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HARSH GAJJAR

Horror Thriller

4.1  

HARSH GAJJAR

Horror Thriller

स्लीपिंग डेड

स्लीपिंग डेड

18 mins
8.8K


प्रस्तावना:-


ये कहानी अमित नामक युवक की है जो कि फिलहाल शिमला अपनी वर्किंग ट्रिप पे गया है। वहा वो अपनी टीम के साथ EXPLORING SHIMLA नामक प्रोजेक्ट मे एक फोटोग्राफर के रूप मे दिखाया गया है। और फिर अपनी ट्रिप से लौट कर अपने 3 दोस्तों को एक एसी घटना के बारे मे सुनाता हे जेसी ना तो अभी तक आपने सुनी होगी ना तो कभी एसा सोचा होगा। तो चलिए देखते हे अमित के साथ क्या हुआ और आशा करता हू की आप सब लोगों को ये कहानी Sleeping dead पसंद आए। 

 


किरदारों के नाम और उनके बारे मे थोडी जानकारी:-


राजीव पंडित 

राजीव बड़ा ही होशियार और चतुर है।पैदाइश एक पंडित के घर मे हुई है और काशी का रहने वाला होने के कारण काफी कुछ वेदों का भी ज्ञान रखता है।। हमारी कहानी मे वो एक तकरीबन 30 वर्ष की आयु का किरदार निभा रहा है और कोई कारण उसकी पत्नी की मौत हो चुकी है और अभी वो एक IT कंपनी मे काम कर रहा है जो कि मुंबई और पुणे मे है। 


अमित मिश्रा 

अमित एक खुश मिजाज बंदा है। उसे फोटोग्राफी मे बड़ी दिलचस्पी हे और उसी दिलचस्पी को लेके उसने एक वीडियो मेगेजीन मे काम करना शुरू किया है। उसकी एक गर्लफ्रेंड है और अभी राजीव के साथ ही रूम पार्टनर के तोर पे रेहता है। 


विनय शर्मा 

विनय एक साधारण सा व्यक्तित्व रखता है। शांत पर थोड़ा डरपोक और सचेत छोटी-छोटी बातों पे गोर करना उसक स्वभाव है। वो राजीव के क्लास में था और राजीव के नीचे वाली रूम मे अपने माता पिता के साथ रेहता है और वो एक बाल ब्रह्मचारी है। 


सुरेश सिंह 

सुरेश एक मस्तमौला इंसान है जो पार्टी और मस्ती मे मानने वालो मे से है। जिस की एक गर्लफ्रेंड हे और वो अमित, राजीव और विनय का कॉमन दोस्त है। अभी वो अपने पिता के बिजनेस मे उनका हाथ बटा रहा है।  

सुभाष रॉय 

रॉय उसी कंपनी मे टीम लीडर हे जिस मे अमित काम करता है। वो अमित का कॉलेज मे सीनियर भी रे चुका हे और दोनों काफी अच्छे दोस्त है। वो अपनी assistant रुचि से प्यार करता हे. 


रुचिता पाटिल 

रुचि रॉय की assistant है और रॉय से प्रेम करती है।  

जेनी शाह 

जेनी अमित की गर्लफ्रेंड हे और उसी मेगेजीन कंपनी मे मॉडल के तोर पे काम करती है। 


सुनील मराठा 

सुनील मेगेजीन कंपनी मे टीम मेंबर के तोर पे काम करता है। 


अनुज यादव 

अनुज मेगेजीन कंपनी मे टीम मेंबर के तोर पे काम करता है।


अमित का स्वागत 

प्लॉट :- Mumbai domestic airport 


21 फरवरी 2020

राजीव को फोन आता....हे 


राजीव:- हेल्लो। 


अमित :- राजीव केसे हो मेरे भाई? 


राजीव :- All good, तुम कैसे हो और ट्रिप कैसी बीत

रही है ? 


अमित :- इतनी अच्छी के वापिस आने का मन ही नहीं है।


राजीव :- तो क्या डिसाइड किया वहीं सैटल होने का? 


अमित :- ना ना मेरे इन अनमोल दोस्तों को थोड़ी छोड़

सकता हू।सून राजीव आज लेने आ रहे हो ना मुझे एयरपोर्ट पर? 


राजीव :- तु तो कल आने वाला था फिर आज? 


अमित :- कल नहीं भाई मे आज ही आने वाला हू मैने फ़्लाइट डिटेल्स सेंड कर दी हे भाई आ जाना। 


राजीव :- तेरे लिए कुछ भी टेंशन मत ले हम टाइम पे पहुंच जाएंगे। 


राजीव :- विनय जा के देख आ तो भाई कहीं अमित की फ़्लाइट लेन्ड तो नहीं हो गई ना। 


सुरेश :- हाँ हाँ जा के देख वेसे भी देरी आप की वजह से ही हुई है। 


विनय :- तुम्हारा क्या मतलब है कि हम मेरी वजह से देरी से पहुँचे है 

और वो जो तुम ने बियर लेने के लिए गाड़ी रोकी उसका क्या? 


राजीव :- अरे अरे रुको रुको भाई अब ये लड़ाई बंध करो मे देख के आता हू।तुम लोग बस यहा ध्यान रखो।


और उसी वक़्त पीछे से एक भारी आवाज मे "are you guys looking for anyone? 

जेसे ही राजीव और सुरेश पीछे घूमे तो वो अंजान आवाज अमित की थी।


सुरेश :- ओहो मेरा भाई आ गया ....


राजीव विनय की पीठ पर हल्के से मार के बोलता है। 


राजीव :- ओह Mr.गुरुजी अमित यहा है…. 


विनय :- अमित केसे हो मेरे भाई सब कुशल मंगल ?


अमित :-Completely fit and fine, hey hey by the way आज राजीव ,पार्टी एनिमल और गुरुजी दोनों के साथ ... 


राजीव :- हाँ हाँ हाँ yes but now lets go, Mr. पार्टी एनिमल ने तेरे लिए वेलकम पार्टी का आयोजन किया है। 


वे निकास द्वार के लिए जाने लगते लेकिन उसी वक़्त विनय ने अनाउन्समेन्ट स्क्रीन को देखा। 


Flight no:- 9I-9714 Chandigarh to Mumbai is been delayed for 30 min


विनय :- अमित इस स्क्रीन मे तो दिखा रहे हे की

तुम्हारी फ़्लाइट 30 मिनट देरी से आने वाली है।


सुरेश :- छोड़ ना भाई वो सिस्टम हे विनय, नहीं अपडेट नहीं हुई होगी .....हाँ हाँ हाँ 


विनय :- Not so funny ok 


राजीव :- विनय छोड़ ना यार आज टेंशन नहीं ग्लास उठाने का दिन है। 


उन्होंने विनय पर कोई ध्यान नहीं दिया और कुछ ही समय में वे पार्किंग में पहुंच गए। 


राजीव ने ड्राइविंग सीट लेलि बगल में विनय और पीछे अमित और सुरेश बेढ गए।



रूम नंबर 777

प्लॉट :- राजीव की कार


सुरेश :- Hey Amit so how was your trip....?खास कर वो स्पेशल रिसोर्ट में मज़ा आया? 


अमित :- मत पूछ मेरे भाई ट्रिप तो एक दम मस्त थी और वहा का atmosphere it was too good यार।

पर यार वहा एक एसी वारदात हुई के हम सब लोग अभी भी विचलित हे कि वो सपना हे कि हक़ीक़त।


विनय :- क्यू क्या हुआ था ? 


सुरेश :- हाँ भाई बोल ना क्या हुआ था? 


अमित :- तो तुम लोगों को मालूम ही होगा हम लोग 

 16 फरवरी को निकले थे। 

मुंबई से चंडीगढ़ तक और चंडीगढ़ में रात रुकने के बाद हम लोग 17 फरवरी को शिमला के लिए रवाना हुऐ और दुपहर ही हम लोगों शिमला की हसीन वादियों में थे।पूरी टीम खुश थी सब लोग बस अपनी सारी परेशानियों को भूल कर बस उस माहौल मे घुल मिल गए थे, पर जब हम रिसोर्ट पे पहुचे ये खुशी निराशा मे तब्दील हो गई। हमे बताया गया की रिज़ॉर्ट को एक आंतरिक कारण की वजाह से बंद कर दिया गया हे।ये सुनते ही पूरी टीम का माहौल उदासी मे तब्दील हो गया।क्यूँ की ये वहीं रिसोर्ट हे जिस मे हमे हमारी शूटिंग करनी थी और EXPLORING SHIMLA का ओपनिंग ही यहा से था।हम ने कारण पूछने की कोशिश की, लेकिन कुछ भी नहीं हुआ रिसोर्ट के मेनेजमेंट ने पास ही की एक होटल में सभी गेस्ट के लिए रहने की व्यवस्था की और उन्होंने हमें 1 दिन के लिए रिसॉर्ट देने और EXPLORING SHIMLA के हमारे प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए अनुमती दी। 


सरेश :- ह्म्म्म्म इंट्रेस्टिंग कोई भी कारण नहीं? फिर क्या हुआ? 


अमित :-.तो उस दिन हम लोग नजदीक मे घूमे और आराम किया फिर अगले दिन हम एक साइटसीन किया और EXPLORING SHIMLA के प्रोजेक्ट का काम को चालू किया। फिर 2 दिन हम लोगों ने माउंटेन और वेली की फोटो शूट और फिल्ममिंग की पर जो घटना के बारे मे तुम लोगों को बता रहा हूँ वो अगले दिन हमारा आखिरी दिन जब हम रिसोर्ट की शूटिंग करने गई वहा हुई।


विनय :- एसा क्या हुआ था अमित वहा की तुम लोग इतनी परेशान हो?


अमित: - यह वह दिन था जब हमने रिसॉर्ट पेरेडाइस में checkin किया था। 


राजिव:-ओह धरती पर स्वर्ग! 

अमित:- हाँ वो जन्नत जैसा ही था। 

उसके लिए कोई भी शब्द नही। चारो तरफ पेड़ों और आनंदमय वातावरण से आच्छादित हैं। गिली रेत की खुश्बू उस हवा मे बिखरी हुई थी एक शांति का अनुभव कर रहे थे हम लोग।


विनय:- सही मे स्वर्ग जैसा ही है.... 


अमित:- कभी कभी ये अच्छी दिखने वाली चीज़ें भी भयानक होती है।

वहा शांति थी पर जितनी अच्छी लग रही थी उतनी ही वो डरावनी थी। 

उस शांति को समजने मे मैंने भी गलती की। 


(पिछली रात को याद करते हुए)

 हमारी पूरी टीम रिसोर्ट के गार्डन मे बैठी हुई थी और रॉय सभी रूम की चाबी और अलॉटमेंट लिस्ट लेकर आए। 


रॉय:- तो यहाँ कमरे की चाबियाँ और अलॉटमेंट लिस्ट हैं। तो हमारे पास 3 ट्री हॉउस है।

तो सबसे पहले 

सुनील और अनुज के लिए कमरा नंबर 505,

कमरा नंबर 506 अमित और जेनी के लिए है 

और यहाँ ट्री हाउस आता है नंबर 777, मेरे और रूचि के लिए और ये हमारी चाबी है। 

Guys लंच के लिए 2 घंटे में मिलेंगे और vally के पास लास्ट सीन के लिए निकलेंगे ठीक है। 


 जेनी:- ok रॉय, अमित चले अपने कमरें मे? I am so much tired now please मेरा बैग लेलो ना please. 


 अमित:- ठीक हे मैडम जी..... Hay सुनो जेनी Don't you think so के रॉय और रूचि के बीच मे कोई चक्कर चल रहा है? 


 जेनी :- कैसा चक्कर? 


 अमित :- जेसा मेरे और आप के बीच मे हे मैडम जी.... 


जेनी:- हमारे बीच जैसा है और इसके बारे में कोई नहीं जानता वेसे ही ना ... 


 अमित: - चाहो तो एसा मान सकती हो कि किसी को पता नहीं ....।


 जेनी: - हा हा हा मेरे स्वीटी


अब हम सबने अपने - अपने कमरे में प्रवेश किया और

यह सामान्य कमरों की तरह सरल था, लेकिन रॉय और रूचि के कमरे की हालत बहुत खराब थी सारी चीजें इधर उधर फैली पडी थी जेसे कोई बच्चा खेल के गया हो। 


रुचि :- रॉय मुझे लगता हे कि अब हमारे relationship के बारे मे सब को बता देना चाहिए। 


रॉय :- हां हां हां, क्यों नहीं और आज की रात सबसे अछा वक़्त है इस बात को रख ने के लिए 

तो आज एक काम करते हे रात को हमारे रूम के नीचे बोनफायर का प्रोग्राम Arrange करेंगे और और उसी वक़्त सब को बता भी देंगे ... । 


रूचि :- या so romantic a bonfire i love you roy


रॉय :- love you too so देखो रूम नंबर 777 हम पहुंच गए। 


रूचि :- yes, wow its beautiful roy. 


रॉय :- yessss और देखो यहा एक छोटा सा झुला भी हे जैसा तुमको पसंद हे।


रुचि :- हाँ अच्छा हे देखते हैं रूम मे क्या है? 

जैसे ही दरवाजा खोला और लाइट चालू की...


रूचि :- what the hell? 


रॉय :- fuck


रुचि :- yes what the fuck is it ये रूम तो पूरी तरह बिखरा पडा है।


रॉय :- हाँ इतनी बड़ी रिसोर्ट मे इतनी लापरवाही रुको अभी रिसेप्शन पे कॉल करता हू।


रिसेप्शन :- Yes sir


 रॉय :- hello मे रूम नंबर 777 से बात कर रहा हूं आप Please जरा आके चेक कीजिए रूम की हालत बहुत खराब है।


रिसेप्शन :- sorry sir for that मे अभी रूम सर्विस भेजता हू। 


रॉय :- ठीक हे पर थोड़ी जल्दी भेज ना।Dear वो लोग आ रहे हे।


रुचि :- ठीक है। 


"knock - knock"


रूम सर्विस:- सर 


रॉय :- see they came बहोत जल्दी आ गई।


रूम सर्विस :- sir you have called for the room servise?


रॉय :- yes please in.


रूम सर्विस :- ok sir please can you hand over your room for a while?


रॉय :- हा प्लीज 


कुछ ही पल में वे काम पूरा कर लौट गए।रॉय ने दरवाजा बंद किया ।

2 घंटे के बाद पूरी टीम लंच के लिए डाइनिंग में जमा हुई। 


राजीव :- अमित गन्दे कमरे का मुद्दा हर दूसरे रिसॉर्ट्स के साथ है कुछ भी नया नहीं तो उसमे स्पेशल क्या हुआ? 


अमित :- हाँ पर उसके बाद जो हुआ वो चौंकाने वाला था।

पूरा दिन तो आम दिनों की तरह ही था पर जब वापिस रिसोर्ट पे पहुँचे तब... 

(याद करते हुए ) 


रॉय :- so gyus आज के दिन के साथ ही हमरी ट्रिप भी इधर खत्म होती हे और कल हम लोग वापिस मुंबई के लिए रवाना होंगे।

आशा हे कि आप सब को मज़ा आया होगा. 


अमित :- हाँ बहुत और रॉय आशा हे कि आपको हमारा काम पसंद आया होगा। 


जेनी :- हाँ। 


सुनील :- (अनुज के कान मे) कहा, रुचि मैडम मे से फुर्सत मिले तब ना। 


अनुज :- shhhh शांति रख सुन लेगा कोई।


सुनील :- सुन ने दे ना आज मोका मिला हे बोल ने दे।


अमित :- shhhh सुनील मुझे सुनाई दे रहा हे शांति

रख ।


सुनील :- (हस्ते हुए) ठीक है सर ।


रॉय :- So guys मैं ने रात के खाने के बाद एक बॉनफायर का प्रोग्राम arrange किया है तो सब लोग फ्रेस हो जाओ और डिनर के बाद हमारे ट्री हाउस के नीचे फुल enjoyment और फिर एक स्पेशल suprise हे आप लोगों के लिए । 


अनुज :- बोनफायर मजा आयेगा sir 


अब हम लोग कमरे के लिए रवाना हुए, 

रॉय और रूची भी निकले रूम के लिए पर रुचि के चेहरे पे साफ साफ दिख रहा था कि वो कितनी खुश थी वह मुस्कुरा रही थी क्यों नहीं आज वे उनके बारे में सच बताने जा रहे थे और रॉय उसे हर एक के सामने स्वीकार करने वाला था जिन पर वो सबसे अधिक भरोसा करता था। 

"लेकिन जेसे ही रुचि ने दरवाजा खोला और रूम मे देखा वो चौंक गई और जोर से चिल्लाइ "रॉयययययय... " 


इधर कार मे जेसे ही अमित चिल्लाया राजीव ने कार का कंट्रोल खो दिया, बड़ी कोशिश के बावजूद वो कार को कंट्रोल नहीं कर पा रहा था उसी दौरान सामने उसने एक ट्रक को देखा और फटाक से उसने स्टीयरिंग घुमाया और सीधे सीधे गाड़ी रोड से उतर के पास वाले एक खेत मे चली गई और बढ़ी मुस्किल से राजीव ने ब्रेक लगाई और कार रुकी।



रूम सर्विस 

प्लॉट :- राजीव और अमित के घर पे. 


राजीव, सुरेश और विनय डर के मारे कार से उतर गये पर अमित अंदर ही बैठा रहा। 


राजीव :- भाई तुम लोग ठीक तो हो?


सुरेस :- हाँ मे तो ठीक हू और तू विनय?


विनय :- हा मुझे भी कुछ नही हुआ पर अमित कहा हे?


सुरेश :- (चिल्लाते हुए ) अमित अमित.. 


विनय :- अरे वो तो अभी भी कार मे ही हे। 


राजीव :- (कार का दरवाजा खोला) अरे अमित क्या

हुआ तू ठीक तो हे ना? आ बाहर आ। 


अमित :- रिलेक्स भाई मुझे कुछ नहीं हुआ देखो एकदम ठीक हू। 


विनय :- वाह भाई तुझे डर भी नहीं लगा? 


अमित :- (धीमी आवाज में हस्ते हुए ) मृत्युः पश्चात् कः भयम्?


सुरेश :- (शॉक मे आके) भाई तू क्या बोल रहा हे?


अमित :- अरे कुछ नहीं भाई वो छोड़ तुम लोगों तो कुछ नहीं हुआ ना?


राजीव :- नहीं नहीं हम ठीक हे चलो भूलो य़े बाते और पेले घर पहुँच जाते हैं फिर सारी बाते। 


और राजीव ने वापीस कार चालू की और वो लोग अमित के घर पहुँच गए। 


सुरेश :- बस पहुँच गए अब कुछ अच्छा लगा। 


विनय :- हाँ राजीव ने खतरनाक तरीके से गाड़ी मोडी। 


अमित :- हाँ बच गए। 


विनय :- पर अमित तुने वो बोला क्या था? संस्कृत में?


अमित :- कुछ नहीं। 


राजीव :- वो छोड़ मेने खाना मंगवा लिया है तुम लोग

फ्रेश हो जाओ। 


थोड़ी देर मे सब लोग फ्रेश होके हॉल मे वापिस इकठ्ठा होते है। 


सुरेश :- अमित जब तक खाना नहीं आ जाता तब तक आगे बता रुचि ने रूम मे क्या देखा?


अमित :- जेसे ही रुचि ने रूम खोला तो उसने देखा कि कमरा वापिस बिखरा पड़ा था। 


राजीव :- मतलब बिखरे हुए कमरे को देख के वो इतना चिल्लाए और हम लोग यहा स्वर्ग मे पहुँच जाते। 


सुरेश :- फिर क्या हुआ? 

(याद करते हुए )


 रुचि :- रॉय रिसेप्शन पे कॉल करो एंड उनको बोलो के मैनेजर को लेकर आए .......


 रॉय :- हाँ रुको। हैलो। 


रिसेप्शन :- Yes sir 


 रॉय :- Please send मैनेजर in room number 777


रिसेप्शन ::-Ok sir


"knock - knock"


मैनेजर :- Sir आप ने बुलाया?


रॉय :- Yess ये देखो जब पहले हम लोगों ने चेक ईन किया तब भी कमरा एसा था रूम सर्विस के पास साफ करवाया और देखो वापिस जब हम लोग आए तब भी वहीं हाल हे।


मैनेजर :- sorry sir पर आप ने किस रूम सर्विस के पास रूम साफ करवाया था?


रॉय :- पता नहीं पर रिसेप्शन मे से भेजे थे क्यू?


मैनेजर :- sorry sir मे अभी रूम साफ करवा देता हू और अगली बार इस प्रकार की गलती नहीं होगीं उसका ख्याल मैं खुद रखूँगा। 


रुचि :- No please अब हमें ये कमरा चाहिए ही नहीं आप हमे दूसरा कमरा दे दीजिए। 


मैनेजर :- ठीक हे मैडम मै चेक करके रूम सर्विस के

साथ चाबी भेज देता हू। पर उस मे थोडा समय लग सकता है तो एक काम किजिए आप डिनर कम्प्लीट करके काउन्टर से चाबी कलेक्ट कि लिजिए और एक लड़का भी साथ मे ही आ जायेगा,क्या ये उचित रहेगा आप लोगों के लिए? 


रुचि :- ठीक है। 

मैनेजर चले जाते हे वहा से और थोड़ी ही देर मे सभी लोग डिनर के लिए मिलते हे। 


अमित :- लो आ गई हमारे रोमियो और जूलियट। 


जेनी :- अमित एसा मत बोलो। 


अमित :- ठीक है मैडम...


जेनी :- रुचि क्या हुआ तुम्हारा मूड ऑफ है?


अनुज :- सर ने कुछ बोला होगा।


सुशील :- क्या हुआ सर?


फिर रॉय ने सारी घटना हम सब को बताई। 


अमित :- ओह मतलब इतना सब कुछ हो गया। 


जेनी :- don't worry एक ही रात तो बाकी हे और वेसे भी रूम चेंज करने वाले हो तो किस बात की फ़िक्। 


रुचि :- हाँ , चलो बहुत भूक लगी है। 


रॉय :- हाँ हाँ चलो। 


फिर डिनर कम्प्लीट करके जेसे ही रुचि और रॉय रिसेप्शन के पास चाबी लेने गए


रुचि :- hii मैनेजर सर ने कोई चाबी देने केलिए बोला हे रूम नंबर 777 मे?


रिसेप्शन :- नहीं मैडम अभी तक एसी कोई चाबी के बारे मे बोला नहीं हे, पर मे अभी ही सर को कॉल कर के पूछ लेता हू और चाबी 777 मे भेज देता हू। 


रॉय :- ok रुचि चलो देर हो रही हे वो लोग इंतजार कर रहे है। 


रुचि :- ठीक है चलो। 

फिर हम लोग उनके रूम नंबर 777 के नीचे बेठे हुए थे और बोन फायर का मजा ले रहे थे।


जेनी :- सच मे इस ट्रिप मे मजा आ गया। 


सुशील :- सही मे काम भी समय से खत्म हो गया और घूमना भी हो गया। 


अमित :- रॉय तुम कोई surprise की बात कर रहे थे। 

रॉय :- हाँ तो दोस्तों जेसे की आज तकरीबन पूरे तीन साल हो चुके हैं हमारी टीम और तुम लोग मुझसे सब से क़रीबी लोगों मेसे हो। और अमित already मेरा जूनियर रह चुका है कॉलेज मे और आप सभी लोग भी मेरे दिल के करीब है। 


जेनी :- so sweet of you Roy. 


रॉय :- पर आज जो मे खुश खबरी देने वाला हु वो उस के लिए हे जो मेरे दिल मे मेरी सासों मे और तो और मेरी रूह में बसी हे। 

(रॉय ने रुचि के हाथ पकड़े और उसे खड़ी कर के उसकी आंखों में आंखें डाल के बोला)

और वो और कोई नहीं तुम हो रुचि और आज सब के सामने पूछता हू की क्या तुम रूचिता सौरभ रॉय बानोगी...? 


रुचि :- हाँ हाँ हाँ 


रॉय :- i love you


रुचि :- i love you too

जेसे ही मे बोलने जा ही रहा था कि वहा पे रूम सर्विस वाला आ गया। 


रूम सर्विस :-( बड़े ही अजीब अंदाज मे) आपकी चाबी। 


रॉय :- लो चाबी भी आ गई तो कौनसा रूम नंबर हे नया वाला? 


रूम सर्विस :- रूम नंबर 509


रॉय :- लो आप लोगों के करीब आ गए। 


रुचि :- सुनो आप लोगों को ये रूम सर्विस वाला थोड़ा अजीब नहीं लग रहा है? 


जेनी :- हाँ बहुत अजीब है। 


रॉय :- हमे कहा उस के साथ पूरी रात बितानी हे अभी सामन रख के चला जायगा। 

रॉय और रूचि ने रूम चेंज कर दिया अखिर मे रुचि ने पूरी रूम को देख के सुनिश्चित किया के कोई वस्तु छूट तो नहीं गई 

और सब ok कर के वे रूम नंबर 509 के लिये निकल गए।

 


रुचि 777 मे

प्लॉट :- राजीव और अमित का घर


अब वो लोग रूम नंबर 509 मे थे


रॉय :- चलो अखिर कर एक अच्छा रूम और एक बड़ी ही अच्छी रूम पार्टनर मिल गई। 


रूचि :- (हस्ते हुए) हा पर अब जाओ नहाने। 


रॉय नहाने चल जाता हे और समय तकरीबन रात के 11:50 होता हे।रुचि अपने कपड़े बेग मे से निकालते समय देखती हे कि उसकी मेक अप कीट 777 मे ही रह गई हैं। 


रुचि :- अरे यार मेक अप कीट वहीं रह गई.... सुनो रॉय मे 777 मे जाके मेक अप कीट लेके आती हू। 


रॉय :- ठीक है। 


जेसे ही रुचि निकल रही थी तो देखा 777 की चाबी रूम सर्विस वहीं भूल गया हे और फिर वो चाबी ले के 777 के लिए निकल जाती है। 



अमित की मौत 

प्लॉट :- राजीव और अमित के घर पे


राजीव के फोन की रिंग बजती है 


राजीव :- हा सर, ठीक है आप मेल कर दीजिए मे देख लेता हू।


अमित :- क्या हुआ राजीव?


राजीव :- अरे कुछ नहीं यार बॉस का फोन था एक ऑनलाइन ट्यूशन क्लास वाले के प्रोग्राम मे कोई प्रॉब्लम आ गया है तो एक काम करो तुम लोग कन्टीन्यु करो मे आया। 


विनय:- ठीक है पर जल्दी आना। 


सुरेश :- फिर क्या हुआ?


अमित :- पूरे दिन की थकावट दूर करने केलिए सबसे

अच्छा उपाय हे के बेड पे आराम से आँख बंध करनी और गाने सुनना। बस फिर क्या था हेडफोन लिए और गाने सुने लगा।

कब उस थकान के मारे आँख लग गई पता ही नहीं चला। 

पर फिर अचानक से पूरे बदन मे अजीब सा दर्द होने लगा जेसे कोई मेरे बदन के टुकड़े कर रहा है और दर्द के कारण मेरी आँखों खुल गई और देखा तो चारो ओर अंधेरा और मेरे एक दम सामने जेसै कोई हुस्न की परी खड़ी हो इतने अंधेरे मे भी जेसे कोई जलता दिया हो।गौरा रंग, सुनहरे बाल और उन बलों ने पुर चेहरा ढका हुआ मानो जेसे कोई स्वर्ग की अप्सरा।इतने दर्द मे एक धीमी आवाज मे "कौने हो आप? " मैं ने पूछा पर कोई जबाव नहीं आया मैंने सोचा "लगता है उसे सुनाई नहीं दिया" और थोड़ी और जोर से बोल ने का प्रयास किया पर अब मे धीरे धीरे अपने बिस्तर से उतरा और करीब जाके पूछा "कौन हो आप? और पूछा "क्या मे आप का चेहरा देख सकता हू" और वो धीरे से मेरी तरफ बढ़ी और अचानक से एक हवा का जोखा आया और उसे देखा एक दम मेरे सामने इतना भयानक चेहरा इतना डर गया कि कुछ बोल ही नहीं सका और वो अचानक से दिखना बंध हो गई। मैं " बचाव बचाव कोई है बचाव" चिल्ला ही रहा था कि मेरे 

कान मे "मुझे नहीं पहचाना अमित? " ऐसा सुनाई प़डा और मे डर के मारे भागना चाहता था पर भाग नहीं पाता जेसे किसीने मुझे पकड़ लिया हो एक ओर मे "बचाव मुझे कोई, छोड़ दो मुझे प्लीज जाने दो मेने तुम्हारा क्या बिगाड़ा हे " ऐसा चिल्ला रहा था कि अचानक वो मेरे सामने आ गई और बोली "मेंने भी उसका कुछ नहीं बिगाड़ था आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ " चिल्लाते बोली और मुझे मेरे बलों से खींच के बिस्तर पे लेटा दिया और अपने नाखून से मेरे गले को चीरने लगी। 

मै चिल्लाया रोया "मुझे छोड़ दो कोई बचाव पर कोई नहीं आया और फिर......... 


सुरेश:- और फिर क्या हुआ? 



अमित :- (एक छोटी सी मुस्कान देते हुए) मैं मर गया।


विनय :- (जोर से हस्ते हुए) मर गया क्या बात हें कहानी बहुत अच्छी है भाई। 


सुरेश :- अबे झूठे सुबह से हम ही लोग मिले थे। 

(सुरेश का फोन बजता हे) 

रुक रुक राजीव हे बात कर लेता हूं। 

हैलो राजीव कहा हे भाई कब आ रहा है? 


राजीव :- अरे बस निकल रहा हू पर सुन वो बियर मेरे पास ही रह गई है। 


सुरेश :- अरे यार कितनी देर लगेगी?  


राजीव :- हा बस थोड़ी ही देर। 


सुरेश :- ठीक है। 


अमित :- क्या हुआ सुरेश? 


सुरेश :- अरे कुछ नहीं अपनी बियर उसके पास रह गई

हे....... 


अमित :- कितनी देर मे आ रहा हे? 


सुरेश :- हाँ बस आ रहा है।  


विनय :- अरे खाना नहीं आया? 


अमित :- हा वो भी आ रहा है..... चलो तो अभी तो ये intro ही था अभी कहानी बाकी है ..... 

अमित दरवाजा बंध कर ने जा रहा था 


विनय :- पर अमित तो तेरी कहानी के हिसाब से वो रुचि जो 777 मे गई हे उसका क्या हुआ? 


सुरेश :- हाँ और तूने किसे देखा सपने मे? 


अमित :-(डरावनी आवाज मे) वो सपना नहीं था.... 

और दरबाजा बंध कर देता है।


(राजीव का फोन बजता हे) 


राजीव :- इतनी रात को इसका फोन 

हेलो हा बोलो 


(चौक के) क्या कब और कहां? अभी रीसोर्ट मे......... 


कौने था फोन पे के राजीव इतना चौक गया और उसने एसां क्या बोल दिया?क्या हुआ उस रीसोर्ट मे रुचि के साथ? एसे कई सवालों के जबाव जानने के लिए इंतजार कीजिए हमारी अगले पार्ट का।



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