हरि शंकर गोयल "श्री हरि"

Crime Thriller

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हरि शंकर गोयल "श्री हरि"

Crime Thriller

कातिल कौन, भाग 38

कातिल कौन, भाग 38

14 mins
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रेखा को हीरेन ने दर्शक दीर्घा में बैठने के लिए तो बोल दिया था लेकिन रेखा को गवाही के बाद अहसास हुआ कि समीर थानेदार मंगल सिंह के कहने से सक्षम की हत्या करने गया था लेकिन सक्षम के बजाय समीर का ही कत्ल हो गया । उसे लगा कि समीर का कत्ल मंगल सिंह ने किया है । यह जानकर वह जोर से चीख पड़ी।  


"हुजूर , समीर को मंगल सिंह ने मारा है । मंगल सिंह ही कातिल है समीर का । उसने अपना भेद खुलने से बचने के लिए ही उसकी हत्या की है । समीर की लाश की पहचान नहीं हो सके इसलिए उसका चेहरा इस मंगल सिंह ने चाकुओं से विकृत कर दिया था । इसी ने उसका मोबाइल गायब किया है और उस किट को भी यही लेकर गया है कहीं । मंगल सिंह को फांसी की सजा दो मी लॉर्ड क्योंकि कातिल वही है, उसके अतिरिक्त और कोई नहीं है" । 

और रेखा वहीं बैठकर जोर जोर से गला फाड़कर रोने लगी । वह विटनेस बॉक्स में ही फैल गई थी । उसके ऐसा करने से अदालत में अफरा तफरी मच गई । लोग इधर उधर भागने लगे । 


चूंकि अदालत के बाहर एक स्क्रीन पर बहुत सारे लोग अदालती कार्यवाही का लाइव प्रसारण देख रहे थे इसलिए रेखा को इस तरह बिलखते हुए देखकर सब लोगों के मन में रेखा और उसके मासूम बच्चे नीटू के लिए सुहानुभूति उमड़ने लगी । जन भावनाओं को ध्यान में रखते हुए न्यूज चैनल्स "रेखा का क्या कसूर" , "मासूम नीटू को न्याय कब" और "रसिया थानेदार को फांसी दो" के नाम से 24 घंटे कार्यक्रम चलाने लगे । कल तक ये चैनल्स थानेदार मंगल सिंह को हीरो बता रहे थे और आज उसकी फांसी की सजा की मांग कर रहे थे । ये चैनल्स भी बिना तथ्यों के कपोल कल्पित समाचार दिखाने लगे हैं आजकल । 


अधिकांश न्यूज चैनल्स ने एक ऑनलाइन सर्वे कराना प्रारंभ कर दिया था । जनता से अपील की जाने लगी कि इस सर्वे में अधिक से अधिक भाग लेकर करोड़पति बनें । सर्वे में भाग लेने वालों के लिए तीन आकर्षक इनाम रखे गये थे । प्रथम पुरुस्कार 5 करोड़ रुपए का था , द्वितीय 3 करोड़ का और तृतीय पुरुस्कार 1 करोड़ का था । विजेताओं का चयन लॉटरी द्वारा किया जाना था । सर्वे में एक प्रश्न पूछा गया था । "समीर के कत्ल के आरोपी थानेदार मंगल सिंह को क्या फांसी की सजा दी जानी चाहिए" । इसके लिए लोगों को तीन ऑप्शन दिये गये । पहला हां, दूसरा ना और तीसरा पता नहीं । 


सर्वे में भाग लेने वाले लोगों की संख्या स्क्रीन पर दिख रही थी और सर्वे का ऑनलाइन परिणाम भी स्क्रीन पर दिख रहा था । अब तक इस सर्वे में लगभग 10 करोड़ लोग भाग ले चुके थे जिनमें से 90 % लोग थानेदार मंगल सिंह को फांसी की सजा देना चाहते थे । 5 % लोग फांसी की सजा नहीं दिलाना चाहते थे और शेष 5 % लोगों को कुछ पता नहीं था । ऐसे लोगों को कभी कुछ पता होता भी नहीं है । वे लोग धरती पर क्यों आये इसका भी उन्हें पता नहीं है । लॉटरी से तीन लोगों का चयन हो गया । बाद में पता चला कि वे तीनों लोग चैनल मालिक के ही रिश्तेदार थे । इस देश में हर जगह भ्रष्टाचार भरा पड़ा है । कोई करे तो क्या करे । एक समाचार यह चल रहा था कि एक बहुत बड़ी कंपनी TCS में पैसे लेकर नौकरी दी गई । अभी तक तो यह कारनामा सरकारी नौकरी के लिए ही किया जाता रहा है मगर यह जानकर अच्छा लगा कि प्राइवेट सेक्टर भ्रष्टाचार के क्षेत्र में भी सरकारी सेक्टर को चुनौती देने लगा है । 


"जनता की अदालत" नाम के एक चैनल ने तो अदालत के सामने ही "जनता की अदालत" लगा ली थी । चैनल मालिक "बेइज्जत वर्मा" प्रश्नों की सूची हाथ में लेकर तैयार खड़े थे । उन्होंने बड़ी मुश्किल से समीर की अवैध पत्नी रेखा को इस कार्यक्रम के लिए आमंत्रित किया था । रेखा एक सेलिब्रिटी बन गई थी । चैनल्स वाले उसके पीछे पीछे दौड़ने लगे थे । अपनी बढती मांग देखकर उसने अपने रेट फिक्स कर दिये थे । 

केवल एक छोटी सी बाइट के 1 करोड़ रुपए 

चैनल पर आकर डिबेट में भाग लेने के 5 करोड़ रुपए 

साक्षात्कार के लिए 10 करोड़ रुपए । 

रेखा पर दौलत की बारिश होने लगी । समीर यदि जिंदा रहता तो वह किसी के कत्ल करने की कमाई खाती लेकिन वह अब चैनल्स वालों की कमाई खा रही थी । 


बेइज्जत वर्मा अपने चैनल "जनता की अदालत" में एक से एक खूंखार आतंकवादी, नक्सली, देशद्रोही और ड्रग केस में फंसे बॉलीवुड के सुपर अभिनेता पुत्र को अपने चैनल पर बुलाकर उनका महिमा मंडन कर चुका था । आज वह थानेदार मंगल सिंह का महिमा मंडन करने वाला था । इसके लिए जनता में कयास लगाये जा रहे थे कि इस बेइज्जत वर्मा ने थानेदार से कितना पैसा लिया होगा ? कोई 5 करोड़ बता रहा था तो कोई 50 करोड़ । जितने मुंह उतनी बातें । पर एक बात तो तय थी कि बेइज्जत वर्मा पैसे के लिए कुछ भी कर सकता है । वह कहता भी है कि हमारा भगवान केवल पैसा है । हम अपने भगवान "पैसे" के लिए कुछ भी कर सकते हैं । जनता भी बेइज्जत वर्मा को भली भांति जान गई थी । 


ट्विटर पर भी इस केस की धूम मची हुई थी । ट्विटर पर भी # रेखा को न्याय कब 

# मासूम नीटू का क्या कसूर और 

# थानेदार मंगल सिंह को फांसी कब ? ट्रेंड करने लगा । 


जब सभी न्यूज चैनल्स इस केस को 24 घंटे दिखा रहे हों , अखबार रंगे पड़े हों तो राजनैतिक दल इससे कैसे पीछे रह सकते थे ? मामला चूंकि नोएडा यानि उत्तर प्रदेश का था और वहां पर "भगवा" दल की सरकार थी इसलिए तमाम विपक्षी दल धरना , आंदोलन करने लगे । रेखा और नीटू की "न्याय की लड़ाई" न्यायालय के बजाय "जंतर मंतर" पर लड़ने लगे । इन विपक्षी दलों ने 500 - 500 रुपए देकर बहुत सारी औरतें धरने पर बुला ली थीं । देश में 500 रुपये क्या दो रोटी के लिए आदमी ईमान बेचने को तैयार हो जाता है । जब कोई आदमी 500 रुपए में पत्थर फेंक कर सरकारी संपत्ति तोड़ने के लिए तैयार हो जाता है तो 500 रुपए में धरने पर बैठने में क्या बुराई है ? 500 रुपए के अलावा उसे नाश्ते में अखरोट का हलवा , लंच में इटली , चाइनीज समेत सब तरह का भोजन और डिनर में विलायती दारू के साथ कवाब और चिकन बिरयानी मिल रही थी । आदमी को और क्या चाहिए ? सुबह से लेकर शाम तक "खैराती चैनल्स" इस धरने को लाइव टेलीकास्ट करने लगे । दो चार चैनल्स 100 - 100 साल बूढी औरतों को चैनल पर बैठाकर उनसे प्रधानमंत्री को लाइव गाली दिलवाते थे और प्रधानमंत्री के मरने की दुआ सार्वजनिक रूप से करवाते थे । इसके लिए इन खैराती चैनल्स को अपने आका से मोटी रकम मिलती थी । पूरे देश में गजब का माहौल बन गया था । 


एक गिरगिटिए नेता ने तो जॉर्ज सोरोस से एक मोटी रकम लेकर न्यूयार्क टाइम्स के लिए एक साक्षात्कार भी दे दिया था जिसमें उसने एक चौथी पास राजा की कहानी सुनाई थी और न्यूयार्क टाइम्स ने वह कहानी हूबहू छाप दी थी । इस गिरगिटिए नेता ने राजनीति को जिस निम्न स्तर तक ला दिया है इसके लिए इसे देश हमेशा हमेशा के लिए याद रखेगा । राजनीति और पत्रकारिता का यह निम्न स्तर देखकर देश गदगद हो रहा था और सोच रहा था कि ये लोग इस देश को फिर से जल्दी ही "गुलाम" बनवा देंगें । वैसे भी कहते हैं कि गधों को घी पचता कहां है ? 


इधर हीरेन ने अपने लंबे बालों को झटका देकर ऊपर किया और फिर उनमें उंगली फिराने लगा । उसकी इस अदा पर हजारों लडकियां फिदा हो गई थीं । इसे देखकर मीना को बहुत कोफ्त होने लगी । पर वह क्या कर सकती थी । लड़कियों को हीरेन पर फिदा होने से कैसे रोकती बेचारी ? वह मन मसोस कर रह गई । हीरेन ने एक शरबती पान मुंह में दबाकर कहा 


"योर ऑनर, एक छोटा सा पान क्या नहीं कर सकता है ? आदमी को जन्नत में पहुंचा सकता है । बाबू से अपना काम निकलवा सकता है । बीवी का मुंह बंद करवा सकता है । और तो और दीवारों पर ईस्टमैन कलर की पेन्टिंग करवा सकता है । एक पान में बहुत जान होती है मी लॉर्ड । पान सबको पसंद होता है । क्या बच्चा और क्या बूढा, क्या औरत और क्या मर्द, क्या अपराधी और क्या पुलिस, क्या नेता और क्या जनता ? सब लोग पान के दीवाने होते हैं । ये पान की थड़ियां न्यूज चैनल्स का काम करती थीं कभी ? मगर जबसे ये 24 घंटे वाले प्रोपेगेंडा वाले चैनल्स आए हैं तब से इन थड़ियों पर रौनक थोड़ी कम हो गई है । आजकल न्यूज चैनल्स पर "गप्पबाजी" खूब दिखाई जाती है । 


योर ऑनर, छज्जू पनवाड़ी केवल पान ही नहीं खिलाता है बल्कि वह मुखबिर का काम भी करता है । मौहल्ले क्या पूरी दिल्ली के बड़े बड़े आदमी सब उसके पान के शौकीन हैं । इसलिए बड़े बड़े चोर उचक्के, माफिया, दलाल, हिस्ट्रीशीटर्स, सुपारी किलर्स, अपराधी , साइबर अपराधी सब लोग उससे पान लेते हैं । पुलिस से लेकर नेता , अफसर, बाबू , चपरासी , जज , दुकानदार सब लोग उसके यहां पान खाने जाते हैं । छज्जू पनवाड़ी इस केस के बारे में बहुत कुछ जानता है इसलिए उससे पूछताछ करनी बहुत जरूरी है । अत: छज्जू पनवाड़ी को कटघरे में बुलाने की अनुमति चाहता हूं मी लॉर्ड" । और हीरेन गोल गोल होंठ करके सीटी बजाने लगा 

"पान खाय छज्जू हमारो । 

सांवली सूरतिया होंठ लाल लाल 

हाय हाय मलमल का कुरता 

मलमल के कुरते पे छींट लाल लाल 

हो, पान खाय छज्जू हमारो" 


छज्जू अपने मुंह में दुई दुई पान ठूंस कर कटघरे में खड़ा हो गया । हीरेन उससे पूछताछ करने लगा 

"आपका नाम" ? 

"छज्जू पनवाड़ी" 

"क्या काम करते हो" ? 

"पान की दुकान करता हूं हुजूर" 

"पुलिस के लिए मुखबिरी भी करते हो" ? 

इस प्रश्न पर छज्जू पनवाड़ी खामोश हो गया तो हीनेन ने पुन: पूछा "पुलिस के लिए मुखबिरी करते हो" ? 

"जी, करता हूं। मेरी दुकान पर सब तरह के लोग आते हैं और वे सब मुझसे सब तरह की बातें करते हैं तो मैं उनके बारे में पुलिस को सूचना देता रहता हूं । इससे बहुत से अपराधी पकड़े जाते हैं" 

"और बहुत से थानेदार "मौज" भी करते हैं । क्यों सही है ना" ? 

इस प्रश्न पर छज्जू ने अपनी गर्दन नीचे झुका ली और मन ही मन हंसने लगा । तब हीरेन ने कड़क कर कहा "जवाब दो" 

तब छज्जू पनवाड़ी बोला "जो खबर मौज वाली होती है वो भी देता हूं" 

"विकास, समीर और थानेदार मंगल सिंह को जानते हो" ? 

"जी, जानता हूं" 

"कैसे जानते हो" ? 

"पान खाने आते हैं मेरी दुकान पर" 

"क्या तुमने अनुपमा की पेन्टिंग्स के एल्बम की जानकारी थानेदार मंगल सिंह को दी थी" ? 

" हुजूर, एक दिन मेरी दुकान पर विकास सिंह एक पेन्टिंग्स के एल्बम के बारे में समीर को बता रहा था । विकास समीर से धीरे धीरे कह रहा था "बहुत शानदार पेन्टिंग्स हैं, कुछ न्यूड भी हैं । देखेगा तो मजा आ जाएगा" । मुझे लगा कि यह खबर मंगल सिंह के लिए बिल्कुल ठीक है क्योंकि वे थोड़े रसिया किस्म के थानेदार हैं । इसलिए मैंने उन्हें मोबाइल पर इसकी जानकारी दे दी" 

"अच्छा, एक बात बताओ कि क्या मंगल सिंह का मोबाइल नंबर आज भी वही है जो पहले हुआ करता था" ? 

"नहीं साहब, करीब एक डेढ महीने पहले दूसरा नंबर था , अब दूसरा है" 

"तुम्हें कैसे पता चला कि मंगल सिंह ने मोबाइल बदल लिया है" 

"उन्होंने खुद हमें बताया था अपना नया नंबर" 

"क्या तुम्हारे पास वे दोनों नंबर हैं" ? 

"हां हैं , अभी दिखाता हूं" । और उसने अपने मोबाइल में "थानेदार मंगल रसिया" के नाम से फीड नंबर अदालत को बता दिए । 

"अच्छा एक बात और बताओ , थानेदार मंगल सिंह के नजदीक कौन कौन अपराधी थे" ? 

"बहुत सारे थे साहब । कहां तक बताऊं" ? 

"फिर भी, दो चार नाम बताओ" ? 

"यही समीर, दिलशाद, नौरंग वगैरह कुछ ज्यादा नजदीक थे थानेदार साहब के" 

"समीर तो सुपारी किलर था पर ये दिलशाद और नौरंग क्या करते थे" 

"दिलशाद तो एक छंटा हुआ गुंडा है जो आए दिन झगड़ा, मारपीट करता है , हफ्ता वसूली करता है और नौरंग एक नामी चोर है" । 

"एक बात और बताओ, तुम इस आदमी को जानते हो क्या" ? हीरेन ने राहुल का आधार कार्ड दिखाकर पूछा 

"जानता हूं साहब । अच्छी तरह जानता हूं । यह भी मेरी दुकान पर पान खाने आता था । यह राहुल है साहब । यह जब भी "धंधे" पर जाता था तब "शरबती पान" खाकर जाता था और दो चार पान बंधवा कर साथ ले जाता था" 

"इसे तो सुपारी किलर बताया था सरकारी वकील साहब ने । तो क्या जिसे यह मारने जाता था , उसे क्या पहले आपका शरबती पान खिलाता था" ? 


हीरेन के इस प्रश्न पर पूरी अदालत में एक जोरदार ठहाका गूंज उठा । खुद जज साहब भी जोर से हंस पड़े थे । इससे छज्जू पनवाड़ी थोड़ा सहम गया । 

"अरे घबराओ मत , बताओ कि वह अपने साथ पान लेकर क्यों जाता था" ? 


छज्जू पनवाड़ी ने पहले जज साहब को देखा फिर अदालत में उपस्थित लोगों को देखा और फिर वह हीरेन के कान में कुछ फुसफुसाया । तब हीरेन ने कहा 

"सब कुछ साफ साफ बता दो जज साहब को । ये अदालत है और यहां केवल सत्य की ही जीत होती है" । ये कहते हुए हीरेन ने जानबूझकर सरकारी वकील नीलमणी त्रिपाठी की ओर व्यंग्य पूर्वक देखा । त्रिपाठी का चेहरा एकदम से उतरा हुआ था 

"राहुल सुपारी किलर नहीं था जज साहब । वह तो कॉल ब्वाय था" । 

"ये कॉल ब्वाय क्या होता है ? पहले कभी ये नाम हमने सुना नहीं है" 

"हमने भी नहीं सुना था हुजूर, राहुल ने ही बताया था । हमने पहली बार जब ये नाम सुना था तब हम इसका मतलब नहीं समझे थे । तब मतलब भी उसी ने समझाया था" । 

"तो कॉल ब्वाय का मतलब अदालत को अब तुम समझा दो" 

"हुजूर सबके सामने कहते हुए थोड़ी शर्म आती है" । छज्जू पनवाड़ी ने शर्म से झिझकते हुए धीरे से कहा 

"शरमाओ नहीं और खुलकर अदालत को बताओ" 

"हुजूर, जैसे कॉल गर्ल होती हैं ऐसे ही आजकल कॉल ब्वाय भी होते हैं । आजकल बहुत सी लड़कियां और औरतें अकेली रहती हैं । कुछ तो नौकरी के कारण और कुछ तलाक के कारण । तो ये औरतें अपने जिस्म की भूख मिटाने के लिए किसी न किसी मर्द की तलाश करती रहती हैं । तो ये कॉल ब्वाय उनकी जिस्मानी भूख शांत करते हैं । राहुल कहता था कि जब वो शरबती पान खाकर किसी लड़की या औरत के यहां जाता था तो उसकी खुशबू उन लड़कियों को बहुत अच्छी लगती थी । इसलिए वे भी शरबती पान की डिमांड करती थीं । इसी कारण वह दो चार पान बंधवा कर अपने साथ ले जाता था" । 


हीरेन को जो कहलाना था वह सब उसने छज्जू से कहला दिया था । अब उससे और कुछ पूछताछ करने की आवश्यकता नहीं थी । अत: छज्जू को जाने के लिए कह दिया गया । 


हीरेन गवाहों से सवाल पूछते पूछते थोड़ा थक गया था । उसके चेहरे से थोड़ी थकान दिखाई दे रही थी । मीना ने एक गीला नैपकिन उसे दिया जिससे हीरेन ने अपना चेहरा साफ किया । एक गिलास पानी पीया और फिर एक पीपरमेण्ट वाला पान मुंह में दबा लिया । पीपरमेण्ट से दिमाग एकदम से ठंडा हो जाता है । दिमाग ठंडा होने पर हीरेन ने जज साहब से कहा । 


"योर ऑनर ! सरकारी वकील साहब ने जो जो बहस यहां की थी वह एकदम से आधारहीन, तथ्यहीन और बेबुनियाद थीं । सरकारी वकील साहब ने बड़ी अच्छी कहानी सुनाई थी कि अनुपमा और अक्षत में प्रेम हो गया था जिसका पता अनुपमा के पति सक्षम को चल गया था । उन्होंने सुभाष नामक गार्ड के बयान कराए थे जिसने कहा था कि सक्षम ने राहुल नाम के एक सुपारी किलर को दस लाख रुपए में अक्षत और अनुपमा की हत्या करने के लिए हायर किया था । लेकिन छज्जू पनवाड़ी के बयानों से स्पष्ट है कि राहुल कोई सुपारी किलर नहीं था बल्कि वह तो एक "कॉल ब्वाय" था जिसका हत्या से दूर दूर तक कोई लेना देना नहीं होता है । मजे की बात यह है योर ऑनर कि जिस लाश को राहुल की लाश बताया गया था वह लाश समीर की निकली, जो कि एक सुपारी किलर है । एक सुपारी किलर को मारना आसान नहीं होता है जज साहब । उसे तो कोई पेशेवर अपराधी या पुलिस ही मार सकती है । समीर की हत्या कोई क्यों करेगा ? स्पष्ट है कि जिसने समीर को हत्या करने भेजा था वह इस बात से डरता था कि कहीं बाद में समीर उसे ब्लैकमेल न करे । इसीलिए उसी ने ही समीर का कत्ल कर दिया हो और समीर का चेहरा इसलिए चाकुओं से गोद दिया हो कि जिससे उसकी पहचान छुपाई जा सके । पर मजेदार बात यह भी है योर ऑनर कि राहुल की पहचान उसकी पत्नी रीमा ने क्यों की ? सुभाष गार्ड ने अदालत में झूठ क्यों बोला कि उसने ही सक्षम को राहुल से मिलवाया था और दस लाख रुपए में सौदा करवाया था ? सरकारी वकील साहब ने रुस्तम भाई के भी बयान करवाये थे जिसने कहा कि सक्षम ने उससे पांच लाख रुपए उधार लिए थे जिसके सबूत भी उसने दिए थे ? अब प्रश्न यह उठता है मी लॉर्ड कि इन झूठे गवाहों को किसने तैयार किया और क्यों तैयार किया ? ये लोग भी झूठी गवाही देने के लिए क्यों तैयार हो गये ? इसकी पड़ताल करनी बहुत आवश्यक हो योर ऑनर तभी जाकर असली कातिल तक पहुंचा जा सकता है । अत : मुझे सबसे पहले सुभाष गार्ड से जिरह करनी होगी । इसके लिए मैं अदालत से अनुमति चाहता हूं" । हीरेन के चेहरे पर एक हलकी मुस्कान उभर आई । 


शेष अगले अंक में 


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