Akshat Garhwal

Action Crime Thriller

3  

Akshat Garhwal

Action Crime Thriller

Twilight Killer Chapter-36

Twilight Killer Chapter-36

16 mins
175


जय की हालत इस वक्त इतनी ज़्यादा खराब थी कि वो ठीक से खड़ा भी नहीं हो पा रहा था। उसे खुद पर बहुत गुस्सा आ रहा था, वह नित्या को बचाने के लिए इतना पागल हो गया था कि उसने ‘वू’ को हल्के में ले लिया था। वह हमेशा जब भी कहीं पर जाता था तो पूरी जगह को अच्छे से देखता था, उस जगह के ‘ब्लाइन्ड-स्पॉटस’ को ढूँढता था.......यह उसकी ट्रैनिंग का ही हिस्सा था जिसमें पूरी जगह का ब्लूप्रिन्ट वो अपने दिमाग में तैयार कर लेता था और जब वो लड़ता था तो वो पूरी जगह उसका अपना क्षेत्र बन जाता था। आज उसने यहीं पर सबसे बड़ी गलती कर दी थी, सामने देखा.....नजरें अगल-बगल भी दौड़ाईं पर उस खोखले छत पर छाए अंधेरे को नहीं देख पाया.....ना ही उसमें छुपे दुश्मन को!


वो लोग जय के बेसुध होने के बाद वहाँ से नीचे उतरे और उसे कस कर पकड़ लिया। ये लोग आम ‘वू’ नहीं थे! ये 80 लोग जिया-जी की ऐलीट टीम के नए साथी थे जो कि ‘वू’ तकनीकों में प्रयासरत थे। मिस फॅन्टम के सामने ही जय को घसीट कर खड़ा किया गया, चार लोगों ने पकड़ा और बारी-बारी जय को मारने लगे। कभी लात तो कभी घूंसे! और हर वार के साथ जय का खून उसके मुंह नायक और कान से बाहर आ रहा था! जय को इस हालत में देख कर मिस फॅन्टम का मुंह बिगड़ गया..... वो वहाँ से जाने लगी;


“इतनी जल्दी क्यों जा रही हो......कुछ देर और रुक जाओ और इसकी मौत भी देख लो” जिया-जी की बात सुनते ही नित्या के पैर अपनी जगह पर रुक गए, देसू-सा जिया-जी की बात सुनकर मुस्कुराया “तुम्हारे बगैर इसे मार पाना आसान नहीं होता, कम से कम अपने हिस्से के वार ही कर जाओ”

नित्या अपनी जगह पर बुत की तरह वहाँ पर खड़ी होकर यह सब सुन रही थी!


जिया-जी के कदम पिटते हुए जय की ओर गए और उसके सामने जाकर जिया-जी ने जय का जबड़ा पकड़ कर हिलाया। जय के मुंह से निकलता हुआ खून और उसके शरीर में चुभता हुआ दर्द, उसका कराहना और दर्द को नियंत्रित करने की कोशिश में बना हुआ......पीड़ा से भरा हुआ उसका चेहरा! उस सब को देख कर वो बड़ी सी मुस्कान लिए बोला 


“बहुत दर्द हो रहा होगा ना,......ऐसा लग रहा होगा जैसे कोई तुम्हारे शरीर की एक-एक मांसपेशी को सुइयों से चुभो-चुभो कर बाहर निकाल रहा है! गर्म लाल सूजो को फिर शरीर के आर-पार घुसेड़ कर खून को जला रहा हो, माँस कोई उखाड़-उखाड़ कर खा रहा हो!” जिया-जी बहुत ही डरावनी शक्ल बनाए बोलता जा रहा था “ये बुलेट-एनट्स का पोनेरा टोक्सिन है! अगर एक भी बुलेट एंट काट ले तो असहनीय पीड़ा होती है और इस वक्त तो तुम्हारी रगो में हजारों बुलेट एंट के बराबर का जहर दौड़ रहा है,.......बहुत दर्द हो रहा होगा ना, हाहाहाsssss…… पर चिंता मत करो तुम मरोगे नहीं क्योंकि यह पोनेरा टॉक्सिन केवल दर्द उत्पन्न करने वाली इंद्रियों पर काम करता है, हिस्टामिन रीसेप्टर पर नहीं”

जिया-जी पागलों की तरह चेहरा भड़काते हुए पीछे हटा और देसू-सा आगे की ओर आया,


“तेरी मौत इतनी आसान नहीं होगी, तुझे हम आज नहीं मारेंगे!” देसू का चेहरा, उसके नथूने ऊपर को उठ गए जिस से उसकी शक्ल किसी शैतान जैसी हो गई “तुझे यहाँ से जिंदा ले जाएंगे और रोज इसी जहर का डोज देकर तुझे जिंदा रखेंगे, इतनी तकलीफ देंगे कि तेरी रूह भी कांप उठेगी। और आखिर में पूरी दुनिया को तेरे उदाहरण से बताया देंगे कि ‘वू’ के आगे कोई भी नहीं टिक सकता......हमारे कामों में टांग अड़ाने का अंजाम मौत से भी बत्तर होता है”


वो दोनों पीछे आ गए, नित्या अब भी यह सब सुनकर वहीं पर खड़ी थी जहां पर पहले खाड़ी थी। उसने कोई हरकत नहीं की थी..... जय पिट रहा था और वो आँखों को दूर किये हुए उस से दूर खड़ी थी। जिया-जी और देसू-सा इस सब को इन्जॉय कर रहे थे......... 


“हमारा इतिहास इतना पुराना है कि अगर एक बार भी पढ़ने बैठोगे तो तुम्हारी मौत के बाद भी तुम्हारी रूह पढ़ती ही रहेगी और फिर भी तुम हमारे बारे में नहीं जान पाओगे!” जय के चेहरे पर लात मारी गई, मुंह से उसके लार और खून गिरता रहा “2019 में तुम्हारे देश में भी वो महामारी फैली थी जिसमे करोड़ों की जान ली थी, वो कोरोना वायरस भी हमने ही बनाया था....चायनीज गोवर्मेंट की मदद से पूरी दुनिया पर राज़ करने कि वो हमारी सबसे कामयाब कोशिश थी.....अफसोस उसका एंटिवाइरस भी तुम्हारे ही देश ने बना लिया और पूरे विश्व में पहुंचा कर हमारी योजना को असफल कर दिया, तभी से भारत की तबाही हमारा मकसद हो गया था”


यह सब जय भी सुन रहा था पर पिटते हुए अब उसे ज्यादा होश नहीं था, पोनेरा टॉक्सिन उसके शरीर में असहनीय दर्द पहुंचा रहा था जिस से वो लगभग बेहोश ही होने वाला था...पर वो सुन रहा था। 


“फिर अभी कुछ महीनों पहले हमारे पूर्वज को जिंदा कर हमने बस अपने मकसद को पा ही लिया था, हमे लगा था कि कोई भी हम तक पहुँच नहीं पाएगा और सभी का ध्यान न्यूयॉर्क की तबाही पर और उसके पीछे छोड़े गए हमारे प्यादों पर होगा पर एक बार फिर एक भारतीय ने हमारे दुनिया पर राज़ करने के सपने को चौपट कर दिया......साथ ही हमारा पावर-स्पॉट भी तबाह कर दिया, वो भी एक भारतीय ही था! पर अफसोस......आखिर में वो भी मारा गया........पर हम में से कई जो उस जगह से दूर थे वो फिर से इकट्ठे हुए और अपने काम को जारी रखा”


उन लोगों ने जय को जमीन पर पटक दिया और कराहते हुए उसके शरीर पर लातों की बरसात कर दी, जय को आँखों में आँसू थे पर वो आँखें अब भी आधी बंद थी........जहर पूरे शरीर में फेला था पर दर्द केवल उस सीने में हो रहा था जिस में धोके से लहूलुहान एक दिल तड़प रहा था, उसे चोट लग रही थी जैसे उसके गर्म टूटे दिल पर हथोड़े कला वार किया जा रहा हो,


“महामारी के बाद से ही हमने भारत के लोगों को, अपने लोगों को, पर्यटकों को......हमारा प्यादा बना लिया और पूरे भारत में हमारे लोग फैलने लगे.....भारत की तबाही में हिस्सा बनने के लिए.....फिर जैसे ही इसकी भनक प्रधानमंत्री तक पहुंची उसने एक स्पेशल फोर्स तैयार की अपने अन्डर में और हमारी सारी आतंकवादी गतिविधियों को रोकने में सक्षम रहे जो कि ऊपर से दिख रहीं थी। हमारा नुकसान हुआ, एक बार फिर भारत का ही हमारे बीच टांग अड़ा रहा था......तभी हमें उसके किये जाने वाले के आविष्कार के बारे में पता चला! एक ऐसा ड्रुग जो लोगों को कभी बीमार नहीं होने देगा और भारत इसकें जरिए पूरी दुनिया में अपना प्रभाव बढ़ाने वाला था”

जिया-जी की यह बात जय जय के कानों में चुभ गई, यहाँ पर नवल के ड्रुग की बात हो रही थी “जब हमें पता चला कि मिस फॅन्टम के पति के पास वह ड्रुग है तो हमने पहले बात करने की कोशिश की पर जब वो नहीं माना तो उसे धमकी भी दी मगर वो तो देशभक्त निकला........इसलिए एक रात हमने उसे टॉर्चर करके उगलवाने की कोशिश की पर वो मारा गया.........”


जिया-जी भड़कीले चेहरे के साथ एक बार फिर जय के पास आया जो जमीन पर पड़ा लात-घूंसे से नहा रहा था, जिया-जी उसके कान के पास जाकर बोला 


“जानता है जब तू बेहोश था तब वो गिड़गिड़ाते हुए क्या कह रहा था?......”जय का चेहरा सफेद पड़ गया, जिया-जी जय को इस हालत में देख कर बहुत खुश हो रहा था “भले ही आज तुम मुझे मार दो पर वो ड्रुग तुम जैसे कुत्तों के हाथ कभी नहीं लगेगा!। अगर मुझे कुछ भी हुआ तो जय तुम में से एक को भी नहीं छोड़ेगा!...हाहाहाहाsssss……अब जब तू उसके पास पहुँच जाएगा ना, तो उस से माफी मांग लेना, कह देना कि तू उसकी उम्मीदों पर खरा नहीं उतर सका”


जय का चेहरा रोआँसा हो गया, वह चाहता था कि वो इसी वक्त उठे और जिया-जी के मुंह में हाथ डाल कर उसकी लंबी गंदी जुबान को बाहर खींच ले! पर वह हिल अब कुछ भी नहीं कर पा रहा था.....जिया-जी वहाँ से पलट कर चल दिया,

“इसे किसी बक्से में डालो और ले चलो....हमारा काम खत्म हुआ! हमें वो ड्रुग मिल गया है अब हम अगली योजना शुरू करेंगे” जिया-जी ने जय को पीट रहे अपने ऐलीट सोल्जर से कहा “इसे लॉर्ड रेड के पास भेज दो और तुम सब अफ्रीका कॉन्टीनेंट के लिए निकल जाओ”


उन सभी ने जय को पीटना छोड़ कर सीधे हामी भरी। जिया-जी ने देखा मिस फॅन्टम अब भी पीट दिखाए खड़ी हुईं थी, वो उसके पास गया, उसके कंधे पर हाथ रखा 


“क्या हुआ मिस फॅन्टम? कहीं तुम्हें इस पर द्या तो नहीं आ रही.....कहीं तुम इसे भगाने के बारे में तो नहीं सोच रहीं?” जिया-जी ने मजाकिया अंदाज में कहा 


यह सुन कर मिस फॅन्टम का चेहरा गुस्से से बिगड़ गया! उसने जिया-जी का हाथ अपने कंधे से हटा कर जिया-जी की कॉलर पकड़ कर उसे मुक्का दिखाते हुए चिल्लाई!


“अगर मैं यहाँ पर तुम्हें मार भी दूँ तब भी लॉर्ड रेड मुझे कुछ भी नहीं कहेंगे!.....मैं जो कुछ भी कर रही हूँ वो इसलिए क्योंकि लॉर्ड रेड मेरा परिवार है। और रही बात जय की तो उसे मेरी मदद की जरूरत नहीं है, जितना जहर आम आदमी पर 24 घंटे के लिए असर करता है जय पर ये केवल 3 से 4 घंटे ही काम करेगा....... इसलिए जितनी जल्दी हो सके उसे मार कर यहाँ से चलते बनो!” मिस फॅन्टम ने जिया-जी की कॉलर को छोड़ते हुए उसे धक्का दिया और वहाँ से जाने लगी “और यह मत भूलना कि जय अकेला हमारे लिए खतरा नहीं है”


तभी अचानक गोलियों कर चलने की आवाज आई जो कि बाहर से आ रही थी, सभी का ध्यान उन आवाजों पर चला गया और तब तक मिस फॅन्टम दूसरे ओर के गेट तक पहुँच गई,


“लगता है तुमने अपने बड़बोलेपन के कारण काफी देर कर दी.........” इतना कह कर वो दूसरे गेट से फुर्ती से बाहर निकल गई। 


जिया-जी जानता था कि हिमांशु यहाँ पर जरूर आएगा और राजन भी! हालांकि राजन के अधिकतर साथ जिया-जी की टीम का हिस्सा थे और उन्होंने बाहर राजन को रोक रखा था.....राजन और उसकी टीम को मरने के बाद उसके आदमी एक सिग्नल देते पर इन गोलियों की आवाज के बाद वो सिग्नल नहीं आया। जिया- जी समझ गया कि उसके आदमियों को किसी ने मार दिया है। उसने देसू-सा को नजर रखने का इशारा किया.......जो लोग बंदूकें रखे हुए पहरा अंदर दे रहे थे उनसे बोला 


“हम निकल रहे है, तुम लोग बाहर वालों का ख्याल रखना.......” पहरेदारों ने झुक कर हामी भरी और बाहर निकल गए, उनके बाहर जाते ही गोलियों की बौछार होने लगी। बाहर से गोलियों की तेज आवाज और बढ़ने लगी.....साथ ही चीखो की भी। जय को पकड़ कर उन 80 में से 7-8 लोग पीछे के दरवाजे की ओर जिया-जी के पीछे जाने लगे!


“किनक्स-सा अभी वापस नहीं आया है, उसे वापस बुलाओ और उसके वापस आते ही यहाँ से निकल जाना” जिया-जी ने देसू-सा की तरफ पीठ रखे हुए गंभीर स्वर में बोला “वैसे तो तुम इन सब के लिए अकेले ही काफी हो पर इन लोगों की मदद से उन्हें जल्दी खत्म कर देना.......सुना है इसकी बीवी बहुत ताकतवर है, उसके शरीर में एहिनार क्लान का खून है, उसे मार कर उसका शरीर सही-सलामत वापस ले आना.......हमारे अगले प्लान में बहुत काम आएगा” इतना कहते हुए उसने अपने कदम वापस दूसरे गेट की ओर बढ़ा दिए। गेट के पास एक बड़ा स बक्सा रखा हुआ था, लकड़ी का! जय को उसी में डालने के लिए वो लोग उसे घसीटते हुए ले जा रहे थे........यह युद्ध, यह लड़ाई...एक बदले से शुरू हुई थी और एक हार पर खत्म होने वाली थी। बस कुछ कदम और जय की जिंदगी हमेशा के लिए खत्म होने वाली थी......और शायद उसके बाद उसके परिवार और पूरी दुनिया की यहीं हालत होती................


जय ने सब कुछ सुना था पर पोनेरा-टॉक्सिन के पूरे शरीर में फैल जाने के कारण वो दर्द से जूझ रहा था, शरीर जैसे लकवा मार गया था, हाथ पैरों ने काम करना बंद कर दिया था........अब तो हालत ऐसी थी आँखों में आँसू और दिल में गहरी चोट लिए वो पूरी तरह से अंधेरे में समा गया था........

तभी अचानक जो अंधेरा छाया हुआ था उसके ठीक सामने छोटी सी आभा लिए किसी की आकृति दिखाई दी, अचानक ही उसके शरीर का दर्द गायब हुआ और वो उठ खड़ा हुआ! उसके आसपास केवल अंधेरा था और रोशनी का एकमात्र स्रोत केवल वो छोटी सी आकृति, जय उठाया और धीमे-धीमे अचरज भरे चेहरे को लिए उसकी ओर बढ़ने लगा.....पर जैसे-जैसे उसके कदम उस आकृति की ओर बढ़ रहे तह मन में एक अजीब सा डर आ रहा था, जैसे उस आकृति का छल स्वयं मौत हो। फी भी इसके कदम लड़खड़ाते हुए उसकी ओर जा रहे थे, वो उसके पास पहुँच गया! किसी की पूरी सफेद आकृति थी वो......जय ने उसे छूने के लिए हाथ बढ़ाया........ धीरे-धीरे कि तभी पीछे से एक आवाज आई!


“क्या इस बार भी अपने दर्द से भाग कर मौत का रास्ता चुनना चाहता है? जय.........” उस आवाज को सुनते ही जय रुक गया। वह इस आवाज को कभी नहीं भूल सकता था.....यह उसकी आवाज थी जिसने जय को पहले भी जिंदगी के झूठे नरक से निकाला था, उसे जीना सिखाया था, उसके हर-दुख में उसके साथ खड़ा रहा था.......वो नवल की ही आवाज थी। 

जय तुरंत पलटा तो देखा जहां पर पहले जय खड़ा हुआ था वहीं पर अब नवल खड़ा हुआ था, नवल ने आज वहीं कपड़े पहन रखे थे जब वो जय से पहली बार मिला था, तब पहने थे, उसकी उम्र भी उसी समय की हो गई थी, 13 साल की! आधी काली-आधी सफेद थोड़ी बड़ी सी टी-शर्ट, नीचे हरे रंग के जींस जैसा घुटनों के थोड़े नीचे जाता हुआ केपरी जिस में नीचे दोनों तरफ दो बटन से बंद करने वाले जेब थे, पैर में गहरे नीले रंग के कपड़ों वाले जूते और चेहरे पर वहीं अजीब सी मुस्कान जिस से वो जय को हँसाया करता था। 


जय उस आकृति को छोड़ कर सीधे नवल की ओर बढ़ गया, नवल का शरीर भी सफेद रोशनी में नहाया हुआ था पर उसका प्रकाश आँखों को चुभ नहीं रहा था। जय उसके सामने खड़ा हुआ और फिर अचानक से वो घुटनों के बल गिर पड़ा, उसकी आँखों से आँसू आ रहे थे जिन से उसकी पूरी आँखें भर गई थी,


“मुझे माफ कर दो नवलssssss!” जय फूट-फूट कर रो पड़ा “मैं उन लोगों को तुझे मारने से नहीं रोक पाया तो मैने सोचा कि अब उन्हें मार कर कम से कम अपने टूटे वादे का पश्चाताप कर पाऊँगा। पर एक बार फिर उसी धोके का शिकार हो गया हूँ जिसने सारी इच्छाएं खत्म कर दी है............ मैं बहुत लाचार हो गया हूँ यार!”


नवल को उसने भीगीं आँखों से देखा, वह आगे बढ़ा और जय के पास आया। अपने हाथों ने उसके आँसू पोंछे और जय के कंधे पर हाथ रखा। जय की सिसकियाँ बंधने लगी थी


“रोता क्यों है यार? अभी सब कुछ खत्म थोड़े ही हो गया है!” नवल जय को समझाता हुआ बोला “धोका तो हमेशा ही होता रहता है और यह तो धोके का नेचर ही है कि वो उसी के द्वारा मिलता है जो हमारे बहुत करीब होता है, कभी वो धोका हमारी भलाई के लिए होता है तो कभी हमारी बर्बादी के लिए पर क्या एक धोका तुम्हें हराने के लिए काफी है? क्या तू इतना कमजोर है कि बिना लड़े ही हार मान लेगा?”


“अब हारने के लिए बचा ही क्या है....सब कुछ तो खत्म हो गया..” जय आँसुओ भरा चेहरा लिए उदासी के साथ बोला 

“तेरी याददाश्त इतनी कमजोर क्यों है यार....” नवल ऐसे मुस्कुराया जैसे जय ने बहुत ही बेवकूफों वाली बात की हो, पर उस मुस्कान में एक प्यार था “भूल गया! आसुना, निहारिका..... ये भी तो तेरा परिवार है न? और वो लोग तुझसे कितना प्यार करते है, अगर तू इस तरह से उन्हें छोड़ जाएगा तो उनकी जिंदगी तो बर्बाद हो जाएगी यार! वो लोग तेरा इंतजार कर रहे है इस उम्मीद में कि तू वापस आएगा.........और अगर तू मर गया तो मेरे लिए बदला कौन लेगा?”


नवल की बातों ने जय को झकझोर कर रख दिया! उसे खुद पर बहुत अफसोस होने लगा, वह अपने परिवार को कैसे भूल गया था? कैसे उसने सोच लिया कि वो इतनी आसानी से हार मान लेगा? क्या वो इतना कमजोर हो गया है कि अपने सबसे प्यारे दोस्त के साथ हुई नाइनसाफ़ी को न्याय भी नहीं दिला सकता!?


उसने अपना मन बदला, आँसू पोंछे। चेहरे के भाव बदल गए और सीने में धधकती आग किसी ज्वाला की तरह भड़क उठी, उसे अपना मकसद फिर से मिल गया था। उसे अपने प्यार करने वालों के लिए जिंदा रहना था, जिंदा रहना था ताकि वो नवल के हत्यारों को खत्म कर सके!


“यह हुई न बात, अब तू दिख रहा है उस जय की तरह जिसे मैं जानता हूँ” नवल मुस्कुराया “अब जा, और जाकर उन आतंकवादियों को बताया दे कि जब भी किसी ने हमारे देश से पंगा लिया है...हमने उसे नंगा कर दिया है! अपने अंदर की ज्वाला में उन सब को जला दे जो और बता दे उन्हें, उनकी मौत के लिए Twilight Killer ने मंच सजा दिया है”


जय उठ खड़ा हुआ, उसके मन में वहीं गुस्सा था जिस ने उसे इतने सालों तक दर्द से लड़ने की शक्ति दी थी, पीछे उसके एक रोशनी तेज हो गई जैसे इस अंधेरे से निकलने का द्वार हो......जय ने अपने कदम उसी ओर बढ़ा दिए 


“याद रखना जय! हर धोखे के पीछे बुराई नहीं छुपी होती......आखिर धोखा वहीं दे पाता है जो हमसे प्यार करता है!”........ जय उस रोशनी में सराबोर हो गया और उस अंधेरे के साथ-साथ नवल की आवाज भी फीकी पड़ने लगी......

“मैं हमेशा तेरे साथ ही हूँ.........” नवल के आखिरी शब्द धीमे थे पर वो जय तक पहुँच ही गए


************************


वो लोग जय को बक्से में डालने के लिए दूसरे दरवाजे के पास ले जा रहे थे, बाहर अब भी गोलियों की आवाज आ रही थी। देसू-सा तैयार था कि जैसे ही वो लोग अंदर आएंगे वो उन सब को कीड़े मकोड़े की तरह मसल देगा और उसके साथ वो 70 के करीब ‘वू’ ऐलीट भी थे। जिया- जी अभी जय की ओर जा ही रहा था कि सामने वाले दरवाजे पर अचानक एक धमाका हो गया जिस से सामने के दरवाजे के परखच्चे उड़ गए! जिया-जी चौंक कर पलट गया, सामने देसू-सा और ऐलीट सही-सलामत थे क्योंकि वहाँ पर कोई भी अभी दरवाजे के पास नहीं खड़ा था.........


उस दरवाजे की आग को पार करते हुए 5 लोग अंदर की ओर आए जिनके चेहरे पर ऐसे गंभीर भाव थे कि वो उन लोगों को मारने का मन बना कर ही यहाँ आए थे। हाथ में चाकू और Taurus पिस्टल लिए आसुना, काले कपड़ों में पूरी तरह से मिलिट्री ग्रैड ड्रेस में तैयार राम-राघव, पीछे एक चॉपर चाकू लटकाए हिमांशु और सफेद शर्ट काली पेंट पहले शर्ट पर खून के धब्बे लगाए हुए हाथ में एक MP-15 राइफल लिए हुए एंटर हुए। 


अंदर इतने सारे लोगों को देख कर एक पल के लिए वो भी थोड़ी सोच में पड़ गए पर उनके चेहरे पर चढ़ा हुआ जोश कम नहीं हुआ,


“जय और नित्या कहाँ है?” आसुना चिल्लाई


आसुना को देख कर जिया-जी मुस्कुराया, देसू ने जब जिया-जी की मुस्कान देखी तो वो समझ गया कि यहीं जय की पत्नी आसुना है। वहाँ खड़ा हर ऐलीट आँखों में खून लिए खड़ा था, जिनके पास बंदूकें थी वो सभी गार्ड्स तो बाहर जाकर मारे जा चुके थे पर जिया-जी के पास अब भी एक योजना थी!


“अगर जय और नित्या की जान की जरा भी फिक्र है तो इस लड़की को छोड़ कर तुम सब उलटे पैर यहाँ से भाग जाओ वरना जय को हम इसी व्यक्त मार देंगे......यकीन नहीं होता तो मेरे पीछे देख लो!” जिया-जी बहुत ही गंदी शक्ल बनाते हुए आसुना को ऊपर से नीचे तक देखने लगा। आसुना और हिमांशु ने पीछे देखा तो उनके चेहरे के इक्स्प्रेशन अचानक से बदल गए, जैसे कोई आश्चर्य वाली बात हो गई हो। 

“आ......देख चायनीज जोकर! तू जो भी है इस से मुझे कोई फरक नहीं पड़ता......पर पीछे देखने की जरूरत मुझे नहीं तुझे है!” आसुना के चेहरे पर भी एक अजीब सी मुस्कान छा गई जिसे देख कर अब जिया-जी चौंक पड़ा और तुरंत पीछे पलटा......जो देखा उसे अपनी आँखों पर विश्वास नहीं हुआ!

जय उस गेट के पास खड़ा हुआ था और जो 8 लोग उसे पकड़े थे उन सभी की गर्दन फटी लाश वहाँ जमीन पर पड़ी थी, जय ने उन्हें कब मारा और आवाज क्यों नहीं आई, जिया-जी उन्हीं बातों को सोच कर हैरान था कि अचानक ही वहाँ मौजूद हर किसी के रोंगटे अपने आप खड़े हो गए, उनका शरीर कांप उठा


सामने जय खड़ा हुआ था जिसकी आँखों में ऐसा तेज था जैसे कोई खूंखार जानवर घायल होने के बाद एक बार फिर शिकार को दबोचने के लिए उठ खड़ा हुआ हो! उसके चेहरे पर खून था पर मुट्ठी बंधी हुई जिसमें उन नीचे पड़े हुए किसी एक की स्वासनली, माँस के लोथड़ों के साथ अब भी उसके हाथ में थी। उस वक्त सभी को ऐसा लग रहा था जैसे उनके सामने एक नरभक्षी दांव खड़ा हुआ है जिसकी नजरों ने उनके जहन को हिला कर रख दिया था!


जय की कातिल नजरें अब जिया-जी पर आ टिकी..........उनमें एक बहुत ही खूनी एहसास था। जिया-जी का मुंह उतर गया और उसकी घबराहट का कोई ठिकाना नहीं रहा............



Rate this content
Log in

Similar hindi story from Action