सपना
सपना
पापा जल्दी चलो मैं लेट हो जाऊंगी कॉलेज के लिए, ( शिवांगी ने अपना खाने का टिफिन अपने बैग में रखते हुए कहा) हां बस बेटा हो गया ( पापा अंदर कमरे से आते हुए कहते है)
मैं हर रोज की तरह अपने पापा की स्कूटर पर आज भी जा रही थी, और वो हर रोज की तरह आज भी मेरा वहीं खड़ा इंतजार कर रहा था की शायद आज इसके पापा ना आए इसके साथ। पूरा एक साल हो गया बेचारे को इसी इंतजार में की काश एक दिन इसके पापा ना आए और ये मुझसे अपने दिल को बात कह पाए। पापा मुझे कॉलेज के गेट तक छोड़ के जाते ओर मेरी छुट्टी होने से पहले वो हर रोज मुझे गेट पर मिलते थे।। अब शायद ये मेरा एक सपना सा बन गया था की वो मुझे मेरे पापा के सामने प्रपोज करे।
हालांकि मेरे पापा खडूस नहीं है अगर मैं उनसे कहती भी की मुझे वो लड़का पसंद है तो वो मान जाते क्योंकि मेरी मां नहीं है मेरे पापा ही मेरे लिए मेरी मां , सब कुछ बही है, पर मैं चाहती थी की वो मुझे मेरे पापा के सामने प्रपोज करे। मैं उसकी हिम्मत देखना चाहती थी ।
मैं पापा के स्कूटर से उतरी और बाय करके अंदर जा रही थी की उसने मुझे आवाज दी, वो अंदर नहीं आ सकता था क्योंकि मेरा गर्ल्स कॉलेज था।
उसकी आवाज सुनकर मेरी खुशी का ठिकाना ना रहा क्योंकि वो भी मुझे बहुत पसंद था। मैंने मुड़ कर देखा तो उसने थोड़ा सा इधर उधर नजर करके मुझसे कहने की कोशिश करी।
मैंने उससे बोल दिया की उसे जो भी कहना है वो मेरे पापा के सामने बोले तब ही मैं उसे एक्सेप्ट करूंगी ।
वो ओके बोल कर चला गया और मैं अपने कॉलेज में चली गई। शाम की क्लास खत्म होने के बाद मैं गेट पर पापा का इंतजार कर रही आज पहली बार पापा लेट हुए। और वो मुझे दूर से खड़े होकर देख रहा था मैंने भी कई बार उसकी तरफ देखा। तब तक पापा आ गए और मैं पापा के साथ चली गई।
अगले दिन फिर मैं पापा के साथ कॉलेज आई और वो हर रोज की तरह दूर से खड़ा वैसे ही देखता रहा। दो हफ्ते ऐसे ही गुजर गए वो शायद इतनी हिम्मत नहीं जुटा पा रहा था की मुझे पापा के सामने प्रपोज कर पाता। इतना आसान भी नहीं था कि किसी के पापा के सामने वो उनकी बेटी को प्रपोज कर पाता।
मैं शाम को छत पर बैठी सोच रही थी की वो मुझे कुछ कह पाएगा या नहीं। या ये मेरा एक सपना बनकर रह जायेगा। मैं फिर अगले दिन कॉलेज गई पापा के साथ। बाय करके मैं अंदर ही जा रही थी की उसने मुझे आवाज दी शिवांगी.........
वो रोड की दूसरी साइड था मैंने मुड़ कर देखा और पापा ने भी मुड़ कर देखा, उसके हाथों में गुलाब देख कर मैं खुश हो गई थी और शायद पापा भी , क्योंकि पापा उसे हर रोज देखते थे...
वो भी खुशी से तेजी से मेरी तरफ आ रहा था की सामने से एक ट्रक ने टक्कर मारी वो और उसके फूल दोनों जमीन पर गिर गए। ना वो कुछ बोल पाया ना उसके फूल। और ये मेरा एक सपना बनकर रह गया। की कोई मुझे प्रपोज करे क्योंकि अब किसी और के प्रपोज का इंतजार नहीं था।
