anil garg

Crime Thriller

4.6  

anil garg

Crime Thriller

बदमाश कंपनी-7

बदमाश कंपनी-7

14 mins
1.2K


अगले दिन सुबह सबसे पहले बेवड़े की आंख खुली थी।उसने मस्ती के दरवाजे पर नजर डाली। उसने लाइफ में पहली बार मस्ती का दरवाजा इस वक़्त तक बन्द मिला था। उसे तो दरवाजा ही पहली बार बन्द मिला था। मस्ती तो हमेशा अपने कमरे का दरवाजा खोल कर ही सोता था। वो असमंजस से उठा और जाकर मस्ती का दरवाजा खटखटाने लगा। अंदर एक अलसाई सी आवाज उभरी..लेकिन ये आवाज भी मस्ती की नही थी...ये तो कोई जनाना आवाज थी। बेवड़े ने एक दो चपत अपनी खोपड़ी पर लगाई और अपनी कान में उंगली डाल कर कान का मैल साफ करने की चेष्टा की। दरवाजा बदस्तूर बन्द था। बेवड़े ने फिर से दरवाजा भड़भड़ाया...इस बार एक जोड़ी कदमो की आवाज उसे दरवाजे के पास आती हुई सुनाई दी...तभी दरवाजा खुला...और दरवाजे पर फरजाना अस्तव्यस्त हालत में खड़ी दिखाई दी। बेवड़ा एकपल को तो बस हैरानी से मुंह फाड़े उसे देखता ही रहा। उसकी तंद्रा को भी फरजाना की आवाज ने ही भँग किया।

"बेवड़े!मुंह बंद कर ले..वरना मच्छर मुंह मे घुस जाएगा...वैसे भी मच्छर बहुत है यहां....रात भर सोने नही दिया"फरजाना उसकी हैरान भरी नजरों से जरा भी विचलित नही हुई थी।

"तुम यहाँ क्या कर रही हो...और ये मस्ती भाई कब से बाजारू औरतो के चक्कर में पढ़ने लगे"बेवड़ा अंदर चारपाई पर मस्ती के ऊपर नजर डालते हुए बोला। मस्ती इस वक़्त भी बेसुध होकर सोया हुआ पड़ा था।

"क्यो साले!बाजारु औरत में क्या कांटे लगे होते है...तेरे जैसै बेवड़े रात होते ही हम बाजारु औरतो के लिए हमारे ठिकानों की खाक छानते फिरते है"फरजाना ने इज्जत के साथ बेवड़े की बेइज्जती मारते हुए बोला।

"ठीक है...बकवास मत कर ज्यादा...तेरा काम हो गया हो तो अब फूट यहाँ से"बेवड़ा ये बोलकर उसकी तरफ देखे बिना ही चारपाई के पास जाकर मस्ती को हिलाकर जगाने लगा।

"अबे उठ मस्ती भाई...अब ये क्या नया गुल खिलाने लगे..अब इस मकान को क्या रंडियो का अड्डा बनाने का इरादा है"बेवड़ा अपनी ही रौ में बोलता चला जा रहा था...तभी मस्ती भी हड़बड़ा कर उठ चुका था।

"कहाँ आग लग गई..जो सुबह सुबह इतना हंगामा उतार रखा है तूने"मस्ती ने गुस्से भरी नजरों से बेवड़े को देखा।

"आग लगाने का इंतजाम तो तुमने खुद ही किया हुआ है...ये फरजाना यहां क्या कर रही है"बेवड़ा फरजाना की ओर देखते हुए बोली..जो कि उसे ही खा जाने वाली नजरो से घूर रही थी।

"ये अब यही रहा करेगी"मस्ती ने दो टूक बोला तो फरजाना की भी बांछे खिल गईं थी।

"लेकिन भाई तू जानता है ना इसे...मोहल्ले में कितनी भारी बदनामी होगी हमारी"बेवड़े ने परेशान स्वर में बोला।

"अच्छा!इसके आने से पहले तो हमारी इज्जत के झंडे इस मोहल्ले के हर मकान के ऊपर लहरा रहे थे...जो इसे देखते ही लोग उतारना शुरू कर देंगे"मस्ती अब उठकर चारपाई पर बैठ चुका था। मस्ती की इस बात का बेवड़े के पास भी कोई जवाब नही था। उसने बेबसी और नाराजगी भरी नजरों से मस्ती की ओर देखा।

"लेकिन भाई इसे यहां क्यो रहने के लिए बोल रहे हो...हमारा तो धन्धा तो तुम्हे पता ही न....उसमे किसी और को शामिल करना तो अच्छा नही होगा"बेवड़े ने बात बदलने की कोशिश की।

"ये भी आज से अपने ग्रुप में शामिल है...तुम तो इतना नशे में मशगूल रहते हो कि चरसी के साथ क्या हुआ है..उसकी तो तुम्हे खबर ही नही होगी...उसकी एक गलत हरकत ने कल मुझे और फरजाना को एक मर्डर के केस में फँसवा दिया होता"मस्ती ने बेवड़े की ओर देखकर बोला।

"क्या बोल रहे हों भाई..मर्डर के केस में कैसे फंस जाते"बेवड़ा आश्चर्य भरे स्वर में बोला। उसके बाद मस्ती उसे कल की पूरी घटना बताता चला गया। बेवड़ा पूरी बात सुनकर हैरानी के गहरे सागर में डूब चुका था।

"मुझे चरसी के अंदर होने की तो खबर थी भाई...लेकिन उसके चक्कर मे इतनी खिचड़ी पक रही थीं..ये अपुन को नही मालूम था..साला आजकल अपन दारू का नशा कुछ और ज्यादा ही करने लगा है"बेवड़ा शर्मिंदगी भरें स्वर में बोलते हुए चारपाई पर बैठ चुका था।

"अब चरसी की जगह हमारे उस काम मे फरजाना काम करेगी....क्योकि कल्लन इस काम के लिए कम से कम चार लोगों को चाहता है"मस्ती ने बेवड़े को बोला।

"काम के बारे में बता दिया इसे...कही ऐन वक्त पर पसरी ना खा जाए"बेवड़े ने फरजाना की ओर देखकर संशय भरी नजरों से देखा।

"अभी इसे कुछ नही बताया...तुम लोगों का नशा टूटने का इंतजार कर रहा था...तुम्हारा तो टूट गया अब उस दूसरे नशेड़ी को भी जगा कर ले आओ...फिर सब बैठकर काम के बारे में भी बात कर लेते है...पहले ही चरसी के चक्कर मे कल का दिन बर्बाद हो चुका है" मस्ती के स्वर से ही उसकी नाराजगी झलक रही थी। मस्ती की बात सुनते ही बेवड़ा तेजी से कमरे से बाहर निकल गया। फरजाना आकर अब मस्ती के साथ ही चारपाई पर बैठ गई थी।

"खाना और चाय पानी सब बाहर ही करते हो क्या...यहां तो मुझे कुछ भी नजर नही आ रहा है"फरजाना ने चारों तरफ अपनी नजर दौड़ाते हुए बोला।

"रसोई में है सब सामान..बस कोई बनाने वाला नही है तो बाहर ही खाना पीना कर लेते है"मस्ती ने फरजाना को मुस्करा कर बोला।

"मुझे दिखा दो रसोई..तुम लोगो को खाना बनाकर खिलाने की जिम्मेदारी मेरी...अगर तुम्हारे इन नशेड़ी साथियो को एक रंडी के हाथ का बना हुआ खाना खाने में कोई परहेज न हो तो"फरजाना ने तंज भरे स्वर में मस्ती को बोला।

"उस बेवड़े की बात का बुरा मत मानो....वो बस ऐसे ही जुबान का कड़वा है...लेकिन वफादारी का पक्का है..अपनी जान दे देगा...लेकिन कभी मेरे से गद्दारी नही करेगा"मस्ती ने फरजाना को खेद भरे स्वर में बोला। अभी मस्ती की बात खत्म ही हुई थी कि बेवड़ा और गंजेडी दोनो ही दरवाजे पर खड़े नजर आए।

"आओ दोनों बैठो...नाटा और तुम दोनों ही इसे तो जानते ही होंगे..इसका नाम और धन्धा भी जानते ही होंगे...लेकिन अब ये हमारी साथी है...हम जो लूट करनें जा रहे है उसमें ये भी साथ देगी"मस्ती ने उन दोनों को देखते ही बोलना शुरू कर दिया था।

"ये कर लेगी इस काम को...क्योकि इसके और हमारे धन्धे में जमीन आसमान का अंतर है"नाटा उर्फ गंजेडी ने एक नजर फरजाना पर डालने के बाद मस्ती की ओर देखकर बोला।

"जानते हो दुनिया का सबसे मुश्किल काम कौन सा होता है"फरजाना गंजेडी के चुप होते ही बोल पड़ी थी।

"नही"बेवड़ा और गंजेडी दोनो का सम्मिलित स्वर उस कमरे में गूंजा।

"किसी भी औरत का अपना ही जिस्म बेचकर अपनी ही कमाई खाना...ये दुनिया का सबसे मुश्किल काम होता है...औरत के लिए...लेकिन फिर भी उसे करना पड़ता है...क्योकि ये पेट की भूख इंसान से जो न करवाये वो थोडा है"फरजाना की बात सुनकर वहाँ बैठे तीनो लोगो की नजरें इस वक़्त जमीन में गड़ चुकी थी।

"जब मैं ये काम मर सकती हूँ..तो किसी को लूट भी सकती हूँ...परसो रात को भी चरसी को लूटा ही था न...तभी तो आज तुम लोगो के सामने बैठी हूँ"फरजाना ने उन दोनों की ओर देखते हुए बोला।

"ठीक है भाई..इसे काम समझा दो...हमे इसे अपने साथ शामिल करने में कोई दिक्कत नही है"बेवड़े ने मस्ती की ओर देखकर बोला। बेवड़े की बात पर ही गंजेडी ने सहमति में अपना सिर हिलाया। दोनों की सहमति पाते ही मस्ती ने फरजाना को कल्लन की बताई हुई लूट की प्लानिंग समझानी शुरू कर दी।सभी लोग ध्यान से मस्ती की बात को सुन रहे थे।

"एक बात और...चाहे चरसी हमारे साथ इस काम मे न हो..लेकिन उसका हिस्सा हम रखेगे..और उसके बाहर आते ही उसका हिस्सा उसे दे देंगे"मस्ती की बात सुनकर सभी एक दूसरे का चेहरा देखने लगे..सबसे ज्यादा नागवारी के भाव फरजाना के चेहरे पर ही नजर आ रहे थे।

"मतलब लूट के छह हिस्से होंगे" बेवड़े ने मस्ती की ओर देखकर बोला।

"छ: क्यो चरसी को मिलाकर भी हम पांच ही लोग तो है"फरजाना ने असमंजस से मस्ती की ओर देखा।

"छठा आदमी कल्लन है...जिसकी मुखबिरी से ही हमे ये आसामी मिली है लूटने के लिए"मस्ती ने फरजाना का असमंजस दूर किया।

"ठीक है...लूट में कितनी रकम मिलने की सम्भवना है"फरजाना ने अगला सवाल किया।

"बीस लाख तो कम से कम है...इससे ज्यादा भी हो सकते है"मस्ती ने फरजाना की बात का जवाब दिया।

"मतलब तीन से चार लाख के बीच मे सभी के हिस्से आ जायेगा"फरजाना ने तुरन्त उंगलियो पर ही हिसाब लगा लिया था।

"हाँ..लेकिन ये सब लूट में मिली रकम पर निर्भर करता है..इसमे कम या ज्यादा भी हो सकता है"मस्ती ने सही तरीके से बात को साफ किया।

"इस लूट के बाद तुम लोग कहाँ रहोगे...क्योकि तुम लोग तो पुलिस में हिस्ट्रीशीटर बदमाश हो....इतनी बड़ी लूट होते ही पुलिस सबसे पहले तुम लोगो को ही उठाएगी"फरजाना का दिमाग इस वक़्त बुलेट ट्रेन से भी तेज चल रहा था।

"उसका वांदा नही है..पुलिस की नजर में हिस्ट्रीशीटर सिर्फ मैं हूँ...अगर उठाएंगे तो वो मुझे उठाएंगे...जो कि पुलिस का रूटीन वर्क होता है..किसी भी इतनी बड़ी लूट के बाद...मैं पुलिस की पुछताछ को झेल लूँगा"मस्ती ने हल्की सी मुस्कान के साथ बोला।

"लेकिन एक बात और है जो हमे करनी होगी"फरजाना ही सारे सवाल कर रही थी। सभी ने उत्सुकता से उसकी ओर देखा।

"इस लूट के बाद छः महीने तक हमे इसी मुफलिसी में अपनी जिदंगी गुजारनी होगी..लूटी हुई रकम को छह महीने तक हमे छुपा कर रखना होगा"फरजाना की बात सुनते ही गंजेडी एकदम से उछल कर पड़ा था।

"मतलब!छ महीने तक लखटकिया बनने के बाद भी अपुन को मुफलिसी में ही जिंदगी गुजारनी होगी"गंजेडी ने निराश और हैरानी भरे स्वर में बोला।

"हॉं!अगर लूटते ही हमने उन पैसो को उड़ाना शुरू कर दिया और अपनी रईसी लोगो को दिखानी शुरू कर दी तो...कोई न कोई हमारी मुखबिरी पुलिस को मार सकता है कि हम फुकरो के पास इतना माल कहाँ से आया..और एक बार पुलिस की नजरों में ये बात आ गई तो हमे कोई नही बचा पायेगा"फरजाना की बात सुनकर मस्ती के साथ उन दोनों ने भी उसकी ओर मुरीद नजरो से देखा।

"देख रहे हो न...कितने दिमाग वाली लड़की है...कमा तो हर कोई सकतां है...लेकिन कमाकर पचाना...सिर्फ दिमागदार इंसान ही कर सकता है"मस्ती ने उन दोनों नशेडियों के सामने फरजाना की शान में कसीदे पढ़े।

"ठीक है मान गए हम लोग की मस्ती की पसंद भी मस्त है"इस बार गंजेडी मुरीद स्वर में बोला।

"चलो फिर नाश्ता करके आज उस जगह की रेकी करके आते है जहाँ इस लूट को अंजाम देना है"मस्ती ने अब तीनों की ओर देखकर बोला।

"ठीक है माल निकाल...अपुन तेरे ससुर की दुकान से ही आज का नाश्ता लेकर आता है"बेवड़ा मस्ती के आगे अपना हाथ करते हुए बोला।मस्ती ने उसकी हथेली पर पैसे दिये। उसके बाद बेवड़ा गंजेडी को खींचता हुआ अपने साथ बाहर ले गया।

                            ************

वे पांचों लोग इस वक़्त जेल रोड से घण्टाघर की ओर जाने वाली रोड के मुहाने पर ही उस ऑटो से उतर गए थे। यही रोड था जिस पर आने वाले सोमवार को इन लोगो ने लूट को अंजाम देना था।कल्लन की नजर बार बार फरजाना के ऊपर ही जाकर ठहर जाती थी। मस्ती और फ़रज़ाना उस रोड को बड़ी बारीकी से देख रहे थे।

"ये तो एकदम चालू रोड है..इस पर दिनदहाड़े किसी को लूटना अपनी मौत को खुद दावत देने के सामान है"फरजाना ने उस सड़क पर दूर तक नजर दौड़ाते हुए कहा।

"आज शनिवार को सरकारी छुट्टी के दिन भी इस रोड पर ट्रैफिक की भरमार है"मस्ती ने भी फरजाना की नजरों का पीछा किया।

"इस रोड के अलावा कोई और जगह नही है उस बन्दे को लूटने के लिए"फरजाना ने कल्लन की ओर देखकर बोला।

"उसकी फैक्ट्री से निकलते ही दो सौ मीटर का एक सुनसान रास्ता तो है...क्योकि उस बन्दे की फैक्ट्री उस एरिया में सबसे आखिरी हिस्से में पड़ती है...जहाँ पर ट्रैफिक की आवाजाही भी बहुत कम होती है...लेकिन उस रोड पर और भी फैक्ट्री है...जिनके सीसीटीवी कैमरे में आने का पूरा पूरा चांस है"कल्लन ने भी पहले से ही पूरी फिल्म तैयार की हुई थी।

"कैमरों में आने का खतरा हम लोग नही उठा सकते"मस्ती ने कल्लन की बात को तुरन्त खारिज किया।

"लूट को तो अंजाम इसी रोड पर दिया जाएगा...उसके दो तरीके मैंने सोचे है"कल्लन ने उन सभी की ओर देखते हुए बोला।सभी की जिज्ञासा भरी नजरे कल्लन की ओर उठ चुकी थी।

"एक तरीका तो मैं पहले ही बता चुका हूँ...वो दोनो तरफ से उस सड़क की ट्रैफिक की आवाजाही को रोककर उसे लूटा जाए....और दूसरा है कि उसकी गाड़ी को इस रोड पर किसी भी बहाने से रोका जाए...उसके बाद लूट को अंजाम दिया जाए"कल्लन ने उन लोगों को देखा।

"इतने चालू रोड को बंद करने के लिए बहुत पापड़ बेलने पड़ेगे"फरजाना ने कल्लन को बोला।

"मैने नगर पालिका के उन बोर्ड का इंतजाम कर लिया है..जिस पर लिखा रहेगा कि सावधान आगे गहरी खुदाई का काम चल रहा है...उन्हें हम सड़क के दोनो और लगा देंगे तो कोई रोड पर एंट्री नही करेगा"कल्लन ने बोला।

"एकदम मूर्खतापूर्ण प्लान है...अगर कोई नगरपालिका का बन्दा ही इधर आ निकला और उसने तुमसे काम की परमिशन का कोई भी कागज मांग लिया तुम लोग वही पकड़े जाओगे..और ये तो तुम लोग जानते ही हो जहां ये लिखा होता है कि "यहां पेशाब करना सख़्त मना है" वही लोग सबसे ज्यादा पेशाब करते है...मतलब हमारे बोर्ड लगाने के बाद भी लोग यहां से जबर्दस्ती जाने की कोशिश तो करेगे ही..हम सौ प्रतिशत ट्रैफिक किसी भी हाल में नही रोक पायेंगे"फरजाना ने कल्लन के प्लान की एकदम से हवा निकाल दी।

"फिर तुम्ही बताओ..अगर तुम्हारे दिमाग मे कुछ हो तो"कल्लन ने मरे से स्वर में फरजाना को बोला।

"लूटेंगे तो उसे इसी सड़क पर वो भी दिनदहाड़े लूटेंगे...लेकिन उसके लिए हमे रोडरेज का ड्रामा करना होगा"फरजाना ने अपना आईडिया बताने की शुरुआत की।

"क्या मतलब"मस्ती ने पूछा।

"मतलब उसकी गाड़ी से अपनी गाड़ी को भिड़वाएँगे...गाड़ी हमारी आगे होगी..और हम हालात ऐसे बनायेगे की वो हमारी गाड़ी में टक्कर मारे..उसके बाद हम उसे सबक सिखाने के लिये अपनी गाड़ी से नीचे उतरेंगे..जाहिर सी बात है ऐसी हालत में वो भी गाड़ी से बाहर तो आएगा...उस वक़्त हम दो लोग उसे लड़ाई में उलझायेगे..और दो लोग उसकी गाड़ी से माल उड़ायेंगे"फरजाना ने अपना प्लान बताया।

"लेकिन हमारे पास गाड़ी कहाँ है"तभी बेवड़ा पहली बार बोला।

"इस शहर में हजारों गाड़िया सड़को पर ही खड़ी रहती है..उनमे से एक गाड़ी उड़ानी पड़ेगी"फरज़ाना ने बेवड़े की बात का जवाब दिया।

"मुझे नही लगता कि ये लूट इतनी आसान होगी...जितनी कि हम सोच रहे है..लूट के लिये हमे कुछ सामान की भी जरूरत पड़ने वाली है...जिसे इकठ्ठा करने में भी समय लगेगा"मस्ती ने हताश स्वर में बोला

"ये कल्लन तो बोल रहा था कि वो हर सोमवार को बैंक में कैश जमा करवाने जाता है..तो क्यो न हम एक हफ्ते के लिये अपने इस लूट के कार्यक्रम को आगे बढ़ाकर अपनी सारी तैयारियो को पहले पूरा करे..उसके बाद इस काम को अंजाम दे"बेवड़ा भी अब चेतन हो चुका था।

"क्या बोलते हो"मस्ती ने कल्लन से बेवड़े की बात पर सहमति चाही।

"देख लो...हम काम तो अगले सोमवार को भी कर सकते है...बस काम फेल नही होना चाहिए"कल्लन फंसे हुए स्वर में बोला।

"काम फेल न हो...इसीलिए और वक़्त मांग रहे है...क्योंकि इस लूट के लिए हमे भी काफी तैयारी करनी है..क्योकि पूरे रास्ते में कही भी ऐसे स्पॉट नही है जहां उसे हम अकेले में घेर सके..अब अगर भीड़ भरी सड़क पर उसे लूटना है तो तैयारी तो करनी पड़ेगी"फरजाना ने कल्लन की बात का जवाब दिया।

"सही बोल रही हो तुम मैडम...बात में दम है तुम्हारी...हमे एक बार बैठकर अपने प्लान पर फिर से सोचना चाहिए"कल्लन भी अब फरजाना की बात से पूरी तरह से सहमत नजर आ रहा था।

"फिर यहाँ से चला जाये..मकान में बैठकर ही प्लान को फिर से बनाते है"मस्ती ने सभी की ओर देखकर बोला।

"हाँ..यहां खड़े रहकर भी क्या करेगे...चलो वापस ही चलते है"बेवड़ा ने भी मस्ती की हां में हां मिलाई। उनकी बात सुनकर कल्लन अब किसी ऑटो वाले को रोकने की जुगत में लग गया। मस्ती और फरजाना इस वक़्त नए प्लान के बारे में ही अपने दिमाग को दौड़ा रहे थे।

                            ************

इस वक़्त वे पांचों लोग एक ही कमरे में विराजमान थे। फरजाना ने सभी की ओर चाय के कप बढ़ाये। बेवड़े को छोड़कर सभी ने चाय के कप अपने हाथ मे थाम लिये थे ।

"फिर अब कैसे क्या करना है"कल्लन ने मस्ती की ओर देखकर बोला।

"पूरा प्लान नए सिरे से बनाना पड़ेगा...छोटी से छोटी बात का भी ध्यान रखना होगा"मस्ती ने बोलते हुए सभी की ओर देखा।

"जो मैंने सोचा है उस प्लान के हिसाब से हमे एक गाड़ी की जरूरत होगी....और एक तालातोड़ की जरूरत होगी"फरजाना  अपने चाय के कप में चाय का घूँट भरते हुए बोली।

"तालातोड़...चलते हुए रोड पर किसका ताला तोड़ोगी तुम"बेवड़ा तपाक से बोला था।

"एक पल को मान के चलो की हमारे द्वारा उसको उकसाये जाने के बावजूद वो गाड़ी से नही उतरा..तब हम क्या करेगे...और ज्यादा संभावना इसी बात की है कि वो इतना भारी कैश होने के कारण गाड़ी से उतरने से परहेज करें...उस हालत में उस गाड़ी का लॉक खोलकर उसे गाड़ी से बाहर निकालना होगा" फरजाना ने बोला।

"इतनी मगजमारी में क्यो पड़ रहे हो..उसके कैश लेकर निकलने से पहले ही उसे उसकी फ़ैक्ट्री में ही घेर लेते है...चरसी का कट्टा अपने पास है...कट्टा देखते ही वो सब निकाल कर रख देगा"गंजेडी जो इतनी देर से चुप था...उसने अपने मुखारविंद को कष्ट दिया।

"यार किसी एक प्लान पर काम करो न..बार बार ऐसे प्लान बदलोगे तो न खुदा ही मिलेगा न विसाले सनम..न इधर के रहेंगे न उधर के रहेंगे"गंजेडी के बीच में बात काटने से फरजाना कुपित हो चुकी थी।

"वैसे गंजेडी जो भी बोल रहा है...उसमें भी दम है"मस्ती को गंजेडी की बात जंच गई थी।

"लेकिन हमें उसकी फैक्ट्री के अंदर का कुछ भी नही मालूम है...अंदर कितने आदमी होंगे...उनको कैसे हैंडल करेगे..फिर वो अपने आफिस में अकेला ही होता है या और भी लोग होते है...वो सब देखकर ही तो कोई प्लान बन पाएगा"फरजाना ने मस्ती की ओर देखकर बोला।

"पहले एक बात पर सहमति बनाओ की हमे अपने शिकार को कहाँ पर लूटना है...उसकी फैक्ट्री में या उसी जगह पर जहाँ पर हम अभी होकर आए है"कल्लन ने मस्ती से बोला।

"मेरे हिसाब से जब हमारे पास अभी एक सप्ताह का समय है तो हमे एक बार उसकी फैक्ट्री का जायजा भी ले लेना चाहिए...हो सकता है कि उसे फैक्ट्री में ही लूटना आसान हो"बेवड़ा भी अब चेतन स्वर मे अपनी बात को रख रहा था।

"ठीक है....फिर कल फरजाना उसकी फैक्ट्री में जाएगी..काम के सिलसिले में वो फैक्ट्री में जाएगी और फैक्ट्री के अंदरूनी हालात का जायजा लेकर आएगी...उसके बाद कि प्लानिंग हम बाद में बनायेगे"मस्ती ने ये बात बोलकर सभी की ओर देखा..सभी ने मस्ती की बात से सहमति जताई।

क्रमशः



Rate this content
Log in

Similar hindi story from Crime