Akshat Garhwal

Action Crime Thriller

4  

Akshat Garhwal

Action Crime Thriller

Twilight Killer Chapter-39

Twilight Killer Chapter-39

13 mins
289


ठाणे के एक बड़े रिहायशी इलाके में उन लोगों के बीच मुकाबला चल रहा था, गोलियों की आवाज, मरने वालों की चीख और खून के जमीन पर गिरने की आवाज ने उस इलाके के कोने-कोने में जैसे एक अजीब सा मातम बना दिया था। काफी देर के बाद अब जाकर अन्डरवर्ल्ड की टीम ने किनक्स-सा के लोगों की संख्या कम करके हालत को काबू में किया था। अब उनका युद्ध भी आखिरी पड़ाव पर था,

“क्या सभी लोग आ गए है? हमें जल्द से जल्द इस सब पर काबू पाना होगा वरना ऊपर क्या जवाब देंगे! साथ ही लोगों का भरोसा भी बनाए रखना जरूरी है!” कमिश्नर राव ने उस जगह के बाहर लगी हुई पुलिस की भीड़ और घेराबंदी का संचालन कर रहे सभी इन्स्पेक्टर से पूछा। 

“उन लोगों के पास भारी हथियार है, हम ऐसे ही उन्हे रोकने के लिए नहीं जा सकते” एक बड़ी मूछों वाला इन्स्पेक्टर बोला

“वैसे भी अगर उनमे से कोई भी एक पीछे हटता है तो हम उन्हे पकड़ सकते है वरना दो की लड़ाई में हमारा घुसना तो....मौत के बराबर ही है, सर” एक साँवले रंग के पुलिस वाले ने कहा 

“अन्डरवर्ल्ड हमारा दुश्मन नहीं है पहली बात! और दूसरी यह कि जिन लोगों से अन्डरवर्ल्ड के लोग लड़ रहे है वो सभी आतंकवादी है! खतरनाक आतंकवादी इसलिए हमें सतर्क रहना होगा” कमिश्नर राव गंभीर आवाज में बोले 

पुलिस वालों को भी जब अन्डरवर्ल्ड की यह बात पता चली तो वो भी काफी सोच में पड़ गए। अन्डरवर्ल्ड का आतंकवादियों से युद्ध उनकी समझ के परे था और अन्डरवर्ल्ड को पुलिस के साथ दोस्ती वाली बात करना और भी समझ के परे था। सभी कम से कम इस बात से आश्वस्त थे कि अन्डरवर्ल्ड से कोई झगड़ा मोल नहीं होने वाला था.........बस उस आतंकवादी संगठन से लड़ने की बात सभी के मन में डर बनाए हुए थी, आखिर वो सभी परिवार वाले थे......

कमिश्नर राव के फोन की घटी बजी तो उन्होंने पुलिस की भीड़ से थोड़ी दूरी बना ली और जाकर उस फोन को उठाया। 

(हैलो शैली?....... वहाँ के हालात कैसे है?) अभी कॉमिश्नर राव ने अपनी बात कही ही थी कि उन्हे फोन में से बहुत तेज आवाज सुनाई दी

(वो तुम्हारी तरफ आ रहा है, उसे रोको!) शैली की यह आवाज इतनी तेज और हड़बदहट में थी कि सुनते ही कमिश्नर चिल्ला पड़े,

“बेरिकेड से रास्ते बंद करके पीछे हट जायों, आतंकवादी आ रहे है! निशाना लगाओ” 

कमिश्नर की चीख सुनते ही पुलिस वालों के गुटों ने तुरंत ही बेरिकेड मजबूती से रास्तों पर लगा दिए, वो पीछे हटे ताकि कवर लेकर बंदूक से निशान लगा या जा सके कि अचानक से एक आर्मर्ड काल रंग की जीप उनमे से सबसे बड़े बेरिकेड को तोड़ते हुए बाहर निकली और सीधे मेन हाइवे का रास्ता पकड़ कर आगे बढ़ गई!

“चलो उसका पीछा करों सभी, वो आतंकवादी भागने न पाए” कमिश्नर की चिल्लाहट सुनते ही सभी गाड़ी में बैठने लगे पर कुछ पुलिस वाले गाड़ियों में नहीं बैठे! उल्टा उन लोगों ने अपनी गन निकालीं और अपने साथी पुलिस वालों पर तान दी, सभी के होश उड़ गए क्योंकि बहुतों के दोस्तों ने उनके ऊपर गन तानी थी जिनके साथ सालों का व्यवहार था। किसी को कुछ समझ नहीं आया कि तभी वो बागी पुलिस वाले बोले,

“अगर किसी ने भी उस गाड़ी का पीछा करने की कोशिश की तो उसे अभी गोलियों से भून देंगे!” 

पुलिस कमिश्नर भी उनकी बंदूक की नोंक पर थे पर वो इस सब के बावजूद घबराए नहीं। वो इन सब के परिवार वालों को जानते थे उनसे इनकी अच्छी भली पहचान थी......सभी पुलिस वाले एक दूसरे के परिवार की तरह ही थे,

“मैं नहीं जनता उन लोगों ने तुम्हें कैसे धमकाया है? पर क्या वो आतंकवादी तुम्हारे परिवार को छोड़ देंगे?” कमिश्नर की बात सुनकर वो बागी पुलिस वालों के चेहरे पर शिकन आ गई

“वो तुम्हारा इस्तेमाल कर रहे है, अब भी वक्त है.....साथ मिलकर उन आतंकवादियों को रोकते है और सारी परेशानी खत्म हो जाएगी”

“नहीं सर! हम ऐसा नहीं कर सकते.....हमारा पूरा परिवार उनकी बंदूकों की नोंक पर है अगर हमने आपको यहाँ से जाने दिया तो हमारा पूरा परिवार मारा जाएगा.....तुम सभी को यहीं रुकना होगा, रुकना होगा!” इतना कह कर उन बागियों ने बाकी पुलिस वालों की बंदूकें छीन ली। 

‘वू’ ने यह सब प्लान किया था, वो भी बहुत चालाकी से..........

******************

उस काले रंगे की जीप ने दीवार तोड़ कर जय को जोर दायर टक्कर मारी थी जिस से वो बगल की कन्टैनर में बहुत तेज टकराया था और उसका शरीर जमीन पर गिर गया था। आसुना जय की ओर तुरंत भागी, हिमांशु ने भी जिया-जी को छोड़ कर सीधे जय के पास जाना ठीक समझा। जय का शरीर अब सामान्य हो गया था, उसका भयानक रूप जैसे उसकी इंसानियत में वापिस तब्दील हो गया और अब जाकर सभी को उसकी बुरी हालत समझ में आई थी!

जय के पूरे शरीर पर सूजन थी, कई जगह पर खून बह रहा था.......ऐसा लग रहा था जैसे उसे खून में नहाया गया हो। उसका शरीर अब भी काफी गर्म था पर उसकी नब्ज पहले से भी ज्यादा धीमी हो गई थी। मुंह से रह-रह कर निकलता हुआ खून आसुना की परेशानी और बढ़ा रहा था, उस से जय की यह हालत देखी नहीं जा रही थी। हिमांशु जल्दी से जय के पास आया और अपनी जेब में से एक सीरम इन्जेक्टर गन निकली, उसके अंदर एक नीले रंग का द्रव्य था जिसे बिना देरी किये हिमांशु ने जय के सीने में इन्जेक्ट कर दिया। 

“हमें जल्दी से जय को अस्पताल लेकर चलना होगा! वरना बहुत दिक्कत हो जाएगी” हिमांशु के चेहरे पर गंभीर भाव थे। 

आसुना ने हामी में सर हिलाया और जय को उठाने लगी, राजन और राम-राघव ने आसुना से जय को लेकर संभाला और दरवाजे की ओर लेकर जाने लगे। हिमांशु उठाया और उठते से ही उसने उस आर्मर्ड जीप को देखा जिसके कांच में से उसे एक चेहरा साफ दिख रहा था जो देसू-सा के चेहरे से थोड़ा मिलता जुलता था......ये किनक्स-सा था जिसके चेहरे पर अब भी अचरज का भाव था, शायद जय को ‘शी-जिये’ का इस्तेमाल करते देख उसकी सिट्टी-पिट्टी गुम हो गई थी। हिमांशु की नजर अचानक जिया-जी पर पड़ी जो कि देसू के भारी लहूलुहान शरीर को उठा कर जीप के पीछे वाले दरवाजे में डाल रहा था। देसू का शरीर भी सामान्य हो गया था पर उसके शरीर पर इतनी ज्यादा सूजन और चोट नहीं थी, केवल उन्हीं जगहों पर चोट ज्यादा थी जिन जगहों पर जय ने आखिर में जोरदार वार किये थे, खासकर देसू का माथा जिस पर जिया-जी ने सफेद कपड़ा डाल रखा था उस से अब भी काफी सारा खून बह रहा था। 

हिमांशु ने जैसे ही उन्हे भागने की तैयारी में देखा वो जिया-जी की ओर लपका। इस से पहले जिया-जी हिमांशु से लड़ते वक्त सतर्क था, शायद देसू की हालत देख उसका पारा भी सातवें आसमान पर था, हिमांशु के थोड़े करीब आते ही घूम कर उसने इतनी जोर की 180 डिग्री किक मारी की हिमांशु भी जाकर जय की ही तरह कन्टैनर से टकराया पर अगले ही पल उठ भी खड़ा हुआ। ‘ब्लड बुचर’ के साथ बान्डिंग के कारण हिमांशु पहले से ज्यादा ताकतवर हो गया था इसलिए वो जिया-जी के वार को सह गया था पर उसे अपने पेट में दर्द होने लगा था। 

हिमांशु के उठने से पहले ही वो जल्दी से जीप में बैठ गया और बिना देर किये किनक्स सा ने एक स्मोक बॉम्ब हिमांशु के सामने फोड़ दिया! पूरी जगह में गाढ़ा पीला धुआँ फैलने लगा, हिमांशु को खासी चलें लगी

“इस बार तो तुम सब बच गए हो पर एक छोटी सी जंग जीत कर खुद को बड़ा खूब मत समझ लेना!” जिया-जी जीप का कांच चढ़ाते हुए बोला “अगली बार जब हमारी मुलाकात वापस होगी, तो इस दुनिया का नजारा ही बदल चुका होगा”

किनक्स-सा ने तुरंत जीप पीछे मोदी और वहीं से तेजी से घुमा कर धूल उड़ाते हुए उसी रास्ते भगाने लगा जिस रास्ते वो आया था। पुनीत इसी व्यक्त का इंतजार कर रहा था, उसके ड्रोन ने उस जीप पर गोलियां चलाना शुरू कर दिया। वह जीप आर्मर्ड थी इसलिए गोलियों का उस पर कुछ खास असर नहीं हुआ, आखिर ये सामान्य गोलियां थी,

(उहूँssss उहूँsss…..ड्रोन से उसका पीछा करों, चाहे कुछ भी हो जाए..... उहूँsssss हम उन्हें भागने नहीं दे सकते) खाँसता हुआ हिमांशु फैक्ट्री से बाहर आने को दौड़ा

पुनीत ने अपने टैब में कुछ और टच किये.......और उसके ड्रोन के अंदर से मिसाइल लौंचर दिखने को निकल पड़ा!

“अब जरा धमाका हो जाए, कमीने कहीं के!” 

और पुनीत के इतना बोलने के तुरंत बाद ही वो मिसाइल दीवाली की रॉकेट की तरह आवाज करती हुई सीधे उस भागती जीप के पीछे पड़ गईं,

‘बूम.....बूम” और दो मिसाइल उस जीप के सांप जैसी चाल के कारण जमीन से टकरा कर फट गईं पर उसी चाल के कारण एक मिसाइल जा करके सीधे उनकी जीप में लगी, बहुत ही तेज धमाके के साथ गाड़ी पीछे से उठ गई, ऐसा लगा जैसे उसके पिछवाड़े में आग ही लग गई पर अगले ही पल वो वापस जमीन पर सरपट दौड़ने लगी। पुनीत ने अपना हाथ गुस्से में छत पर दे मारा क्योंकि उसका वार विफल हो गया था। उसे लगा था कि वो मिसाइल के दम पर उन आतंकवादियों को रोक लेगा। 

(अब मेरी बारी है, पुनीत!) टीना की आवाज सुनकर पुनीत अपने अफसोस को जैसे भूल ही गया। उसने टीना की बात पर ध्यान दिया (एक ड्रोन से हुक लटकाओ, मुझे फैक्ट्री के ऊपर जाना है)

पुनीत ने जल्दी से एक ड्रोन को टीना के पास भेजा और उस ड्रोन के नीचे एक हुक लटक रहा था जो वैसा ही था जैसा मेट्रो में पकड़कर संभलने के लिए होता है। जल्दी से पीठ पर अपनी मोडीफाइड AWM लिए वो उस ड्रोन के हुक को पकड़ने के लिए पेड़ से कूदी और हुक को पकड़ते ही पुनीत ने उसे उड़ाते हुए फैक्ट्री की छत पर ले आया। टीना ने बिना देरी के अपनी स्नाइपर राइफल पीठ से उतार कर स्टैन्ड के जरिए टिकाई! उसे अब भी दूर जाती हुई वो जीप दिख रही थी, रास्ता कछ था इसलिए अभी वो फूल स्पीड में भी नहीं चल रही थी और कुछ ही देर में पक्की सड़क आने वाली थी।

टीना ने तुरंत ही निशाना लगाया और जेब से एक नीले रंग की गोली निकाली जो बाकी गोलियों से काफी अलग थी, उसमें शेल पर EMP लिखा हुआ था। टीना ने उसे झटके से लोड कियाया और केवल एक बार स्कोप से उस जीप को देखा और निशाना थोड़ी आगे करते हुए गोली चला दी!

“त्राणsssss!” की अजीब सी बिजली के शॉर्ट सर्किट जैसी आवाज के साथ वो गोली चल दी, उसकी पावर इतनी थी की गन का बेरल फट गया और टीना को बहुत तेज झटका लगा पर वो अपनी नजर अब भी स्कोप से लगाए हुए थी। तभी एक पल के लिए टीना ने जीप के पीछे वाले कांच पर जिया-जी के हाथ में एक सुनहरे से रंग की गोल प्लेट जैसी कोई चीज देखी और अगले ही पर EMP बुलेट के धमाके के साथ टीना की नजर बाधित हो गई। EMP से इलेक्ट्रिक पार्टिकल का एक नीला बिजली लिए धमाका हुआ जो उस उस सुनहरे रंग के अजीब से प्लेट से टकरा कर खत्म ही गया था और वो जीप आँखों से पूरी तरह से ओझल हो गई। 

“शिट! ये क्या था?” बोलते हुए टीना ने अपनी राईफल पीठ पर रखी और उसी ड्रोन का हुक पकड़ कर वापस हवा में लटकती हुई जीप के पास आकर उतर गई। उस जीप में अंदर कोई भी नहीं था केवल हिमांशु बाहर खड़ा हुआ था और किसी से बात कर रहा था। 

(क्या?! पुलिस वालों के बहुत सारे परिवार वालों को आतंकवादियों ने कैद कर रखा है और तुम्हारे लोग उनके परिवार को छुड़ाने की के लिए लगा हुआ है?........क्या लड़ाई के दौरान तुम सभी थके नहीं?)

हिमांशु फिर फोन पर उनकी बातें सुनने लगा, फिर कुछ पल बाद बोला 

(ओके, तो रूबी ने जय को रास्ते में ही अपनी कार से पिक कर लिया है ताकि उसका इलाज कर सके......हम्म.....वैसे भी उसकी फार्मा की कंपनी है तो बेशक उसके पास अच्छे डॉक्टर भी होंगे.....ठीक है वो जीप शायद उसी रास्ते से वापस जा रही है जहां पर तुम हो)

केवल इतनी सी बात करके उसने काल कॉल काट दिया!

“क्या हुआ, वो लोग बिना जीप के कैसे चले गए?” टीना ने जीप के पास खड़े पुनीत से पूछा 

“राजन अपने साथियों के साथ बड़ी जीप लाया था ना? वो आसुना और अपने बचे साथियों को उसमे लेकर निकल गया” पुनीत ने जवाब दिया 

“और रास्ते में रूबी की कार ने जय को अपने अस्पताल ले जाने के लिए उसे उठा लिया.....” हिमांशु ने सांस छोड़ते हुए पूछा “क्या तुम्हारे ड्रोन अब भी उन आतंकवादियों की जीप का पीछा कर रहे है?”

हिमांशु के सवाल पर पुनीत का चेहरा लटक गया जिस से जवाब हिमांशु ने समझ ही लिया, वो पुनीत के सर पर हाथ फेरता हुआ बोला 

“कोई बात नहीं, इसमे तुम्हारी कोई गलती नहीं है?”

“जनता हूँ सर! उन लोगों ने जिस तरह के बॉम्ब से चोरहों को ब्लास्ट किया था उस से सिग्नल वाले बहुत सारे टावर खत्म हो गए इसलिए ड्रोन के कनेक्शन के लिए बहुत बड़ा गप पड़ गया.....” पुनीत ने गुस्से में जवाब दिया 

“चलो जीप में बैठो, हम रूबी फार्मा के अस्पताल की ओर चल रहे है!” हिमांशु के चेहरे पर शिकन थी, उसने ‘ब्लड बुचर’ को अपनी कमर के पीछे लकड़ी की म्यान में रखा “जय की हालत बहुत खराब है और आसुना को भी हमारी जरूरत है”

पुनीत और टीना जल्दी से पीछे बैठ गए और हिमांशु ने जीप पुरानी मुंबई के रूबी फार्मा अस्पताल की ओर मोड ली जो कि टीटीसी इन्डस्ट्रीअल एरिया से करीब 1 घंटे की दूरी पर था। हिमांशु के ऐक्सेलरैटर पर पैर रखते ही टीना और पुनीत एक दूसरे से संभलने के लिए चिपक पड़े......हिमांशु जीप को फुल स्पीड में दौड़ाने लगा था!

***********

वो काले रंग की आर्मर्ड जीप अब उसी बंदरगाह की ओर तेजी से जा रही थी जहां पर एक जहाज के अंदर जिया-जी का अड्डा था और वो वहीं से अपने सारे कामों को अंजाम दिया करता था। उसके ठीक पीछे कुछ पुलिस की वैन भी थी जो कि उसका पीछा रास्ते में ही करने लगी थी। उस इलाके में भी अभी पुलिस नहीं थी इसलिए बंदरगाह पर कोई खास सिक्युरिटी की व्यवस्था नहीं थी, पुलिस की वो जीपें आतंकवादियों की जीप का पीछा नहीं छोड़ने वाली थी! इन पुलिस की जीपों में से एक में कोई ओर नहीं बल्कि अतुल सावरकर ही था जो बेलापुर न्यायालय से ठाणे की ओर जा रहा था पर रास्ते में उसे यह जीप भागती हुई दिखी जिसका जिक्र कुछ देर पहले हिमांशु से उसने सुना था! बस फिर क्या? वो अपने साथियों के साथ उस जीप का पीछा करने लगा। 

“अतुल सर! आगे से आधे किलोमीटर का सीधा रास्ता है और सीधे पानी-पानी!” श्यामलाल ने कुछ मजाकिया लहजे में जीप चलाते हुए कहा 

“तो फिर ये लोग पानी में कूदने की सोच रहे है क्या?” अतुल ने श्यामलाल के सवाल का जवाब श्यामलाल से ही पूछ लिया 

“क्या जानें अतुल सर! इन लोगों का कुछ पक्का नहीं रहता....कहो तो पानी में कूद जाएँ और कहो तो आखिर मैं जीप रोक कर बंदूक निकाल हमले पर जुट जाएँ! आखिर आतंकवादी है..... पागलपन तो करेंगे ही”

श्यामलाल के मजाकिया लहजे में भी अतुल को सच्चाई नजर आ रही थी जिसने उसे काफी प्रभावित किया था। अतुल को शुरू से ही लगता था जैसे श्यामलाल बहुत ही दार्शनिक दिमाग का धनी है, वो अतुल से उम्र में भी बड़ा था पर पता नहीं क्यों उसने अतुल को खुदका नाम लेकर बात करने को कहा था। 

जीप पूरी स्पीड में सीधे ही जा रही थी और कुछ ही देर में सामने समुद्र आने वाला था, अतुल की बेचैनी बढ़ती जा रही थी,

“आखिर ये लोग करना क्या चाह.....व्हाट द.....!(what the…f**k!)”

अतुल के साथ-साथ सामने का नजारा देख कर सभी पुलिस वालों के मुंह से एक जैसी ही बात निकली और एक साथ सभी ने ब्रेक मारे! जीप तेज आवाज करते हुए थोड़ी बेकाबू होकर रुक गई.....अतुल के साथ ही बाकी पुलिस वाले भी बाहर निकले और उस नजारे को फटी आँखों से देखने लगे,

उनके ठीक सामने समुद्र उठता हुआ दिख रहा था, जैसे कोई बड़ी से मछली पानी के नीचे से ऊपर की ओर आ रही हो। वो नजारा रात के अंधेरे में बड़ा ही रूह कंपा देने वाला था! वो काली जीप रुक ही नहीं रही थी और उनके ठीक सामने यह पानी नीचे से ऊपर की ओर उठ रहा था, उसकी आवाज ऐसी थी जैसे बहुत सारा पानी बाल्टी से सामने फेंक दिया हो.... और पानी के हटते ही सामने नजर आया एक बड़ा सा सब्मरीन और उसके ऊपर उठते ही पानी की बड़ी सी धारा बंदरगाह पर पानी की एक लहर दौड़ा गई घुटने से नीचे आधे पैर सभी पुलिस वालों के गीले हो गए। और उनके सामने वो जीप....वो जीप उस काली पनडुब्बी के बीच में खुले दरवाजे से निकली स्लाईड में चढ़ कर अंदर जा घुसी और उन सभी के सामने ही..... वो पनडुब्बी पानी में समा गई!

श्यामलाल अतुल के चेहरे को देखते हुए बोला......

“कहा था ना अतुल सर! ये लोग कुछ भी कर देते है.....पता नहीं हमारी तरक्की इन आतंकवादियों से कम क्यों है ?”

अतुल ने भी माथा ठोंकते हुए श्यामलाल की बात में हामी भरी...........


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