Akshat Garhwal

Action Crime Thriller

4  

Akshat Garhwal

Action Crime Thriller

Twilight Killer Chapter-35

Twilight Killer Chapter-35

15 mins
412


पुलिस का पूरा का पूरा ध्यान केवल उन जगहों पर था जहां पर अन्डरवर्ल्ड और ईस्टर्न फैक्शन के लोगों के बीच घमासान मचा हुआ था, पूरे शहर में अलग-अलग जगहों पर ये घमासान मचा हुआ था। रात होते-होते ज्यादातर जगहों पर हो रहे इन हमलों की जगहों पर पुलिस ने कंट्रोल कर लिया था, बस एक ही जगह बची थी जहां पर कुछ ही देर में पुलिस अपनी आधी फोर्स के साथ पहुँचने वाली थी.......ठाणे!


ये वो जगह थी जहां पर किनक्स-सा अपनी 500 लोगों की फौज के साथ वहाँ पर एक बहुत बड़े इलाके में शैली के लोगों के साथ भिड़ा हुआ था। किनक्स-सा बहुत ताकतवर था पर वो शैली को छू भी नहीं सकता था! कोल मार्किनसन, एक बहुत ही जबरदस्त शूटर और फाइटर था जो कि इस वक्त ठाणे के युद्ध में सबसे आगे खड़े होकर अन्डरवर्ल्ड की फौज का नेत्रत्व कर रहा था। मीना पटेल, शैली के लिए तभी से काम कर रही थी जब से शैली इंडियन अन्डरवर्ल्ड का बड़ा चेहरा बन गई थी...वो शैली की टेक एक्सपर्ट थी और इस वक्त बाहर पुलिस पर अपने लोगों के साथ बाहर नजर बनाई हुई थी, साथ ही टीम की रणनीति भी उसी ने डिजाइन की थी......वो हमेशा ही एक बिना चेहरे का मुखौटा लगाए रहती थी इसलिए बहुत ही कम लोगों ने उसे देखा था। बोन हार्ट! साढ़े 6 फिट का 250 किलो का वजनी टकला था वो भी काला! वह केवल दिखने में डरावना लगता था उसका स्वभाव बहुत सोम्य था और लॉंग रेंज हथियारों का उसे बहुत अच्छा ज्ञान भी था और उन्हे चलाने का अनुभव भी। इन तीनों के अलावा भी एक और साथी था जिसका नाम अहमद था, वह इस वक्त मुंबई में नहीं था और उसका काम लड़ना नहीं बल्कि तरह-तरह की जानकारी इकट्ठा करना था। इसलिए केवल जो तीन मौजूद थे उन्होंने ने ही किनक्स-सा को रोक कर रखा था, हालांकि गोलीबारी अब भी चल रही थी और दोनों ओर से कोई भी बात करने को तैयार नहीं था। 


असल में किनक्स-सा यहाँ पर लड़ने नहीं, केवल इंतजार करने आया था ताकि जैसे ही उसे जिया-जी और अपने भाई का मैसेज मिले कि उन्होंने जय को टपका दिया है, वो यहाँ से 9-2-11 हो जाए। पर समय के साथ साथ केवल पुलिस का पहरा ही तेज हो रहा था इसलिए वह थोड़ी सोच में पड़ गए था कि यहाँ से पता नहीं बिना लड़े वो निकल भी पाएगा या नहीं!

उधर इन्डस्ट्रीअल एरिया में कुछ ओर ही चल रहा था, एक शिकार और शिकारियों का पूरा कस्बा!;


उस रात के अंधेरे में सीबीआई ने अपना पहरा उस फैक्ट्री के चारों ओर फैला लिया था, ताकि जय को किसी भी हालत में पकड़ा जा सके। यूनिट 4 के स्नाइपर अपनी आंखे गड़ाए हुए काफी देर से अंदर चल रहे नजारे को एकटक देख रहे थे, उन्होंने वह सब देखा था जो जय के साथ अभी-अभी घटित हुआ था। किस तरह से उसने उन हथियारबंद लोगों को आसानी से मार दिया था और किस तरह जिस लड़की को वो बचाने की कोशिश में था उसी ने आखिर में उठ कर उसे पीछे से इन्जेक्शन लगा कर जय को गिड़गिड़ाने को मजबूर कर दिया था। इस नजारे को देख कर उनका मन बहुत दुखी हो रहा था, वे इस व्यक्त जय को मदद करना चाहते थे पर राजन के ऑडर से बंधे हुए थे जो कि पीछे बैठे इस सब को इन्जॉय कर रहा था,


“सर, आपको नहीं लगता हमे उसकी मदद करनी चाहिए? वो बहुत तकलीफ में लग रहा है” एक स्नाइपर ने नम आँखों से कहा 


“जो काम उसने किये है उसकी यहीं सजा है! उसके हिस्से की सजा को भुगतने से रोकने वाले हम कौन होते है?” राजन ने बहुत ही रूखे स्वर में कहा और अपने दूरबीन से लगातार अंदर के नजारे को देख कर खुश होता रहा। 


“पर क्या यह सब सही है सर?” एक दूसरे कम उम्र के स्नाइपर ने कहा “आखिर में जय जो भी हो, है तो हमारे देश का वासी ही न? पर ये लोग तो विदेशी है और ऊपर से इनकी शकले यह भी बता रही है कि कितने बड़े अपराधी है! हम अपराधियों का साथ क्यों दे रहे है?”


राजन इस बात पर भड़क गया, उसे इस सब से कोई फरक नहीं पड़ता था कि वो लोग कौन है? वो बस जय को तड़पता हुआ देखना चाहता था और देख भी रहा था पर क्यों? यह बात अब तक साफ नहीं हुई थी! कोई कारण था भी या......वो बस यह सब देख कर मन की इच्छा पूरी कर रहा था। 


“तुझसे जितना कहा गया है, बस उतना ही करने पर ध्यान दे!” राजन का चेहरा बिगड़ गया “क्या करना है और क्या नहीं, इसका फैसला मैं करूंगा.......तब तक अपनी जुबान पर ताल मार ले”


वो बेचारे क्या करते? उनका हाइयर ऑफिसर ही जब उन्हे एक्शन लेने से रोक रहा था तो भला वो कैसे कुछ भी कह सकते थे! चुप-चाप सामने नजर रखे रहे और राजन की गुलामी करने में फिर से व्यस्त हो गए। राजन ने उन लोगों से अपना ध्यान हटाया और दूरबीन से एक बार फिर जय को देखने लगा....... अब जो हो रहा था वो यहाँ से देख कर बहुत उत्साहित था!


उसकी दूरबीन से खुले रोशनदान के अंदर से दिख रहा था जय, जिसके चेहरे पर असहनीय पीड़ा थी, उसका शरीर कांप रहा था, पसीने से वह तर हो गया था। सामने खड़ी नित्या यानि मिस फॅन्टम की तरफ रेंगते हुए जाने की कोशिश करता है की तभी देसू-सा उसे कॉलर पकड़ कर पूरा ऊपर उठाता है और अगले ही पल उसके शरीर को हवा मे झकझोर कर ऐसे फेंक देता है जैसे जय में कोई वजन ही ना हो, जय पीछे राखी उस मशीन से टकराता है और मशीन के साथ ही पलट कर गिर जाता है! उसकी हालत इतनी खराब हो गई थी कि इस वक्त उसे बहुत ही आसानी से मारा जा सकता था, वह नीचे गिर गया था, होश में था पर कुछ कर नहीं पा रहा था!

राजन को यह देख कर और भी खुशी होती है, वह मंद-मंद मुस्कुरा रहा था! अगर इस व्यक्त उसके हाथ में पॉपकॉर्न होते तो वो पक्का इस सब को किसी फिल्म की तरह इन्जॉय कर रहा होता। 


फिर उसने दूरबीन में देखा कि अचानक से करीब 80-90 लोग उस फैक्ट्री की खोखली छत के अंदर से नीचे कूदे, बिना किसी रस्सी के! राजन के साथ ही बाकी सारे सीबीआई वाले भी हैरान कि ये लोग अचानक से कहाँ से आ गए? राजन जय को खुद मारना चाहता था, वह यह कतई नहीं देख सकता था कि कोई और जय को मारे!


“सभी स्नाइपर! जय को घेरे हुए उन लोगों को मारना शुरू कर दो, हम जय को उनके हाथों नहीं मरने दे सकते”


“ओके सर!” सभी सीबीआई वालों को वॉकी-टॉकी से लड़ाई का संकेत मिला और वो तो वैसे भी उन लोगों को मारना ही चाहते थे जो जय को पीट रहे थे, इसलिए उन्होंने तुरंत ही राजन की बात का पालन किया और निशाना लगाया, उनके स्कोप में कुछ लोगों ने अब जय को पकड़ लिया था और एक बड़ा सा आदमी जय की पिटाई करने को आगे बढ़ रहा था। 

“फाय.............!”!!!!


अभी राजन ने अपना आदेश पूरा भी नहीं किया था कि पीछे मुड़ते ही उसकी हैरानी का ठिकाना नहीं रहा! आधे से ज्यादा सीबीआई वाले उस पर और यूनिट 1 के अफसर पर बंदूक और चाकू ताने खड़े हो गए थे। राजन को कुछ भी समझ नहीं आया, उसने भी झटके से अपनी जेब से पिस्टल निकाली और सामने खड़े यूनिट 3 के एक जवान पर तान दी!


“यह सब क्या हो रहा है?! और तुम लोगों ने अपने ही लोगों पर क्यों बंदूक तान रखी है?” राजन के चेहरे पर गुस्सा था पर उसे कारण समझ नहीं आ रहा था 


“अपनी गन नीचे फेंको और हाथ ऊपर करों वरना तुम्हारे इन यूनिट 1 के साथियों के भेजे उड़ा दिए जाएंगे!” उस सीबीआई अफसर की आँखों से समझ आ गया था कि वो मजाक तो बिल्कुल भी नहीं कर रहा। राजन ने उसे तीखी नजर से देखा और गन को नीचे फेंक दिया। यूनिट 1 के जवानों से भी गन छीन कर फेंक दी गई और उन सभी को एक ही जगह पर इकट्ठा किया गया। 


“देखों यह जो तुम लोग कर रहे हो वो बहुत ही गलत कर रहे हो!” राजन ने अब भी अपना स्वभाव नहीं छोड़ा था, उसे पूरी उम्मीद थी कि अपने इन साथियों को मना लेगा। “एक खूंखार कातिल के लिए तुम मुझे, अपने बॉस को और अपने साथियों को धोखा दे रहे हो? माना कि वो जिस तरह से गिड़गिड़ा रहा है उसे देख कर तुम्हें दया आ गई पर.......जय को बचाने के लिए यह तुम क्या कर रहे हो तुम्हें अंदाजा भी है?”


राजन की बात सुनकर उन सभी ने एक दूसरे को देखा, फिर राजन को देखा और सर झुका लिया, जैसे उन्हें अपने किये पर पछतावा हो! राजन का होंठ मुस्कुराहट में फड़फड़ाया....पर अगले ही पल उसका चेहरा उतर सा गया जब उसने उन लोगों को धीरे से रह-रह कर हँसते हुए देखा! उनकी हंसी इतनी तेज और खौफनाक थी कि एक पल को राजन भी सिहर गया। तभी उसने नोटिस किया कि उन लोगों के चेहरे एक अजीब सी पागलों वाली मानसिकता लिए दिख रहे थे, यूनिट 1 के सभी सीबीआई वाले जो कि इस वक्त बंधक थे.....वो घबरा गए। अभी राजन उन से हंसने का कारण पूछता ही कि इतने में उनमें से एक जो उम्र में उन सब से बड़ा था वो भड़कीले चेहरे के साथ बोला 


“अरेssss! तुम्हें अभी तक लगता है कि हम यह सब जय को बचाने के लिए कर रहे है? हम उसके शुभचिंतक है?” उसकी बात सुनते ही बाकी उसके साथी भी तीखी हंसी हंस पड़े, राजन का पसीना छूट गया। वो भड़कीले चेहरे वाला अफसर राजन के सामने आया और उसका कॉलर पकड़ कर उसके चेहरे को अपने पास खींच लिया जैसे उसे काट ही खाएगा!


“ना ही हम जय के शुभचिंतक है और ना ही हम सीबीआई के अफसर है!.............हम ‘रेड ऑक्टोपस’ है! हाहाहाsssss”

राजन ने सफेद पड़े चेहरे के सामने उसकी पागलों जैसी हंसी, किसी धोके की तरह उसके सीने में आ चुभी! उसका जहन तार-तार हो गया.......उसका शरीर उनकी बात सुन कर ठंडा पड़ गया। वो जो जय को मारने के लिए आया था, किसी अनजान बदले को पूरा करने के लिए अपने अधिकारों का गलत फायदा उठाने वाला था.... अब खुद किसी षड्यन्त्र में फंस गया था!


***********

“गाड़ी तैयार है ना?” हिमांशु की आवाज कंट्रोल रूम के अंदर गूंज उठी, पुनीत-टीना और राम राघव अपनी काली स्पेशल ड्रेस में तैयार थे जो उन्होंने पहले करन की बिल्डिंग पर नजर रखने के दौरान भी पहनी थी। हाईली कन्डेन्स कार्बन फ़ाइबर से बनी यह ड्रेस इतनी मजबूत थी कि बुलेट प्रूफ जैकिट कि कोई जरूरत ही नहीं पड़ती थी और साथ ही यह बहुत हल्की भी थी। 


ये सभी अपनी ड्रेस पहन कर, हथियार हाथ में लेकर एकदम तैयार थे। चेहरे पर एक अजब तरह का निश्चय था और आँखों में अपने देश के प्रति प्रेम की भावना उमड़ रही थी.........  


“गाड़ी तैयार है सर!” पुनीत ने कंट्रोल पैनल की स्क्रीन पर हाथ चलाते हुए, जीप को बाहर इजेक्ट करने के बटन को क्लिक किया “जीप बाहर निकल चुकी है, सर!” 


“ओके गुड, अब सभी यहाँ सामने खड़े हो जायों”


हिमांशु की बात सुनते ही 2 सेकंड के अंदर सभी एक लाइन में खड़े हूँ गए, हिमांशु उनके सामने आकर खड़ा हुआ। सीना तना हुआ आँखों पर काला नाइट विज़न वाला चश्मा और चेहरे पर एक ऐसा भाव जिसे शब्दों के कह पाना नामुमकिन था।

उसके चेहरे के तेज के आगे बिना शब्दों के ही सभी के अंदर जोश उत्पन्न हो गया था। आसुना, रेशमा और निहारिका कंट्रोल रूम की दीवार से खड़ी हुई यह सब देख रहीं थी,


“मैं ज्यादा समय नहीं लूँगा! हमारा मिशन ईस्टर्न फैक्शन को खत्म करना और जय को सरेन्डर करने में मदद करना है और मैं चाहता हूँ कि इन दोनों बातों के अलावा मिशन के बीच में कोई दूसरा ख्याल तुम लोगों के मन में बिल्कुल भी नहीं आना चाहिए” हिमांशु की आवाज तेज थी और ऐसा लग रहा था जैसे उसके शब्द सीधे दिल में उतर रहे थे। “हम जिनका सामना करने वाले है वो कोई आम लोग नहीं है बल्कि बहुत ही खतरनाक टेररेरिस्ट है, इसलिए उन्हें ,मारने से तुम्हारे हाथ बिल्कुल भी नहीं कांपने चाहिए.....यह हमे करना होगा, अपने लोगों के लिए अपने देश के लिए!”


“हम करेंगे, अपने लोगों के लिए, अपने देश के लिए!” उन चारों ने इस वाक्य को पूरे जोश के साथ एक नारे की तरह दोहराया, अभी हिमांशु आगे कुछ कहने ही वाला था कि आसुना आगे आई। हिमांशु समझ गया कि वो आगे क्यों आ रही है और उसने पहले ही हाथ दिखते हुए साफ कर दिया!

“रुको आसुना!” आसुना के चेहरे पर हल्की सी मुस्कान थी जैसे वो यह सब होने की उम्मीद कर ही रही थी “मैं जानता हूँ कि तुम जय के लिए परेशान हो पर तुम हमारे साथ इस मिशन पर नहीं चल सकती!”


हिमांशु ने काफी सख्त आवाज में कहा, उसने अब तक आसुना से ऊंची आवाज में भी बात नहीं की थी पर वह आसुना को इस खतरनाक मिशन में शामिल नहीं होने देना चाहता था। आसुना उसे देख कर मुस्कुराई 


“मैं तुम्हारे मिशन से बंधी नहीं हूँ.....मैं वहीं करती हूँ जो मेरे उसूल मुझे सिखाते है” उसने भी इस बार थोड़ी तेज आवाज में कहा, सभी की नजर इन दोनों पर ही थी “ और रही बात तुम लोगों के साथ चलने की, तो मैं इसके लिए तुमसे अनुमति लेने नहीं आ रही हूँ.....बल्कि यह बताने आ रही हूँ की मुझे रोकने की कोशिश मत करना”


आसुना ने हिमांशु की आँखों में देख कर कुछ इस तरह कहा कि हिमांशु के आगे के शब्द उसके मुंह से निकले ही नहीं! वो हिमांशु के सामने से ही टीना के पास गई,


“चलो, चले। हमारे पास गँवाने को ज्यादा समय नहीं है” इतना कह कर वो आगे बढ़ी तो हिमांशु को एक बार एकटक देखते हुए, धीरे से ‘सॉरी’ फुसफुसाते हुए उसके साथी आसुना के पीछे ऊपर की ओर रवाना हो गए। हिमांशु उन्हे बस देखता ही रह गया,


“ये जय साला इसे संभालता कैसे होगा?” हिमांशु बड़बड़ाया

“पत्नी का असली रूप शादी के बाद ही पता चलता है......डिअर हिमांशु!” 


अचानक से कान के पास निहारिका की आवाज सुनकर वो चौंक जाता है, पलटता है तो दो कदम पीछे हो जाता है, सामने उसके बहुत करीब निहारिका खड़ी थी, जिसके चेहरे पर एक बहुत ही मजाकिया, चुटकी लेने जैसी हंसी थी जिसे देख कर पता नहीं क्यों पर हिमांशु के चेहरे पर खुद ही एक मुस्कान आ गई, वह खुद को रोक ही नहीं पाया। 


“क्या यार, मैं यहाँ पर गंभीर सवाल कर रहा था और तुम हो कि मुझे ही मजाक में ले रही हो” हिमांशु की बात पर निहारिका का हंसने लगी, दूर से देख कर रेशमा को भी इन खट्टे-मीठे पलों में हंसी मिल ही गई। 


“अच्छा सुनो,.........अपना ख्याल रखना.....और मेरे भाई को सही-सलामत वापस लाना...ओके?” अब जाकर निहारिका के चेहरे पर असली चिंता के भाव आए। 


उसे इस तरह देख कर हिमांशु का शरीर जैसे खुद ही आगे बढ़ा और निहारिका को जोर से गले लगा लिया, दोनों के दिलों ने जैसे चैन की सांस ली, हिमांशु बोला 


“वादा रहा, मैं उसे जरूर वापस लाऊँगा” उसने निहारिका से दूर होते हुए अपने कदम पीछे बढ़ाए “आखिर मेरा साला जो ठहरा! उसके बिना शादी में मजा नहीं आएगा न?”


खनते हुए हिमांशु मुस्कुराया, और कान लाल करता हुआ आंखे चुराता वहाँ से निकल गया। निहारिका और हिमांशु को एक साथ देख कर रेशमा बहुत खुश हो रही थी....... आखिर कार हिमांशु को इस तरह से खुश देखना उसे कम ही नसीब हुआ था। ***********************


टीटीसी इन्डस्ट्रीअल एरिया में आते ही वो जीप से उतरे, हाथ में हथियार लिए सभी उस बोर्ड की ओर दौड़ पड़े जिस पर ‘टीटीसी केमिकल फैक्ट्री’ लिखा हुआ था। पुनीत ने उस बोर्ड के पास बैठ कर अपने 3 कॉमबैट ड्रोन हवा में उड़ा दिए जिनके पंखों से नाम मात्र की हवा की आवाज आ रही थी। उनमे लगे हुए हुए कैमरों से उस इलाके में आगे बढ़ने से पहले पुनीत ने जल्दी से जांच शुरू की...... सभी के साथ में गन तैयार थी। आसुना भी एक साथ में लंबा सा मिलिटरी ग्रैड का चाकू और एक 12 गोलियों वाली Taurus G2C पिस्टल रखी हुई थी, ऊपर से एक जींस के ऊपर सफेद टी-शर्ट जो कि काले रंग की जैकिट से ढँकी हुई थी। 


“सब साफ है?” हिमांशु ने पुनीत से पूछा जो कि अपने कंट्रोल टैब में केमरे की गतिविधियां देख रहा था। 


“एक मिनट सर..........” पुनीत ने एक मिनट रुकें के लिए कहा 


“वो लोग जरूर उस फैक्ट्री में होंगे। अब तक तो जय ने फाइट भी शुरू कर दी होगी” टीना बोली 


“हाँ, हो सकss!”


“सर यहाँ पर एक प्रॉब्लेम है?” पुनीत झटके से चौंकते हुए बोला “आपको यह देखना चाहिए, मैं अभी आप सभी के साथ स्क्रीन शेयर करता हूँ”


इतना कह कर उसने टैब पर कुछ उँगलियाँ फिराईं और सभी के ड्रेस के हाथ पर लगा हुआ, मिनी-मानिटर चालू हो गया जिसमे वो सब दिख रहा था जो कि ड्रोन देख पा रहे थे। उन्होंने जो देखा उस पर उन्हें भी पहले तो यकीन नहीं हुआ पर फिर पुरानी घटनाओ को देखते हुए उन्हें इस द्रश्य पर कोई भी अचरज ना हुआ। 


“इस कमीने को तो फंसना ही था, बहुत उछल रहा था ना” हिमांशु बड़बड़ाया 


“पर ऐसा नहीं लगता ये लोग उस के ही साथी है?” टीना बोली “ देखो, सभी ने एक जैसे कपड़े पहले रखे है”


टीना के कहने पर सभी ने एक बार फिर ध्यान दिया तो उसका कहना बिल्कुल सच था! जिन लोगों ने उस राजन को घेर रखा था वो लोग सीबीआई के ही कपड़े पहने हुए थे पर उनके चेहरे यह बताया रहे थे कि वो कोई सामान्य इंसान नहीं थे, सीबीआई के तो बिल्कुल भी नहीं लग रहे थे। तभी उन्होंने देखा कि एक लंबे चौड़े अफसर ने राजन के साथ घुटने टेके हुए सीबीआई के अफसरों की कनपटी पर बंदूकें तान दी तो हिमांशु से रहा नहीं गया,


“इस पागल से हम बाद में निपटेंगे! पर पहले जरा इस पर एक अहसान करते है और इसके साथियों को बचा लेते है। वैसे भी हमें कुछ और हाथों की जरूरत है” हिमांशु ने माथे पर हाथ फेरते हुए कहा 

“गोट इट, सर!” इतना कह कर टीना झाड़ियों के पीछे से होते हुए एक पेड़ पर चढ़ गई हो की काफी घना था, उसने अपनी मोडिफ़ाई की हुई AWM स्नाइपर राइफल निकाली और स्कोप खोल कर निशान लगाया उस आदमी पर जो राजन के पास खड़ा हुआ था!


राम-राघव भी धीरे-धीरे उन लोगों के पास जाने लगे, इतनी रात का अंधेरा वैसे भी उनके फैवर में ही था। हिमांशु और आसुना भी उनके साथ आगे बढ़े और चुपके से उन झाड़ियों में ऐसे फैल गए कि राजन को जिस जगह बिठा कर रखा था, वो पूरी जगह घिर गई। पुनीत बोर्ड के पास ही एक छत वाली दुकान की छत पर पाइप के सहारे चढ़ गया, और वहीं से ड्रोन चलाने लगा। उसने भी निशाना लगाया...... सभी ने निशाना लगाया......


(मेरे इशारे पर!) कान में लगे वेव-ट्रांसमीटर के जरिए वो बात कर रहे थे (1.....2..... और.. फायर!)


गोलियों ने अपना निशाना चुन भी लिया और एक साथ एक ही आवाज में चल भी गईं..............      



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