anil garg

Crime Thriller

4.5  

anil garg

Crime Thriller

बदमाश कंपनी-22 अंतिम

बदमाश कंपनी-22 अंतिम

17 mins
408


अंधेरे का फायदा उठाते हुए वे चारों एक साथ ही हवेली के दरवाजे पर खड़े हुए उन पहरेदारों की तरफ बढ़ रहे थे। कुछ ही देर में उन लोगों के बीच का फासला सिर्फ चंद क़दमों का रह गया था। फरजना, मस्ती जैकाल और चरसी ने उस घनघोर अंधेरे में भी एक बार एक दूसरे की ओर देखा, लेकिन ये वक़्त किसी की आंखों का इशारा समझने का नहीं था, बल्कि उन चारों के बीच में छाई हुई खामोशी की जुबान को समझने का वक़्त था।

" पोजीशन ले लो, कोशिश करो कि इन लोगों के बिल्कुल करीब जाकर इनको गोली मारो, ताकि इनमें से किसी के भी जिंदा बचने का कोई चांस न बचे" जैकाल ने फुसफुसा कर बोला।

" चिंता मत करो, हम कही से भी गोली मारेंगे, हमारा निशाना अचूक ही रहेगा" ये बोलकर चरसी ने अपनी पिस्टल से वही से गोली चला दी, हवेली के दरवाजे के पास एक जोर की चीख उभरी। चरसी ने अपनी पिस्टल से निकलने वाले धुएं को फूंक मारकर शांत किया। लेकिन तभी समुंदर किनारे के उस शांत वातावरण में तीन धमाके और गूंजे और साथ ही तीन चीखों ने भी उस जगह की नीरवता को खत्म कर दिया। ये चारों अब 'सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है के अंदाज' में हवेली के दरवाजे की की ओर तेजी से दौड़े। लेकिन दौड़ते हुए भी वे चारों अपनी अक्ल का इस्तेमाल करना नहीं भूले...और सीधा दरवाजे की तरफ दौड़ने की बजाय वे हवेली की दीवार के साये में दौड़ने लगे। तभी दरवाजे पर दो लोग अपने हाथों में पिस्टल लिए हुए सामने की ओर निशाना लगाते हुए नजर आए, लेकिन उन बेचारों को नहीं मालूम था, मौत अपना रास्ता बदल चुकी थी, वो अब सामने से आने की बजाए, बाजू से आकर उन को धप्पा बोलने वाली थी। इस बार चार गोलियां एक साथ चली। दो उन गुर्गों की पिस्टल से अंदाजे से सामने की दिशा में चलाई गई और दो गोलियां उनकी बायीं तरफ से आकर उन दोनों को धप्पा कर चुकी थी। दो लाशें और उस हवेली के दरवाजे का रास्ता रोक चुकी थी। तभी हवेली के अंदर से किसी गाड़ी के स्टार्ट होने की आवाज ने वहां की शांति को एक बार फिर से भंग किया। गाड़ी के स्टार्ट होने की आवाज ने ही इन चारों के पांव में गजब की फुर्ती ला दी थी, लेकिन इससे पहले की वे लोग दरवाजे तक पहुंचते वो गाड़ी अपनी पूरी रफ्तार से दरवाजे से बाहर निकली। गाड़ी की रफ्तार इतनी तेज थी कि उन चारों के कदम एकाएक वही ठिठक गए थे। लेकिन तब तक चरसी अपनी निशाने बाजी का अचूक नमूना पेश कर चुका था। चरसी की चलाई हुई गोली, उस गाड़ी के पिछले टायर में जाकर धंस गई, तभी फरजाना की पिस्टल भी गरजी और उसने गाड़ी का दूसरे टायर की भी सांसे निकाल दी। दोनों टायर का बोलो राम होते ही वो गाड़ी लड़खड़ाई और कुछ ही दूर जाकर समुंदर के रेत में धंस गई। गाड़ी के रुकते ही वे चारों गाड़ी की ओर दौड़े, लेकिन तभी पीछे से एक साथ दो गोलियो की आवाज गूँजी, अब तक ये चारों किसी के बिछाए हुए जाल में फंस चुके थे। उन दो गोलियो के चलते ही इस बार चीखे जैकाल और चरसी की गूँजी थी।

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फोरेंसिक टीम इस वक़्त उस फ्लैट का चप्पा चप्पा एक बार फिर से छान रही थी। वे लोग दीवारों तक को बजा कर देख रहे थे। दीवारों को भी ठोक बजाकर देखने का आदेश जावडेकर ने इस सारे सीन में ददुआ का नाम आ जाने की वजह से दिया था। पता नहीं ये क्या बला थी, ददुआ, जिसका नाम तो हर कोई जानता था मगर आज तक कोई उसके करीब नहीं पहुंच सका था।

" साहब यहां की दीवार किसी लकड़ी की तरह से बज रही है" फोरेंसिक टीम से उस मोहित नाम के बन्दे ने जावडेकर को बोला।

" इस पर तो प्लास्टिक का पैनल लगा हुआ है" जावडेकर ने उस दीवार के नजदीक आकर बोला।

" हाँ सर!ये ज्यादातर उन मकानों में लगाया जाता है, जहां पर सीलन आने की परेशानी होती है" मोहित ने जावडेकर की बात का जवाब दिया।

" तोड़ो इस पैनल को" जावडेकर ने मोहित को आदेश दिया। फिर पता नहीं क्या सोचकर अपने थाने के पुलिसियो को आवाज देकर वहाँ बुलाया।

" इस दीवार से ये प्लास्टिक का पैनल हटाओ" जावडेकर का आदेश पाते ही वे दोनों पुलिसिये उस काम में जी जान से जुट गए। कोई पंद्रह मिनट के बाद उन लोगों की मेहनत रंग लाई, और वो प्लास्टिक की पैनल वहां से हटाई जा चुकी थी।

" ये पैनल सीलन छुपाने के लिए नहीं लगाये गए थे, बल्कि उस प्लाई के दरवाजे को छिपाने के लिए लगाए गए थे" जावड़ेकर ने पैनल के हटते ही प्लाई के उस छोटे से दरवाजे की देखते ही बोला।

" ये क्रिमिनल माइंड लोग कहाँ से इतना दिमाग लाते है सर" मोहित भी अब उस दरवाजे से जावडेकर के अंदर जाते ही उसके पीछे प्रवेश करते हुए बोला।

" यहां तो पूरा कंट्रोल रूम बनाया हुआ है" जावडेकर ने अंदर कदम रखते ही उस कमरे में चारों तरफ अपनी नजर दौड़ाते हुए कहा।

" ऐसा लगता है कि इस जगह से कुछ लोगों पर नजर रखी जाती है, टीवी भी लगे हुए है दीवार पर, माइक्रोफोन, स्पीकर सब कुछ है सर यहां" जावडेकर की तरफ देखकर मोहित चिल्लाया।

" इस सिस्टम को चालू करो देखो, इसके लिंक कहाँ कहाँ जुड़े हुए है" जावडेकर ने मोहित की ओर देखकर बोला। जावडेकर का आदेश पाते ही मोहित इस वक़्त टेबल पर रखे हुए एक कंप्यूटर पर बैठ चुका था। वो इस वक़्त कंप्यूटर की कीबोर्ड पर उंगलियां तो चला रहा था, लेकिन उस कंप्यूटर को खोल नहीं पा रहा था।

" सर!किसी एक्सपर्ट को बुलाना पड़ेगा..मेरी कंप्यूटर के बारे में इतनी जानकारी नहीं है" मोहित ने हथियार डालने वाले अंदाज में कहा। मोहित की बात सुनते ही जावडेकर अपने फोन से अपने हेड क्वार्टर फोन मिला चुका था। जावडेकर ने फोन उठाते ही किसी कंप्यूटर एक्सपर्ट को वहाँ भेजने के लिए बोला।

" मुझे ऐसा लगता है कि इसी के जरिए ये लोग अपने आदमियो पर नजर रखते है, यहाँ से कोई न कोई लिंक उन लोगों से जुड़ा हुआ होगा" जावडेकर ने मोहित की ओर देखकर बोला।

" एक बार ये सिस्टम चालू हो जाए सर!फिर सब पता चल जाएगा, हमारे हाथ में अंजाने में ही बटेर लग गई है, इस पूरी बैंक डकैती का पर्दाफाश यही से होने की उम्मीद है" मोहित ने उम्मीद की लौ जलाई।

" तुम्हारे मुंह में घी शक्कर! अगर ऐसा कुछ हुआ तो इतनी बड़ी बैंक रॉबरी को सिर्फ अड़तालीस घँटे में सुलझाने का विश्व रिकॉर्ड बन जायेगा" जावडेकर का चेहरा इस वक़्त इस संभावना से ही खुशी से दमक उठा था। उसे अपनी वर्दी पर और भी अधिक चांद सितारे लटकते हुए नजर आने लगे थे।

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जैकाल और चरसी दोनो एक साथ ही उस समुंदर की रेत में ढेर हो चुके थे। मस्ती और फरजाना गोलियो की आवाज सुनते ही खुद को जमीन पर गिरा चुके थे, और न केवल गिरा चुके थे, बल्कि वहां से लुढ़कते हुए गाड़ी के पास तक पहुँच गए थे। जैसे ही वे लोग गाड़ी के नजदीक पहुंचे, वैसे ही उस गाड़ी से उतरकर एक गुर्गा वापिस हवेली की तरफ दौड़ पड़ा, लेकिन फरजाना की नजर मौत के दूत के रूप में उस पर पड़ चुकी थी, इसी वजह से वो गुर्गा हवेली तक पहुंचने की अपनी हसरत फरजाना की पिस्टल से निकली गोली की वजह से पूरी नहीं कर सका।

" हम उन लोगों के ट्रैप में फंस गए मस्ती, इस गाड़ी को हवेली से बाहर निकाला ही इसलिए गया था, की हम पागलों की तरह से इस गाड़ी के पीछे भागे" फरजाना ने फुसफुसा कर बोला।

" इस वक़्त हम दोनों ही बचे हमारे सारे साथी मारे जा चुके है, हमें ये भी नहीं पता कि हमें कितने आदमियों का सामना करना है" मस्ती इस वक़्त अभी के ताजा हालातों का आकलन कर रहा था।

" मेरी एक बात समझ नहीं आ रही है, पांच सौ करोड़ की दौलत दांव पर लगी है, और ये ददुआ अभी तक सामने क्यों नहीं आया है" फरजाना के दिमाग में कब से ददुआ ही खटक रहा था।

" वो शायद तभी आएगा सामने जब, ये दौलत उसे पूरी तरह से अपने हाथ से निकलती हुई नजर आएगी, अभी तो हमारा ही नहीं पता कि इस अंधेरे में कब किस गोली का शिकार बन जाये" मस्ती ने हकीकत बयान की थी।

" इस दौलत के लिए अपने छह साथी गवां चुके है, अगर अब भी ये दौलत हमारे हाथ नहीं लगी तो लानत है हम पर" फरजाना ने मस्ती की ओर देखकर अजीब से स्वर में बोला।

" लेकिन ये एकदम से दुश्मन के खेमें में खामोशी कैसे छा गई है, जो बन्दा ये गाड़ी चलाकर लाया था, वो तो मर गया, लेकिन जिसने जैकाल और चरसी को मारा वो क्यो खामोश है" मस्ती ने एकदम से ट्रैक बदला।

" क्योकि मौत कभी ढोल बजाकर नहीं आती, वो हमेशा दबे पांव और खामोशी के साथ आती है" सेलिना की आवाज में ही ठंडक नहीं थी, वरन जो पिस्टल मस्ती की कनपटी पर लगी थी, उसकी ठंडी सिहरन भी मस्ती के बदन में दौड़ चुकी थी। लेकिन सेलिना की डायलॉगबाजी के दरम्यान ही मस्ती खेल कर चुका था, इस वक़्त मस्ती की पिस्टल भी सेलिना के माथे पर लगी हुई थी और सेलिना की पिस्टल मस्ती की कनपटी पर लगी हुई थी। दोनो ही एक दूसरे को खूनी निगाहों से एक दूसरे को देख रहे थे।

" बोलो फरजाना डार्लिंग, इसे मार दिया जाए या छोड़ दिया जाए" सेलिना ने एक विषैली मुस्कान के साथ फरजाना की ओर देखते हुए बोला।

" प्लान तो इसे मार डालने का ही था सेलिना डार्लिंग" फरजाना के लफ्जो ने मस्ती को एहसास करवा दिया था कि फरजाना ने एक बार फिर से उसके साथ गद्दारी की है।

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हेड क्वार्टर से आया हुआ कंप्यूटर एक्सपर्ट उस कंप्यूटर की कोडिंग में जाकर इस वक़्त उस कंप्यूटर से पासवर्ड का ऑप्शन ही हटाने में लगा हुआ था, ताकि उस कंप्यूटर को वे लोग अच्छे से खंगाल सके। तकरीबन बीस मिनट से वो सोनू मलिक नाम का लड़का, जिसकी उम्र महजे तेईस चौबीस वर्ष के आसपास होगी, उस कंप्यूटर में अपनी मगजमारी कर रहा था। तभी सोनू का चेहरे की रंगत बदल गई और उसके चेहरे पर एक मुस्कान खिल उठी।

" लो सर!डन हो गया आपका दिया हुआ टास्क" सोनू ने जावेडकर की ओर देखकर बोला।

" जल्दी से इसकी तह में जाओ, देखो की हमारे मतलब का इसमें क्या क्या है" जावड़ेकर अब एक कुर्सी बिछा कर सोनू के पास ही बैठ गया था, जबकि मोहित और सुनील महात्रे इस वक़्त उन दोनों को घेर कर खड़े थे। सोनू ने कंप्यूटर फ़ाइल फोल्डर में जाकर फ़ाइल को ओपन करना शुरू किया। शुरू की कुछ फ़ाइल में तो सिर्फ फिल्मी सांग और फिल्मो की ही भरमार थी। लेकिन जब सातवी फ़ाइल खुली तो, जावड़ेकर को वो नाम नजर आ गया, जिसके बारे में गोल्डी , जूली और शालू ने भी बताया था। ददुआ के नाम से फ़ाइल खुल चुकी थी। लेकिन जिस बात ने जावड़ेकर को सबसे ज्यादा चौंकाया था, वो सेलिना के नाम के साथ ददुआ का नाम लिखा होना।

" सर!इस कंप्यूटर से ही सभी को कंट्रोल किया जा रहा था, इस फ़ाइल में उन सभी लोगों के नाम है, जिन लोगों ने डकैती डाली है" सोनू के ये बोलते ही जावडेकर ने कंप्यूटर की स्क्रीन पर अपनी नजर गड़ा दी। स्क्रीन पर जो नाम नजर आ रहे थे, उसमें सेलिना के साथ ही ददुआ का नाम ब्रेकेट में लिखा हुआ था

उसकेबादजैकाल, बलवन्त, शीबा, मस्ती, फरजाना, चरसी, बेवड़ा, रोहित मंचनदा, सदाशिव केलकर के नाम एक ही सांस में जावडेकर पढ़ता चला गया।

" महात्रे इन सभी लोगों का कोई पुलिस रिकॉर्ड हो तो चेक करवाओ" जावडेकर ने स्क्रीन पर निगाह जमाये हुए ही बोला।

" इस डकैती में शामिल लोगों पर यही से नजर भी रखी जा रही थी, ये लोग कहाँ जा रहे है, किससे मिल रहे है, उन सभी पर नजर रखी जा रही थी, ये देखिए, इस फोल्डर में इस से सबन्धित कुछ वीडियो भी है" ये बोलकर सोनू ने जिस वीडियो को चलाया, उसमें रोहित मंचनदा, गोल्डी और जूली को डकैती की पूरी स्कीम समझा रहा था।

" इन लोगों के सारे पापकर्म इस कंप्यूटर में है, तो बैंक की डकैती की फुटेज भी इसमें होगी" तभी महात्रे ने सोनू की ओर देखकर बोला।

" मैं एक बार सारे फोल्डर और वीडियो देख लेता हूँ, उसके बाद मैं आपको सब चीज़े बता पाऊँगा" सोनू ने महात्रे की ओर देखकर बोला।

" सर इस माइक का क्या काम होता होगा" तभी मोहित उस टेबल पर जाकर खड़ा हो गया, जहाँ पर एक माइक और एक स्पीकर बड़े करीने से सजा रखे थे।

" इस स्पीकर से ही फील्ड में काम कर रहे लोगों को दिशा निर्देश दिए जाते होंगे" जावडेकर ने अपना दिमाग लगाकर जवाब दिया।

" ये सारा सेटअप कुछ कुछ पुरानी फिल्मों के डॉन के अड्डो जैसा नहीं है सर! इतनी सावधानी के बावजूद हम लोगों को इनके ठिकाने पर पहुंचने में चौबीस घँटे भी नहीं लगें" महात्रे भी अब उनके पास आकर खड़ा हो गया था।

" मुझे तो ऐसा लगता है कि हम यहां खुद नहीं पहुंचे है, हमें पहुंचाया गया है" जावडेकर ने साफगोई से बोला।

" लग तो मुझे भी ऐसा ही रहा है सर, लेकिन कई बार अपराधियो की सिर्फ एक गलती उनके पकड़ने के सारे दरवाजे खोल देती है" महात्रे ने जावडेकर की बात से सहमति जताते हुए बोला।

" अगर ये फील्ड में गए हुए अपने लोगों पर नजर रखते होंगे तो, जरूर यहां पर उन लोगों को लाइव देखने का भी कोई न कोई सिस्टम होगा" तभी जावडेकर की दिमाग की बत्ती जली।

" मैं उसी लिंक को तलाश कर रहा हूँ सर...जब इतना सब कुछ मिल गया तो वो लिंक भी मिलेगा" सोनू ने जावडेकर की ओर देखकर जवाब दिया।

" जल्दी ढूंढो उस लिंक को सोनू...हो सकता है वे लोग हमें लाइव ही कही पर दिख जाए" जावडेकर उत्साहित स्वर में बोला। जावड़ेकर की बात सुनते ही सोनू फिर से उस कंप्यूटर में मौजूद फ़ाइल को खंगालने लगा। मोहित और महात्रे भी सोनू को घेर कर खड़े हो गए। सभी की उम्मीद भरी नजरें इस वक़्त कंप्यूटर की स्क्रीन पर ही जमी हुई थी।

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" लगता है गद्दारी करना तेरे खून में है" मस्ती एकाएक फुफकार उठा था।

" फरजाना सिर्फ पैसो की पीर है, इस सारी दौलत पर अब सिर्फ मेरा और सेलिना का कब्जा है, तेरे मरते ही इस दौलत का कोई और दावेदार नहीं बचेगा" फरजाना उसी जहर बुझे स्वर में बोली।

" आने वाला वक़्त हमको राज ये समझायेगा, किसे यहां पर रहना है और कौन इस दुनिया से जायेगा" मस्ती ने एक कुटिल मुस्कान अपने चेहरे पर लाते हुए बोला।

" क्यो बातो में वक़्त जाया कर रही हो फरजाना, इसे भी गोली मारो, और निकलो यहां से" सेलिना ने पिस्टल की नाल को अब मस्ती की गर्दन में चुभा दिया था।

" मरना तो इसे है ही सेलिना, और चार पांच मिनट जिंदा रहने से इसकी उम्र कोई दस बीस साल नहीं बढ़ जानी है" फरजाना ने भी मुस्करा कर ही अपनी पिस्टल पर अपनी उंगलियां कस दी थी।

" मुझे मारने से पहले मेरी एक बात का जवाब तो दे दो, वरना मरने के बाद भी भूत बनकर तुम्हारे पीछे ही घूमूँगा" मस्ती ने उन दोनों की तरफ दयनीय नजरो से देखते हुए बोला।

" कर दो सेलिना इसकी भी आखिरी हसरत पूरी" फरजाना ने सेलिना की ओर देखकर बोला।

" तुमने अभी बोला कि ये दौलत तुम दोनों में बटेंगी, तो क्या ददुआ के साथ भी तुम लोग गद्दारी करने वाले हो" मस्ती ने सेलिना की ओर देखते हुए पूछा। मस्ती की बात सुनते ही सेलिन के चेहरे की मुस्कान दूनी हो चुकी थी।

" मैंने पहले भी एक बार बोला था कि ददुआ एक छलावा है, ददुआ सिर्फ मेरे ख्याल की उपज है, सिर्फ एक अदृश्य शक्ति को दिखाकर तुम लोगों के दिलो में बस एक डर पैदा करना था कि हमारे ऊपर भी किसी ओर का शक्तिशाली हाथ है, ताकि तुम लोग मुझे एक अबला नारी समझकर मुझें ही ठिकाने लगाने की कोशिश न करो" सेलिना की बात सुनकर मस्ती का मुंह खुला का खुला ही रह गया।

" फरजाना इस बात को पहले से जानती थी" मस्ती ने एक नजर फरजाना पर डालते हुए पूछा।

" इसे अपने साथ मिलाने के लिए और इसका विश्वास जीतने के लिए इसे सभी कुछ बताना जरूरी था, और तुम लोगों का इस पर से विश्वास टूटे न, इसलिए इसके हाथो से एक गोली खाना जरुरी था" सेलिना अब मस्ती से कुछ भी नहीं छुपा रही थी।

" तुम दोनो का पहले से ही प्लान था, हम सभी को मार डालने का" मस्ती उन्हें लगातार बातो में उलझाए हुए रख रहा था।

" हॉं!और हमारा प्लान कामयाब भी हो चुका है, चल अब बहुत जान लिया तुमने, अब तुम भी अपने दोस्तो से मिलने के लिए रवाना हो जाओ" ये बोलकर सेलिना ने अपनी पिस्टल का ट्रिगर दबाया ही था कि कहीं से एक गोली आई और उसके हाथ को चीरते हुए चली गई। सेलिना ने हकबका कर इधर उधर देखा, तब तक मस्ती की पिस्टल भी हरकत में आ चुकी थी, उसकी पिस्टल से निकलने वाले शोले ने फरजाना के भी पिस्टल वाले हाथ को अपने लपेटे में ले लिया। इस वक़्त सेलिना और फरजाना दोनो ही अपने अपने खून में डूबे हुए हाथ को दूसरे हाथ से पकड़े हुए कराह रही थी। तभी गाड़ी की दूसरी तरफ से शीबा अपने पिस्टल पर फूंक मारतें हुए निकल कर उन दोनों के सामने आकर खड़ी हो गई।

" तो ये गद्दारी तूने की है" सेलिना तपे हुए स्वर में बोली।

" ये गद्दारी करना भी तुमसे ही सीखा है सेलिना डार्लिंग, तेरा पूरा प्लान तो ये फरज़ाना भी नहीं जानती है" शीबा ने सेलिना को जवाब दिया।

" कैसा प्लान, तुम किस प्लान के बारे में बात कर रही हो" इस बार ये शब्द फरजाना के मुंह से निकले थे।

" मस्ती को मारने के बाद ये तुझे भी मारने वाली थी फरजाना डार्लिंग, जब ये अपनी धोखेबाजी का शिकार मुझे बनाने से बाज नहीं आई तो ये तुम्हें धोखा देने से कहाँ चूकने वाली थी।

" साली कमीनी! तुझे मैं जिंदा नहीं छोडूंगी" शीबा की बात सुनते ही फरजाना अपने घायल हाथ के साथ ही सेलिना पर टूट पड़ी थी। मस्ती ने एक नजर उन दोनों पर डाली और फिर मस्ती और शीबा ने एक साथ अपने अपने पिस्टल का रुख उन दोनों की ओर किया। दोनों की पिस्टल ने एक साथ आग के गोले उगले, गोलियों की आवाज के साथ ही एक बार फिर दो चीखों ने वहां के शांत वातावरण को भंग किया। दोनों दौलत की लालची औरत इस वक़्त जमीन पर ढेर हो चुकी थी। मस्ती और शीबा ने एक बार फिर अपनी पिस्टल को उन दोनों के मुर्दा हो चुके जिस्म की ओर ताना और एक के बाद एक गोलियां उन दोनों के शरीर में मारतें चले गये। उनकी पिस्टल तभी शांत हुई, जब पिस्टल की सभी गोलियां खत्म हो चुकी थी।

" इस बैग में दस करोड़ रु है, अपनी आगे की जिंदगी के लिए, ये पैसा काफी है, अगर पुलिस की पकड़ से बचे रहे तो!बाकी पैसा पुलिस खुद आकर यहां से ले जाएगी, " शीबा ने उसी गाड़ी में से एक बैग निकाल कर मस्ती की ओर बढ़ाया।

" अब आगे कहाँ जाने का प्लान है" मस्ती ने बैग को अपने हाथ में थामते हुए कहा।

" यहां से थोड़ी ही दूरी पर एक बोट खड़ी हुई है जो हमें गोवा छोड़ देगी, गोवा पहुंचने के बाद आगे की सोचेगे" शीबा ने अपनी एक बांह मस्ती की बाहों से लपेटते हुए कहा। मस्ती ने भी अपना एक हाथ शीबा की कमर में डाला और उस तरफ चल दिये, जिस तरफ बोट खड़ी हुई थी। तभी शीबा ने अपनी जीन्स की जेब से एक मोबाइल निकाला और उससे किसी पुलिसिये का नंबर डायल कर दिया।

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कुछ देर के बाद ही सोनू ने अपनी नजर कंप्यूटर स्क्रीन से हटाई, और जावड़ेकर की ओर देखकर नकारात्मक ढंग से अपनी गर्दन को हिलाया।

" क्या हुआ, कुछ पता नहीं चल रहा है" जावडेकर ने उद्धिग्न स्वर में पूछा।

" सिर्फ लूट तक की प्लानिंग ही कंप्यूटर में है, इसके बाद वे लोग कहां जायेगे, क्या करेगे, कुछ नहीं पता चल रहा है" सोनू ने फिर से इनकार में गर्दन को हिलाते हुए कहा।

" वेरी कलेवर! जिसने भी ये खेला किया है, जबरदस्त प्लान के साथ खेला किया है" जावडेकर ने उन सभी की ओर देखकर मुरीद स्वर में बोला। अभी जावडेकर की बात खत्म ही हुई थी कि उसके फोन की घँटी बज उठी। जावड़ेकर ने लपक कर फोन को उठाया। उधर से बोलने वाली कोई लड़की थी। लड़की ने उधर से जो कुछ भी बोला, उसे सुनकर जावडेकर के होठो पर भी मुस्कान खिल उठी।

" महात्रे अलीबाग चलने की तैयारी करो..और वहां की लोकल पुलिस को भी वहां भेजने के लिए तैयार करो, ये केस आज ही सुलझेगा" ये बोलकर जावड़ेकर अपने सीनियर को फोन मिलाने लगा।

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काल डिसकनेक्ट करते ही शीबा ने उस मोबाइल को समुंदर की ओर उछाल कर उसे समुंदर की गहराई में दफन कर दिया। कुछ दूर चलकर उन दोनों को एक बोट उनके ही इंतजार में खड़ी हुई मिली। मस्ती और शीबा तेजी से दौड़कर उस बोट में सवार हुए। उनके बैठते ही बोट स्टार्ट हो चुकी थी। बोट अभी कुछ ही आगे बढ़ी थी कि उनके कानों में दूर से आती हुई पुलिस सायरन की आवाज सुनाई देने लगी।

समाप्त



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