Akshat Garhwal

Crime Thriller

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Akshat Garhwal

Crime Thriller

ट्विलाइट किलर भाग -38

ट्विलाइट किलर भाग -38

15 mins
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उस दरवाजे की चोट गहरी नहीं थी पर उस से लगा झटका बहुत तेज था, ऊपर से ये चारों जाकर उस अजीब से पाउडर भरे डब्बों में जा टकराए थे जिनके गिरते ही पूरे में वो सफेद धुएं की तरह फैल गया था। 


(क्या कोई भी सुन पा रहा है?........हमें क्लेयर शॉट नहीं मिल रहा है इसलिए हम शूट नहीं कर सकते) टीना की चिंतित आवाज उन तीनों के ट्रांसमीटर बड से कान में गूंजने लगी थी

(वो लोग इस धुएं का फायदा उठाया कर हमला करने जरूर आगे बढ़ रहे होंगे, प्लीज.....कोई तो जवाब दो! डैम इट!)


कदमों की आहट और कान में आ रही टीना की आवाज से हिमांशु तुरंत होश में आ गया था पर अगर कोई भी आवाज निकालता तो सामने उन ‘वू’ ऐलीट को पता चल जाता कि वो लोग कहाँ पर है और ऐसे में वो घेर कर हमला कर देते। यह वक्त ज्यादा सोचने का नहीं था पर हिमांशु भी जानता था कि ये ऐलीट फाइटर है, इन से सीधे मुंह लगना भारी पड़ सकता था खास कर जब वो लोग केवल जान लेने में ट्रेन किये हुए थे। हिमांशु के पास उन्हे मारने के अलावा कोई और चारा नहीं था, उसे ना केवल इन सभी से अपने दोस्तों की जान बचानी थी बल्कि अपने देश को भी इन लोगों से बचाने के लिए अभी की यह लड़ाई जीतनी जरूरी थी। उधर आसुना और जय के साथ क्या हो रहा था इसकी उसे कोई खबर नहीं थी.....हिमांशु ने थान लिया कि अब तो इन ऐलीट को मारना ही होगा!


हिमांशु की इस परेशानी का हल भी उसी के पास था! जैसे ही हिमांशु ने उन सभी को मारने के बारे में सोचा वैसे ही उसकी कमर के पीछे लटका हुआ वो चॉपर वाइब्रैट करने लगा, हिमांशु ने तुरंत ही उसे उसकी लकड़ी की म्यान से बाहर निकाला और जैसे ही उसे मजबूती से पकड़ा, उसे ऐसा एहसास हुआ जैसे वो कोई हथियार नहीं बल्कि एक जिंदा जीव है! हिमांशु घबरा गया पर उस चॉपर से निकल रही वो गर्माहट और वाइब्रैशन हिमांशु को जैसे ताकत दे रही थी,

उसने ध्यान से उस चॉपर को देखा, सफ़ेद किसी प्राचीन भाषा से अभी मंत्रित पट्टियाँ उसकी धार को बांधे हुई थी, वो लकड़ी का हत्था किसी बहुत पुरानी गहरे काले से रंग की लकड़ी का बना हुआ था। उसे याद आ गया कि जिस बॉक्स में गाओ-पेंग यह चॉपर वापस लेकर आया था, जब उसे प्लेन के अंदर बैठ कर उसने खोला था तो उसके अंदर एक मुड़ा हुआ कागज का पेज था। जब उसने उसे पढ़ा तो पता चला कि ‘अकामे हारूशिमा’(पुरातनविद) ने उस में बताया था कि यह चॉपर एक पुराना सशिल्प है जिसमे अद्भुत ताकत है। जो भी इस सशिल्प को धारण करता है और उसे धारण किये हुए किसी की जान लेने के बारे में सोचता है तो यह सशिल्प जीवित सा हो उठता है और इसके इस्तेमाल कर्ता को हर एक खून के बदले उसके शारीरिक क्षमताओं में बढ़ोत्तरी मिलती है पर अगर इसे इस्तेमाल करते वक्त, किसी की जान लेने में इस्तेमाल कर्ता ने जरा भी मनोरंजन की इच्छा जगाई तो इसके अंदर का पागलपन उस इस्तेमाल कर्ता के अंदर आ जाता है और फिर वो बेकाबू हो जाता है!


हिमांशु के लिए अकामे की यह बातें केवल दकियानूसी, फालतू की बातें थी पर इस वक्त जो उसने खुद महसूस किया था, उसे झूठा नहीं कहा जा सकता था। हिमांशु इसकी ताकत को टेस्ट भी करना चाहता था और अपने साथियों की मदद भी इसलिए उसने फैसला कर लिया की वो इसका इस्तेमाल करेगा। आँखें बंद करके उसने इस सशिल्प का असली नाम लिया जो कि अकामे ने लिख कर दिया था.........’ब्लड बुचर!


अचानक ही उसके सामने एक ऐलीट आ गया, यह वहीं था जिसने दरवाजे को लेकर हमला किया था, हिमांशु ने उसे जैसे ही देखा वैसे ही उसने ‘ब्लड बुचर’ से उसकी गर्दन आधी काट दी पर उसके आश्चर्य का ठिकाना तब नहीं रहा जब उसने अपनी आँखों के सामने उस ऐलीट की गर्दन का कुछ खून उस ‘ब्लड बुचर’ को सोखते हुए देखा! ऐसा लग रहा था जैसे किसी अद्रश्य नली के जरिए वो खून ‘ब्लड बुचर’ पी रहा हो पर उसकी पट्टियों पर खून का एक भी छींटा नहीं आया.........दूसरी बात हिमांशु ने जब वार किया तो बिल्कुल भी आवाज नहीं हुई जबकि हिमांशु के उस वार की आवाज तो आनी ही थी, कम से कम हवा की सरसराहट ही आ जाती पर ऐसा कुछ भी नहीं हुआ! अब हिमांशु को यकीन हो गया कि अकामे की कही बात सच थी पर उसके मन में यह सवाल भी था कि ये स-शिल्प होते क्या है?


पर इस सवाल के जवाब का यह वक्त सही नहीं था! 

एक अजीब सी गर्माहट ने हिमांशु को पूरी तरह से घर लिया जैसे उस रक्त को पीने के बाद ‘ब्लड बुचर’ ने हिमांशु की शारीरिक शक्तियों को बढ़ा दिया था, उस सफेद धुएं का फायदा उठाते हुए हिमांशु ने उन सभी को मारना शुरू कर दिया जो उस धुएं के अंदर दाखिल हो रहा था। 10-11 ऐलीट को खत्म करने के बाद अचानक से राजन उठ खड़ा हुआ, वह होश में आ गया था। 


“ऐssss! तुम दोनों जल्दी से उठो.....वरना हम सब मुसीबत में पड़ जाएंगे!” राजन ने राम-राघव को जल्दी से उठाया। वे दोनों भी उठते से ही उस धुएं में ही निशाना लगाने लगे, क्योंकि उनके काले चश्मों में इन्फ्रारेड का सिस्टम था जिस से उन्हें सामने मौजूद जीव का थर्मल विज़न दिख जाता था। हिमांशु ने उन दोनों को जैसे ही गोली चलाने के लिए तैयार देखा.....वो तुरंत ही जमीन पर लेट गया!


(टीना और पुनीत! हम सभी ठीक है, क्या तुम आसुना की ओर देख सकते हो?) 


कानों में हिमांशु की आवाज आते ही वो दोनों ने राहत की सांस ली। उन दोनों ने ही आसुना की तरफ देखने की कोशिश की,


(मुझे कोई भी क्लेयर शॉट नहीं मिल रहा है! क्या मैं जगह बद लूँ?) टीना ने कहा


इतने में राम-राघव गोलियां चलाने लगे, गोलियों की आवाज ट्रांसमीटर में भी सुनाई दी और उन दोनों को दूर से दिखाई भी दिया कि उस धुएं के अंदर से गोलियों की चमकीली रोशनी आ रही है। राम-राघव तो सामने देखते हुए उन ऐलीट पर गोलियों की बौछार करने लगे। अब पहले ही हिमांशु ने उनकी संख्या कम कर दी थी इसलिए बचे हुए ज्यादातर तो राम-राघव द्वारा चलाईं गईं गोलियों से ही निपट गए......पर अब भी उनमे से कुछ बहुत ही शातिर और ताकतवर अभी बचे हुए थे, वो लोग 6 के करीब बचे थे। धुआँ इतनी सारी हबड़-दबद के बीच लगभग खत्म ही हो गया था और साथ ही राम-राघव की गोलियां भी, धुएं के खत्म होने से पहले ही हिमांशु उठ गया था और ट्रांसमीटर पर कुछ कह रहा था। 


(पुनीत, क्या तुम्हारे ड्रोन को कुछ दिखा? आसुना दिखी तुम्हें......) 


(अम्म.....सर? आपको खुद यह देखना होगा.....मुझे तो कुछ समझ ही नहीं आ रहा कि यह मैं क्या देख रहा हूँ?) पुनीत की आवाज में बहुत ही ज्यादा असमंजस था, हिमांशु उस देखने के लिए आगे जाने लगा क्योंकि सामने मशीनें और कन्टैनर से द्रश्य बाधित कर रखा था। उसके मुड़ते ही 2 ऐलीट उस पर टूट पड़े, हिमांशु जल्दी से पीछे को हुआ और उनका वार बचाया! जिस जगह पर उनकी रॉड जमीन पर टकराईं थी वहाँ की जगह का सिमेन्ट टूट गया था। ये बचे हुए ऐलीट बाकियों से ज्यादा ताकतवर थे पर उन्होंने अपने दुश्मन को बिना गोलियों के कुछ कम आंक लिया था। जैसे ही वो दोनों हिमांशु को उछल कर रोड मारने को कूदे, हिमांशु की रफ्तार ‘ब्लड बुचर’ की वजह से पहले से कहीं ज्यादा तेज हो चुकी थी; उसने तेजी से आगे बढ़ते हुए उन दोनों के पेट काट दिए! जैसे ही वो दोनों नीचे गिरे उनके पेट से बहुत सारा खून निकल पड़ा और वे वहीं पर ढेर हो गए। 


राम-राघव भी अपनी खाली असॉल्ट राइफल लिए उन लोगों से भिड़ गए थे, कुछ खुद भी घायल हुए पर आखिर वे दोनों भी 2 को बिना गोलियों के मारने में सक्षम रहे पर राजन!...वो इस वक्त पिट रहा था। दे घूंसे और लात वो ऐलीट राजन की अच्छी धुलाई कर रहा था। उसने राजन को एक बक्से पर उल्टा लिटा दिया था और उसकी पीट पर जो मुक्के और थप्पड़ मार रहा था ना! एक पल को राम-राघव और हिमांशु उसकी चीख सुन कर हंसने लगे थे,


“अबे देख क्या रहे हो...आह.....मुझे बचाओ!”


“ओके, हाँ......हाहाहा........बस अभी आ ही रहा हूँ” अपनी हंसी पर काबू रखते हुए हिमांशु आगे बढ़ा और उस ऐलीट के सर पर ‘ब्लड बुचर’ के हत्थे से वार किया। वो ऐलीट अचानक से होश खोकर गिर गया, राजन ने अंगड़ाते हुए अपनी पीट पर हाथ फेरा,


“आह......साले कमीने लोग! आखिर क्या खाकर मार रहे थे......पूरा शरीर सुजा डाला...आह मेरी कमर” राजन की आवाज सुन कर ऐसा लग रहा था जैसे किसी ने कुत्ते को जोर पीटा हो और वो चिल्ला रहा हो! राम-राघव को भी इसी बीच चोट आईं थी पर राजन की हालत देखकर जैसे वो अपना दर्द ही भूल गए थे और बस हँसे जा रहे थे, हिमांशु ने झुक कर उस बेहोश ऐलीट के हाथों और पैरों पर हथकड़ी लगा दी। 


“मुझे तो लगा तुम एक को संभाल लोगे? क्या हुआ? ज्यादा भारी पद गया क्या?” हिमांशु ने राजन की शक्ल देख कर पूछा,


“क्या भारी पड़ गया!.....बस ऐसे लड़ने की आदत नहीं है ना” राजन ने हिमांशु को देखते हुए कहा 


तभी उन सभी को एक जोरदार आवाज सुनाई दी! ऐसा लगा जैसे दो हथोड़ों को आपस में जोर से फेंक कर मारा हो! आवाज ऐसी थी कि सभी को अपने कानों पर हाथ रखना पड़ा, हवा की सरसराहट इतनी तेज हो गई कि उन्हें दूर से ही महसूस किया जा सकता था। यह आवाज आसुना की ओर से आ रही थी! वो सभी दौड़ गए उसी ओर......पर कन्टैनर के मोड पर जो उन्होंने देखा वो देखते ही उनके कदम पीछे हो गए......अपने आप!


********************


आसुना ने जब जय को आखिरी बार बिन कपड़ों के देखा था तब जय काफी मोटा हो चुका था। उसका चेहरा पहले से ही गोल था पर बाद में वो थोड़ा और गोल हो गया था और उसका पेट भी किसी आधी चपती गेंद के जैसे दिखता था। जय की यह हालत भारत आने के बाद ही हुई थी क्योंकि यहाँ पर वो अपने पुराने काम को अंजाम नहीं दिया करता था और आसुना के साथ काफी खुश था। आसुना भी जय के गोल पेट को पकड़ कर अठखेलियाँ किया करती थी और वो दोनों ही हँसते-हँसते लोट-पीट हो जाते थे। 


आज का नजारा काफी अलग था, जय का शरीर पहले की तरह ही शेप में आ गया था, केवल एक महीने में जय ने करीब 40 किलो वजन कम कर लिया था। पर उस से भी बड़ा आश्चर्य तो कुछ और ही था। जब जय ने कहा ‘शिनीगामी स्टाइल 13th तकनीक होरस आई-ऐब्सलूट विज़न’! तो जो देखने को मिला वो अविस्मरणीय था.......


देखते ही देखते जय के शरीर से भाप निकलने लगी, उसका शरीर लाल पड़ने लगा....शरीर का साइज़ भी थोड़ा बड़ा होने लगा जैसे किसी तरह का बदलाव उसके शरीर में होने लगा था। जिस शरीर पर एक भी नस आसानी से दिखाई नहीं देती थी वो शरीर अब मोटी-पतली हर तरह की नसों के जाल से भर चुका था। पेट की 6 मांसपेशियाँ ऐसी फूल गई थी जैसे बेक करने रखा हुआ केक फूल गया हो, उसका शरीर इतना गर्म हो गया था कि वो भाव की तरह हिलते हुए दिख रहा था....... और उसकी आँखें एकदम देसू की आँखों की तरह हो गईं थी..... काली, स्याह काली! इसमे कोई शक नहीं था, जय ‘वू’ क्लान की सीक्रेट तकनीक ‘शी-जिये’ जैसा ही कुछ उपयोग कर रहा था.....और यह रूप सच में किसी मान्स्टर का ही था!


“नामुमकिन! यह कैसे हो सकता है?” जिया-जी ने गुस्से में अपने दांत पीसे “मुझे अच्छे से याद है कि हमने किसी भी बाहर वाले को ‘शी-जिये’ नहीं सिखाया!”


देसू खुद अपनी आँखों पर विश्वास नहीं कर पा रहा था पर उसकी आँखों के सामने जय ‘शी-जिये’ का इस्तेमाल कर रहा था। 


“यह वक्त इन सवालों को सोचने का नहीं बल्कि इस बहरूपिये को खत्म करने का है” देसू आगे की ओर आया, उसी आँखों में जय के लिए केवल नफरत थी और जब जय और उसकी आँखें मिली, वो दोनों के बीच दवंद शुरू हो गया। एक पल के लिए दोनों जैसे गायब ही हो गए और अगले ही पल आसुना और जिया-जी के बीच वाली जगह में दोनों के मुक्के टकराए, एक जोरदार धमाके जैसी आवाज आई और उनके वार के वेग से एक हवा की तेज सरसराहट हुई। उसके ठीक बाद उन दोनों के बीच लात-घूंसों का जैसे तूफान ही आ गया!


“पोव-पोव-पोव......पट, पट्ट..धाड़!” उनके लात घूसे आपस में टकराने के कारण बहुत तेज आवाज आने लगी, उन्हे देख कर ऐसा लग रहा था जैसे सच में 2 मान्स्टर आपस में भिड़ गए हों। ना ही जिया-जी इस लड़ाई के बीच आ सकता था और ना ही आसुना। उन दोनों के मूवमेंट इतनी तेज थे कि कुछ अच्छे से समझ ही नहीं आ रहा था कि आखिर उन दोनों के वार टकरा कहाँ रहे है! वो दोनों ही बेहतर योद्धा थे और इसका सबूत ये लड़ाई थी। 


आसूना को अचानक से अपने पीछे कुछ कदम सुनाई दिए, वो तुरंत ही मुठ्ठी बांधे पीछे मुड़ी!


“वोह, वो! आसुना” पर पीछे से उसके हिमांशु, राम-राघव और राजन खड़े हुए थे, उसने मुठ्ठी खोल दी “हम बस तुम्हारी सहूलियत देखने आए है......पर यह जय को क्या हो गया है?”

उस लड़ाई में जय को अचानक से पहचानना मुश्किल था क्योंकि दोनों ही एक जैसे दिख रहे थे, बस जय अब भी किसी तरह से इंसान सा दिख रहा था क्योंकि वो देसू जितना बड़ा भयानक नहीं हो गया था पर उन दोनों की आँखें बिल्कुल एक जैसी ही थी। देसू असल में जय से ज्यादा बड़ा और खूंखार दिख रहा था........आसुना ने हिमांशु की बात सुनी और कुछ पल को वो चुप ही रही। 


“मुझे तो लगा था कि जय केवल ‘शिनीगामी स्टाइल’ मार्शल आर्ट का मास्टर है, पर उसे ‘वू’ क्लान कई सीक्रेट तकनीक भी आती है इसके बारे में मुझे कोई जानकारी नहीं थी” हिमांशु जापान से जय के बारे में काफी कुछ जान कर आया था और वहाँ पर उसे यह बात किसी ने भी नहीं बताई थी! बूढ़े सतोशी ने भी नहीं की जय को ‘शी-जिये’ भी आता है। 


हिमांशु की जानकारी को मद्देनजर रखते हुए आसुना ने गहरी सांस ली, अपनी पसलियों को हाथ से दबाते हुए वो मशीन की सीट पर बैठ गई........


“जय ने ‘वू’ क्लान की कोई भी तकनीक नहीं सीखी है, इस व्यक्त जो जय कर रहा है वो ‘शिनीगामी स्टाइल’ का ही हिस्सा है.....पर सच कहूँ तो मुझे भी इसकी उम्मीद नहीं थी” आसुना भी अचरज ने यह सब देख रही थी


“क्या मतलब?” हिमांशु ने पूछा 


“शिनीगामी स्टाइल 13th तकनीक ‘होरस आई-ऐब्सलूट विज़न!’......ये शिनीगामी स्टाइल की सीक्रेट तकनीक है जिसके इस्तेमाल से सचेत रूप से शरीर की तंत्रिकाओ को कुछ समय के लिए कंट्रोल किया जा सकता है जिस से तंत्रिकाओ को पूरी शक्ति से इस्तेमाल करके आँखों का काइनेटिक विज़न(Kinetic vision) चालू किया जा सकता है और इस तकनीक की मदद से ना केवल इस्तेमाल कर्ता बेहतर रूप से देख सकता है बल्कि दुश्मन की किसी भी तकनीक को कॉपी भी कर सकता है......और इस वक्त जय ने ‘शी-जिये’ को कॉपी कर लिया है”


आसुना की बात सुनकर हिमांशु हैरान था पर उस से भी कहीं ज्यादा हैरान राम-राघव और राजन थे। उन तीनों को तो इस विषय में इतनी जानकारी नहीं थी पर जो उन्होंने सुना था वो सब समझ में आया था। 


“पर क्या शी-जिये इतनी आसानी से कॉपी की जा सकती है?” हिमांशु ने आसुना से पूछा


“यहीं तो बात है! सामान्य तकनीकों को कॉपी करना, किसी मार्शल आर्टिस्ट की मूव को कॉपी करना आसान है पर शी-जिये को कॉपी करना तो एक नामुमकिन कथ्य होना था!” आसुना की बात ने हिमांशु को सोचने पर मजबूर कर दिया की आखिर जय ने ऐसा कैसे कर लिया था? वो लोग जय और देसू के बीच नहीं जा सकते थे पर इस से भी बड़ी चिंता उनके मन में अब भी थी। 


“जय के शरीर में जहर भी है और वो बहुत घायल भी है! पता नहीं वो इस हालत में जीत भी पाएगा या नहीं!”


उधर जय और देसू के बीच का लात-घूंसों का तूफान अंतिम चरण पर था। दोनों ने ही खुद को थका लिया था और अब वो लड़ाई के लगभग आखिरी दौर में आ गए थे। देसू अब भी जय से कहीं ज्यादा ताकतवर था, उसने जय का वार बचाया और आगे बढ़ कर जय के चेहरे पर एक स्ट्रेट पंच जड़ दिया! 

जय की नायक और मुंह से खून निकला और वो पीछे की ओर गिरने लगा, ऐसा लगा जैसे जय को बहुत ज्यादा चोट लग गई थी। देसू ने इस मौके को गवाया नहीं और जय का एक हाथ पकड़ कर उसकी छाती की ओर एक मुक्का चला दिया!

तभी जैसे जय को इस वार का एहसास हो गया और उस ने देसू से अपना हाथ छुड़ा कर उसी का हाथ कलाई से पकड़ लिया और उसके कलाई के रीफ्लैक्स पॉइंट को को अंगूठे से दबाते हुए उसके सीने में अपना सर दे मारा!


“खाssss!” इस अचानक हुए वार से देसू को झटका लगा और उसके मुंह से थूक का जैसे कनस्तर झलक गया पर अगले ही पल उसने जय के सर को अपने घुटने से दे मारा और इस बार बिना देरी किये हाथ छुड़ाया और सर से पकड़ कर जय को हवा में घुमा कर जमीन पर दे मारा!


इस बार जय का सर पटकाया था इसलिए वो जमीन पर चित्त हो गया। देसू भी जय के वारों को सह -सह करबहुत थक गया था इसलिए हाँफ रहा था। जमीन पर जय को गिरा देख कर आसुना घबरा गई। हिमांशु अपने ‘ब्लड बुचर’ के साथ बस देसू पर हमला करने को तैयार ही था की देसू ने जय को मरने के लिए उस पर जोर से लात मारी। 

“धाड़sssss!” देसू की लात सीधे जमीन से टकराई और वहाँ का सिमेन्ट चकनाचूर हो गया। क्योंकि जय एक बार फिर पलटा और खड़े होकर देसू के सर में एक जोरदार लात दे मारी जिसकी वजह से देसू लड़खड़ा गया पर देसू ने संभलते हुए जय को पकड़ने के लिए झपट्टा मार जैसे वो जय को अपने विशालकाय शरीर में दबा कर मसल देगा!

“धाड़sssss!” पर जय ने तुरंत ही उसका एक हाथ पकड़ कर उसे अपनी ही तरफ और तेजी से खींचते हुए उसके सीने में कोहनी घुसा दी! देसू का मांस ‘शी-जिये’ को इस्तेमाल करते हुए बहुत मोटा और सख्त हो गया था पर जय की कोहनी उसके दिल को झटका देने में कामयाब रही! दर्द के मारे देसू की आँखें सी बाहर को आ गईं, मुंह से खून निकल पड़ा पर जय रुका नहीं! उसने पीछे गिरते देसू का हाथ एक बार और पकड़ा......एक बार और खींचते हुए उसे अपने पास लाया और एक भारी मुक्का उसके गले में दे मारा। देसू के कान से भी अब खून निकल आया, यह देख कर ‘जिया-जी’ हैरान रह गया और तुरंत ही जय को मरने के लिए आगे बढ़ा,

“इतनी भी क्या जल्दी है, लंबे बालों वाली! जरा हमसे भी मुलाकात कर लो” कहते हुए हिमांशु ‘ब्लड बुचर’ के साथ जिया-जी से लड़ने लगा। जिया-जी को गुस्सा आ रहा था पर जैसे ही उसकी नजर ‘ब्लड-बुचर’ पर पड़ी उसने हिमांशु से दूरी बना ली और वो आँखें बड़ी करते हुए सतर्क हो गया। 

उधर जय ने अब भी देसू को नहीं छोड़ा और इस बार उसके पेरों में पैर फंसा कर उसका हाथ पकड़ते हुए उसे गिराया और गिरते हुए ही उसके माथे में जोर से मुक्का दे मारा! देसू का माथा फट गया और देसू होश खो चुका था......जय जीत गया था। थका हार वो पीछे की ओर आया,


(सर! एक आर्मर्ड जीप फैक्ट्री की ओर पीछे से आ रही है) पुनीत की बात कानों में आते ही हिमांशु और राम-राघव सतर्क हो गए। 


“भड़रsssss…..धाड़sssss!”


और दीवार तोड़ कर आई एक जीप ने जय को ठोंक दिया और जय जाकर उस कन्टैनर से टकराया।......और जमीन पर गिर पड़ा!


“जयsssssss!” आसुना की चीख पूरी फैक्ट्री में गूंज उठी 

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