Akshat Garhwal

Action Crime Thriller

4  

Akshat Garhwal

Action Crime Thriller

Twilight Killer Chapter-33

Twilight Killer Chapter-33

15 mins
302


कल रात को जय से हुई मुलाकात ने रात भर किसी को सोने नहीं दिया, यहाँ तक कि सुबह 4 बजे तक तो हिमांशु को भी नींद नहीं आई और उसकी निहारिका से बात चलती रही। टीना, पुनीत और राम-राघव रातभर छोटी-छोटी झपकियाँ लेते रहे, उन्होंने मन बना लिया था कि अगर जय की बात सच है और ईस्टर्न फैक्शन के साथ अन्डरवर्ल्ड की लड़ाई इस व्यक्त जारी है और कल तक यह लड़ाई जय तक पहुँच जाएगी तो उन्होंने रात को ही हथियारों के साथ खुद को लड़ने के लिए तैयार कर लिया। आसुना को भी काफी देर तक नींद नहीं आई पर फिर भी किसी ख्याल में गुम उसे कब नींद आ गई उसे पता ही नहीं चला, उसकी नींद सुबह झटके से खुली क्योंकि कंट्रोल रूम से टीवी के चलने की आवाज शुरू हो गई थी......साथ ही उस ने निहारिका की भी चिंता भरी आवाज सुनी थी। नींद से जागते ही वह झटके से उठी और तेज कदमों के साथ कंट्रोल रूम में पहुँच गई। वहाँ सभी के चेहरे पर चिंता देख वह कुछ समझ नहीं पाई, सभी की नजरें ऊपर नीले रंग के होलोग्राम से बनी हुई टीवी स्क्रीन पर टिकी हुई थी। आसुना ने भी उसी ओर खुद की नजरें घुमाईं जिस पर ‘इंडिपेंडेंस इंडिया’ न्यूज चैनल चल रहा था;

“आज सुबह ही सीबीआई के डायरेक्टर ने सीबीआई ऑफिसर राजन नागराज के बयान के आधार पर Twilight Killer के उपर शूट एट साइट का ऑर्डर जारी किया है, हालांकि अब भी उनका कहना यहीं है कि अपराधी को जिंदा पकड़ना और अदालत के कटघरे में खड़ा करना पहले आता है पर अगर Twilight Killer ने सरेन्डर नहीं किया तो सीबीआई अपने ऑफिसरो की जान को जोखिम में डाले बगैर अपराधी को मौकाये वारदात पर मारने ने पीछे नहीं हटेंगे! अभी के लिए इतना ही पर आगे भी हम Twilight Killer और सीबीआई से जुड़ी हुई खबरें आप तक पहुंचाते रहेंगे इसलिए हमारे साथ बने रहें, मैं हूँ एंकर ऋचा शर्मा और आप देख रहे है ;इंडिपेंडेंस इंडिया’!”

“यह किस तरह की बकवास है? ऐसे कैसे वो जय के खिलाफ शूट एट साइट का ऑर्डर निकाल सकते है!” आसुना का चेहरा गुस्से से लाल हो गया

वहाँ खड़ा हुआ हर कोई आसुना का गुस्सा समझता था, अभी अभी उन्होंने जो सुना-देखा उस से आसुना का गुस्सा होना जायज था। टीना और पुनीत भी इस बात से चिंतित थे तो निहारिका के चेहरे से भी घबराहट टपक रही थी।

“राजन नागराज ने बयान दिया है कि कल सुबह बम धमाके से पहले वो Twilight Killer का ही पीछा करते हुए ठाणे के चौराहे तक पहुँच गया था और उसने Twilight Killer के भेष में जय को देखा था कि तभी वहाँ पर विस्फोट हो गया......” टीना ने चिड़चिड़ेपन में नाखून चबाते हुए बताया

“दैट ब्लडी रैस्कैल राजन!(That bloody rascal Rajan!)......वह तो जैसे जय के पीछे ही पड़ गया है” आसुना चिल्लाई, उसका चेहरा पूरा लाल हो गया “मुझे पूरा यकीन है कि उसका बयान झूठा है, वह केवल जय को फ़साने के लिए यह सब कर रहा है”

“आखिर उसकी परेशानी क्या है?” निहारिका भी चिड़ गई “मेरे भाई ने भला उसका क्या बिगाड़ा है!”

“पता नहीं वह ऐसा क्यों कर रहा है पर अब जय सर को संभल कर रहना होगा” पुनीत आसुना और निहारिका की ओर देखता हुआ बोला “पहले ही उनके पीछे ईस्टर्न फैक्शन हाथ-धोकर पड़ा हुआ है ऊपर से अब ये सीबीआई का राजन भी शूट एट साइट का ऑर्डर लेकर सामने खड़ा हो गया है। और अगर आसुना मेम का कहना सही है तो सरेन्डर करवाना तो एक बहाना है.......वह पक्का जय सर को मारना चाहता है”

पुनीत का सोचना भी कहीं से गलत नहीं था, राजन असल में यहीं चाहता था और इसके लिए ही उसने डायरेक्टर से बात करके शूट एट साइट का ऑर्डर निकलवा लिया था। टीना और राम राघव वापस अपनी तैयारी में लग गए और आसुना भी मन मार कर निहारिका की घबराहट को संभालते हुए वापस अपने कमरों में चली गईं। कल रात को ही पुनीत ने अड्वान्स सिक्युरिटी सिस्टम ऑन कर दिया था पर रात को आगे कोई हमला नहीं हुआ। जिन हत्यारों को रात में आसुना ने पकडा था उन्हें एक हाई सिक्युरिटी सेल में डाल दिया गया था जहां पर वो लोग चुप चाप पड़े हुए थे, सामने आने वाली चुनौती इतनी बड़ी थी कि फिलहाल उन बंदियों से उलझने का समय नहीं था।

अभी निहारिका अपने बिस्तर पर बैठी ही थी कि उसकी जेब में पड़ा हुआ फोन बज उठा। जेब से निकाल कर उसने देखा तो वो अतुल का कॉल था जिसे बिना देरी के उसने उठाया….आसुना भी उसकी बगल में बैठ गई

(हैलो, अतुल?)

(आह, हैलो निहारिका। रेशमा उठ गई क्या? कल रात को भी उस से बात नहीं हो पाई थी....मुझे उसकी चिंता हो रही है) अतुल की बात सुनते ही निहारिका की नजर सामने लगे हुए बिस्तर पर गयी जहां पर हरी साड़ी में लिपटी हुई रेशमा सो रही थी।

(चिंता की कोई बात नहीं है अब, वो अभी सो रही है) निहारिका ने अपनी साँसों को नियंत्रण में करते हुए कहा (क्या तुमने न्यूज देखी?......सीबीआई ने जय के ऊपर शूट एट साइट का ऑर्डर निकाला है!)

(हाँ, मैं अभी वहीं न्यूज देख रहा था, उस राजन से बच कर रहना होगा! अगर उसे पता चल गया कि तुम दोनों कहाँ पर हो तो ईस्टर्न फैक्शन से पहले वो ही कोई शर्मनाक हरकत कर बैठेगा) अतुल की आवाज में राजन को लेकर कड़वाहट समझ आ रही थी

(सही कहा तुमने, हम ध्यान रखेंगे) निहारिका ने कहा

(अच्छा ठीक है तुम सब अपना ख्याल रखना, मैं रात को भी नहीं आ पाऊँगा तो रेशमा पर थोड़ा ध्यान देना वरना मेरी चिंता करने लगेगी........तो ठीक है मैं बाद में कॉल करता हूँ!)

इतना कह कर उसने कॉल काट दिया। फोन को एक पल के लिए हाथ में लेकर निहारिका ने ‘recent ’ कॉल चेक किये जिसमे हिमांशु का नंबर दिख रहा था। निहारिका के चेहरे को देख कर लग रहा था जैसे वो इस असमंजस में है कि हिमांशु को कॉल करे या नहीं, वैसे भी वो आज आने ही वाला था। उसने यूं ही गर्दन घुमा कर आसुना की ओर देखा तो आसुना उसका परेशान स चेहरा देख कर मुस्कुरा उठी और सहमति में मंजूरी देते हुए सर हिलाया। निहारिका के चेहरे पर खुशी एक बार फिर छा गई और हिमांशु को कॉल करते हुए वो वहाँ से उठ कर किचन की ओर चल दी।

परेशान तो आसुना भी थी, जय अब उतना ताकतवर नहीं रहा था जितना वो टोक्यो में था। टोक्यो में लगभग हर कोई दोस्त-रिश्तेदार ही था और गवर्मेंट भी जय के खिलाफ कभी नहीं हुई थी। जबकि आज मुंबई के हालात बहुत अलग थे! यहाँ पर वो एक मुजरिम, एक कातिल करार कर दिया गया था, जिस Organisation के खिलाफ आज वो था वो कोई मामूली ग्रुप नहीं था बल्कि बहुत बड़ा आतंकवादी संगठन था जिसमे ताकतवर हत्यारे भरे हुए थे.......और सीबीआई तो उसकी जान के पीछे हाथ धोकर ही पड़ गए थे। इन हालातों को देखते हुए आसुना ने भी मन बना लिया था कि अगर जरूरत पड़ी तो वो भी हथियार उठा लेगी, चाहे फिर उसे अपने उसूलों के खिलाफ ही क्यों न जाना पड़े।

*******************

मुंबई में पिछली ही रात से अन्डरवर्ल्ड और ईस्टर्न फैक्शन के बीच युद्ध शुरू हो गया था। पहले तो वो दोनों ही रात के अंधेरे में छुप कर एक दूसरे पर हमला करके उनकी संख्या कम करना चाहते थे पर जैसे ही रात कट गई, लड़ाई आमने-सामने की आ गई और ठाणे के साथ ही बंदरगाहों के कुछ इलाकों में भी दिन दहाड़े गोलियां चलने लगी, सभी एक दूसरे की जान के पीछे पड़े हुए थे। यह बात पुलिस से भी कहाँ छिपी थी? पर पुलिस ने सीधे उन लोगों के बीच में आना सही नहीं समझा, वरना जबरन में गेंहू के साथ घुन की तरह पिस जाते। पुलिस कमिश्नर राव के आदेश के अनुसार पुलिस ने हर उस जगह की घेराबंदी कर डाली जहां पर इस तरह के युद्ध ही रहे थे ताकि आखिर में जो कोई भी बचे वो उन्हे पकड़ कर होने वाले नुकसान को कम किया जा सके.......और वाकई कुछ जगहों पर यह अब तक कारगर भी रहा था।

पूरे दिन बस पुलिस इसी तरह काम करती रही और अब शाम होने को आ गई। सीबीआई का अलग ही रौब चल रहा था, जब से उनके पास Twilight Killer के खिलाफ शूट एट साइट का ऑर्डर आया था तभी से वो पूरे शहर में हर जगह पागल कुत्तों की तरह घूम रहे थे पर पुलिस की मदद के लिए वो बिल्कुल भी आगे नहीं आए थे। खासकर जब कमिश्नर राव ने राजन से पुलिस की मदद करने की गुजारिश की तो उस राजन ने साफ कह दिया था;

“मेरे पास इस तरह के छोटे-मोटे मसलों को सुलझाने का समय नहीं है! क्या पुलिस को अपना एक काम भी ठीक से करना नहीं आता? क्या पूरे निकम्मों की फौज जमा कर रखी है तुमने?”

कमिश्नर अगर इस व्यक्त परेशानी में नहीं होते तो राजन को इस गुस्ताखी का जवाब जरूर मिलता! कमिश्नर ने ऐसा दिखाया जैसे उन्होंने राजन से कभी मदद के लिए पूछा ही ना हो। उन्होंने आदेश दिया कि पुलिस की घेराबंदी को मजबूत किया जाए और जरूरत पड़ने पर कड़ी कदम उठाने से भी पीछे न हटा जाए। अतुल की ड्यूटी नवी मुंबई के बेलापुर न्यायालय के पास लगी हुई थी जहां पर कुछ ज्यादा ही गोलीबारी चल रही थी, उस जगह पर पुलिस का इन-चार्ज खुद अतुल ही था, उसने भी घेराबंदी बड़ी करवा दी थी,

“कोई एक भी बच कर बाहर नहीं जाने पाए, अगर एक भी बच कर निकल गया तो समझ लो कि हमारी लापरवाही की वजह से किसी परिवार की जान चली जाएगी! क्या तुम सब यहीं चाहते हो?” अतुल ने पूरे जोश के साथ पूछा

“बिल्कुल नहीं!” उसके साथियों का जवाब आया

“तो फिर दिखा दो इन भगौड़ों को कि अगर पुलिस अपनी पर आ गई तो वो क्या कर सकती है!”

“हाँssssssss!” सभी ने जोश भरी हुंकार भरी और घेराबंदी इतनी सख्त कर दी कि पूरा इलाका अब उनकी बंदूक की नोंक पर था। लोहे के सरकने वाले बरीकेड(Barricade) रास्तों पर टिका कर सारे रास्ते बंद कर दिए गए थे और उनके पीछे पुलिस वाले बंदूक लेकर खड़े हुए थे।

बेलापुर न्यायालय के अंदर काफी देर तक लड़ाई चलती रही पर हुआ वहीं जिसका अतुल को अंदाज था पर वो चाहता नहीं था की वैसा हो। शाम के करीब 7 बजे गोलियों की आवाज कम हो गई और माहौल एकदम से शांत होने लगा। अतुल ने आगे बढ़ कर देखना चाहा कि अचानक से सब कुछ शांत कैसे हो गया। उसने कुछ पुलिस जवानों के साथ बरीकेड पार किया,

“बूमssssss!” और एक बड़े धमाके के साथ बेलापुर न्यायालय हवा में उछल पड़ा और जलता हुआ किसी खाली पुतले की तरह जमीन पर धड़ाम से आ गिरा। धमाका होते ही अतुल अपने जवानों को लेकर बेरिकेड के पीछे भागा,

“सभी लोग कवर लो!” चिल्लाते हुए अतुल अपनी जीप के पीछे जाकर जमीन पर जीप पकड़ कर उखरू बैठ गया, जिस इलाके की उन लोगों ने घेरा बंदी कर रखी थी वो अब आग के हवाले हो गया था, एक गाढ़े धुएं का जैसे स्तम्भ बन गया था जिस तक आग की लपटें भी ना पहुँच पा रही थी। पुलिस के जवान बेरिकेड के पीछे से अब भी बंदूक ताने खड़े हुए थे पर अतुल को उम्मीद नहीं थी की इस धमाके में कोई भी बचा होगा। जीप के पीछे से बाहर निकलते ही उसने सबसे पहले अपना फोन निकाला और एक नंबर डायल किया’

(हैलो फायर ब्रिगैड!)

(बेलापुर न्यायालय के पास अभी अभी एक बम ब्लास्ट हुआ है, जल्दी से अग्निशामक दल को यहाँ पर भेजो!) उधर फोन के दूसरे तरफ से हामी में जवाब आता है।

“अभी रात की शुरुआत ही हुई है और यह हाल है शहर का!” अतुल खुद ही बड़बड़ाया “पता नहीं आज इस सब की आखिरी रात होगी या फिर यहीं सब आगे भी जारी रहेगा।“

अतुल को खुद पर भी गुस्सा आ रहा था क्योंकि वो इस बात को अच्छे से जनता था की ईस्टर्न फैक्शन से असलियत में अन्डरवर्ल्ड लड़ रहा था और बाद में हिमांशु की टीम और जय भी उन लोगों का सामना करने वाले थे। और एक ओर वो खुद था जो अपनी बीवी की भी रक्षा करने में असमर्थ था तो इस शहर की की सुरक्षा कैसे करता! उसे अपनी इस मुश्किल पर बहुत ही बुरा लग रहा था और खुद से भी ज्यादा गुस्सा राजन नागराज पर आ रहा था जिसने किसी पर्सनल खुन्नस में जय को एक बड़ा अपराधी बना दिया था और उसके खिलाफ मौत का फरमान लिए घूम रहा था, राजन को इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता था कि शहर को उसकी जरूरत है! वह केवल अपनी खुन्नस निकालना चाहता था।

धमाके के बाद वहाँ पर काफी हो-हल्ला होने लगा था, आस-पास के लोग जो अपने घर से बाहर भी नहीं निकले थे, डर के मारे उनकी चीखे बाहर तक सुनाई दे रही थी। पुलिस की घेराबंदी के कारण वहाँ रहने वालों की जान नहीं गई थी पर फिर भी कुछ लोग सड़कों पर आकर चिल्ला-चोंच कर रहे थे। कभी पुलिस को बुरा भला कह रहे थे तो कभी किस्मत को कोस रहे थे......

“अरे यार इन लोगों को कोई घर भेजो जरा! अभी कुछ का कुछ हो गया तो लेने के देने पड़ जाएंगे” अतुल ने अपने पास खड़े हुए एक्स्ट्रा पुलिस वालों से लोगों को वापस घर भेजने की बात कही। वो पुलिस वाले तुरंत ही उन लोगों के पास जाकर उन्हें घर जाने के लिए कहने लगे.... जब वो नहीं माने तो उन्हे चिल्ला कर डराया धमकाया पर इसका कुछ असर ही नहीं हुआ उल्टा वो सभी लोग पुलिस पर ही भद्दी-भद्दी गालियों से प्रहार करने लगे। उनमे से के ने बहुत ही बुरी तरह से मुंह बनाते हुए कहा

“तुम साले पुलिस वाले आखिर कर क्या रहे हो? यहाँ पर हमारे घर के घर जल रहे है और तुम हो कि आराम से खड़े हुए देख रहे हो! क्या लाज शर्म बेंच खाई है तुमने, खुद के परिवार की तो बराबर सिक्युरिटी करते हो और जब हम जैसे लोगों की बारी आती है तो पीठ फेर कर खड़े हो जाते हो! अरे थू! ऐसे पुलिस वालों से तो गुंडे ही अच्छे है.......थू है तुम्हारी जिंदगी पर!”

यूं तो अतुल लोगों के मुंह कम ही लगता था पर उस वक्त उस आदमी ने जो कहा था उसे सुन कर वो आग बबूला हो गया था, उसे समझ नहीं आ रहा था कि लोग पुलिस वालों को समझते क्यों नहीं है? और इसी तैश में वो दौड़कर उस आदमी के सामने जा कर खड़ा हो गया। अचानक से अतुल को सामने आता देख वो भी कुछ सकपका गया, अतुल ने गुस्से भरे लहजे में कहा

“हाँ, तुम तो बिल्कुल सही बोल रहे हो, हम से अच्छे तो वो गुंडे ही है न जो घर में घुस कर तुम लोगों के मुंह पर तमाचा मार जाते है। तुम्हारे घर की इज्जत को बाजारों में घसीट कर भार कर दिया करते है....क्योंकि उनके सामने तो तुम जैसे लोगों की घिग्घी बांध जाती है और यहाँ पर आकर तुम पुलिस को उसी के काम की सीख देने लग जाते हो! अगर इतनी आग लगी होती है सीने में तो खुद के परिवार की सुरक्षा खुद ही कर लिया करो! हम लोगों की तो जरूरत है ही नहीं न तुम्हें, तो जाओ और जाकर उन्हीं गुंडों के तलवे चाटो, अपने घर कई इज्जत बदनाम करों। तुम जैसे ही लोगों के कारण हम लोग भी अपना काम ठीक से नहीं कर पाते और तुम आकर हमें ही सारे फसाद की जड़ बताया रहे हो.....शर्म आनी चाहिए तुम सब को” अतुल का गुस्सा फूट पड़ा था जिस में इस कदर सच्चाई भरी हुई थी जितने भी लोग चिल्ला रहे थे उन्हें खुद पर शर्म आने लगी थी, उस आदमी का चेहरा भी झुक गया था जिसने कुछ देर पहले पुलिस के नाम पर थू-थू करी थी। पुलिस का हर जवान जो यह सब सुन रहा था, मन ही मन अतुल को धन्यवाद कर रहा था उनकी आँखें नं हो गई थी पर चेहरे पर अब भी जोश कायम था। अतुल ने भी उन लोगों के झुके सर देख कर गहरी सांस ली और खुद को शांत किया।

“देखिए हम पुलिस वाले भी अपनी पूरी कोशिश कर रहे है कि कल वाला हादसा रीपीट ना हो जबकि सीबीआई तो वो भी नहीं कर रही है। जब से शहर में अपराध तेज हुए है तभी से हम में से कई पुलिस वाले अपने घर तक नहीं गए है केवल इसलिए क्योंकि हमें इस शहर की सुरक्षा करनी है। वहाँ हमारे घर वाले हमारा इंतजार कर रहे है...... और यकीन मानिए! हमारे घरों पर अलग से पुलिस की सुरक्षा नहीं है। इसलिए आप सभी अपनी जान कहते में डाल कर बाहर मत आईए और हमें अपना काम करने दें,..... कम से कम इतना भरोसा तो रखिए हम पर! अब जाइए....”

अतुल की शांत आवाज सुन कर वो सभी अपने अपने घर को वापस लौट गए, उन्हें अपनी गलती का एहसास हो गया था इसलिए अतुल ने भी खुद को संभाला और अपने काम पर वापस लग गया। इतने में अग्निशामक दल भी वहाँ पर आ गया और आग बुझाने का काम शुरू हो गया। अतुल की जेब में अचानक ही वाइब्रैशन हुई तो उसने जल्दी से अपना फोन बाहर निकाला..... जिस पर हिमांशु का काल आया हुआ था!

(हैलो हिमांशु?)

(तू इस वक्त कहाँ पर है?) हिमांशु ने जल्दी से पूछा

(बेलापुर न्यायालय पर हूँ, यहाँ पर अभी अभी एक धमाका हुआ है। बहुत जल्दी में लग रहा है?)

(टीटीसी इन्डस्ट्रीअल एरिया से कितनी दूरी पर है?) हिमांशु ने कुछ सोचते हुए पूछा

(करीब 30-40 किलोमीटर! पर हुआ क्या है?) हिमांशु की आवाज से अतुल समझ गया था कि कुछ बड़ी गड़बड़ हो गई है

(तू पहले मेरे सवाल का जवाब दे!) हिमांशु झुंझलाहट में बोला (टीटीसी इन्डस्ट्रीअल एरिया में आस-पास पुलिस तैनात है क्या?)

(नहीं वह जगह तो बम ब्लास्ट से काफी ज्यादा अलग और दूर है न! इसलिए वहाँ पर कोई भी पुलिस तैनात नहीं है....जितनी भी फोर्स थी वो सब अन्डरवर्ल्ड और ईस्टर्न फैक्शन की जगह-जगह हो रही लड़ाइयों के आस-पास घेराबंदी में लगे हुए है)

यह सुन ने के बाद हिमांशु एकदम चुप ही हो गया, जिस पर अतुल थोड़ा घबरा गया।

(क्या हुआ यार? अब तो बताया दे!)

(याद है कल रात को जय ने कहा था कि ईस्टर्न फैक्शन के लोग उसे पकड़ने के लिए उसके परिवार के ही किसी सदस्य को उठायेंगे!)

(हाँ, कल रात को ही तो टीना और पुनीत ने बताया था)

(हमें लगा था की वो किसी तरह निहारिका और आसुना को किड्नैप करने की कोशिश करेंगे इसलिए हम यहीं पर उन लोगों का इंतजार कर रहे थे!) अतुल ने जैसे ही इतना सुना तो उसे समझ आ गया कि कुछ और ही हो गया है इसलिए हिमांशु चिंता में है।

(क्या वो दोनों ठीक है?) अतुल ने असमंजस में पूछा

(हाँ वो दोनों तो यहीं पर ठीक है पर अभी कुछ देर पहले जय का काल आया था और उसने बताया कि ईस्टर्न फैक्शन के लोगों ने किसी को किड्नैप किया कर लिया है और जय को उन आतंकवादियों ने अकेले टीटीसी इन्डस्ट्रीअल एरिया में बुलाया है, वो तो चल अभी गया है)

(पर अभी तो तुमने कहा कि आसुना और निहारिका ठीक है तो फिर उन लोगों ने किसे किड्नैप किया है?)

(हम तो केवल आसुना और निहारिका को ही जय का परिवार समझ रहे थे और इसी चक्कर में हम सभी नवल को भूल ही गए थे!)

(क्या? यह तुम क्या कह रहे हो?) अतुल को समझ नहीं आया, नवल तो मर चुका था और उसके माता-पिता को भी गुजरे काफी समय हो गया था तो फिर हिमांशु किसके बारे में बात कर रहा है?

(उन्होंने नवल की बीवी को उठाया लिया है!....नित्या सरकार को!)

नित्या की बात आते ही अतुल भी सकते में आ गया क्योंकि नवल की मौत के बाद तो हर कोई यह भूल ही गया था की नवल की बीवी भी तो है! उस पर तो किसी का ध्यान ही नहीं गया और अब इसी लापरवाही के कारण जय उन आतंकवादियों के चंगुल में जा रहा था जिसमे होने वाली दुर्घटना का किसी को भी अंदाजा नहीं था!............. 


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