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Srishti Gangwar

Drama Romance Others

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Srishti Gangwar

Drama Romance Others

हमसफ़र (एपिसोड -1)

हमसफ़र (एपिसोड -1)

4 mins
250

गुड मॉर्निंग दादी मां, अम्बिका ने अपनी दादी के कमरे में जाते हुए कहा

गुड मॉर्निंग बेटा ।

ओह कितनी स्वीट दादी हैं मेरी, आप इतनी अच्छी क्यों हो दादी,

क्योंकि मेरी परी इतनी अच्छी है।

पता है दादी जब आप कहते हो की मेरी परी, तो मां का एहसास होता है, दादी मेरी मां तो मेरे साथ होकर भी मेरे साथ नहीं है। दादी मैंने ऐसा क्या कर दिया जो मां मुझसे बात भी नहीं करती है।

वो तो पागल है, वो ये नहीं समझती जो किस्मत में होता है वही मिलता है,

मतलब दादी, मैं समझी नहीं

वो चाहती थी की सिया के बाद उसे एक बेटा हो पर बेटे की जगह एक परी आ गई जो उसे मंजूर नहीं थी उसने तो तुझे मरने की कितनी कोशिश की थी, पर जिसकी ज़िंदगी उस ऊपर वाले ने लिखी है, उसे कौन मार सकता है।

तो क्या इसलिए ही मां मेरा चेहरा देखना नहीं चाहती है। अगर मेरा चेहरा दिख जाए तो इसलिए वो कहती हैं कि उनका दिन खराब हो गया, दादी मैं कितनी बदकिस्मत हूं मेरी मां ने ही मेरा चेहरा नहीं देखा है आज तक। दादी आप ने मुझे बहुत प्यार दिया है अगर आप नहीं होती तो मेरा क्या होता दादी, पापा को तो अपने बिजनेस से फुरसत नहीं, आप नहीं होती तो क्या मां मुझे मार देती

पागल ! मत सोच अब इस बारे में तेरी दादी है ना तुझे प्यार करने बाली, अब सुबह सुबह रोना नहीं मेरी परी।

चल अब एक प्यारी सी स्माइल कर दे।


चल अब कॉलेज जा वरना लेट हो जायेगी तू।

जी दादी मां।

रीमा..........

आई मेमसाब.........

जी मेमसाब

मां कहां है?

जी वो अपने कमरे में हैं आपके जाने का ही इंतजार कर रही हैं।

ठीक है, जब मैं चली जाऊं तो बता देना उन्हें।

जी मेमसाब!

बाय दादी!

बाय बेटा, ठीक से जाना।

अम्बिका अपनी स्कूटी स्टार्ट करके अपने कॉलेज चली जाती है।

वो उदास होती है, कॉलेज में पहुंचने के बाद वो सीधा अपने कॉलेज की लाइब्रेरी में चली जाती है।

कुर्सी पर बैठी अम्बिका किताब खोल के तो बैठ जाती है पर उसमें लिखा क्या है ये उसे नहीं पता, किस विषय की किताब है ये भी उसे नहीं पता।

क्या अम्बिका? पूरे कॉलेज में पूछ लिया तुझे और तू यहां हैं, कितने कॉल्स लगाए उठाई क्यों नहीं कॉल।

अरे, वो फ़ोन साइलेंट था, मॉर्निंग में ही लाइब्रेरी कौन सी बुक पढ़ रही है। इतनी जल्दी।

ऐसे मन नहीं था क्लास में जाने का,

क्या बात है अम्बिका मां की वजह से उदास हो ना।

हां जय, पता है तुम्हें कभी कभी बहुत बुरा लगता है, की मां होने के बाद भी मैं बिना मां की बेटी के जैसे रहती हूं

मैंने तो सोचा था दी की शादी के बाद वो मुझे समझेगी, मुझसे बात करेंगी, पर ऐसा कुछ नहीं हुआ, सब पहले जैसा ही है, हर रोज मेरे आने के बाद ही वो कमरे से बाहर आती हैं, मैं कभी उनके साथ खाना नहीं खा सकती हूं। मैंने अपनी मां का चेहरा भी नहीं देखा, नाम के लिए उनकी फोटो देख ली है।

ऐसा कब तक चलेगा जय।

चल अब तू मत सोच इतना , ऐसा तो हमेशा से ही ही रहा है फिर क्या टेंशन लेना, जितना सोचेगी उतना बुरा लगेगा।

चल क्लास ले लें।

चलो।

क्लास खत्म होने के बाद........

आज तुम किसके साथ आए हो जय,

यार आज मेरी बाइक खराब हो गई तो मैं बस से आया था।

अच्छा, चलो मैं छोड़ दूंगी अपनी स्कूटी पर, अभी बैठ जाओ क्योंकि फिर ज़िंदगी भर तुम्हें ही चलाना है, फिर मैं आराम से बैठूंगी।

अच्छा, फिर शादी करे।

पागल, पहले स्टडी कंप्लीट कर लो, कुछ बन जाओ बरना पापा से क्या कह के मेरा हाथ मांगोगे,

वो तो ऐसे किसी से मेरी शादी करेंगे नहीं,

ठीक है मैं बहुत जल्दी बड़ा आदमी बनूंगा,अभी चले

हां, ठीक से बैठना, अम्बिका की स्कूटी पर बैठना इतना आसान नहीं है।

ये जय!

हां।

चलो आईसक्रीम खाएं।

अभी।

हां अभी।

ओके।

भैया दो आईसक्रीम देना।

कितना हुआ।

जी चालीस।

ठीक है ये लो।

अच्छी है ना, कितना अच्छा लगता है साथ में आईसक्रीम खाते हुए। है ना जय।

हां, जब हमारी शादी हो जायेगी ना तो हम लोग ही आईसक्रीम से खायेंगे, एक साथ।

ठीक है, वो कह ही पाती है की उसकी नज़र पड़ती है सामने से गुजर रही कार पर। पापा!

वो जय को छोड़ने के बाद घर पहुंचती है सोचती है की पापा क्या कहेंगे, उसके मन में ना जानें कितनी बातें आती हैं, वो कैसे पापा का सामना करेगी ये सब सोचते हुए वो घर के अंदर घुसती है।

सीधा दादी के पास जाती है,

दादी......

हां.....

दादी वो आज पापा ने मुझे जय के साथ आईसक्रीम खाते हुए देख लिया, दादी मैं पापा का सामना कैसे करूंगी, क्या कहूंगी मैं उन्हें, दादी मुझे बहुत डर लग रहा है,

देखा जायेगा जो होगा, पहले तू फ्रैश हो जा,

जी दादी।

डिनर के बाद पापा मेरे कमरे में आए।

अम्बिका....

मैंने मुड़ कर देखा, पापा!


आगे क्या हुआ जानिए अगले भाग में। अम्बिका को जय के साथ देखने के बाद उसके पापा ने क्या फैसला लिया होगा। वो किस लिए अम्बिका के कमरे में और क्या कहने आए,

जल्द ही प्रकाशित होगा अगला भाग।

         

क्रमशः                    


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