Akshat Garhwal

Crime Thriller

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Akshat Garhwal

Crime Thriller

ट्विलाइट किलर भाग -42

ट्विलाइट किलर भाग -42

22 mins
301


जय की कहीं हुई बात ने तो सभी को और भी कन्फ़्युशन में डाल दिया था, जय के साथ धोका हुआ यह सब जानते है, मतलब जय की बातों से तो यहीं साबित हो रहा था कि नित्या ‘रेड ऑक्टोपस’ नाम के आतंकवादी संघटन से जुड़ी हुई है और वह भी बहुत गहराई से। उस ने नवल से शादी की और बाद में नवल को भी धोका ही दिया! फिर इसमे ऐसी कौन सी बात थी जो जय के हिसाब से धोके जैसी नहीं थी? किसी को भी यह समझ नहीं आ रहा था!

“तुम्हारी बात मुझे तो पल्ले नहीं पड़ी......कुछ खुल के बताओ तो जाने?” आसुना ने सीधे पूछा

“देखो बात कुछ ऐसी है कि अगर कोई हमें धोका देता है.....मेरा मतलब जानबूझ कर तो उसके चेहरे पर कोई अफसोस नहीं होता उलट एक अजीब सी हंसी होती है, जो रह-रह कर चुभती है और नफरत का कारण बन जाती है” जय की बात में गहराई थी पर आसुना और निहारिका जय को बहुत हद तक समझती थी इसलिए उन्हे जय की बातें घुमाई हुई नहीं लगी “पर.....जब नित्या ने मुझे जहर दिया, धोका दिया.....तो उसके चेहरे पर दुख था, कोई हंसी नहीं! ऐसा लगा जैसे......उसे करना कुछ और था और वो कर कुछ और बैठी। जिया-जी और उसके बीच हुए संवाद से तो यहीं लग रहा था कि वो दोनों एक दूसरे को पसंद नहीं करते और........जिया-जी ने नवल के साथ जो किया था उस से वो खफा थी पर वह कुछ कर नहीं पाई..... शायद कोई मजबूरी थी, मैने देखा था उसके चेहरे पर...”

जय का मन बोलते-बोलते भारी हो गया था, जैसे उसके सीने में दर्द हुआ उसने अपने सीने को हल्के से दबोचा। सभी ने जय की बातें सुनी जिनका एक ही तुक बनता था कि नित्या ने जो भी किया वो मजबूरी में किया और नवल को वो नुकसान नहीं पहुचाना चाहती थी।

“अगर तुम कह रहे हो तो सही ही होगा, तुम बातें गलत समझ सकते हो जज़्बात नहीं!......मुझे जय की बात पर भरोसा है”

निहारिका ने बढ़ते कन्फ़्युशन के बीच कहा, जय की हालत देख कर और निहारिका पर उसका भरोसा देख कर सभी ने यह रिस्क उठाने का मन बना लिया। सभी ने जय को कह दिया कि हमें तुम पर भरोसा है पर जब तक यह कन्फर्म नहीं हो जाता तब तक। नित्या वाली बात खत्म हुई ही थी कि एक नई बात के साथ शैली बोली

“ओह, वैसे यह बताया दूँ कि अब हमें पक्का यकीन है कि जिस ‘रेड ऑक्टोपस’ को महीनों पहले खत्म मान लिया था, वह असल में खत्म नहीं हुआ और उसने अपनी मौजूदगी का सबूत हमें यहाँ दिया है” शैली ने गंभीर स्वर में कहा

“एक बात बताओ मिस शैली?” हिमांशु ने पूछा “वो शियाबेई कहाँ पर है जिसने सबसे पहले हमें ‘वू’ के बारे में जानकारी दी थी?”

“जब हम बम ब्लास्ट से जूझने वाले थे उस से एक दिन पहले ही चीन में उसके वेस्टवार्ड फैक्शन बेस पर हमला हुआ था जो कि जाहिर सी बात थी कि ईस्ट्वार्ड फैक्शन ने ही किया था, इसलिए उसे यहाँ से निकलना पड़ा था और अगले ही दिन हमारे यहाँ पर बम ब्लास्ट हुआ......जिस से एक बात तो साफ हो गई थी कि ईस्ट्वार्ड फैक्शन ने यह सब बहुत ही बड़ी योजना के साथ किया था” शैली ने अतिरिक्त जानकारी दी “शियाबेई के जाते ही बम ब्लास्ट करना और नित्या को अपना मोहरा बना कर जय के खिलाफ इस्तेमाल करना! अगर जय कोई बहुत ही आम इंसान होता तो ‘वू’ अपनी चाल में कामयाब भी हो जाते”

“हाँ, मैं भी इस बात पर सहमत हूँ” हिमांशु ने कहा “और अगर आसुना हमारे साथ, यानि मेरी टीम के साथ नहीं होती तो आज मेरी टीम भी जिंदा नहीं होती” हिमांशु ने हल्के से मुस्कुरा कर कहा

“अरे हाँ, वो उन लोगों का क्या हुआ जिन्हें आसुना ने पीटा था?” अचानक निहारिका को याद आया तो उसने पूछ लिया, वो लोग वैसे भी इलाज के बाद बेस की ही हाई सिक्युरिटी जेल में बंद थे। वो लोग एक बहुत ही बड़ा सबूत थे, उनके पास जानकारी होने की पूरी पूरी संभावना थी, इसलिए सभी हिमांशु से उस बारे में जानना चाहते थे!

“उन लोगों से पूछताछ की, आज ही की बात है.....पता चला कि वो लोग कान्ट्रैक्ट किलर्स है जिन्हें चाइनीज अन्डरवर्ल्ड से यहाँ बुलाया गया था” हिमांशु की बात पर सभी का ध्यान था “वो सभी एक ही परिवार के है और उन्होंने पुनीत का धन्यवाद किया कि उसने उनकी बहन की जान बचाई। इसलिए उनसे बात बहुत ही आराम से हो गई, उन्हें कुछ खास जानकारी नहीं थी ‘वू’ के मिशन को लेकर पर उन्होंने ईस्टर्न फैक्शन की पद श्रंखला के बारे में कुछ इन्टरिस्टिंग बताया”

हिमांशु जरा रुका, उसने सभी के चेहरे देखे जो बिना शब्द के चीख-चीख कर कह रहे थे कि ‘रुक क्यों गया, जारी रख!’ हिमांशु ने सांस ली,

“ईस्टर्न फैक्शन के अंदर उनकी क्षमता के अनुसार उन्हे पद दिए जाते है! जैसे सबसे नीचे होते है ‘प्यादे’....जिनकी संख्या पूरी दुनिया में फैली हुई है और वो लोग एक तरह से सूइसाइड बैग होते है जिनका काम केवल जान देना होता है, दूसरे होते है फाइटर! जिनका काम गुंडों की तरह लड़ना होता है, उसके बाद आते है ‘ऐलीट’! ये वो लोग होते है जिन्हें लड़ाई का सीधा प्रसिक्षण ‘वू’ के अंदर से मिलता है, ये काफी ताकतवर होते है। फिर आते है ‘ऑफिसर जो एक एरिया के अंदर इन सभी पर निगरानी रखते है और गैंग संभालते है, फिर उसके ऊपर होते है ‘कमांडर’ लेवल के लोग जो कि बेहद ताकतवर होते है और इनमे से ज्यादातर को ‘वू’ की सेक्रेट तकनीक इस्तेमाल करना आता है, जिनमे से एक का सामना जय ने अभी कुछ समय पहले किया है। फिर आते है ‘सुप्रीम कमांडर’ जो स्पेशल मिशन पर काम करते है और इनके अंडर में कुछ ‘कमांडर’ और बाकी नीचे के लोग होते है। इसके ऊपर होता है ‘वारडॉग’, ये सबसे ज्यादा खतरनाक होते है क्योंकि ये अकेले काम करते है और ये न केवल मार्शल आर्ट में निपुण होते है बल्कि हर तरह की टेक्नॉलजी के उपयोग में भी.....उन केदियों के मुताबिक केवल 7 ही ‘वारडॉग’ है! और इन सब पर जो कंट्रोल करता है उसे ‘लॉर्ड’ कहकर पुकारा जाता है जिसे शक्ति और वर्चस्व का प्रतीक मानते है जिसे शायद ही किसी ने देखा हो...........लॉर्ड के आगे सभी घुटने टेकते है......यह सब उन्होंने बताया! फिलहाल कुछ पक्का नहीं कह सकते पर हो सकता है ये लोग सच ही कह रहे हों?”

“कोई बात नहीं! इस विषय में हम खुद शियाबेई से कन्फर्म कर लेंगे.......पर” शैली कुछ सोच कर बोली “अब आगे वो लोग करने क्या वाले है? इंडिया में तो अब सतर्कता बढ़ जाएगी तो जरूर वो कहीं और अपना नया प्लान बना रहे होंगे”

“अफ्रीकी कॉन्टीनेंट!” जय के मुंह से यह सुनते ही सभी को एकदम झटका सा लगा की आखिर जय को कैसे पता उनके प्लान के बारे में?

“वो लोग अफ्रीकन कॉन्टिनेट में जा रहे है किसी तरह के मिशन पर जो मुझ से ड्रुग लेने के बाद ही संभव था!”

“क्या?sssssssssssss”

ड्रुग की बात सुनते ही सभी एकदम उस पर बरस ही पड़े केवल हिमांशु ऐसा था जो असमंजस में था बाकी सभी इस बात से हैरान थे कि जय के पास ही नवल का बनाया हुआ ड्रुग था और उसे भी वो लोग यानि ‘रेड ऑक्टोपस’ लेकर चले गए!

“एक मिनट, एक मिनट” हिमांशु ने सभी को रोका, उसने अपनी जेब में हाथ डाल और और एक कांच की मेटालिक ढक्कन वाली ट्यूब निकाली जिसके अंदर एक हेलिकल ट्यूब थी, लाइट ग्रीन रंग के लिक्विड से भरी हुई “अगर नवल का ड्रुग जिया-जी ले गया है तो फिर तुम्हारे कपड़ों में यह क्या है?”

उसे देख कर एक बार फिर सभी के चेहरे सवाल लिए हुए जय की ओर देखे,

“नवल ने इस ड्रुग को एक तरह से bioengineering करके बनाया था और उसने ड्रुग के साथ एक कैटलिस्ट तैयार किया था। इस वक्त तुम्हारे हाथ में वहीं कैटलिस्ट है और इसके बिना वो ड्रुग काम नहीं करेगा!”

अब जब पूरी बात क्लेयर हुई तो सभी ने राहत की सांस ली, कोई भी नहीं चाहता था कि ‘रेड ऑक्टोपस’ के हाथ बना बनाया ड्रुग लग जाए जो उन्हें अमर सा बना दे। अब जाकर उन की काम की बातें खत्म हुई थी और वो कुछ बातें यूं ही कर रहे थे। जय से पूछा कि कहीं वो थक तो नहीं गया तो उसने कहा कि ऐसा लग रहा है कि वो अभी उठ कर एक बार फिर से देसू से लड़ सकता है, जिस पर आसुना और निहारिका ने उसके दोनों कान खींच कर लंबे कर दिए। पुरानी यादें एक मीठे से एहसास के साथ आती है, जिन्हे याद करके बहुत अच्छा लगता है, जाहिर यही अगर यादें अच्छी को तो..... शैली ने आसुना को याद दिलाया कि किस तरह वो खुद जापान में जय के साथ काम करते-करते उस से अकसर् पूछा करती थी कि वो आसुना को छोड़ कर उस से शादी क्यों नहीं कर लेता? जिस पर जय उस से हमेशा यहीं कहा करता था कि वो(शैली) बहुत स्वीट है और जय को स्वीट पसंद नहीं है। उन लोगों के बीच इस बात को लेकर ठहाका लगता रहा और इसी बीच जय की नजर आसुना के पीछे निहारिका और हिमांशु पर गई जो कि एक दूसरे से बहुत चिपके बैठे हुए थे और हाथ पकड़े हुए बहुत हंस हंस कर बातें कर रहे थे, जय को समझते देर नहीं लगी कि इन दोनों की ‘सेटिंग’ हो गई है। जय ने ऐसे ही जरा अपनी आवाज तेज करते हुए पूछा

“तोsssss….. तुम दोनों का क्या चल रहा है.....?” जय की थोड़ी तेज बनावटी आवाज सुन कर हिमांशु ने निहारिका का हाथ ऐसे छोड़ दिया जैसे वो जानता ही नहीं है। उसे देख कर निहारिका ने झट से उसका हाथ पकड़ लिया तो सभी उन दोनों के बीच इस तरह का माहौल देख कर एक बार फिर ठहाके लगा कर हंसने लगे।

“वोहsss, देख कर लगता है तुम दोनों की खूब जम रही है!” जय हिमांशु की थोड़ी घबराई सी शक्ल देख कर मुस्कुराया “ये हाथ पकड़ने से आगे बढ़ोगे या बस इतना ही था?”

जय की बात सुनकर अचानक हिमांशु बोल पड़ा,

“ऐसे कैसे छोड़ दूँ!” उसकी बात जो सुनी तो सभी एक बार फिर मुस्कुरा पड़े, हिमांशु का चेहरा लाल सा हो गया और फिर वो सर झुका कर बैठ गया। उसे कुछ ना बोलते देख निहारिका बोली

“हम दोनों शादी करने की सोच रहे थे पर तुम्हारा ख्याल आते ही ये जनाब का मन ही डोल गया.....ये बोल रहा था कि अपने भाई को तुम ही मना लेना....मुझ से तो बोला ना जाएगा”

“अरे ऐसा क्यों?.....” निहारिका की बात सुनकर जय ने हिमांशु को टेढ़ी नजर से देखा तो हिमांशु ने चेहरा ही फेर लिया “ओsss हिमांशु जी, जरा इधर देखना.......”

हिमांशु ने धीरे से चेहरा जय की ओर किया और बिना मुस्कुराये चुप चाप उसे देखने लगा,

“यार अगर तू उस से प्यार करता है तो बोलने से क्यों डर रहा है? अरे मैं तुझे खा थोड़े ही जाऊंगा” जय की ऊंची आवाज से हिमांशु थोड़ा और नर्वस हो गया “अच्छा चल बता क्या तू निहारिका से शादी करना चाहता है?”

“हाँ, मैं निहारिका से प्यार करता हूँ......और....औल.. उत!” वो बेचारा इतनी मुश्किल से जय से निहारिका का हाथ मांगने ही वाला था कि नर्वस होने के कारण उसकी आवाज तुतलाने लगी! इस पर तो रोके ना रुकी किसी की हंसी और वो सभी थोड़ा हँसे ही थे कि

“रिश्ता मंजूर है! क्या कहती हो आसुना? जोड़ी जम रही है दोनों की!” जय ने खुश होते हुए आसुना से पूछा तो उसने सर हिला कर हामी भरी, जय की बात सुनते ही सभी हिमांशु और निहारिका को बधाई देने लगे। निहारिका और हिमांशु की तो खुशी का ठिकाना ही नहीं रहा की इसी बीच अतुल भी आ गया। जब उसे पता चला कि इतने सालों के इंतजार के बाद आखिरकार उसके दोस्त, उसके भाई हिमांशु को कोई लड़की पसंद भी आई और सीधे शादी तक बात चली गई तो वो बहुत खुश हुआ इतना कि वो हँसते हुए हिमांशु की कमर पर चढ़ गया। उसकी यह हरकत देख कर रेशमा उसे उतारने को दौड़ पड़ी और फिर उन सभी के बीच में हंसी मजाक शुरू हो गया।

हिमांशु और अतुल की दोस्ती देख कर उसे नवल की याद आ गई, वह उन दोनों को देख कर खुश था पर पहली बार वो नवल की याद में दुखी नहीं था बल्कि उसके चेहरे पर एक आत्मसंतुष्टि वाली मुस्कान थी। नवल खुद नहीं चाहता कि उसके बारे में सोच कर जय के आँसू निकले। आखिर उन दोनों की कहानी जब मुस्कुरा कर शुरू हुई थी तो जब यह कहानी आगे बढ़ रही है.........चेहरे पर मुस्कान ही बनी रहनी चाहिए न?

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1 महीने बाद

आतंकवादियों के हमले को पूरा 1 महीना गुजर चुका था, अब वो शहर जिसकी हालत बेकार सी हो गई थी वो काफी हद तक सुधरने लगा था। जिन चौराहों पर बम ब्लास्ट हुआ था उन का बहुत नुकसान हुआ था, वैसे तो इस सब की भरपाई के लिए सरकार खर्चा करने वाली थी पर फिर लोगों ने खुद से आ आकर इन जगहों की मरम्मत में योगदान किया था। अब ये शहर काफी बदल गया था। पिछले हादसों ने इसे काफी कुछ सिखाया था, लोग हमेशा ही एक दूसरे से दूरी बनाए रखते थे, कोई क्या कर रहा होता था इस से किसी को कोई मतलब ही नहीं था पर जिन्होंने अपनों की मौत देखी थी, जिन्होंने अपने शहर को जलते हुए देखा था उन्होंने सब कुछ बदलने की ठान ली थी। सबक सीख लिया था कि अगर अपने घर का ध्यान नहीं रखोगे तो कोई भी आकर उसे नुकसान पहुंचाने की कोशिश करेगा। जिन लोगों ने उस दिन बम ब्लास्ट में अपनी जान गवायी थी उन लोगों के नाम आज के समय में श्रद्धांजलि के रूप में उन चौराहों के बीच में बने स्तम्भ में अंकित किये गए थे। यह न केवल उन लोगों की याद में बनाया गया था जिनकी जान सरकारी लापरवाही से गई थी बल्कि यह सभी को याद दिलाता था कि 8/02/31को हुई उस घटना ने इंसानियत को आने वाले इन आतंकवादी खतरों से जुझारू रूप लड़ने का प्रोत्साहन दिया है।

पुलिस के जिन लोगों ने अपने परिवार के लिए अपने साथियों की कनपटी पर बंदूक रखी थी उन्हे किसी तरह की सजा नहीं दी गई बल्कि उनसे दिन-रात इस बात को याद दिलाते हुए काम कराया गया कि तुम्हारे सर पर केवल अपने परिवार की नहीं बल्कि कई परिवारों की जिम्मेदारी होती है, अपने कर्तव्यों से डर कर पीछे हटना भी तो अपमान ही होता है न? अतुल का काम ठीक से चल रहा था, जब से उसने आतंकवादियों को पनडुब्बी में भागते देखने की बात बताई थी तभी से पुलिस में उसका सम्मान बढ़ गया था। इसलिए नहीं कि उसने यह बताया था, बल्कि इसलिए क्योंकि कोई कुछ भी बोला पर अतुल की बात वैसी की वैसी ही रही उसने अपना बयान नहीं बदला। अफसोस इस बात का रहा उस पनडुब्बी के बारे में कोई भी जानकारी नहीं मिली, अतुल की मदद से उस पनडुब्बी के कई स्केच बनाए गए पर कोई भी इस तरह की पनडुब्बी की पुष्टि नहीं कर पाया जो रडार और आँखों को चकमा दे जाए। पुलिस के बारे में अब एक और खास बात थी......पुलिस और अन्डरवर्ल्ड के बीच दोस्ताना रिश्ते बन गए थे जिसके अपने फायदे थे!

भारतीय अन्डरवर्ल्ड के पहले 3 चेहरे थे जिनमे से 2 को ईस्टर्न फैक्शन खत्म कर चुका था और केवल शैली ही बची थी। शैली के साथ ही अब रूबी भी अन्डरवर्ल्ड में उतर चुकी थी, इसमे शैली का कोई हाथ नहीं था उसने खुद अपने आप ही अन्डरवर्ल्ड को एक हेड के रूप में जॉइन किया था, यह अंदर की बात थी जिसका कुछ ही लोगों को ख्याल था। शैली ने अपनी टेक्नॉलजी अच्छी शर्तों पर सरकार से साझा करी थी जिसके लिए वो खुद प्रधानमंत्री से मिली थी, वैसे वो इस सब के लिए तैयार नहीं थी पर हिमांशु ने उसे और प्रधानमंत्री दोनों को मनाया था। वो दोनों ही उस मुलाकात के बाद एक-दूसरे के देश को लेकर बने हुए विचारों से बहुत प्रभावित थे! यह इतिहास में पहली बार था कि किसी देश ने अन्डरवर्ल्ड के साथ सरकारी समझोंता या संधि की थी पर इस सरकारी समझौते का ऐलान नहीं किया गया था क्योंकि ऐसा करने से उन पर काफी सारे सवाल खड़े हो सकते थे। इस सब के बारे में प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति की ही मंजूरी मौजूद थी, आखिर हर किसी पर इस तरह के मामलों में भरोसा नहीं किया जा सकता था। उस रहस्यमयी पनडुब्बी के बारे में सारी जानकारी शैली को दी गई थी और शैली ने भी उसके बारे में जानकारी जुटानी शुरू कर दी थी........

सीबीआई के उन सारे जवानों के परिवारों की जांच की गई जिन्होंने ‘रेड ऑक्टोपस’ के साथ हाथ मिलाया हुआ था, पता चला कि वे सभी मुंबई के ही दादर के सबसे बड़े अनाथालय से जुड़े हुए थे। उस अनाथालय का नाम ‘बाल विहार’ था, इस सब के बारे में पता चलते ही उस पूरे अनाथालय का कच्चा-चिट्ठा निकाल लिया गया और अच्छे से जांच करने पर पता चला कि हर साल उस जगह को बहुत सारी फन्डिंग मिलती थी जो कि कई देशों से आती थी और उनके उस अनाथालय में एक टीचर भी था जो ‘रेड ऑक्टोपस’ का मेम्बर था। उसी की दी हुई गलत शिक्षा ने बच्चों को आतंकवादियों में बदल दिया था। सीबीआई ने इस सब का पर्दा फ़ाश कियाया और इसी तरह के जितने भी अनाथालय भारत में चल रहे थे उन सभी पर छापेमारी की और ‘रेड ऑक्टोपस’ का नाम मिटा दिया। बच्चों की सही शिक्षा की व्यवस्था की गई और उनके भविष्य को उज्ज्वल बनाने के लिए हर संभव प्रयास किये गए। इस मिशन के पीछे राजन का ही हाथ था, उसने अपनी गलती से जो भी सीखा था उसका एकदम सही उपयोग कर रहा था, साथ ही अब उसका स्वभाव काफी नरम हो गया था।

15 दिन में जय को अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया था क्योंकि आसुना ने इस बात पर अपना मन बना लिया था कि आगे जय का इलाज जापान में होगा। इस पर सभी ने उसे बहुत समझाने की कोशिश की पर आसुना के आगे किसी की नहीं चली, आसुना ने जय से कभी किसी चीज के लिए जिद नहीं की थी इसलिए इस बार जब वो जिद कर रही थी तो जय मना नहीं कर पाया। इन आने वाले 15 दिनों में हिमांशु और निहारिका की शादी की पूरी व्यवस्था की गई थी, हर तरफ खुशी का माहौल था। यह ऐसी शादी थी जिसमे पुलिस, सीबीआई, अन्डरवर्ल्ड और बहुत सारे विदेशी भी शामिल थे जिसमे वेस्टवार्ड फैक्शन का लीडर ‘शियाबेई’ भी मौजूद था। इतना बढ़िया नाच-गाना हुआ था न, कि सब लोग एक ही धुन पर झूम रहे थे! कल्पना करों की अलग-अलग देश धर्म के लोग एक साथ एक ही गाने की धुन पर नाच रहे थे, नाच क्या रहे थे उस शादी में तो डांस का मुकाबला ही हो गया था। जय भी बहुत नाचने को हो रहा था पर थोड़ी देर बाद ही उसे हिमांशु और निहारिका ने पकड़ कर अपने पास बिठा लिया था। निहारिका ने शादी में जय के द्वारा दी गई पिंक साड़ी ही पहनी थी। हिमांशु की सफेद शेरवानी की व्यवस्था उसकी पूरी टीम ने की थी जिसमे उसका चॉकलेट रंग बहुत खिल रहा था। आखिर में जय आसुना को ही नाचता हुआ देखता रहा......पर इस पूरी शादी को सभी ने इन्जॉय किया और शादी के 5 दिन बाद जय और आसुना जापान ले लिए चले गए। सब कुछ एकदम से शांत हो गया, सामान्य हो गया बस एक अच्छी बात यह रही कि हिमांशु को अगले मिशन से पहले अच्छी छुट्टी मिल गई थी। उसके साथी भी अब उसके पर्मानेंट साथी हो गए थे, हिमांशु अब निहारिका के ही घर में मुंबई में रहने लगा था और उसकी टीम अपने सेक्रेट बेस पर ‘रेड ऑक्टोपस’ को अपना केस मान कर काम कर रही थी..........अब केवल जय नहीं था जिसका बदला ‘रेड ऑक्टोपस’ से जुड़ गया था...........

11 मार्च 2031

निहारिका ने अपना मनोचिकित्सक का काम फिर से शुरू कर दिया था। सोमवार की चिलचिलाती धूप में घर के गार्डन में हिमांशु बैठा हुआ था एक बांस की सींक वाली कुर्सी पर। सुबह के 9 बज रहे थे और अभी एक घंटे पहले ही निहारिका काम के लिए अस्पताल निकल चुकी थी, हिमांशु भाई का मस्त चल रहा था....उसने पहली बार काम से छुट्टी ली थी इसलिए उसके चेहरे पर बड़ी ही सुकून वाली मुस्कान थी। पूरे दिन निहारिका काम करती थी और शाम 5 बजे घर आ जाती थी उसके बाद दोनों एक दूसरे से खूब बातें किया करते थे। कभी साथ में रात इसी घर में बिताते थे तो कभी अतुल के घर पर..........हनीमून पर कहीं जाने का प्रोग्राम नहीं था हनीमून यहीं मन रहा था, बस कुछ समय बाद विदेश घूमने की तैयार हिमांशु अपने मन से कर रहा था। वो बस कॉफी पीकर बेस पर जाने ही वाला था तभी उसका फोन बज उठा। फोन पर रूबी थी, उसने हिमांशु को अपने अस्पताल बुलाया था....कुछ जरूरी काम था!

हिमांशु तुरंत ही वहाँ पहुँच गया, वहाँ से सीधे रूबी के ऑफिस रूम में। कांच का वह दरवाजा खोलते ही जैसे उसके कदम अंदर पड़े, उसने रूबी के सामने एक और लड़की को बैठा पाया जिस से वो बहुत मुस्कुरा कर बातें कर रही थी। उसने हिमांशु को अंदर आते हुए देखा तो बोली

“प्लीज बैठो, एक जरूरी काम था इसलिए सोचा कि पहले तुम से ही कान्टैक्ट करूँ”

हिमांशु ने उस लड़की के बगल वाली कुर्सी पर खुद को बिठाला, उसकी नजर उस लड़की पर पड़ी तो एक बार को उसकी नजरें डगमगा गईं, उसे ऐसा लगा जैसे उसने इस लड़की को कहीं पर देखा था, पर कहाँ उसे यह याद नहीं आ रहा था। वो काफी गोरे रंग की थी, उसके भूरे बाल बहुत ही रेशमी मालूम पड़ रहे थे, साथ ही उसकी हल्की नीली आँखें हिमांशु को समुद्र की शांति की याद दिला रहीं थी। काफी लंबी चौड़ी लड़की थी वो पर उसकी खूबसूरती उस पर जँच भी रही थी, काली जींस, सफेद टॉप और उसके ऊपर एक ब्राउन जैकिट! सादा पर प्रभावशाली पहनावा था.......

“यह मेरी दोस्त है जिसके पास ‘रेड ऑक्टोपस’ को लेकर एक अच्छी जानकारी है” यह बात रूबी के मुंह से सुनते ही हिमांशु इस जानकारी को लेकर उत्साहित लगने लगा पर उसके पूछने से पहली ही उस लड़की ने बोलना शुरू किया

“अकामे ने बताया कि तुम्हारे पास एक ‘प्लैटनम’ ग्रैड का सशिल्प(आर्टफैक्ट) है......” उस लड़की की आवाज बहुत सोम्य थी, उसके मुंह से अकामे का नाम सुनते ही उसे याद आ गया कि ‘ब्लड बुचर’ के बारे में केवल अकामे को ही जानकारी थी इसलिए वो उस लड़की की बात पर भरोसा कर लेता है। हिमांशु हामी में सर हिलाता है,

“अब जब तुम्हें सशिल्प के बारे में जानकारी है तो मेरा काफी सारा समय बच गया” वो कुर्सी हिमांशु की तरफ मोड़ती है “ रेड ऑक्टोपस के लोग सशिल्पों को इकट्ठा कर रहे है, सबसे ताकतवर सशिल्पों को। और उनकी नजर एक ऐसे सशिल्प पर जो या तो मरे हुए को जिंदा कर सके या फिर एस्ट्रल एनर्जी (Astral Energy) का मन मर्जी उपयोग कर सके”

उसकी बात सुनकर यकीन करना मुश्किल था कि ऐसा कोई सशिल्प भी हो सकता है जो मुरदों को जिंदा कर सके या आत्माओ को नियंत्रण में ला सके पर जब वो खुद एक ऐसे सशिल्प का मालिक है जो लोगों को मार कर उनकी शक्ति खुद में समाहित कर लेता है, तो अब उसे इस सब को सुन कर अचरज नहीं हो रहा था।

“अगर ऐसा है तो उन्हे रोकना जरूरी है पर उन्हें रोकना उतना भी आसान नहीं होगा” हिमांशु ने उस लड़की की आँखों में देखा, जिनके अंदर इस बात की कोई शंका नहीं थी कि वो लड़ने को तैयार है “उनके एक ‘कमांडर’ को हराने में हमारे सबसे ताकतवर दोस्त की हालत खराब हो गई थी, ऊपर से जब पता चला कि उस कमांडर से भी ऊपर और भी ताकतवर लोग है तब टीओ समझो लड़ने की बात ही दूर है, हम उन तक पहुँच भी नहीं पाएंगे”

“बिल्कुल, बिल्कुल ऐसा ही होता अगर यह दुनिया पहले जैसी होती तो!” उस लड़की ने ऐसे कहा जैसे वो कुछ जानती है, दुनिया बदलने की बात जो हिमांशु ने जिया-जी के मुंह से सुनी थी वह अब भी उसे खटक रही थी, उस लड़की की बात ने हिमांशु को एक तरह से बांध लिया “आने वाले समय में यह दुनिया बहुत ज्यादा बदलने वाली है मिस्टर हिमांशु, और उस बदली हुई दुनिया के नियमों का इस्तेमाल करके हम उन्हें भी हरा पाएंगे जिन्हे हराना आम इंसान के बस की बात नहीं है”

वो आगे झुकते हुए हिमांशु की आँखों में अपना भाव डालते हुए बोली जिसे सुन कर हिमांशु एक पल के लिए सोच में पद गया पर अगले ही पल उसने पूछा,

“अगर तुम इतना ही जानती हो तो कोशिश कर लो, इसमे मेरी क्या जरूरत है?”

इस बात को सुनते ही उस लड़की ने रूबी को ऐसे देखा जैसे आँखों से पूछ रही हो, ‘ये पक्का वहीं है जिसके बारे में तुम बात कर रहीं थी?’ जिस पर रूबी ने हामी में केवल सर हिलाया। उस लड़की ने अपने जेब से एक कार्ड निकाला और हिमांशु की ओर बढ़ाते हुए बोली

“मेरी कुछ लोगों की टीम है जो ‘रेड ऑक्टोपस’ के खिलाफ लड़ने के लिए जी जान से कोशिश कर रही है ताकि कहीं ‘रेड ऑक्टोपस’ इस शांति भरी दुनिया की ऐसी की तैसी न कर दे!” हिमांशु के कार्ड लेते ही उसने अपनी सबसे जरूरी बात कही “इसलिए मैं उन लोगों को इकट्टा कर रही हूँ जो योग्य है और उनका ‘रेड ऑक्टोपस’ से सामना हो चुका है..... और हाँ तुम अकेले नहीं हो, तुम्हारे उस जापान वाले दोस्त से भी मैं जल्दी ही मिलने वाली हूँ.....उम्मीद है हम साथ में काम कर पाएंगे”

हिमांशु ने इस प्रपोज़ल के बारे में एकदम से कुछ नहीं कहा, उसने उस कार्ड को लिया जिस पर काले सुनहरे रंग का एक टैटू जैसा चित्र बना हुआ था जो काफी हद तक एक चौड़े मुंह वाले ड्रैगन की तरह था, केवल एक मुंह ही था जो उस चित्रक को भयावह भी बना रहा था और कूल भी। उसके नीचे एक नंबर था जो केवल इंटरनेट के जरिए ही इस्तेमाल किया जा सकता था, एक स्पिसिफिक साइट पर जाकर! हिमांशु ने एक बार रूबी की तरफ देखा जिसकी आँखों में बहुत भरोसा था, साथ ही एक अलग सा जुनून भी।

“मैं तैयार हूँ, वैसे भी ‘रेड ऑक्टोपस’ से काफी सारी जानों का हिसाब लेना है”

यह सुन कर वो लड़की और रूबी दोनों ही खुश हुई, इसके साथ ही हिमांशु ने अपनी कलाई घड़ी पर नजर डाली जो 12 बजा रही थी, हिमांशु उठ खड़ा हुआ और अपना हाथ उस लड़की की तरफ बढ़ाते हुए बोला

“अब मुझे जाना होगा, मेरी भी एक टीम है जो मेरा इंतजार कर रही है”

उस लड़की ने हिमांशु का हाथ बहुत ही ताकत के साथ मिलाया, ताकि नहीं हिमांशु उसे कमजोर ना समझ ले.......हिमांशु मुस्कुराया और बाहर की ओर जाने लगा तभी वह दरवाजे पर रुक गया जैसे उसे कुछ याद आया,

“तुम मेरा नाम तो जानती हो पर मैने तुम्हारा नाम नहीं पूछा?” हिमांशु अजीब तरह से उसे देखते हुए पूछा जिस पर वह लड़की उसकी ओर मुड़ी, उसके चेहरे पर एक अतरंगी सी मुस्कान थी 

“मिलकर खुशी हुई मिस्टर हिमांशु, मेरा नाम एलेनोरा है!


हैलो एव्रीवन!

क्या हाल है आप सभी का और आज के Twilight Killer के इस 42 वे अध्याय के साथ ही ट्वाइलाइट किलर की पहली कहानी का अंत होता है। इसी के साथ में आप सभी का शुक्रगुजार हूँ जो अब तक मेरी कहानियों को पढ़ रहे है और मुझे पूर्ण प्रोत्साहन दे रहे है। जानता हूँ कहानी में, मेरे लेखन में कुछ कमियाँ है और मैं इसी कोशिश में लगा हुआ हूँ की जब भी एक नई कहानी की शुरुआत करूँ तो उन कमियों से सीख कर कुछ बेहतर आप तक पहुचाऊँ।

खैर आज इस कहानी के अंत के बाद 1 अगस्त से The 13th और Mistwood का दूसरा सीजन शुरू होने वाला है जिसकी तैयारी के लिए मैं 3 दिन का समय ले रहा हूँ। यकीन मानिए स्रजल की कहानी में अभी कुछ ऐसे राज़ आपको पता चले वाले है जो आने वाले समय में आगे की कहानियों को बहुत ही ज्यादा दिलचस्प बना देंगे और मुझे पूरी उम्मीद है कि उस दिलचस्प नजारे को देखने के लिए आप सभी मेरे साथ जरूर होंगे।

अगर कहानियों से जुड़े हुई आपके कोई भी सवाल है तो आज के इस भाग में आप समीक्षा के साथ उन्हे लिख कर पूछ सकते है या फिर आप मुझे डायरेक्ट मैसेज भी कर सकते है।

1 अगस्त से आपको और भी मजा आने वाला है Dream Walker के साथ.....

तो मिलते है एक अगस्त को, नयी कहानियों के साथ!              


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