साड़ी 😇
साड़ी 😇
मैं हर रोज की तरह आज भी अपनी मां को ऑफिस जाने से पहले उसे मंदिर लेकर जा रहा था।
(मेरी ज़िंदगी में मेरी मां ही सब कुछ थी मेरे लिए
उसके अलावा मेरा इस दुनिया में कोई नही था,
इसलिए उसकी हर खुहाहिश पूरी करना मुझे अच्छा लगता था, सुकून मिलता था बहुत)।
मां जल्दी तैयार हो जा ना तुझे पता है ना मुझे ऑफिस भी जाना है , अब तेरे बेटे की प्राइवेट जॉब है टाइम से नही गया ना तो निकाल देंगे बो मुझे नौकरी से( देव ने पूजा की थाली में सारा सामान रखते हुए कहा)
बस बस बेटा हो गई तैयार , बस पूजा का सामान रख लूं फिर चल रहे है( देव की मां ने अपने बालो को समेटते हुए कहा)
बो सब कर दिया है मैने ( देव ने मां को थाली देते हुए कहा)
भगवान तूने कितना अच्छा बेटा दिया है मुझे , यही प्रार्थना है तुझसे की हर मां को ऐसा बेटा दे ( मां ने उसके बालो पर हाथ फेरते हुए कहा)
अब चले मां ( देव ने कहा)
हम दोनो पैदल चलते जा रहे बातें करते जा रहे क्योंकि मंदिर हमारे घर से थोड़ा सा ही दूर था , चलते चलते मां ने मुझसे कहा , देव अब तू शादी कर ले, अब मैं मरने से पहले तेरी दुल्हन देखना चाहती हूं,
मैने मां की तरफ गुस्से में देखते हुए कहा अगर दोबारा मरने के लिए कहा तो देखना मैं तूझसे पहले मर जाऊंगा।
मां समझ गई मैं गुस्सा होगया
और बड़े ही प्यार से बोली ,मैं तो ये कहना चाह रही थी की अब तू शादी करले क्योंकि मुझसे अब इतनी जल्दी उठ के खाना नही बनाया जाता , इसलिए कहा शादी कर ले।
मां तू जानती है ना मैं ऐसी वैसी लड़की से शादी करूंगा नही , जैसी लड़की से मैं शादी करना चाहता हूं बैसी लडकियां अब इस दुनिया में है नही।
इससे अच्छा है मैं सिर्फ अपनी मां के साथ रहूं।
तो तुझे कैसी लड़की चाहिए बो भी तो बता
जब भी पूछती हूं हमेशा टाल देता है आज तो तुझे बताना ही पड़ेगा,
तुझे मातारानी की कसम है।
क्या मां?
ऐसे कौन करता रास्ते में ऐसी बातें कौन करता है
घर चल के आराम से बातें करेंगे।
मां भी अपनी ज़िद पर अड़ गई,
अभी बता तू मुझे ताकि मैं तेरे लिए लड़की देखना शुरू कर दू।
इतने में मेरी नजर सामने से आ रही एक लडकी पे पड़ी
चल ठीक है तू इतनी ज़िद कर रही है तो बता ही देता हूं
मैं उस लड़की को देखता जा रहा और मां को बताता जा रहा थे, पहली बार मैंने ऐसी किसी लड़की को देखा जो बिल्कुल वैसी थी जैसी मुझे पसंद थी।
पहली बार मन कर रहा था की मेरी नज़रे सिर्फ उसे ही देखती रहे।
बनारसी साड़ी, पैरों में पायल कमर में कमरबन्द, लम्बे से बाल उनमें गजरा लगा हुआ, आंखें में काजल, हाथों में चूड़ियां, हसीं तो ऐसी पहले कभी देखी नही मैने ऐसी,
और सबसे अच्छी बात की बो देखने से ही बहुत संस्कारी नजर आ रही थी, मन कर रहा उसे ही देखता रहूं।
मंदिर पहुंचे आरती शुरू हो गई, बो मेरे पास ही खड़ी थी मैं उसे ही देखता रहा था पूरे टाइम, फिर मन में आया आंखें बंद कर लूं बरना पता चला की मातारानी गुस्सा हो जाए मुझसे,
और आरती खतम होने के बाद मैने देखा बो भी गायब हो गई , मैने इधर उधर देखा बो कही नही दिखी
मैं मां को घर छोड़कर अपने काम पर चला गया।
शाम को जब वापस आ रहा तो मां की कॉल आई की अपने लिए नए जूते ले आना ।
मैने पूछा भी था क्या करना है अभी तो हैं ना मेरे पास
पर मां जो कह दे बो तो होना ही था।
मैं घर आया जूते लेकर , मां को दिखाए जूते , मां को पसंद नहीं आए मैने पहले ही बोल दिया की वापस करने नही जाऊंगा।
मां के चेहरे पर इतनी खुशी पहले कभी नही दिखी।
मां क्या बात है आज तू बहुत खुश नजर आ रही है
मां मुस्कुरा कर चली गई
मैं मां के पीछे पीछे कमरे में गया के
बता ना मां क्या हुआ है तू इतनी खुश क्यों है ,
मां ने इग्नोर करते हुए कहा तू जल्दी से हाथ मुंह धुल के तैयार हो जा, और कोई सवाल जवाब नही करेगा ।
मैं चुप चाप चला गया , और मन में सोच रहा की आज ऐसा क्या हुआ जो मां इतनी खुश है।
मां मैं हो गया तैयार चलो कहा चलना है
मेरी नजर सामने से आ रही मां पर गई ,एक दम नई साड़ी इतना तैयार हुए मां को कभी नही देखा नई साड़ी बो भी बनारसी साड़ी मेरी पसंद की, और गहने,
मुझे समझ ही भी नही आ रहा था की हो क्या रहा है।
फिर मां ने लंबी सांस ली और बोली की मैने तेरे लिए एक लडकी देखी है , मुझे तो बहुत पसंद है, संस्कारी है, अब बस तेरा देखना बाकी है।
मैं एक दम उदास हो गया , पर मां की खुशी का सवाल था इसलिए अपनी उदासी छुपा गया ,
एक दिन में तीन लड़की भी देख ली मां
हां, मां हूं ना इसलिए।
अब चलेगा भी बो लोग हमारा इंतजार कर रहे होंगे।
मैं बिना कुछ कहे थोड़ी सी स्माइल करते हुए चला गय
लडकी बालो के घर पहुंचा , मन कर रहा थे वापस आ जाऊं पर मां की खुशी का सवाल था।
जब मेरी नज़रे सामने से आ रही उस लड़की पर पड़ी तो मेरी खुशी का ठिकाना न रहा ।
बो बोही थी जिसे मैंने मंदिर में देखा था मैं उसे देखता रह गया , फिर मेरे मन में सवाल आया की मां ने क्या मुझे देख लिया था , इससे पहले की मैं मां से कुछ पूछता मां ने पहले ही बोल दिया मंदिर बाली ही लडकी है या कोई और है देख लेना ठीक से।
मैने शर्मा के सिर को थोड़ा सा झुका लिया।
मां ने पूछा कैसी लगी तुझे अपनी बनारसी बेगम।
उसे भी मैं पसंद आ गया और बो तो मुझे पसंद थी ही,
हां हुई
सबने मुंह मीठा किया , और हम दोनो को बातें करने के लिए अकेला छोड़ दिया ।
समझ नही आ रहा था की क्या बोलूं।
उसने मेरी तरफ देखा हंसते हुए
और मैंने इतना ही बोल दिया आपकी साड़ी और मुस्कान दोनो बहुत अच्छी है ।
हमेशा ऐसी ही साड़ी पहनना।
उसने भी पूछ लिया
आपको साड़ी पसंद है
मैंने कहा बनारसी साड़ी देख के ही तो आप पसंद आई।

