एक अच्छी सोच समाज का उद्धार कर सकती है। एक अच्छी सोच समाज का उद्धार कर सकती है।
परंतु नियति ऐसी कि पिछले पाँच- छः महीनों से रिद्धिमा का मुझे लगातार साथ मिलता रहा परंतु नियति ऐसी कि पिछले पाँच- छः महीनों से रिद्धिमा का मुझे लगातार साथ मिलता रह...
कुसूर हमारा नहीं, इन आँधियों का है।’ कुसूर हमारा नहीं, इन आँधियों का है।’
कभी माँ का आशिर्वाद तो कभी माँ का अशिर्वाद्र कभी माँ का आशिर्वाद तो कभी माँ का अशिर्वाद्र
ये सोचकर की पाना ही मोहब्बत नहीं अपने प्यार को खुश देखकर खुश होना भी मोहब्बत है। ये सोचकर की पाना ही मोहब्बत नहीं अपने प्यार को खुश देखकर खुश होना भी मोहब्बत है।
सिर को पकड़कर वह स्वंय को संभालने की कोशिश करने लगे । सिर को पकड़कर वह स्वंय को संभालने की कोशिश करने लगे ।