव जैसी इस बस्ती में ज्यादातर घर छोटे और लकड़ी के मालूम हो रहे थे पर वहाँ मिट्टी की दीवार वाले घरों की कमी भी नहीं थी। एक तो इतना खाली माहौल था कि पूरा गांव वीरान लग रहा था, ऊपर से चढ़ती रात में घरों में से रोशनी न आना और भी डरावना था।

तभी एक एक करके सभी घरों की लाइटें जल उठी, लोगों का घर से निकलना शुरू हो गया। वहाँ सभी थे, बच्चे- बूढ़े- जवान- महिलाएं और बहुत ही शांति से सभी अपने घरों से निकल कर पास के झुरमुट में घुसे जा रहे थे। खाली हाथ नहीं थे, सभी के हाथों में थैलियाँ थी, कुछ बच्चों को उनके मां बाप मुँह पर उंगली रख कर चुपचाप चलने का इशारा कर रहे थे मानो उनके बोलने से कोई आ जाएगा। उनमें से कुछ लोगों ने अजीब से कपड़े पहन रखे थे, आदिवासी जैसे, सर पर रंगीन पंखों का मुकुट, शरीर के ऊपर सिर्फ छाती ढकने मात्र का कपड़ा वो भी काले रंग का, नीचे एक पत्तों की बनी स्कर्ट के ऊपर काले रंग का कपड़ा जिसकी नक्काशी सोने के रंग में थी और उनके चेहरे पर सफेद रंग से कलाकारी की हुई थी जैसे कोई और चेहरा बनाने की कोशिश की हो। सभी लोग उन पेड़ो के झुरमुट में से गुजरने लगे, काले अंधेरे में अब चांद की रोशनी छितरा गई थी सो रास्ता ढूंढने में कोई परेशानी नहीं मालूम दिख रही थी। कुछ ही समय में वो झुरमुट ख़त्म हो गया और सामने खुले में वे सब एक तालाब के किनारें आ गए। सभी लोग इकट्ठे हुए, सामने लंबी लकड़ियों से आग जलाई गई और सभी लोग आस पास घेरा बना कर बैठ गए। फिर सबने अपनी थैलियाँ खोली, किसी की थैली से बाजे का सामान निकला तो किसी ने खाने पीने की चीजें निकाल कर आग के सामने रख दी। अब वो अजीब से पहनावे वाले लोग सामने आए, अजीब सी भाषा में उन्होंने कुछ कहा और फिर वहां ढोल नगाड़े से बजने लगे। वो सभी वहाँ पर नाच रहे थे और बीच-बीच में वे गुमनाम सी भाषा में कुछ कहते ओर खाने पीने का सामान जैसे फल और मांस उस आग में फेंक देते। किसी उत्सव की तरह वहाँ का माहौल था और इसी बीच तालाब के उस पार कुछ लोग इकट्ठे हुए थे और उन्होंने भी वैसे ही आग जलाई हुई थी जैसे उन आदिवासी लोगों ने जलाई थी।

“ ये कारलोस अभी तक आया क्यों नहीं? मुझे बहुत घबराहट हो रही हैं।“ बोरिस ने जॉर्ज को एक तरफ बुला कर कहा

“ चिंता मत कर, उसे समय का ध्यान हैं।“ जॉर्ज ने उसे सीधे कहा

मैथ्यू भी उन्हीं के पास खड़ा हुआ था क्योंकि वो जिन लोगों को यहाँ पर लेकर आए थे वो उसी गांव के थे और बहुत ही अजीब तरह से इन लोगों को देख रहे थे।

“ चलो, अब हम यह पूजा शुरू करते है।“ झाड़ियों में से निकलते हुए कारलोस ने सभी को कहा और उसके बाक़ी दोस्त भी आग के आस पास इकट्ठा हो गए। कुल मिलाकर वहाँ पर 13 लोग थे, जिनमें से 9 तो उसी गांव के लोग थे जिन्हें कारलोस ने इकट्ठा किया था। अब क्योंकि वो लोग उनकी जानकारी के नहीं थे तो भरोसे वाली बात तो होती ही नहीं है।

“ सुन कारलोस, शक्तियां मिलने के बाद तुम तुम्हारे रास्ते हम हमारे! समझ गए न” वहां खड़े एक भारी शरीर वाले व्यक्ति ने कहा

“हाँ, वैसे भी हम जो कर रहे है वो गांववालों के उसूलों के खिलाफ हैं।“ उसी भारी शरीर वाले आदमी के बगल वाला लंबा से आदमी बोला।

“ चलो में आखिरी बार सभी से पूछता हूँ, क्या यहाँ पर कोई ऐसा है जो हमारे इस प्रयोग में शामिल नहीं होना चाहता? क्योंकि एक बार ये शक्तियां मिल जाने के बाद क्या परिणाम होगा यह हममें से कोई भी नहीं जानता।“ कारलोस ने सभी की आंखों में आंखें डाल कर पूछा, पर किसी ने कुछ नहीं कहा, भला इस तरह की शक्तियां पाने के लिए को मना करता। पर कारलोस की ये बात सुनकर उसके दोस्तों का दृढ़ और मजबूत हो गया।

“ ठीक है सभी अपने-अपने चाकू निकाल लो; मैं पढना शुरू करता हूं।“

कारलोस ने अपने हाथ में एक पुरानी सी पुस्तक पकड़ी हुई थी जिसका बाहरी पृष्ठ किसी चमड़े का बना लग रहा था जिसके ऊपर 13 अलग-अलग तरह के चिन्ह एक गोलाकार रूप में जमे हुए थे और उस गोले के बीच किसी उसी अजीब भाषा में कुछ लिखा हुआ था जिसकी जानकारी उन गांव के कुछ लोगों और कारलोस को थी। उसने उसी अजीब भाषा में कुछ मंत्र पढ़ना शुरू किया, सभी उसे ध्यान से देख रहे थे क्योंकि कारलोस के हाथ कांप रहे थे पर वो मंत्रों को पढ़ता जा रहा था। फिर उसने वो किताब बंद की और अपना चाकू निकाल कर सभी की ओर देखा और फिर .............................................. “ खच्च”!

उसने अपनी हथेली पर चाकू से हल्का वार किया और अपना रक्त उस आग में टपका दिया। उसे देख सभी ने ऐसा ही किया और देखते ही देखते उस आग का रंग ख़ूनी लाल हो गया और उसके काले धुंए ने सभी को घेर लिया। उन लोगों ने किसी तरह से खुद को संयम में रखा। धीरे से उस आग में से एक अजीब सा पुंज निकला और फिर 13 अलग-अलग टुकड़ों में बंट कर अचानक से 4 पुंज उन चार दोस्तों के अंदर घुस गए जिससे उन चारों को चक्कर से आ गए और वे जमीन पर गिर पड़े। और बाकी के पुंज किसी टूटते तारे की तरह आसमान में गायब हो गए

आस पास खड़े बाकी के लोग बहुत ज्यादा ही हड़बड़ा गए क्योंकि वो शक्ति पुंज सिर्फ कारलोस और उसके दोस्तों को मिले थे और बाकी सब जो उनके साथ उस प्रक्रिया में शामिल थे उन्हें वो शक्तियां नहीं मिली थी। अब उनके क्रोध का पारा चढ़ गया

“ तुमने तो कहा था कि हम सभी को ये शक्तियां मिलेंगी, पर ये तो सिर्फ तुम चारों को मिली।“ उस भारी शरीर वाले ने अपने दांत पीस लिए

“ इस कारलोस ने जरूर हमें धोका दिया है तभी तो ये शक्तियां सिर्फ़ इन चारों को मिली हमें नहीं।“ उसके साथ खड़ा वो लंबा आदमी बहुत गुस्से में बोला। अब क्योंकि उन गांव के लोगों को शक्तियां नहीं मिली तो उनके क्रोध ने गुनाह का रूप ले लिया। उनके साथियों के मुख से धोका शब्द ऐसे में गूंजने लगा जैसे उनका दिमाग खाली हो गया। उन सभी ने अपने-अपने चाकुओं को इस तरह पकड़ रखा था मानो अब वो सभी उन चारों दोस्तों के टुकड़े-टुकड़े कर वहीं जंगली जानवरों को खिला देंगे। आंखों में खूनी जज़्बात लिए वो उनकी ओर बढ़ने लगे, चक्कर से संभल कर वो चारों एक दूसरे को उठाने लगे पर तब तक वो भारी शरीर वाला कारलोस के बिल्कुल सामने आ गया

“ हमारे रिवाजों में धोखे की कीमत सिर्फ मौत होती हैं।......याsssss.....ह” उसने पूरी ताकत से कारलोस के पेट में चाकू पेल दिया

“ टनsssssss” पर ऐसा लगा जैसे चाकू कारलोस के पेट की जगह किसी धातु से टकरा गया, वहाँ खड़ा हर कोई चकरा गया और खासतौर पर वो भारी शरीर वाला। कारलोस ने खुद को बचाने के लिये पेट के ऊपर अपना हाथ लग लिया था जो अब किसी और ही चीज में तब्दील हो चुका था, ऐसा लग रहा था मानो उसके हाथ की खाल उत्तर गई हो और उसकी हड्डियाँ किसी धातु सी बन गई हो जिसके अगल – बगल मांसपेशियों की गठान बनी थी। तभी कारलोस के चेहरे पर बहुत ही भयानक हंसी छा गई जैसे वो अब इंसान ना होकर एक जानवर बन गया हो। उसने अपने हाथ से झटका देकर उस भारी शरीर वाले को पीछे हटने पर मजबूर कर दिया। अगले ही पल उसकी उंगलियों ने लंबे से चाबुकों का रुप ले लिया जिनके ऊपर अजीब सी नोंक लगी हुई थी और एक ही झटके में कारलोस ने उस भारी शरीर वाले व्यक्ति के 4 टुकड़े कर दिये, किसी फव्वारे की तरह खून उछल पड़ा। इससे पहले की बाकी संभल पाते, उन चाबुकों ने सभी के टुकड़े कर दिये। सब कुछ इतनी जल्दी हुआ कि किसी को चीखने का मौका भी नहीं मिला।

“ अब इन लाशों को कहाँ ठिकाने लगाए?” वापस सामान्य होते हुए कारलोस हाँफते हुए बोला कि इतने में जॉर्ज ने अपने हाथ को सामने किया जो कि बहुत तप रहा था और उसमें से आग किसी सांप की तरह उन लाशों को निगल गई, रह गई तो सिर्फ राख!

“ क्या बात है यार तुम दोनों को तो धांसू पावर मिल गई।“ बोरिस ने वापस जमीन पर बैठकर कहा, जिस पर मैथ्यू ने भी हामी भरी।

“ हाँ, लगता है रिचुअल सही तरीके से हो गई।“ कारलोस ने जॉर्ज के साथ बैठते हुए कहा

“ तो फिर सिर्फ हम चारों को ही पावर्स क्यों मिली, और बाकियों को क्यों नहीं?” जॉर्ज ने सवाल पूछा, जो कि सभी जानना चाहते थे।

“ यह बात तो मैं भी ठीक तरह से नहीं जानता, सिर्फ इतना पता है कि जिसके मन में किसी एक तरह की भावना बहुत शक्तिशाली हो ये शक्तियां उसे ही चुनती है।“ सभी को समझाते हुए उसने किताब खोली “ मुझमें बदले की भावना है इसलिये मुझे ये ह्यूमन वेपन की पावर मिली, गुस्से के कारण जॉर्ज को आग की शक्ति मिली और,,,,,,,,,, तुम दोनों की पावर्स भी हम पता लगा ही लेंगे।“

कारलोस की बात सुनकर सभी मुस्कुरा दिए और उस सूनी रात में उन चारों ने वापस पास के अपने होटल में जाने का फैसला किया ताकि किसी को उन पर शक न हो। उधर उन आदिवासी लोगों की पूजा अब भी जारी थी, उसी बीच वो चारों दोस्त वापस अपने होटल में पहुंच कर सो गए। आज रात जो हुआ उससे आने वाले समय में क्या प्रभाव पड़ेगा ये तो वक्त ही बताएगा, क्योंकि ये शक्तियां किसी भगवान की देन तो मालूम नहीं पड़ती। अगले दिन बिना किसी दिक्कत के ये चारों दोस्त वापस अपने शहर आ गए और उस गांव के लोगों ने अपने कुछ साथियों के लापता होने की शिकायत पुलिस में दर्ज करा दी।

कुछ दिनों बाद टी. वी. पर एक न्यूज छा गई, जिसने हर न्यूज़ चैनल पर अपनी पकड़ बना ली। लोगों के लिए यह न्यूज़ कुछ खास नहीं थी पर कुछ बड़े अधिकारियों और कुछ लोगों के लिए यह रहस्य से भरी हुई थी

“ महान पुरातात्विक डॉ रूसेव जैस की हुई दर्दनाक मौत, घर में लगी आग में उनकी रिसर्च हुई ख़ाक, हत्यारे ने किये शरीर के कई टुकड़े।“ और इस न्यूज़ ने कुछ लोगों की जिंदगी में तहलका मचा दिया। 

        



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