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Akshat Garhwal

Action Crime Thriller

3  

Akshat Garhwal

Action Crime Thriller

Twilight Killer Chapter-34

Twilight Killer Chapter-34

16 mins
159

जब राजन के पास Twilight Killer को मारने का ऑर्डर हाथ आ गया था तो वो किसी पागल कुटी की तरह उसके पीछे हाथ धोकर पड़ गया था। वो यह बात अच्छे से जानता था कि पूरे शहर में कोहराम मचा हुआ है क्योंकि अन्डरवर्ल्ड की भिड़ंत किसी बड़े गुट के साथ हो रही थी। यह बात तो पुलिस को भी नहीं पता थी कि असल में वो गुट जिस से अन्डरवर्ल्ड की लड़ाई चल रही थी वो ईस्टर्न फैक्शन था जो कि अपने ही देश के लिए लड़ रहा था। राजन नागराज को इस बात से कोई खास फर्क नहीं पड़ा था बल्कि उसे तो यह बहुत ही अच्छा मौका समझ पड़ रहा था, इस वक्त पूरी पुलिस फोर्स अन्डरवर्ल्ड की हो रही इस लड़ाई पर अपना ध्यान बनाए हुई थी। यह एक दम सही मौका था जय को ठिकाने लगाने का! उन्होंने पुलिस और जनता को ऐसे नजरंदाज किया जैसे रास्ते से चलता हुआ हाथी कुत्तों के भोंकने पर कोई ध्यान ही नहीं देता।

इसलिए पहले वो पूरे जोश के साथ शहर भर में धड़ल्ले से घूमते रहे, हर एक चौराहा, हर एक गली छान मारी पर जय का कहीं पता नहीं चला। इसी उधेड़बुन में कि आखिर जय होगा कहाँ?.....उसे याद आया कि हिमांशु के साथ करन की बिल्डिंग के पास एक पुलिस वाला भी साथ में था। अब क्योंकि अतुल को उसने पहले भी हिमांशु के साथ देखा था जब वो राजन की कैद से आसुना और निहारिका को छुड़ा कर ले जा रहा था, अतुल ही हिमांशु को लेने के लिए आया था और अतुल ने ही न्यूज वालों के सामने कहा था कि जय के गायब होने से यह बात साफ नहीं हो जाती कि Twilight Killer जय ही है! यहीं तो वो मोड था जब न्यूज के जरिए लोगों के मन में यह बात आ गई थी कि एक पब्लिशिंग कंपनी का मालिक कातिल तो नहीं हो सकता! बस राजन ने इस बात को पकड़ लिया और अतुल का कच्चा-चिट्ठा निकलवा लिया और रात होते ही वाशी के आसपास के इलाके में अपने सीबीआई के साथियों को तैनात कर दिया इस उम्मीद में कि उसे यहाँ से जय के बारे में कोई तो जानकारी मिलेगी।

सभी लोग बड़े इलाके में फैले हुए थे और ये राजन अपने कुछ साथियों के साथ थोड़ी दूरी से ही अतुल के घर पर नजर रखा हुआ था। इसके साथ एक टूटी दीवार से दूरबीन लगा कर एक आदमी झांक रहा था

“सर! काफी देर हो गई पर यहाँ पर तो कोई भी नहीं दिखा” वो दूरबीन वाला आदमी बोला “ऐसा लगता है इस पूरे इलाके में कोई भी नहीं है, यह तो वाकई बहुत ही अजीब बात है न?”

उसकी बात सुनकर राजन ने सर हिलाते हुए एक सांस छोड़ी, उसने उस आदमी को ऐसे देखा जैसे वो कोई बेवकूफ था!

“कल हुए बम ब्लास्ट के बाद पूरे शहर का यहीं हाल है! अगर यहाँ पर बहुत सारे लोग दिखते तो अजीब बात होती।“ उसने तीखी नजरों से उस आदमी को देखा जो राजन की बात सुनकर निराश हो गया था “बेवकूफ कहीं का!”

राजन ने सीधे मुंह उसे कहा और फिर से उसी घर की ओर देखने लगा,

(ये यूनिट नंबर 4 है, एक जरूरी मैसेज देना है......खर्रsssss आई रीपीट......ये यूनिट नंबर 4 है, एक जरूरी मैसेज देना है)

राजन ने अपनी पूरी टीम को 4 यूनिट में बाँट रखा था। यूनिट 1 सबसे छोटा ग्रुप था 15 लोगों का जो कि इस वक्त राजन के साथ वाशी के अंदरूनी हिस्से में तैनात था, यूनिट 2 वाशी प्लाज़ा के बाहर पहरे पर थी, यूनिट 3 ने वाशी के पास वाले सेक्टर 30 को घेर रखा था जबकि यूनिट 4 ठाणे-बेलापुर रोड पर फैले हुए थे, कोई बिल्डिंग पर तो कोई सड़क के अंधेरे कोने में खड़ा था और नजर रखा हुआ था।

(यूनिट 1 से राजन ऑन द लाइन!) राजन ने अपना वॉकी-टॉकी को उठाकर जल्दी से संभाला (क्या स्टैटस है यूनिट 4?)

(वी सॉ हिम सर!) उधर से यूनिट 4 के किसी जोशीले जवान की आवाज आई जिसे सुन कर राजन के चेहरे पर मुस्कान आने लगी।

(कौन?! किसे देखा तुमने?) जानते हुए भी कि यूनिट 4 का वो जवान क्या कहना चाहता है, राजन ने उसके मुंह से खुद यह बात सुन नई चाही

(हमने Twilight Killer को यहाँ से बहुत स्पीड में एक काली रॉयल एनफील्ड में बैठ कर इन्डस्ट्रीअल एरिया में जाते हुए देखा है!)

(इन्डस्ट्रीअल एरिया?......ओके) राजन को समझ नहीं आया कि आखिर जय वहाँ क्यों जा रहा है (क्या तुम्हें पूरा यकीन है कि तुमने जय को उस ओर जाते हुए देखा है?!)

(हमने चेहरा नहीं देखा सर! वो बहुत स्पीड में था पर उसके पहनावे से हम यह कह सकते है कि वो twilight killer ही था,....ओवर) यूनिट 4 से आवाज आई

राजन चाहता था कि सभी जय का असली चेहरा देखे पर यह जान कर कि यूनिट 4 ने उसका चेहरा नहीं देखा, उसे गुस्सा आने लगा पर वो इस वक्त अपनी यूनिट पर गुस्सा नहीं करना चाहता था। उसने गहरी सांस ली और मजबूत आवाज में कहा

(ओके, वी आर कमिंग,.......उसका पीछा करों पर केवल अब्ज़र्व करना!)

(कॉपी दैट! सर) यूनिट 4 ने जोश भरी आवाज में कहा और सिग्नल एंड हो गया।

“चलो यूनिट 1!, अब शिकार पर जाने का वक्त है” राजन की आवाज में गुस्सा और चेहरे पर भड़कीली हंसी थी। सारी यूनिट तैयार हो गई अपने हथियारों के साथ! शिकार के लिए

“लेट्स किल दिस किलर!”

*******************

नवल को खोने के बाद जय पहले बहुत सहम गया था, उसे उस हालत में देखने वाले बहुत कम लोग थे। उसकी दयनीय स्थिति केवल आसुना, निहारिका, अतुल और राजन ने देखी थी....राजन की ही वजह से जय को काफी सारी जबरन की परेशानियाँ उठानी पड़ी थी, इसके बाद भी जय ने राजन से बदल लेने के बारे में इसलिए नहीं सोच था क्योंकि जय हर बात को इतनी डीटेल में नहीं सोचा करता था। उसके हिसाब से जो भी राजन ने किया था वो उसकी नौकरी की वजह से था, जय की कोई पर्सनल दुश्मनी तो थी नहीं राजन के साथ। पर राजन को ना जाने जय से क्या परेशानी थी? वो तो जय के पीछे हाथ धोकर पड़ गया था।

अपने सबसे प्यारे दोस्त की मौत अपनी आँखों के सामने देखना! ताकतवर होने के बावजूद उसे बचा नहीं पाना! बचाने की बात तो दूर......उसे बचाने की कोशिश भी नहीं कर पाना! इन घटनायो का अफसोस जय के मन में बहुत गहरा घाव कर चुका था। जब उसे पता चला कि ईस्टर्न फैक्शन ने नवल की पत्नी नित्या को अगवा कर लिया है तो वो घबरा गया! उसने पहले नित्या के घर गोविंदनगर जाकर इस बात की पुष्टि की, तो पता चला कि नित्या के घर का सामान उल्टा-पुलटा था और जमीन पर कुछ खून के छींटे पड़े हुए थे। बस फिर क्या था? गुस्से और घबराहट में किसी पागल की तरह अपनी बाइक की स्पीड तेज करते हुए वो इन्डस्ट्रीअल एरिया की ओर निकल पड़ा। यह बात उसने हिमांशु को इसलिए बताई ताकि वो नित्या की सुरक्षा की व्यवस्था कर सके और उनका इंतजार किये बिना ही जय इंदुसतीयल एरिया की ओर निकल पड़ा! इन बातों से अनजान कि उसके पीछे-पीछे सीबीआई आ रही थी..... और साथ ही इस बात से भी अनजान कि कुछ देर में उसके साथ कुछ ऐसा होने वाला था जो कि उसने कभी सपने में भी नहीं सोचा था।

सरसराती हवा को चीरते हुए जय की रॉयल-एनफील्ड रात के अंधेरे में जैसे गायब ही हो चुकी थी। वो पूरी स्पीड में तंग गलियों को पार कर रहा था, कुछ ही देर में एक और पक्की सड़क उसके सामने आ गई जिसके पास की एक गली में बोर्ड लगा हुआ था....... ‘टीटीसी केमिकल फैक्ट्री’! यहीं वो जगह थी जहां पर जय को जाना था।

उसने भी आव देखा न ताव और झट से बाइक को उस पक्की सड़क पर चढ़ा दिया और पार करके उस गली में उतार दिया जिसके कच्चे रास्ते के चारों ओर कमर तक ऊंचे खरपतवारों की झाड़ियाँ लगी हुई थी। अब उसे थोड़ी ही देर में वो केमिकल फैक्ट्री दिख गई, जिसके चारों ओर जंगली सा इलाका था। घिरे हुए काफी सारे पेड़ थे, कमर तक झाड़ियाँ चढ़ी हुई थी और रात की उस ना बराबर रोशनी में ये सब एकदम अंधेरा-अंधेरा सा दिख रहा था। वह फैक्ट्री देखने में ही इतनी पुरानी थी कि वहाँ शायद ही कोई काम होता होगा, जंग लगी छत, काई से भरी हुई दीवारें जिनका पेन उखड़ कर काई का खाना ही बन चुका था......एक कालिख सी पुत गई थी। इमारत मजबूर थी और किसी बड़े से वेयरहाउस की तरह दिख रही थी। जिसका छत काफी बड़ा और खोखला सा प्रतीत हो रहा था, वो ऐसा छत था जिसकी तीन वाली भारी छत के ठीक नीचे लोहे के आढ़े-तिरछे कंकाल से बने हुए थे जो उस छत को सहारा दिए हुए थे।

जय ने थोड़ी दूर ही जल्दी से बाइक रोकी और उसे रास्ते से अलग झाड़ियों में गिरा कर गायब सा कर दिया और उसके बाद ही वो उस अंधेरे का इस्तेमाल करता हुआ ‘शैडो वॉकिंग’ और ‘साइलन्ट फुट’ तकनीक का इस्तेमाल करते हुए बिना आवाज के उस फैक्ट्री की ओर बढ़ने लगा। असल में जय को आसुना के फोन से ही ईस्टर्न फैक्शन के किसी सदस्य का कॉल आया था जिस से उसे यह पता मिल था।

उसने आगे बढ़ कर पहले पूरी फैक्ट्री के बाहर का इलाका छाना तो उसे बाहर कोई भी नहीं दिखा!

(लगता है सभी लोग अंदर ही है, मुझे जल्दी से नित्या को ढूंढ कर यहाँ से निकलना होगा) जय ने मन ही मन सोचा, और फैक्ट्री का पुराना दरवाजा जो थोड़ा स खुला हुआ था उसमे से झांक कर देखा।

अंदर कुछ कार्टून बोक्सेस उसे सबसे पहले दिखे जिनके ऊपर केमिकल लिखा हुआ था, सामने का इलाका बहुत बड़ा स हाल था जिसके अंदर सामने कुछ केमिकल को प्रोसेस करने वाली मशीनें रखी हुई थी जिसने काम में लाने के लिए वर्कर्स की जरूरत पड़ती होगी, उसी के आगे कुछ कन्टैनर ऐसे रखे हुए थे जैसे कोई कमरा बनाने की कोशिश की जा रही हो.......वहीं पर एक लंबे सुनहरे बाल वाला आदमी खड़ा हुआ था जिसका रंग हल्का पीला था, हाथ पैर लंबे थे और उसने नीले रंग के बहुत ही अजीब नक्काशी वाले कपड़े पहले हुए थे और उन कपड़ों की चौड़ाई कलाइयों और पैरों पर बहुत ज्यादा थी! ये कोई ओर नहीं बल्कि जिया-जी था! और उस से बात करता हुआ सफेद टी शर्ट और काली टोपी पहने हुए एक हट्टा-कट्टा आदमी जिसका शरीर बहुत मांसल था.....वो किनक्स-सा का भाई और जिया-जी का दाहिना हाथ देसू-सा था!

उनके आसपास करीब 15 के आसपास बंदूकों से लेस गुंडे तैनात थे जिनकी शक्ल से ही क्रूरता झलक रही थी, पर इस बीच उसे नित्या का कहीं नामोनिशान भी नहीं दिखा था। जय ने देर नहीं की और बिना आवाज किये दरवाजे को खुद के हिसाब से खोलते हुए अंदर आ गया। उस दरवाजे के खुलने से बहुत हल्की आवाज हुई थी जिस पर गार्ड्स ने कोई भी हरकत नहीं की जिस से जय समझ गया कि किसी को पता भी नहीं चला की वो अंदर आ गया है।

हर अंधेरे में छुपता हुआ वो उन कॉन्टेनरों को पार करता हुआ किसी तरह पीछे की ओर पहुंचा तो उसे वहाँ पर एक वहीं केमिकल वाली पुरानी मशीन दिखी, जिसके एक पार्ट से जंजीर बंधी हुई थी और उस जंजीर से जकड़े हाथ लिए नित्या जमीन पर उस मशीन से टिक कर बेसुध पड़ी हुई थी। उस जगह पर कम पहरा था, शायद इसलिए क्योंकि ईस्टर्न फैक्शन वालों को लगा होगा कि जय बिना आवाज किये इतने अंदर कैसे ही आ सकता था?

जय आगे बढ़ा और उसने अपनी जेब से एक पतला सा तार निकाला, उसे एक बार मोड़ा और फिर उसे ताले में फंसा पर घुमाने की कोशिश करने लगा। कुछ ही पल में वो ताला खुल गया! जय ने राहत की सांस ली और नित्या के हाथ से वो जंजीर धीरे-धीरे उतार दी......इतनी देर में किसी को भी पता नहीं चला। जय ने नित्या की नब्ज देखी....वो चल रही थी, वो बेहोश थी। जय उठा और यह सोचने लगा कि नित्या को यहाँ से कैसे निकाल जाए! वो जैसे ही पलटा,

“धाड़!” किसी की जोरदार लात उसके हाथों से आ टकराई, उसके रीफ्लैक्स के कारण उसके हाथ शरीर को बचाने के लिए अपने आप ही आगे आ गए थे। वो जाकर नित्या की मशीन से टकराया, जय चेहरे पर विस्मय का भाव था! जो जय अपनी श्रवण शक्ति को सबसे तेज माना करता था, आज वो पहली बार किसी के कदमों की आहट नहीं पहचान पाया था।

जल्दी से उठ कर खड़ा हुआ तो उसके सामने देसू-सा और उसके पीछे जिया-जी खड़ा हुआ था, वो लात देसू-सा ने मारी थी।

उन दोनों को देख कर जय तुरंत ही नित्या के सामने किसी सुरक्षा कवच की तरह खड़ा हो गया, उसने अपनी तलवार निकाल ली पर हमला नहीं किया क्योंकि जगह से हटना नित्या को खतरे में डाल सकता था।

“इम्प्रेसिव!” पीछे से जिया-जी चहका, उसके चेहरे पर अजीब सी खुशी थी “हम इतनी शांति से आए कि तुम्हें पता भी नहीं चला बट....यू वर ऐबल टू स्टॉप देसू’स किक, वेल......वेल”

जिया-जी की बात पूरी होते ही पीछे से 5-6 गार्ड आ गए जिनके हाथों में लंबे-चौड़े चाकू थे, उनकी नजर जय पर नहीं थी बल्कि नीचे पड़ी हुई नित्या पर थी।

“खत्म कर दो इन दोनों को........पर पहले उस लड़की को खत्म करों!” देसू ने उन सभी को आदेश दिया और पीछे की ओर हट गया। वो लोग जय को छोड़ नित्या के ऊपर टूट पड़े, जय का चेहरा जैसे बदल गया, उसका डर खत्म सा हो गया, उसकी आँखों में खून उतर आया। जैसे ही वो लोग आगे बढ़े जय ने इतनी तेजी से अपनी कटाना उनकी गर्दन की ओर घुमाई कि एक पल को देसू भी वो नहीं देख पाया! उसकी भौंहे कांपने लगी, उसका चेहरा बिगड़ गया............ 

जय ने एक ही वार में उन दो लोगों की गर्दन उड़ा दी थी, उनका शरीर निढाल सा होकर जमीन गिर गया। यह देख कर वो बचे चारों एक साथ जय पर ही टूट पड़े! जय ने झट से अपने दूसरे हाथ से अपनी पुरानी रिवाल्वर निकाली और उनमे से 2 का भेजा उड़ा दिया कि तभी उन बचे दोनों में से एक ने जय के हाथ में चाकू मार दिया जिस से घाव तो गहरा नहीं हुआ पर जय की पकड़ रिवालवर पर ढीली हो गई और अगले ही पर दूसरे की लात उसी घाव पर पड़ते ही वो रिवॉलवर छूट कर दूर जा गिरी। जय ने तुरंत ही जिसने चाकू मारा था उसके सीने में कटाना घुसेड़ दी!

“आहssss.....” पर तभी उस आखिरी बचे वाले आदमी ने जय के बाएं कंधे पर चाकू घुसेड़ दिया, खून तुरंत ही बह पड़ा। यह ठीक वहीं जगह थी जहां पर पहले जय को राजन की गोली लगी थी, उस पुराने घाव पर किया हुआ यह हमला भारी पड़ गया क्योंकि राजन की गोली से लगा हुआ घाव अभी भी भरा नहीं था। जय ने अपना कराहना बंद किया और जिसके सीने में कटाना घुसेड़ी थी उसे छोड़ दिया। यह देख कर जिसने जय को चाकू मार था उसने अभी चाकू छोड़ा नहीं था उसने चाकू पर और दबाव डाला! पर दर्द की परवाह किये बगैर ही उस हमलावर की गर्दन ने जय ने किसी भाले की तरह हाथ मार दिया।

“आsssख्ssssss” वो गर्दन पकड़ सांस लेने को तड़पा ही था कि जय ने अपनी 2 उंगलियों को एक बनाते हुए उसकी आँख में पेल दिया। ‘फ़चsss’ की आवाज के साथ जय की पूरी उंगली उसकी आँख में घुस गई और आँख से खून बगराता हुआ वो जमीन पर गिर कर मर गया। जय का इतना क्रूर आवभाव देख कर देसू और जिया-जी हैरान थे! उन्हे उम्मीद नहीं थी कि जय इतना क्रूर हो सकता है, जय नित्या के सामने आकर खड़ा हो गया। उसके चेहरे के भाव किसी खूंखार जानवर की तरह थे जो अपने परिवार के लिए ढाल बने खड़ा था,

“जब तक मैं यहाँ पर खड़ा हूँ, तुम में से कोई भी नित्या को हाथ भी नहीं लगा पाएगा” उसने बहुत ही भारी आवाज में कहा “और मुझे मार पाना, मेरी ही आँखों के सामने! इतना आसान नहीं होने वाला........”

“ओह, लगता है तुमने थोड़ी गलतफहमी हो गई है!” जिया-जी ने दोनों हाथ थोड़ा ऊपर उठाते हुए बिना किसी शिकन ने कहा

“कैसी गलतफहमी!” जय ने लड़ाई की मुद्रा में खड़े होते हुए पूछा

जिया-जी मुस्कुराया, देसू-सा भी मुस्कुराया........ जय को उन दोनों कि हंसी ठीक नहीं लगी। वो सतर्क हो गया.........

“तुम्हारी मौत की वजह तुम्हारे सामने नहीं, बल्कि तुम्हारे पीछे है” जिया-जी की बात सुनते ही जय पलटने को हुआ कि तभी उसके पीछे पुट्ठे में उसे भीषण दर्द हुआ जैसे किसी ने उस के शरीर में हजारों गर्म सुइयां चुभो दी। उसका चेहरा दर्द से तड़प उठा! तभी पीछे से किसी ने उसे लात मार कर सामने जमीन पर गिरा दिया, जय घुटनों पर आ गया। उसने तुरंत ही उठने की कोशिश की पर जैसे उसके पैरों ने हार मान ली...... वो उठ ही नहीं पाया। ऊपर से एक बहुत ही भीषण दर्द उसकी रगो में दौड़ गया, वह पूरी ताकत से सर पकड़ता हुआ चीखा।

“आsssssssहssssss..........” पूरी फैक्ट्री उसकी चीख से गूंज उठी, उसने जैसे तैसे अपना चेहरा सामने किया और उन दोनों की ओर देखा।

“बहुत खूब मिस फॅन्टम!(Miss Phantom)!......तुम्हारे बिना इसे जिंदा पकड़ पाना बहुत मुश्किल हो जाता” जिया-जी ने जय के पीछे मौजूद किसी से कहा “मुझे तो लगा था कि तुम इसके साथ यहाँ से भागने की कोशिश करोगी पर जैसा कि लॉर्ड ‘रेड’ ने कहा था...’मिस फॅन्टम अपने काम के बीच किसी को नहीं आने देती!”

जय के पीछे से कोई जिया-जी के सामने आकर खड़ा हो गया, जय की आँखों का नजारा धुंधला हो गया था, उसे ठीक से सामने दिख नहीं रहा था। ऊपर से एक अजीब सा दर्द उसे जैसे पागल कर रहा था......वह किसी तरह से खुद हो काबू में रखने की कोशिश कर रहा था पर उसका शरीर अब कांपने लगा था।

“मेरा काम यहाँ पर खत्म हुआ!” वो किसी लड़की की ठंडी आवाज थी “अब मैं यहाँ नहीं रह सकती, लॉर्ड रेड मेरा इंतजार कर रहे होंगे”

उस लड़की ने जिया-जी से हाथ मिलाया, जय अब भी उसे देखने की कोशिश कर रहा था पर उसकी धुंधली नजर ठीक नहीं हो रही थी, उसने आँखों पर जोर लगाया। उसके मन में केवल एक ही ख्याल था! किसी तरह से नित्या को यहाँ से सुरक्षित बाहर निकालना पर वह अब ठीक से देख भी नहीं पा रहा था।

“तुम्हारी.....लड़ाई......मुझ...से...है!.प्लीज....नित्या.....को.......छोड़..दो.........” जय ने कराहते हुए कहा, वह असल में नित्या की जान की भीख मांग रहा था पर उसे पूरी उम्मीद थी कि वो लोग नित्या को भी नहीं छोड़ेंगे पर कम से कम वो इस तरह की बात करके उन लोगों से थोड़ा और टाइम निकाल सकता था ताकि तब तक हिमांशु यहाँ पर आ जाए!

अचानक से वो सब चुप हो गए जैसे उन्हे कुछ हो गया हो!

“हाहाहाssssssssssssssss” और अगले ही पल वो दोनों जोर जोर से हंसने लगे जैसे जय ने कोई चुटकुला कहा हो। उसी हंसी के बीच किसी के कदम जय के पास आये और उसके कान में एक आवाज सुनाई दी

“तुम्हारी यह इच्छा जरूर पूरी होगी, चिंता मत करो! नित्या.....को कुछ भी नहीं होगा!” और उस लड़की ने जय की कोट के चोर जेब में हाथ डाल कर एक कांच की छोटी सी ट्यूब खींच कर निकाल ली जिसके अंदर एक हेलिकल ट्यूब थी, हरे रंग के लिक्विड से भरी हुई! उसे लेकर उस लड़की ने अपनी जेब में डाल लिया और पीछे आते हुए बोली

“इसे संभाल कर रखने के लिए शुक्रिया! पर अब मैं इसे वापस ले रही हूँ!”

जय को अपने कानों पर विश्वास नहीं हुआ, उसका शरीर पसीने से तर हो गया। उसका दिल तेजी से धड़कने लगा, दिमाग की नसें खींचने को हुई! उसने उम्मीद की, यह आवाज जो उसने सुनी वो उसका भ्रम हो, उसने खुद को बहुत समझाया कि यह सब उसके मन में एक खेल हो रहा है।। उसने खुद पर यकीन करने से मना कर दिया पर आखिर में हार कर उसकी आँखों ने खुद सच को देखना चाहा ताकि वो खुद के कानों को गलत साबित कर सके। आँखें कुछ धुँधलाई पर आखिर में उसे साफ दिखाई दे ही दिया और जो उसने सामने देखा, उसके दिल के हजार टुकड़े हो गए! वह जिंदा लाश सा याद गया, शरीर के अंदर का वो भीषण दर्द कम हो गया और सीने में जैसे आग ही लग गई!

उसकी आँखों के सामने, हाथ में नवल का बनाया हुआ ड्रुग लिए..........नित्या खड़ी हुई थी!

“वेलकम टू दी वर्ल्ड ऑफ, ‘रेड ऑक्टोपस’! मिस्टर जय.........”

जिया-जी ने जय की सूनी आँखों का मजा लेते हुए जय के चेहरे में एक जोरदार लात मारी और जय पीछे जाकर एक कॉन्टेनर से टकराया पर उसकी आँखें जैसे अब भी यकीन करने को तैयार नहीं थी कि उसे एक बार फिर से धोखा मिल था........वो भी नित्या से!           


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