Akshat Garhwal

Action Crime Thriller

3  

Akshat Garhwal

Action Crime Thriller

Twilight Killer Chapter-37

Twilight Killer Chapter-37

18 mins
146


जय का यह रूप इतना डरावना था कि एक पल को को आसुना भी डर गई! उसने जय को पहले भी ऐसे देखा था। भला वो टोक्यो की बारिश वाली वो रात कैसे भूल सकती थी पर........आज कुछ बहुत ही अलग था, जय का यह गुस्सा जो अभी इस वक्त देखने को मिल रहा था वो केवल दुश्मनों को ही नहीं बल्कि हर किसी को डरा रहा था, उसे देखते ही जिया-जी ने अपनी आँखें मिच-मिचाई

“यह कैसे हो सकता है? जय अब तक होश में है! असंभव” जिया-जी अचरज भरे लहजें में बोला “जितना जहर का डोज दिया था उस से कोई भी इंसान, कितना भी ताकतवर क्यों ना हो! 4 घंटे से पहले तो होश में नहीं रह सकता है......तो फिर ये कैसे खड़ा है?”

जब आसुना और हिमांशु ने यह सुना तो वो दोनों ही घबरा गए! जय के शरीर में जहर था? नित्या कहीं पर भी दिखाई नहीं दे रही थी, सामने 80-90 लोग खड़े हुए थे जिनके हाथों में कुछ हथियार जरूर थे। कोई चाकू रखा था तो किसी के हाथ में लोहे का गोल डंडा था। भले ही हाथ में गन ही क्यों ना हो पर इतने सारे लोगों का मुकाबला करना आसान नहीं था।

(पुनीत! निशाना लगाओ) धीमी आवाज में ट्रांसमीटर के जरिए हिमांशु ने पुनीत को कहा, पुनीत ने तुरंत ही अपने ड्रोन से निशान साधा।

(मैं तैयार हूँ सर) पुनीत की आवाज आई

(गुड............ओके टीना, क्या तुम अपनी जगह से यहाँ पर निशाना लगा पा रही हो?”

(हाँ, मुझे आपके सामने कुछ क्लीयर शॉट मिल रहे है) टीना ने पेड़ बदल लिया था और वह दूसरे पेड़ से स्कोप में देखते हुए बोल रही थी।

(ओके......)

हिमांशु ने अपने साथियों को इशारा किया, वो लोग एकदम सतर्क हो गए। जिया-जी और देसू का पूरा ध्यान इस वक्त जय की ओर चला गया था, उनके लिए अब सबसे बड़ा खतरा जय बन गया था। देसू ने अपने कुछ आदमियों को इशारा किया और कुछ लोग जय की ओर दौड़ पड़े!

(रेडी.....फायरssssss!)

हिमांशु ने तेज आवाज में कहा और ड्रॉन से गोलियों की बारिश होने लगी, जय को मारने वाले तो निकल ही गए थे साथ ही देसू ने कवर लिया और अपना ध्यान आसुना और हिमांशु की ओर केंद्रित कर लिया। पहली ही मुठभेड़ में हिमांशु की टीम ने केवल गोलियों से ‘वू’ के 7 ऐलीट मार गिराए थे और अब सभी ने अपना-अपना कवर ले लिया था। ऐलीट ‘वू’ के पास गन नहीं थी इसलिए वो छुप कर भी कुछ ज्यादा नहीं कर सकते थे और चाकू फेंक कर मारने का मतलब अपना एकमात्र हथियार गंवाना था, इसलिए इस बात को जानकर हिमांशु ने कहा

“हमें उनसे सीधे भिड़ना होगा वरना इसी तरह लुका छुपी का खेल चलता रहेगा!”

“तुम कहना क्या चाहते हो?” राजन ने चिड़ते हुए पूछा

“किसी को सामने जाकर उन लोगों को बाहर लाना होगा ताकि, उन्हें आसान निशाना बनाया जा सके, ऐसे भी उनकी संख्या हम से कहीं ज्यादा है”

सभी एक पल को सोच में पड़ गए, यह कोई आम गुंडे नहीं थे जिनके सामने जाकर उन्हें उकसाए जा सकता था!

“ठीक है, मैं आगे-आगे जाती हूँ और तुम लोग पीछे से कवर देना!” आसुना बोल पड़ी “कोई आ रहा है मेरे साथ?”

राम-राघव ने एक दूसरे को देखा और सर हिलाया, उन दोनों को तैयार होता देख आसुना मुस्कुराई। उसे पूरी उम्मीद थी की राम-राघव इस तरह की सीधी भिड़ंत वाली स्थिति को छोड़ने से रहे.....उल्टा आसुना जानती थी कि क्लोज़-रेंज गन फाइट में राम-राघव बहुत सटीक हो गए थे। हिमांशु वैसे तो आसुना को इस तरह से खतरा नहीं उठाने देना चाहता था पर वह इस बात से भी वाकिफ था कि आसुना इस काम को बिना किसी दिक्कत के कर सकती है,

“अगर तुम कहती हो तो ठीक है, पर अपना ख्याल रखना वरना जय मुझे मार डालेगा” उस हालत में भी उसके चेहरे पर हल्की सी मजाकिया मुस्कान थी और उसे भी राम-राघव पर भरोसा था। उसके इतना कहते ही आसुना पूरी तरह से तैयार हो गई और तेजी से दौड़ते हुए उन ऐलीट की ओर भागी! वो लोग कन्टैनर और मशीनों के पास छुपे थे, आसुना को सामने देख कर शुरू में 5 लोग सीधे अपने चाकू और रॉड के साथ आसुना के सामने आ गए!

“दन......दन...दन.....दन.....” पर आसुना का निशान इतना पक्का था कि उसकी बंदूक से निकली गोली 5 में से 4 को इतने पास से लगी थी कि ऐसा लगा जैसे वो उन लोगों के पास से बस तेजी से गुजरी और वो लोग सर में छेद लिए जमीन पर गिर पड़े। हिमांशु को आसुना से इस तरह की ही उम्मीद थी पर होश तो केवल राजन के उड़े हुए थे! उसने जो आँखों देखा था उस पर यकीन नहीं हो रहा था, यह सोच कर उसके रोंगटे खड़े हो गए थे कि उसने एक बार पूछताछ के लिए आसुना को बहुत तेज थप्पड़ मारा था और अगर आसुना को उस व्यक्त गुस्सा आ जाता तो शायद राजन आज जिंदा ही ना होता। उसने मन में ही ठान लिया कि अब वो आसुना से माफी मांग लेगा। उसका चेहरा देख कर हिमांशु को बहुत हंसी आई पर वो हंसा नहीं।

उस 5वे को राम राघव ने पीछे से भून दिया और कन्टैनर का कवर लेने भागे कि तभी ना जाने कैसे देसू आसुना के पास आ गया और आसुना का कॉलर पकड़ कर फैक्ट्री के बीच में यानि अपने पीछे फेंक दिया। राम-राघव आसुना पर हमला देख कर देसू की ओर भागने ही वाले थे कि पीछे से ‘वू’ ऐलीट ने उन्हे घेर लिया और उन पर हमला कर दिया। राम-राघव के पास गन जरूर थी पर इस तरह अचानक से हुए हमले के कारण वो गोली नहीं चला पाए और उन ऐलीट के चाकुओं को रोकने के लिए अपनी असॉल्ट राइफल को आढ़ा करके वार बचाने लगे। उनका ध्यान आसुना की ओर ही था इसलिए ऐलीट उन पर हावी होने लगे थे। वो गोली नहीं चला पा रहे थे ऊपर से ऐलीट के रोड से उन्हे चोटें आ गई थी,

तभी बाकी के करीब 30 ऐलीट जय की ओर भागे और बचे-कुचे जो ऐलीट थे वो राम राघव की ओर। पर तभी तेजी से गोलियां चली और राम राघव के पास खड़े ऐलीट पीछे हट गए।

(तुम दोनों का दिमाग तो ठिकाने पर है ना?) हिमांशु की गुस्से भरी आवाज उनके ट्रांसमीटर पर आई (आसुना की चिंता मत करों वो सब संभाल रही है, लड़ाई पर ध्यान दो वरना मारे जाओगे!)

गोली चलाते हुए राजन और हिमांशु उन दोनों के पास आ गए,

“तुम दोनों ठीक तो हो न?” राम-राघव के चेहरे और हाथों पर थोड़ी सूजन दिख रही थी हिमांशु के पूछने पर उन दोनों ने हामी में सर हिलाया।

“ये सही मौका है उन लोगों के पास अभी कवर नहीं है!” राजन उत्साह के साथ बोला “हमें इसी वक्त उन्हे गोलियों से भून देना चाहिए”

राजन का कहना सही था वो लोग ड्रोन से चली गोलियों के कारण थोड़ा बौखला गए थे और इस चक्कर में उन का कवर सही नहीं था। उन चारों ने अपनी अपनी गन तानी और उन लोगों की ओर बढ़ने लगे, तभी कन्टैनर के ऊपर से 4-5 लोग उनके ऊपर कूद गए। मौका देख कर उन्होंने हिमांशु और राम-राघव पर हमला किया पर टीना और ड्रोन की गोलियों ने उन्हें दूर से ही भून दिया, उनकी छेद और खून से तर बॉडी जमीन पर उनके सामने गिर पड़ी।

(गुड जॉब यू टू !) हिमांशु ने उन दोनों की तारीफ की,

पर अभी वो लोग तैयार भी नहीं थे कि कन्टैनर के पास से बहुत तेज आवाज आने लगी जैसे कोई कन्टैनर में हथोड़ा मार रहा हो। वो लोग उसी आवाज की ओर जाने लगे, बंदूक ताने कि जैसे ही कोई उनके सामने आया और वो उसे गोलियों से भून देंगे। तभी उनके 4-5 कदम आगे जाते ही आवाज बंद हो गई........

“ये आवाज बंद कैसे हो गई?” राजन के मुंह से अचानक यह बात निकल पड़ी

“शीsssssss..........” हिमांशु ने मुंह से सभी को चुप रहने का इशारा किया, उधर देसू और आसुना की लड़ाई की आवाजें आ रही थी पर इनका ध्यान उन छुपे हुए ऐलीट पर ही था, उनके सामने कुछ नहीं था पर एकदम से उस कोंटनेर के पीछे से एक हट्टा-कट्टा ऐलीट निकला, उसके हाथ में कन्टैनर का टूटा हुआ दरवाजा था। जैसे ही उसने देखा कि हिमांशु और उसके साथ सामने ही खड़े है वो जोर से चिंघाड़ा और दरवाजा सामने रख कर उन लोगों की ओर दौड़ पड़ा!

“अबे ये तो यहीं आ रहा है!” उसे अचानक अपनी ओर दौड़ता देख कर सभी की बंदूकों से ट्रिगर दब गया और गोलियां चलने लगी जो कि दरवाजे से टकरा कर बाहर ही रुक गई, वो भागता हुआ तेजी से उनकी ओर आ रहा था और उस दरवाजे वाले आदमी के पीछे बाकी के ऐलीट थे। अभी वो लोग कोई फैसला ले ही पाते कि वो आदमी दरवाजे के साथ उन चारों से टकराया और वो चारों सीधे पीछे की ओर जाकर इन लकड़ी के बोक्सेस के ऊपर जा गिरे। उन बोक्सेस के अंदर रखा हुआ पाउडर उड़ कर वहाँ फैल गया..........

(सर, इस पाउडर के धुएं की वजह से क्लेर शॉट नहीं मिल रहा है! आप सभी को इसी वक्त उठना होगा) पुनीत को जब ड्रोन से कुछ दिखाई नहीं दिया तो वो घबराते हुए बोला

(पुनीत की बात एकदम सही है, मुझे भी क्लेयर शॉट नहीं मिल रहा..........आप लोगों को वहाँ से निकलना होगा, हमे कुछ नहीं दिख रहा!) टीना भी चिंता भरी आवाज में बोली

पर ट्रांसमीटर पर कोई जवाब नहीं था, किसी का जवाब ना आना बहुत बुरा संकेत था खासकर तब जब वो ऐलीट उनकी ओर बढ़ रहे थे। अगर वो चारों इस वक्त नहीं उठे तो कुछ भी बुरा हो सकता था।

***********

उधर दूसरी ओर जब देसू ने आसुना को उठाया कर पीछे फेंका था तो आसुना के हाथ से गन छूट कर दूर गिर गई थी पर आसुना अपना संतुलन बनाते हुए पैरों के बल सही से खड़ी हो गई थी। जब देसू ने यह देखा तो उसे अपने कंधे पर थोड़ा सा दर्द हुआ, जब उसने आसुना की ओर देखते हुए अपने कंधे को छुआ तो उसकी टी-शर्ट पर एक लंबा सा कट का निशान था जिसमें से थोड़ा खून बह रहा था। उसने गुस्से में आसुना की ओर देखा जिसके मिलिट्री ग्रैड चाकू पर खून लगा हुआ था, ताजा खून!

“अब समझ आया आखिर जिया-जी ने तुम्हारे शरीर को सुरक्षित रखने को क्यों कहा है?” बड़ी अजीब सी मुस्कान के साथ वो बोला “उम्मीद है अगर में थोड़ी तकलीफ दूँ तो बुरा नहीं मानोगी”

देसू ने आसुना को कहते हुए, लड़ाई की मुद्रा में आते हुए अपने दोनों हाथ ऐसे सामने किया जैसे वो सामने कुछ पकड़ने वाला है। आसुना को उसकी यह बात अच्छी नहीं लगी, पर उसकी बात पर वो ऐसे मुस्कुराई जैसे देसू ने कोई बेवकूफी वाली बात कह दी हो,

“मुझे भी उम्मीद है कि अगर मैं तुम्हारे टुकड़े-टुकड़े कर दूँ तो तुम भी बुरा नहीं मानो गे” आसुना की बात को सुन कर वो मुस्कुराया “वैसे कसाईखाने में तुम्हारे अच्छे दाम मिल जाएंगे”

इस बात पर असल में देसू भड़क गया और वो तेजी से आसुना की ओर लपका पर आसुना ने उसके आगे आते ही थोड़ी सी दूरी बनाते हुए चाकू आगे की ओर कर दिया! देसू का हाथ आगे की ओर आया और खुद-ब-खुद उस चाकू की धार से टकरा कर अपने हाथ में चोट ले लिया। पर जैसे उसे कुछ असर ही नहीं हुआ, उसने अपने मुक्के और किक का सिलसिला जारी रखा, जारी क्या वो तो बहुत ही सटीक निशाना लगाते हुए आसुना से क्लोज़-रेंज में फाइट करने लगा। आसुना ने एक दो बार उसके वारों को रोकने की कोशिश की थी क्योंकि आसुना की स्पीड कहीं ज्यादा थी, पर देसू का वार रोकते हुए उसे ऐसा लगा जैसे उसने एक इंसान का वार नहीं बल्कि एक बहुत ही भारी हथोड़े का वार रोकने की गलती की है। अब आसुना उसके वार को रोकने का जोखिम नहीं उठाने वाली थी.....वह समझ गई थी कि जिस से वो लड़ रही है उसका मार्शल आर्ट बहुत ही निखरा हुआ है।

इसके बाद भी आसुना अपनी स्पीड के कारण देसू को अपने चाकू के जरिए धीरे-धीरे घायल कर रही थी। देसू जानते हुए भी की आसुना उसे घायल कर रही थी रुकने का नाम नहीं ले रहा था ऊपर से देसू की भी स्पीड बढ़ती जा रही थी, अचानक से आसुना उसके वार से बचने के लिए उछली और सीधे उसके सीने की ओर चाकू मारा!

आसुना के आश्चर्य का ठिकाना ही ना रहा जब अचानक से, जब वो हवा में थी और उसका वार देसू के सीने की ओर निशान साध चुका था.........उस बीच केवक 1 सेकंड के अंतराल में उसने जो देखा वो अविश्वसनीय था! हमले से 1 सेकंड पहले ही देसू के चेहरे की स्माइल चौड़ी हो गई, उस के शरीर का आकर अचानक से बढ़ने लगा और वो पूरा लाल हो गया जैसे उसके शरीर में खून की मात्रा बहुत जीदा बढ़ गई हो, उसकी नसे किसी पानी के पाइप जैसी मोटी हो गई, आँखों का सफेद हिसा पूरा काला पड़ गया, उसकी टी-शर्ट ऐसे फट कर बिखर गई जैसे बहुत ही गर्म धातु पर रखी हो......... और जैसे ही आसुना का चाकू उसकी फूल चुकी बॉडी से टकराया, उसकी थोड़ी सी नोंक ही देसू की छाती में घुसी और उस से आगे ऐसा लगा जैसे देसू की छाती में लोहा भरा हुआ है।

खतरा जान कर आसुना पहले तो चौंकी पर तुरंत ही पीछे हटने लगी पर एकदम से देसू ने आसुना के दोनों हाथों को पकड़ लिया, आसूना फिर से हैरान थी क्योंकि देसू की स्पीड आसुना से कहीं ज्यादा तेज हो गई थी। उसने बहुत ही शैतानी मुस्कान के साथ कहा

“अब कहाँ जाओगी आसुना! मक्खी की तरह फड़फड़ाना बंद करों वरना.....खाsssss” वह अपनी बात पूरी ही नहीं कर पाया की आसुना ने जोर से उसकी टांगों के बीच अपने लात दे मारी। देसू की टाँगे सिकुड़ गई, दर्द के मारे उसका मुंह खुला रह गया और आसुना के हाथ उसे छोड़ने पड़े। आसुना 1 कदम पीछे हटी और चाकू ऊपर की ओर घुमाते हुए देसू की गर्दन पर वार किया!

“धाड़sssss!” पर आसुना का ये मौका किसी काम का नहीं रहा, देसू का दर्द जैसे अगले ही पल गायब हो गया और उसने आसुना का चाकू अपनी गर्दन के पास पकड़ते हुए एक जोरदार मुक्का आसुना को दे मारा जिसके लिए आसुना बिल्कुल भी तैयार नहीं थी। मुक्का पड़ते ही वो फैक्ट्री के बक्सों को तोड़ती हुई दीवार से जा कर टकराई! टकराते ही आसुना ने अपने दांत भींचते हुए दर्द पर नियंत्रण पाने की कोशिश की जो कि उसके चेहरे पर साफ दिख गई। जहां वो टकराई थी वहाँ की दीवार तड़क गई थी, उसका सिमेन्ट अंदर को धंस गया था और मुंह में खून लिए वो जमीन पर एक घुटने के बल बैठ गई थी!

उसकी साँसे बहुत तेज हो गई और चेहरे पर दर्द की शिकन साफ थी। ऐसा लगा था मानो किसी ट्रक ने उसे टक्कर मारी थी........ये थी ‘वू क्लान’ की सेक्रेट तकनीक, शी-जिये!

“हाहाहाहाsssssss, तुम वाकई एक अद्भुत लड़की हो। तुमने मुझे, देसू को....’शी-जिये’ यूज करने पर मजबूर कर दिया” देसू की पागलों जैसी हंसी पूरी फैक्ट्री में गूंज उठी “पर एक ‘वू’ को उसके ‘शी-जिये’ के फॉर्म में हराना आम इंसानों के बस की बात नहीं है”

वो आसुना की ओर आगे बढ़ने लगा, आसुना को काफी डैमिज हुए था पर उसने जय से ‘शिनीगामी स्टाइल’ की कुछ तकनीकों को सीख रखा था जिन में से चौथी तकनीक ‘स्नैल बॉडी’ का इस्तेमाल करते हुए उसने पिछले हमले का काफी डैमिज रोक दिया था पर पूरी तरह से ‘स्नैल बॉडी’ का इस्तेमाल वो सही से नहीं कर पाई थी, जिस के कारण उसके अंदरूनी हिस्से में चोटें आईं थी। वो दाँय हाथ से अपनी पसलियों को पकड़े एक घुटने के बल जमीन पर बैठी हुई थी। देसू-सा अपने विशालकाय शरीर को लेकर आसुना को पकड़ने के लिए आगे बढ़ रहा था,

सहसा उसे एहसास हुआ कि उसने हवा की बहुत तेज सरसराहट अपनी ओर आते हुए महसूस की, वो जैसे ही बाईं ओर मुड़ने को हुआ उसे जिया-जी की चीख सुनाई दी! वो तुरंत पलट ही था कि वो क्या देखता है! जय अचानक से ही उसके एक हाथ की दूरी पर आ चुका था और उसने दाँय हाथ में जिया-जी को पकड़ रखा है! देसू ने जिया-जी को छुड़ाने के लिए हाथ बढ़ाया ही था की जय ने जिया-जी को देसू की छाती पर फेंक दिया! देसू ने झट से जिया-जी को पकड़ा कि तभी जय जमीन पर समतल हो गया, बाँय हाथ को कोहनी के साथ जमीन पर टिकाते हुए उसने दोनों पैर मोड़े और एक जबरदस्त ‘डबल-किक’ जिया-जी के पेट पर दे मारी!

“फाटssssssss!” मांस को जमीन पर पटकने जैसी आवाज के साथ जिया-जी के साथ ही देसू भी 4-5 फुट दूर जा गिरे!

जय तुरंत ही उठाया और आसुना के पास जा पहुंचा, उसे दोनों कंधों के पकड़ कर उसे उठाने की कोशिश की। आसुना जय की गर्दन में हाथ डाल कर सहारा लेते हुए उठ गई! जय के कपड़ों और हाथ में काफी सारा खून और कुछ मांस के टुकड़े लगे हुए थे, केवल इतना देख कर आसुना समझ गई थी कि जय ने उन 30 करीब या ज्यादा ही लोगों को मार दिया था.....और किस तरह मार होगा यह भी जय के शरीर पर लगे खून और इंसानी माँस के अंशों को देख कर समझा जा सकता था। जय की साँसे तेज चल रही थी, साथ ही उसकी आंखे लाल हो चुकी थी! जहर का असर खत्म नहीं हुआ था, वो केवल सब कुछ क्षणभंगुर समझ करके काँपते शरीर के साथ भी लड़ रहा था........उसकी हालत देख आसुना की आँखें नम हो गई

“इतने प्यारे चेहरे का क्या हाल बना लिया तुमने जय!” वो हल्की सी मुस्कुराई, शायद अपना दर्द जय से छुपा रही थी

“हम्म...जरा अपनी हालत तो देख लो आसून! तुम्हारा हाल तो मुझसे भी बुरा लग रहा है” फड़फड़ाते अपने गालों पर मुस्कान लाने की जय ने कोशिश की, पर वह आधी अधूरी रह गई।

“देखों...तो...! सामने से झूट बोल रहे हो” आसुना ने जय के फड़फड़ाते गाल पर हाथ फेरा और उसके गाल को अपने कोमल गर्म होंठों से चूम लिया, जय के रोंगटे खड़े हो गए......पर यह एहसास उसे बहुत अच्छा लगा। उस ने अपना चेहरा आसुना की ओर किया,

“अब तुम्हारे उसूलों का क्या? आज तो तुमने भी.....खाsssssखाss!”

जय की बात बीच में ही अधूरी रह गई, वो आसुना को सहारा दे रहा था और चाणक्य ही जैसे उसके शरीर की ताकत खत्म हो गई और उसके कदम बुरी तरह से लड़खड़ा गए थे। आसुना खुद जखमी थी पर उसने जय को संभाला। जय के मुंह से लार के साथ काफी सारा खून निकल पड़ा, उसका शरीर बहुत ढीला पड़ने लगा, आँखों में पूरा पानी-पानी हो गया...आसुना ने उसकी नब्ज देखी जो कि धीमी चल रही थी....

“नहीं, नहीं जय!” आसुना बुरी तरह घबरा गई, उसने जय को पकड़ कर संभाला “हमें जल्दी से यहाँ से निकलना होगा, बस तुम खुद को होश में रखों और....बस हम यहाँ से निकल ही रहे है.....होल्ड ऑन! प्लीज......” आसुना जय की हालात देख कर रो पड़ी थी, जय को खोने की बात सोच कर ही वह बहुत परेशान हो गई थी.....यह सब उसके लिए असहनीय था। जय की आँखें बंद हो गईं थी, यह देख आसुना उसे संभालते हुए आगे बढ़ने लगी, जिस ओर अब भी ‘वू’ ऐलीट उस सफेद धुएं के पास खड़े हुए थे।

अचानक से जिया-जी और देसू उठ खड़े हुए, उनकी शक्लों पर अब भी वो अजीब सी मुस्कान थी जैसे उन्हे जय के हमले से कोई फरक ही नहीं पड़ा था! खासकर जिया-जी को देख कर कोई यह कह ही नहीं सकता था कि कुछ देर पहले उसने पाने पेट में जय का वार लिया था। वो दोनों एक दम ठीक थे जबकि आसुना और जय की हालत बहुत खराब थी, वो दोनों ही लड़ने की हालत में नहीं थे......

“इतनी जल्दी भी क्या है आसुना?” जिया-जी बहुत ही अजीब शक्ल के साथ बोला “अभी तो जहर का सरस तेज होना शुरू हुआ है, कुछ देर में ये जय ऐसे तड़पेगा जैसे बिना पानी की मछली और तब असली मजा शुरू होगा”

“हम ‘वू’ है, हमे इंसान समझने की गलती मत करना.....हम इंसान से कहीं ऊपर है” देसू अपनी भारी आवाज में बोला और आगे बढ़ने लगा, उसकी शक्ल में केवल शैतानीयत झलक रही थी। आसुना ने जय को पास रखी मशीन के चपटे हिस्से में बिठाया। लड़खड़ाते कदमों के साथ वो जय की ढाल बन कर लड़ने को खड़ी हो गई। इतने देसू के पीछे उस धुएं में से गोलियों की आवाज आने लगी......

“इन दोनों को जल्दी से खत्म करों बस लड़की के शरीर को ज्यादा चोट मत पहुंचाना” जिया-जी गंभीर स्वर में बोला

देसू ने आसुना की ओर कदम बढ़ाए ही थे की वो रुक गया! क्योंकि जय एक बार फिर उठ खड़ा हुआ था। बेसुध सी हालत में था पर वो खड़ा हुआ था, उसने आसुना के कंधे पर हाथ रखा तो आसुना तुरंत ही उसे संभालने के लिए आगे बढ़ आई,

“यह क्या कर रहे हो जय? तुम्हें आराम की जरूरत है तुम इस हालत में लड़ नहीं सकते.... तुम समझते क्यों नहीं?” आसुना जो हमेशा बहुत मजबूत दिल लिए रहती थी आज जय के सामने एक छोटी बच्ची बन गई थी। जय ने आसुना को पकड़ा और धीमी आवाज में कहा

“अभी लड़ाई खत्म नहीं हुई है आसुना.......और अब तक मैंने अपनी पूरी कोशिश भी नहीं की है.....अपनी प्यारी आसुना को ऐसे-कैसे......अकेले छोड़ दूँ!” जय ने आसुना को कहते हुए उसे खुद के पीछे कर दिया और अपना लंबा काल कोट उतारने लगा।

“इस बेमतलब की लड़ाई का कोई फरक नहीं होगा, तू अगर ठीक भी होता तब भी देसू को ‘शी-जिये’ के बीच नहीं हरा पाता!” जिया-जी गुस्से से चिल्लाते हुए बोला “याद नहीं पिछली बार तुम किनक्स-सा से पिट कर दम दबा कर भाग गए थे.........”

वो अभी बोल ही रहा था कि जय के शरीर से एक बुलते प्रूफ जैकिट जैसी जाकिट जमीन पर गिरी!

“भमssss!” ऐसा लगा जैसे 50-60 किलो वजन का पत्थर जमीन पर आ गिरा हो! उन दोनों की आँखें फटी की फटी रह गई, आसुना भी थोड़ी हैरान थी। जय ने एक-एक करके कलाई और पैरों पर भी बंधे हुए वजन को उतार दिया.....जय का वजन इस वक्त यहीं कुछ 80-85 किलो था और जो वजन उसने उतार था वो शायद उसके खुद के वजन से भी कहीं ज्यादा था। जय के शरीर पर अब केवल उसका पेंट ही बाकी था। अचानक जय जो बेसुध सी हालत में था उसके चेहरे के भाव शून्य हो गए, उसका रूप बहुत ही विकट लग रहा था वो भी अपने दुश्मनों के खून से नहाया हुआ।

“इफ यू वांट टू किल अ मान्स्टर......यू हेव टू बिकम वन फर्स्ट, टू डू सो!(अगर तुम किसी मान्स्टर को मारना चाहते हो.......तो तुम्हें पहले खुद मान्स्टर बनना पड़ता है!)”

देसू और जिया-जी कुछ समझ नहीं पाए, जय ने एक गहरी सांस ली और अपनी मुट्ठियाँ भींच ली, जय की आँखों में एक सैलाब सा था जिस से होने वाली तबाही को बेवकूफ देसू और जिया-जी समझ नहीं पाए, अचानक जय की आँखें पूरी तरह से खुल गई और उसकी नजर जैसे पैनी हो गई। उसके मुंह से कुछ शब्द निकले.....

“शिनीगामी स्टाइल 13th सेक्रेट तकनीक.....’होरस आए-ऐब्सलूट-विज़न’! (Shinigami style 13th secret technique……..’Horous eye-absolute Vision!)

और अब जो कुछ देसू, जिया-जी और आसुना ने देखा........वो उनकी कल्पना से भी परे था! 


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