Akshat Garhwal

Crime Thriller

4.6  

Akshat Garhwal

Crime Thriller

ट्विलाइट किलर भाग 13

ट्विलाइट किलर भाग 13

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711


टीना की आवाज में हिचकिचाहट एकदम साफ थी! हिमांशु को समझते देर नहीं लगी कि यह जय वाली प्रॉब्लम नहीं है पर ‘उसे’ यह भी नहीं मालूम था कि उस ओर क्या हो रहा था!

“क्या हुआ टीना? क्या प्रॉब्लम है?” हिमांशु ने शांत रहते हुए कहा

उस ओर से रिसीवर बड पर किसी चीज के घर्षण की आवाज आई, हिमांशु को कुछ अजीब सा लगा।

“हेलो ऑफिसर हिमांशु, ललगता है तुम्हारी इन्वेस्टीगेशन काफी अच्छी चल रही है” एक ठंडी सी आवाज टीना के रिसीवर में से आई, एक जानी पहचानी आवाज...हिमांशु को यह आवाज पहचानते देर नहीं लगी!

“ओह,” हिमांशु के चेहरे पर तीख मुस्कान आ गयी “मुझे लगा नहीं था कि CBI असल में कोई काम भी करती है...पर अब लगता है कि फेमस राजन टार्चर करने के अलावा इन्वेस्टीगेशन भी करता है”

उस ओर से राजन की अजीब सी हंसी आयी,

“बिल्कुल, मुझे अपना काम करना अच्छे से आता है” वह आवाज में थोड़ी सख्ती के साथ बोला “वेसे स्पेशल फ़ोर्स होने के अपने फायदे है, तुम्हारी यह साथी...उसके उपकरण और यह प्रोटेक्टिव सूट काफी एडवांस टेक्नोलॉजी के लगते है”

“हमें तुमसे कहीं ज्यादा खतरनाक काम करने होते है मिस्टर नागराज!,” हिमांशु ने भी आवाज सख्त की

“जरूर! पर एक बात अपने दिमाग में डाल लो” हिमांशु ने उसकी बात को नजरअंदाज नहीं किया “तुम तुम्हारा काम करो मैं अपना काम करूंगा, कोई दखल नहीं, कोई सवाल नहीं! पर याद रहे! कितने भी हाथ पैर मार लो...जय को पकडूँगा तो मैं ही और उसे...टॉर्चर भी मैं ही करूंगा”

राजन की आवाज में क्रूरता और घमंड तो भरा ही था साथ ही वह ठंडी आवाज.....बदन में सिहरन दौड़ा देती थी।

“सपने देखते रहो” इतना कह कर हिमांशु ने कॉल डिसकनेक्ट कर दिया।

अतुल ने उसकी सारी बातें सुन ली थी और वो बिल्कुल भी नहीं चाहता था कि जय गलती से भी राजन के हाथों में जाये। हिमांशु का भी यहीं सोचना था, आखिर वो भी जय से काफी कुछ जानना चाहता था.....हिमांशु के लिए जय अब भी बहुत मिस्टीरियस था, काफी सारे सवालों के जवाब वह जानना चाहता था पर उसके लिए पहले जय का पकड़ा जाना जरूरी था। एक ओर CBI, दूसरी ओर हिमांशु की टीम, पुलिस फोर्स और अतुल...ऊपर से करन की जबरदस्त फॉरेन सिक्योरिटी! जय का यहाँ से बच कर निकलना नामुमकिन था, वह इतने सारे दुश्मनों से घिरा हुआ था कि जहाँ उसका कदम पड़ता वहीं पर एक बंदूक की नली का निशाना होता।

“क्या हुआ हिमांशु?” अतुल ने पूछा “कौन से विचार में डूबे हुए हो?”

“कुछ नहीं, बस कुछ अजीब सा लग रहा है?” हिमांशु ने अपने सीने पर हाथ रखा, और गहरी सांस ली “ऐसा क्यों लग है है जैसे हम से कुछ छूट रहा है?”

“पता नहीं....ओह नो!”

अचानक से वो थोड़ा सा उजाला भी अंधेरे में बदल गया, जैसे सूरज की रोशनी को काले बादलों ने ढक लिया हो। करन की इमारत की सारी बत्तियां बुझ गयीं, कुछ ‘फ्लिकर’ कर रहीं थी, तितली के पंखों की तरह....पर इस अचानक के ब्लैकआउट से अतुल थोड़ा चिड़ गया था, अभी भी थोड़ी दूर बनी हुई दुकानों से कुछ रोशनी आ रही थी पर वह पर्याप्त नहीं थी। अतुल कर के बोनट से उतर गया

“इसके इंवेर्टर्स को भी इतनी जल्दी बैंड होना था क्या!” अतुल की चिढ़ी हुई आवाज सभी को सुनाई दी, पुलिस वालों को भी कुछ समझ नहीं आया पर सिक्योरिटी टीम का बुरा हाल था, वो सभी बिल्डिंग के अंदर-बाहर होने लगे...हिमांशु सब कुछ देख रहा था, राम-राघव भी चौकन्ने थे....हालांकि हिमांशु के सीने में वह अजीब सी फीलिंग तेज...हो गयी थी...............!

************

करन के आफिस के अंदर,

करन अपने आफिस के कमरे में सबसे ऊपर ही था और इस वक्त उसका खाना अभी-अभी खत्म हुआ था। कुछ देर पहले ही बिजली गुल हो गयी थी पर इंवेर्टर्स अपना काम बखूबी कर रहे थे, ऐसा लग ही नहीं रहा था जैसे बिजली गयी भी थी। उसके दोनों गार्ड भी अभी खाना खा कर उठे थे और करन से पास ही खड़े हुए थे जो कि अपनी वाइन की एक पूरी बोतल लिए हुए अपनी डेस्क वअली कुर्सी पर बैठा हुआ था, लैपटॉप बन्द था और वह आराम से एक कांच के वाइन ग्लास में बोतल से वाइन गिलास में डाल कर बड़े मजे से पी रहा था। पेंट्री कार जिसमे खाना और वाइन आयी थी अब भी वहीं पर थी, खाना परोसने वाली मेड करन के कहने पर वहाँ से चली गयी थी। अब जैसे करन को जय का कोई डर नहीं था...उसे भले ही अपने पीछे खड़े हुए गार्ड्स पर भरोसा नहीं था पर उनकी ताकत पर जरूर था।

“वाओ! आज की यह वाइन तो बहुत ही अच्छी है, वेरी स्वीट बट एडिक्टिव!” लगभग आधी बोतल खत्म हो चुकी थी, करन को थोड़ी सी चढ़ भी गयी थी। फिर वह अपनी कुर्सी के पहियों पर ही पीछे को घूमा “तुम दोनों पक्का यह वाइन ट्राय भी नहीं करना चाहते?....बहुत अच्छी है, मुझे यकीन है यह तुमने पहले नहीं पी होगी!”

करन ने उन दोनों से पूछा पर उन्होंने ने ना में हर हिला दिया, वो दोनों किसी खजाने के द्वारपाल जैसे जमे खड़े हुए थे। कर्ण वापस अपनी जगह पर घूम गया और बची हुई वाइन को भी पीने लगा, सच में! उस वाइन का टेस्ट ऐसा था जो आज तक करन ने कभी भी नहीं पीया था। वह सच में एडिक्टिव हो गया था,

पर जैसे उसका बेफिक्र चेहरा उस वाइन के मजे ले रहा था, सब जगह अंधेरा छा गया....बिजली एक बार फिर गुल हो गयी, इस बार वो इन्वर्टर्स थी! करन तो छोड़ो, वो दोनों गार्ड एक पल के लिए सकते में आ गए थे इस तरह अचानक से हर जगह अंधेरा हो जाना अच्छा तो नहीं था पर अगले ही पर उन दोनों ने सिचुएशन को संभाल लिया,

“डोंट पैनिक सर!....मैं अभी पेंट्री कार से कुछ मोमबत्तियां निकाल कर जलाता हूँ, तब तक आप फ़ोन की लाइट जला लें” उसने अपने जेब से के मेटल का लाइटर निकाला और उसे जलाने की कोशिश करते हुए पेंट्री कर के पास जा पहुंचा

“ओकेssss..... पर मुझे यह वाली वाइन और चाहिए.....खों..खों..!”

थोड़े नशे में उसका मोड़ अच्छा लग रहा था पर उसे अचानक ही खांसी आ गयी। उसने अपना फ़ोन निकाल कर नहीं चालू किया था। पीछे एक और बॉडीगार्ड खड़ा हुआ था जिसने एक दोनों तरफ छेद वाला मास्क पहना हुआ था और उसके लंबे बाल उसके लुक्स को खतरनाक बना देते थे!

लाइटर जला, वह गार्ड झुका और पेंट्री कार के नीचे वाले हिस्से को खोल कर उसमें मोमबत्तियां ढूंढने लगा जो उसे मिलने में देर नहीं लगी, लाइटर का उजाला कम था। वह मोमबत्तियों को लेकर खड़ा हुआ, लाइटर जल रहा था। तभी उस मास्क वाले ने मोबाइल की टोर्च से रोशनी करन की ओर मारी, मास्क वाले गार्ड की आंखें किसी सदमे से एकदम सफेद पड़ गयीं!

“सर! यह क्या हो गया?..आपके मुह और नाक से यह खून क्यों निकल रहा है!” लाइटर वाले गार्ड ने टोर्च की लाइट पड़ते ही करन पर नजर मारी तो यह बिना सकते में आये चीख पड़ा। आखिर उस नजारे को बदलने में केवल इन्वर्टर ऑफ होने तक का ही तो समय लगा था...मुश्किल से 30 सेकंड हुए थे। करन बिल्कुल ठीक लग रहा था पर उसके नाक और मुह से गाढ़ा खून निकल रहा था, बहुत अजीब बात थी। वह बिल्कुल ठीक लग रहा था, उसने अपने शर्ट की स्लीव से खून को पोंछा, इतना गाढ़ा खून निकलता देख वह डर गया, उसका चेहरा सफेद पड़ गया ,पूरा नशा एक ही झटके में जैसे उतर गया।

“यह क्या हो रहा है मुझे?.....यह खून, यह कहाँ से आया! मुझे...मुझे डर लग रहा है” उसकी कनपटी आवाज और आंखों ने सामने उस लाइटर लिए गार्ड पर गयी, उसका शरीर कांपने लगा, जैसे मौत उसके मन खड़ी हो। लाइटर की मद्धम रोशनी में उस गार्ड के पीछे कोई खड़ा था, उसे एक लंबा काला कोट दिखा था और एक गोल टोपी, जिसके नीचे उसने जो भी देखा, करन के लिए वो मौत से भी बत्तर था, उसकी घिग्घी बंध गयी।

करन की नजर और हाव-भाव को देख कर मास्क वाले गार्ड ने अपने साथी की तरफ टोर्च की रोशनी डाली तो, उसकी फटी हुई आंखे चीख पड़ी,

“बिहाइंड यू!” उस टोर्च की रोशनी में मास्क वाले गार्ड को जैसे कोई भूत दिखा था, उसकी चीख इतनी तेज थी कि लाइटर रखा हुआ गार्ड एक पल के लिए अपनी ही जगह पर जम गया, उसके पीछे कोई खड़ा हुआ था और उसे पता भी नहीं चला। वह सूनी आंखे, भाव-विहीन चेहरा...वह मौत की बेआवाज आहट, यह अब उसकी निशानी बन गईं थी, उसके हाथ खून से रंगे हुए थे....करन के लिए वो एक राक्षस था!...वह ‘जय’ था!

“हाsssss......!!” लाइटर को छोड़ कर उसने पीछे की ओर बिना देखे ही बांई किक मारी!

“खच्च!..” पर जय ने यह वार जैसे आता है देख लिया था, बहुत ही कम हलचल के साथ उसकी किक से पहले ही जय ने अपनी कमर में बेल्ट से खुची हुई छोटी कटाना को उस जगह पर सामने की ओर पकड़ लिया जहां पर उस गार्ड की किक पड़ने वाली थी। कटाना उसके पैर के आर-पार हो गयी! अगर कोई आम आदमी होता उसकी जगह तो उसकी छेख से पूरा आसमान गूंज जाता पर वह गार्ड ने जाने किस मिट्टी का बना हुआ था फुर्ती से अपने लहूलुहान पैर की चिंता किये बगैर उसने झटके से उछलते हुए अपना शरीर घुमाया और घूमते हुए वो दूरी लात जय की गर्दन की ओर दे मारी!

“यस!.....अररssss.....!” मास्क वाला गार्ड एक दम चिहुँक उठा जैसे ही उसने अपने साथी की लात जय की गर्दन की ओर जाते हुए देखी, पर उसका उत्साह किसी सपने की तरह टूट गया और उसे अपनी आंखों पर यकीन नहीं हो रहा था1 उसे पूरा यकीन था कि अभी उसने जय की गर्दन से अपने साथी की लात टकराते हुए देखी थी पर असल में जय के बिल्कुल सामने से वह किक निकल गयी थी और

“धांय-धांय-धांय!” उसके जमीन पर गिरने तक जय ने अपनी पुरानी रिवॉल्वर से 3 गोलियां उसकी रीढ़ की हड्डी और स्पाइनल कॉर्ड में दे मारी,उसकी सफेद कोट तेजी से रिसते हुए लाल रक्त से रंग गयी थी। यह कोई फाइटिंग रिंग नहीं थी जहाँ पर लड़ने के लिए रूल्स होते है, एक दूसरे की ताकत परखी जाती है.....यह कत्ल था जिसमे कोई रूल नहीं होते, ठीक जिंदगी की तरह!

“आहsssss.......!” करन ने अपने बालों को किसी पागल की तरह पकड़ लिए, वह पूरे गले की ताकत से चीखा। आखिर वह इस बात से परिचित था कि जिसे अभी-अभी जय ने मारा था वह इतना ताकतवर था कि बाहर लगे हुए 20 गार्ड एकसाथ भी हमला कर दें तो उसे हरा नहीं सकते थे पर जय ने उसे कुछ ही पलों में खत्म कर दिया “मैं मरना नहीं चाहता! मुझे छोड़ दो! मुझ से दूर रहो....नहीं!”

करन जय के डर में पूरी तरह फंस चुका था, जय अपनी कटाना गार्ड के पैर से निकालने को झुका, की उसे किसी धारदार हथियार से उसके पास की हवा कटने की आवाज आई! कटाना निकालते हुए वो पीछे की ओर हट गया! किसी हथियार की चमक उसके आंखों से बहुत करीब से गुजर गई! उसकी नजरें उस हथियार की ओर गयीं तो वह मास्क वाला गार्ड जय की ओर करन को कवर करते हुए बढ़ रहा था!

उसके हाथ में जंजीर से बना हुआ हथियार था जिसके पीछे एक भारी गोल हथोड़े जैसा आकृत था जिसे उसने हाथ में आराम से पकड़ रखा था। जंजीर के जिस हिस्से से वह हमला कर रहा था वह हिस्सा जंजीर के साथ उसके सामने किसी चक्र की तरह घूम रहा था जिसकी टिप पर एक घुमावदार मुड़ा हुआ चाकू जैसा कुछ था, इस हथियार का नाम ‘कुसारीगामा’ था। उसकी आँखों में अपने साथी को खोने का कोई गम नहीं था, पर उसकी आंखें जय को किसी चील की भांति देख रहीं थी। यह सब देख कर भी करन का डर कम नहीं हुआ था, वह टेबल के नीचे छुप गया था पर उसकी हालत भी नाक और मुह से बह रहे गाढ़े खून से खराब थी,

“यू माइट हैव किल्ड हिम!....किसी तरह छुप कर उसे मार तो दिया पर तेरी मौत मेरे ही हांथो होगी, मैंने एक बार जिस टारगेट को देख लिया फिर वह जिंदा नहीं बचता!”

उस मास्क वाले गार्ड की बात को जय के हल्के में नहीं लिया कुसारिगामा का वार जय की ओर इतनी तेजी से आया कि उसे हवा ही काट दी! सन-सन की आवाज के साथ उसका हर वार तेज होता जा रहा था, अभी के लिए वह आगे बढ़ने की कोशिश कर रहा था पर कुसारिगामा के वार इतने तेज थे कि दिखाई भी नहीं दे रहे थे! और जय किसी तरह उसके वारों से बाल-बाल बच रहा था। उसके वारों की ताकत का अंदाम इसी बात से लगाया जा सकता था कि नीचे की टाइल वाला फर्श हर बार के साथ किसी पापड़ की तरह टूटता जा रहा था, सीलिंग भी लंबे घावों से भर गई थी। आखिर जय भी उस से कब तक बचता! जय थोड़ा मोटा था, उसका स्टैमिना इतना नहीं था कि इतनी तेज रफ्तार के वारों को देर तक संभाल सके!

धीरे-धीरे जय के गाल, माथे और कपड़ों पर हल्के-हल्के कट लगने शुरू हो गये, उसकी सांसे भारी होने लगीं. इतनी भारी की कोई भी उसकी सांसो को सुन कर बता सकता था कि वह कितना थक चुका था। अब किसी भी पल जय का शरीर मक्खन की तरह कुसारिगामा से कटने वाला था, जय यह बाजी हारने वाला था............................ऐसा.....! मास्क वाले उस गार्ड को लगा था

अचानक ही जय ने अपने गर्दन की ओर की गई चलीं हिट अवॉयड की और एक उछाल की तरह उसकी ओर बढ़ गया, मास्क वाले के लिए यह अचानक था पर वह रुका नहीं बल्कि तेजी से लगातार दूसरा वार किया कि अचानक ही उसे कुछ चमकदार चीज अपने बहुत करीब आते हुए दिखी, उसकी आंखें फट गयी! जय की कटाना उसके बहुत नजदीक उड़ती हुई आ चुकी थी! जब यह ने आगे की और उछाल किया था उसी वक्त उसने नीचे से ऊपर की ओर अपनी छोटी कटाना को भी फेंक दिया था जो मास्क वाले गार्ड की नजरों से बच गयी थी। उसे इस हमले की बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी। पर यह उसके लिए कोई बड़ी बात नहीं थी, अपने हाथ में थमा हुआ कुसारिगामा का दूसरा सिरा उसने कटाना की ओर फेंक कर कटाना को आसानी से जमी पर गिरा दिया। तभी जय ने नीचे पड़े हुए टाइल्स के टुकड़ों में अपने जूतों को डाला और पेर झटकते हुए टाइल्स के टुकड़े उसके ऊपर फेंक दिए उसने तुरंत ही कुसारिगामा के दोनों सिरों को अपने करीब लाते हुए उन टुकड़ों को ऐसे चकनाचूर कर दिया जैसे किसी ग्राइंडर में डले अखरोट हों। पर जब उसने जय की ओर नजरें डालीं तो उसके पसीने छूट गए, सब कुछ इतनी जल्दी हुआ कि वो गार्ड यह भूल ही गया कि कुसारिगामा जय से दूर हो गया था और अगले ही पल जय आंखों में मौत का पैगाम लिए, उसकी बंदूक ताने खड़ा हुआ था!

“धांय-धांय!” रिवॉल्वर से निकली वो दो गोली उसके कुसारिगामा और फुर्ती से कहीं ज्यादा तेज थी! दोनों आंखों को खोखला करते हुए उन गोलियों ने उस गार्ड की खोपड़ी को फाड़ दिया! आंखों के मांस के लोथड़े और गर्म खून उछल पड़ा, पीछे कांच से टकराता हुआ वो अपने कुसारिगामा के साथ ही जमीन पर धराशाही हो गया। मंजर ख़ौफ़नाक था, जय थका हुआ जरूर था पर इसी थकान ने उसे घायल शेर सा खतरनाक बना दिया था।

किरन ई हालात खराब होने लगी थी, उसकी त्वचा फटने लगी थी जैसे कोई अंदर से उसे रह-रह कर काट रहा हो। शरीर कड़क होने लगा था, वह खून भी गाढ़ा था जैसे अंदर ही जमने लगा हो। यह प्रक्रिया अभी धीमी थी, पर बहुत दर्दनाक थी,

जय के कदम अब टेबल के नीचे घिसटते हुए करन की ओर बढ़ने लगे, कर्ण घिसटते हुए उन कंचों की ओर चला जा रहा था जैसे इतनी ऊपर से मदद के लिए किसी को पुकारना चाहता हो, इशारों से ताना चाहता हो कि वह मुसीबत में है। जय उसके बिल्कुल करीब पहुंच गया, कॉलर पकड़ के करन को उठाया कि तभी,

“सन्नsssss... तरक........!” कहीं दूर से एक गोली उसके सर की ओर खिड़की से टकराई जिसका निशाना वह खुद था! 



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