रहस्यमई जंगल
रहस्यमई जंगल
पापा की पोस्टिंग होती रहती थी तो हमारा घर भी चेंज होता रहता था। इस बार हमारे घर के चारो ओर जंगल ही जंगल था बस छः, सात घर थे।।पापा रात को छत पर जाने को मना करते थे मैं और मेरा भाई कोई भी सात बजे के बाद छत पर नही जाता था। मैंने आज सोचा था की जब मम्मी और पापा सो जायेंगे तो आज मैं छत पर जाऊंगी,मैं देखना चाहती थी ऐसा क्या था ?
मैं धीरे धीरे छत पर गई और मैंने देखा हमारे घर के पीछे साइड वाले जंगल में एक दम रौशनी हो गई,गिरे हुए पेड़ दरवाजे की तरह एक एक करके खड़े होने लगे आधे झुके हुए।
अचानक से अलग अलग तरह की रौशनी होने लगी कितना खूबसूरत दृश्य था वो आज मैंने पहली बार देखा था ऐसा और मै पाइप से उतर कर उस जंगल की साइड जाने लगी मैंने जैसे ही एक कदम अंदर की ओर रखा ऐसा लगा मुझे जैसे पहला पेड़ मेरे ऊपर गिर गया मैंने डरकर आखें बंद करली,,और कुछ टाइम बाद देखा तो मैं उस जंगल के अंदर चली गई आंखें खुली तो मेरे सामने एक बहुत ही खूबसूरत लड़का खड़ा था।मैं उसे देखती रह गई मैंने आज तक उसके जैसा लड़का नहीं देखा था इतना खूबसूरत था।
मैं उसे देखती रही और वो भी मुझे अपनी गोद में ही उठाए पड़ा था।।तुमने यहां आने की गुस्ताकी कैसे की डर नहीं लगा। मैंने उसकी ही तरफ देखते हुए ना में सर हिला दिया। वो मुझे बहुत पसन्द आ गया था और मैं भी उसको। वो इस दुनिया का नही था।।उसने मुझे नीचे उतारा तो मुझे याद आया की मैं घर पर नही हूं। मैं दौड़कर आने लगी की उसने मुझे आवाज दी, सुनो तुम्हारा नाम क्या है ? जैस्मिन
कल को भी मैं तुम्हारा इंतज़ार करूंगा आना ज़रूर।
और मैं चुप चाप रूम में आकर लेट गई।मैं बहुत खुश थी की मैं उस रहस्यमई जंगल का रहस्य जान पाई और उसका राजा मेरे आने का इंतेजार करेगा।।और फिर मैं हर रोज उससे मिलने जाती जब सब सो जाते थे, मुझे भी रात होने का इंतजार रहता था और उसे भी।
और ये रहस्य एक रहस्य ही रहा किसी को भी नहीं पता चला ना ही उस जंगल के बारे में और न हमारे बारे में।


