हम ऐसा नहीं करेंगे क्योंकि मैं जानती हूँ, माँ के समर्पण की गहराई व अपने सपनों की ऊँचाई को। हम ऐसा नहीं करेंगे क्योंकि मैं जानती हूँ, माँ के समर्पण की गहराई व अपने सपनों की...
परंतु नियति ऐसी कि पिछले पाँच- छः महीनों से रिद्धिमा का मुझे लगातार साथ मिलता रहा परंतु नियति ऐसी कि पिछले पाँच- छः महीनों से रिद्धिमा का मुझे लगातार साथ मिलता रह...
। सुहाना को माँ मिल गई और अदिति को नई जिंदगी। । सुहाना को माँ मिल गई और अदिति को नई जिंदगी।
कैसे की लोग ऊंचाइयों पर पहुंचकर कैसे भूल जाते हैं अपनो को ? कैसे की लोग ऊंचाइयों पर पहुंचकर कैसे भूल जाते हैं अपनो को ?
आख़िर और भी काम हैं ज़माने में मोहब्बत के सिवा। आख़िर और भी काम हैं ज़माने में मोहब्बत के सिवा।