ऊंचाई पर पहुंचने पर घमंड कैसा
ऊंचाई पर पहुंचने पर घमंड कैसा
क्लास के लंच से पहले के लेक्चर खत्म हो गए
घंटी बजते ही मैं अपना लंच लेकर ग्राउंड में पहुंच गई
आरव बहा बैठा मेरा इंतजार कर रहा था
मैं हर रोज उसके लिए खाना लाती थी मां नही थी उसकी
हम रोजाना जल्दी से खाना खा कर पढ़ने की लिए चले जाते थे लंच के बाद केमिस्ट्री के सर का लेक्चर होता था हैं दोनो डेली उनका लेक्चर छोड़ते थे क्योंकि मुझे आरव को पढ़ाना होता था उसका एग्जाम होने बाला था हैं १२ क्लास में थे उसके बाद उसे बीटेक करना था उसके पापा ने कहा था की गवर्नमेंट कॉलेज में नंबर लाना है पर उसे मैथ बिलकुल नहीं आता था इसलिए मैं उसे मैथ पढ़ाती थीं और फिजिक्स । उसके पापा बहुत डेंजर थे अगर उसका नंबर नहीं आता तो न जाने क्या करते उसके साथ।
उसे केमिस्ट्री अच्छे से आती थीं
मैं हर रोज उसे मैथ पढ़ाती थी , थोड़ी हम बातें करते थे और अगले लेक्चर में पढ़ने चले जाया करते थे।
ऐसे ही वक्त बीतता चला गया और आज उसका एग्जाम था बो मुझसे मिलने आया था मैने उसे बेस्ट ऑफ़ लक बोला और कहा अच्छे से करना।
एग्जाम के कुछ दिनों बाद उसका रिजल्ट आया । और उसे गवर्नमेंट कॉलेज मिल गया।
उसके पापा बहुत खुश थे क्योंकि उन्हें उससे उम्मीद ही नही थी की उसे सरकारी कॉलेज मिल जायेगा ।
बो बीटेक करने चला गया।
कुछ दिनों तक उसकी कॉल मुझे आते थे फिर उसने मुझे कॉल्स करना मैसेज करना सब कुछ बंद कर दिया था ।
मैने भी नही किए मुझे लगा बो अपनी स्टडी में बिजी हो गया है तो उसे अपनी स्टडी करने दो।
मैं भी अपनी स्टडी में बिजी हो गई।
जब हम १२ में साथ में स्टडी करते थे तो बो कभी भी मेरा बर्थडे नहीं भूला था।
और आज मैं उसकी कॉल का इंतजार करते थक गई ना कॉल ना ही मैसेज कुछ नही आया बो शायद मुझे भूल गया था, पर मेरा दिल इस बात को मानने के लिए तैयार नहीं था की बो मुझे भूल सकता है।
उसका बीटेक कंपलीट हुआ और तब तक मैने उसे डिस्टर्ब नहीं किया । बीटेक करने के बाद उसका सलेक्शन हुआ बाहर जाने के लिए उससे पहले बो अपने घर आया मैं बहुत खुश होकर उससे मिलने पहुंची
मैने एक बड़ी सी स्माइल के साथ हाय आरू बोला क्योंकि मैं उसे आरु बोलती थी
उसने मेरी तरफ देखा और ऐसे हाय की जैसे शांत किसी अनजान इंसान से करते हैं
एम सॉरी, कौन !
मेरे पैरो तले जैसे जमीन खिसक गई हो
यकीन नहीं हो रहा था की आरव इतना बदल गया
मैं बिना कुछ कहे बहा से चली आई और रास्ते भर मन में यही आता रहा की
ऊंचाई पर पहुंचने के बाद लोग भूल क्यों जाते है
क्या ऊंचाई अपनो से बड़ी होती है जो लोग बहा पहुंचे
और अपने उनको दिखना बंद हो जाते है
कैसे भूल जाते है लोग ।
इस सवाल का जवाब जिंदगी भर नही मिला
मिलता भी कैसे मैं जो नहीं भूली किसी को तो जवाब मिलता भी कैसे की लोग ऊंचाइयों पर पहुंचकर कैसे भूल जाते हैं
अपनों को ?
