anil garg

Crime Thriller

4.0  

anil garg

Crime Thriller

बदमाश कंपनी-17

बदमाश कंपनी-17

20 mins
232


जूली पल में तोला और पल में माशा स्वभाव की लड़की थी। किसी पर मेहरबान होते होते वो कब अपना कोई भूला हुआ बदला लेने पर उतारू हो जाये, इसकी कोई कल्पना भी नहीं कर सकता था। यही वजह थी कि रोहित मनचंदा भी जूली को भांप नहीं पाया था कि आखिर उसके दिल में चल क्या रहा है। गोल्डी उसे जूली के हवाले करके अपने बेडरूम में जाकर पसर चुका था। जूली इस वक़्त रोहित की गोद में बैठकर इस वक़्त उसकी साकी बनी हुई थी। दारू का सरूर अब फिर से उसके सिर पर चढ़कर बोलने लगा था।

" वो साला गोल्डी तो अपने बिस्तर में जाकर लंबा हो गया..अब तो आज की रात बस तेरे जैसे हरामी का ही सहारा है...साले तू कब तक ये अपनी उधार की जिंदगी जिएगा बे..किसी दिन कोई टपका डालेगा तेरे को" जूली दारू पिलाते पिलाते उसे अब उपदेश पिलाने लग गई थी।

" तू ठीक बोल रही है यार!मैं इस उधार के जंजाल में बुरी तरह से उलझ चुका हूँ, इस वजह से ही मेरी बीवी तक मुझे छोड़कर चली गई, अब साला जिंदगी में बचा क्या है, कोई मार भी देगा तो इस जिन्दगी से मुझे मुक्ति ही देगा, सुन जूली तू ही मुझे मार दे...जा गोल्डी की पिस्टल लेकर आ और मुझे गोली मार दे" अचानक से रोहित किसी साइको की तरह से व्यवहार करने लगा था। उसके इस व्यवहार को देखकर जूली भी उसकी गोद में ही चिहुंक पड़ी थी।

" तेरे ऐसे कर्म रहे तो तुझे मौत मांगनी नहीं पड़ेगी...तुझे कोई मौत गिफ्ट में ही दे जाएगा" जूली उसकी ओर एक और दारू का गिलास बढ़ाते हुए बोली।

" फिर तू ही बता मैं क्या करूँ..न तो मौत ही आ रही और न ही जिंदगी को जी पा रहा हूँ" रोहित ने गिलास में एक घूँट भरा और जूली से पूछा।

" पहले ये बता!तू गोल्डी को बीस लाख रु एक हफ्ते में कहाँ से देगा?ध्यान रखना !गोल्डी इस बार बहुत गुस्से में है!इस बार की वादा खिलाफी तेरी जान ले लेगी" जूली जान जाने का डर उस आदमी को दिखा रही थी, जो खुद कुछ पल पहले उससे मौत मांग रहा था।

" एक बहुत लंबा हाथ मारने वाला हूँ...जिसकी एवज में मुझे दो करोड़ रु मिलेंगे, उन पैसो के मिलते ही मैं सब का उधार चुकता कर दूंगा" नशे की ओवरडोज अब रोहित पर अपना असर दिखाने लगी थी।लेकिन जूली के कान इस वक़्त खड़े हो चुके थे।

" कहाँ मारने वाला है ये लंबा हाथ...मुझे भी अपने साथ मिला ले...अपुन की जिंदगी का भी कुछ उद्धार हो जाएगा" जूली ने अपने हाथ के लंबे नाखून को रोहित के चेहरे पर दबाते हुए कहा।

" खतरनाक काम है..जो तेरे बस का नहीं है" रोहित ने लापरवाही भरे स्वर में बोला।

" एक औरत से भूलकर भी कभी ये मत बोलियो की तेरे बस का नहीं है, ये औरत ही है जिसकी बदौलत तेरे जैसे हरामी भी इस दुनिया में आ जाते है" जूली रोहित की बात सुनते ही भड़क उठी थी।

" एक बैंक में डाका डालने वाला हूँ...है तुझ में हिम्मत मेरे साथ डाका डालने की" रोहित ने मजाकिया लहजे में बोला।

" नहीं बाबा! इतना खतरनाक काम तो मैं नहीं कर सकती..कोई नशेपत्ती की पुड़िया इधर उधर करवानी हो तो वो मैं कर सकती हूँ" जूली ने प्रत्यक्ष में यही दिखाया था कि उसने रोहित की डाका डालने वाली बात को गंभीरता से नहीं लिया था।

" ये चिंदीचोरी के काम से ज्यादा मैं अपनी बैंक की नौकरी से कमा लेता हूँ...अब तो कुछ बड़ा ही करना है" रोहित ने ये बोलकर एक ही सांस में गिलास खाली कर दिया था।

" मुझे तो नहीं लगता कि तेरे जैसा फट्टू इंसान कोई डाका डालने जैसा काम भी कर सकता है, गोल्डी की रिवाल्वर देखते ही तो तेरा मूत निकलने लग जाता है" जूली अब उसे उकसाने पर उतर आई थी।

" वो तो गोल्डी की बहुत मेहरबानी है मुझ पर..बस इसलिए उसकी इज्जत करता हूँ..नहीं तो ऐसी रिवॉल्वर अपने कानपुर में घर घर मे ऐसे मिलती है, जैसे रसोई में मसाले मिलते है" रोहित ने जूली की ओर देखकर हल्के से दंभ भरे स्वर में बोला।

" तो अपना शेर अब डाका डालकर सभी का उधार चुकाएगा, ये बढ़िया रास्ता ढूंढा है तुमने, अब ये भी बता दे कि किस बैंक में डाका डालने की योजना बनाई है तुमने" जूली इस बार उसके गले में अपनी बाहें डालती हुई बोली।

" ये सब जानकर तू क्या करेगी" रोहित की आवाज से भी अब उसका नशा टपकना शुरू हो गया था।

" मैं भी तेरे साथ इस काम मे शामिल होना चाहती हूँ..बोर हो गई यार बार मे ठुमके लगाते हुए" जूली ने मनुहार भरें शब्दो मे बोला।

" डाका डालना कोई हँसी खेल नहीं है..इस काम मे कभी कभी गोलियाँ भी चलानी पड़ती है" रोहित की आवाज में इस बार फिर से तंज था। उसकी बात सुनते ही जूली उसकी गोद से उछल कर खड़ी हुई और गोल्डी के बेडरूम की ओर चली गई। रोहित फिर से अपने गिलास में दारू को डालने लगा।कुछ ही पल में जूली अपने एक हाथ को पीछे किये हुए आई, और रोहित के सामने आकर खड़ी हो गई।

" क्या करने गई थी गोल्डी के कमर्रे में" रोहित ने एक बार फिर गिलास को अपने होंठों से लगाया ही था कि एक दम से चिहुंक कर उठ खड़ा हुआ। उस पल में तोला और पल में माशा मार्का लड़की के हाथ में इस वक़्त वही रिवाल्वर चमक रही थी जो कुछ देर पहले गोल्डी के हाथ में थी। तभी जूली ने रोहित के पैरो की तरफ रिवाल्वर किया और उसके ट्रिगर पर अपनी उंगलियां दबाती चली गई। एक के बाद एक छह बार वो रिवाल्वर गरजी और रोहित अपनी जगह पर खड़ा हुआ बस उछलकूद करता ही रह गया।

" साली मेन्टल है क्या तू..ऐसे भी कोई किसी पर गोलियां चलाता है क्या?" गोलियो की बौछार रुकते ही रोहित के कदमो की कदमताल भी रुक चुकी थी और उसकी सांसें इस वक़्त धौकनी की तरह चल रही थी।अपने बेडरूम के दरवाजे पर खड़ा गोल्डी भी इस वक़्त विस्फारित नजरो से जूली की ओर ही देखे जा रहा था। जूली अपने होठो पर एक जानलेवा मुस्कान लिए हुए आगे बढ़ी और इस बार रिवाल्वर को उसने रोहित के सीने पर लगा दिया। रोहित के दिल की धड़कनो की आवाज इस वक़्त उस कमरे में मौजूद कोई भी शख्स सुन सकता था।रोहित का चेहरा इस वक़्त पसीने से भीग चुका था। लेकिन जूली की मुस्कान कम होने का नाम ही नहीं ले रही थी।

                         **********

" आप को अपने मोबाइल की फोरेंसिक जाँच से क्या ऐतराज है मैडम" दामले ने शंकित निग़ाहों से शालू को देखा।

" जी मेरे मोबाइल में मेरी कुछ पर्सनल चीज़े है, जिन्हें मैं पब्लिक नहीं कर सकती हूँ" शालू ने दो टूक बोला।

" देख लीजिये!आपका मोबाइल इस शख्स के खिलाफ बहुत बड़ा सबूत बन सकता है" दामले ने एक बार फिर से शालू को बोला। लेकिन शालू ने फिर से इनकार में अपनी गर्दन को हिला दिया।

" केलकर साहब को आपने पच्चीस लाख रु दिए है..इसका कोई सबूत है आपके पास" दामले ने अब अगला सवाल किया।

" इन्होंने दस लाख तो मुझ से तब ही कैश लिया था, जब ये दिल्ली आया था, उसके बाद तीन बार इन्होने पांच लाख रु एक एकाउंट में डलवाये थे" शालू ने दामले को पैसो का ब्यौरा दिया।

" उन एकाउंट की डिटेल तो होगी, जिनमें आपने इनको पैसे भेजे थे" दामले अभी तक सिर्फ शालू से ही पूछताछ कर रहा था। केलकर से उसने कोई जवाबतलबी नहीं की थी।

" जी!एकाउंट की डिटेल तो है..लेकिन?" ये बोलकर शालू ने फिर से अपनी बात को अधूरा छोड़ दिया।

" क्या लेकिन" दामले ने फिर से शंकित नजरो से शालू को देखा।

" इस शातिर आदमी ने एक बार भी अपने एकाउंट में पैसे नहीं डलवाये...इसने तीनो बार अलग अलग लोगो के एकाउंट में डलवाये थे" शालू ने फंसे हुए स्वर में बोला।

" मैडम!शक्ल से तो आप इतनी बेवकूफ लग नहीं रही हो, जितनी बेवकूफाना हरकत आपने इस बन्दे से कुछ भी लेन देन करते हुए की है, आपको एक बार भी इस बन्दे पर शक नहीं हुआ कि ये आपको अपना खुद का एकाउंट क्यो नहीं दे रहा है" दामले ने कुपित स्वर में बोला।

" ये आदमी कहानी ही ऐसी सुनाता था कि मेरे सामने इसके ऊपर भरोसा करने के अलावा कोई चारा ही नहीं बचता था" शालू ने मासुमियत से बोला।

" क्या कहानी सुनाता था?" दामले ने इस बार पहले एक नजर केलकर पर डाली फिर शालू से मुखातिब हुआ।

" इसने बोला था की इसके डिपार्टमेंट के लोगो ने एक साजिस के तहत उसे फँसा दिया है और डिपार्टमेंट इसे ससपेंड करने वाला है, इसने बोला था की अगर ये पच्चीस लाख रु रिश्वत के दे देगा तो इसकी नौकरी बच जाएगी, इस वजह से मैं इसकी बातो में आ गई" शालू ने ये बोलते हुए गुस्से में केलकर की तरफ देखा तो उसे अपनी और एक कुटिल मुस्कान के साथ देखते हुए पाया। ये देखकर शालू के तन बदन में आग लग गईं थी। उसने आव देखा न ताव और एक जोर का झापड़ उसके मुंह पर जमा दिया। ये सब इतना त्वरित घटित हुआ कि न तो दामले को और न ही केलकर की समझ में आया कि ये हुआ तो हुआ क्या?

" साले हरामी!मेरी जिंदगी बर्बाद करके यहां बेशर्मो की तरह मुस्करा रहा है...कीड़े पड़ेगे तुझ में कुत्ते" शालू एकदम से बिफर गई थी।

" देखिए मैडम!ऐसी हरकत मेरे सामने दोबारा मत कीजियेगा..वरना मुझे आपके खिलाफ ही केस दर्ज करना पड़ेगा" दामले ने चेतावनी भरें लहजें में बोला।

" हाँ !आप तो मेरे खिलाफ ही केस दर्ज करेगे..इस हरामी की तो सिफारिश आ गई है न आपके किसी बड़े अफसर की...हर कोई यहां मजलूम को ही दबाता है और ऐसे भेड़िए समाज मे खुले घुमते है" शालू की बात सुनकर दामले भी बगले झाँकने लगा था और केलकर के तो शरीर में तो कांटो तो खून नहीं था। दो दिन में ये तीसरी लड़की थी जो उसे बजा रही थी।

" देखिए मैडम!, मैं किसी सिफारिश को नहीं मानता..आप अभी तक एक भी पुख्ता सबूत मुझे इस आदमी के खिलाफ नहीं दे पाई है...अभी तक सिर्फ आपने बातें बताई है..लेकिन कोई उन बातो का एविडेंस नहीं दिया है, आप एक पुख्ता सबूत दे दीजिए, मैं इस आदमी को यहां से घसीटते हुए थाने तक ले जाऊंगा" दामले अपने ऊपर लगे आरोप को सह नहीं पाया था।

" आप जाइये साहब..मुझे कोई इंसाफ नहीं चाहिये..अब इस आदमी से मैं अपना इंसाफ खुद करूँगी" शालू ने दामले की किसी भी बात पर तवज्जों नहीं दी थी।

" आपके पास जब भी इस आदमी के खिलाफ कोई भी सबूत हो आप मेरे पास चले आना..सिर्फ मुंहजबानी इल्जाम पर तो मैं ऐसे किसी को गिरफ्तार नहीं कर सकता हूँ" दामले ने अब अपने हाथ खड़े कर दिए थे।

" ठीक है दामले साहब! अब आप जा सकते है..मैं इनसे बातचीत करके देखती हूँ, शायद इन्हे मेरे हालात पर कुछ रहम आ जाये" शालू ने दामले को बोला।

" आप मेरे जाने के बाद कोई यहां पर झगड़ा फसाद तो नहीं करोगी..मुझे आपके तेवर ठीक नहीं लग रहे है" दामले ने शंकित स्वर में बोला।

" नहीं दामले साहब!वो हिम्मत तो मैं इसलिए जुटा पाई की क्योकि आप यहां मौजूद थे..अकेले में तो ये आदमी मेरी जान ही ले लेगा" शालू ने आखिरी वाक्य केलकर को देखते हुए बोला था..जिसके चेहरे की वो कुटिल मुस्कान एक ही थप्पड़ मे गायब हो गई थी।

" ठीक है फिर मैं चलता हूँ...अगर आपका मामला बातचीत से सुलझता है तो सुलझा लीजिए" ये बोलकर दामले दरवाजे की ओर बढ़ गया और कुछ ही पल में नजरो से ओझल भी हो गया।शालू अब आहिस्ता से चलते हुए अपने साथ आये हुए आदमी के पास पहुंची, जो अभी तक कि बातचीत में बिल्कुल खामोश खड़ा रहा था।

" अंकल आप होटल पहुंचिये..मैं इस बेहरुपीये से बात करके आती हूँ" शालू ने अपने अंकल को बोला।

" बेटी जो भी बात करनी हो...मेरे सामने ही कर लो..मैं इस शैतान के साथ तुम्हे अकेला नहीं छोड़ सकता" अंकल ने शालू की बात का प्रतिवाद करते हुए कहा।

" अंकल आपके सामने मैं इस आदमी से सारी बातें नहीं कर सकती हूँ..आप समझा करो...ये मेरा अब कुछ नहीं बिगाड़ नहीं सकता..इसने जो मेरा बिगाड़ना था वो बिगाड़ लिया" शालू ने जिद भरे स्वर में अपने अंकल को बोला।

" ठीक है बेटी...मैं होटल जा रहा हूँ..लेकिन तुम फोन करके अपनी खबर मुझे देती रहना" ये बोलकर शालू के अंकल भी फ्लैट से बाहर निकल गए। अंकल के जाते ही शालू ने दरवाजे को बन्द किया और एक गुस्से भरी दृष्टि केलकर पर डाली और फिर अचानक से दौड़ती हुई केलकर की गोद में चढ़ गई। उसके बाद एकाएक उन दोनों के सम्मिलित ठहाके उस फ्लैट में गूंजने लगे।

                         **********

सेलिना के साथ इस वक़्त मस्ती बलवन्त जैकाल चरसी बेवड़ा फरजाना और शीबा के साथ एक ही टेबल के इर्द गिर्द बैठे हुए थे।

" एक्शन का दिन आ चुका है..कल शुक्रवार की रात है...कल हमे हर हाल में बैंक की वॉल्ट को लूटना है" सेलिना ने सबसे पहले बोलना शुरू किया।

" सुरंग का काम पूरा हो चुका है..बस कल आधा घँटे में हम लेंटर में सुराख करने में कामयाब हो जायेगे...उसके बाद हम सभी लोग बैंक में प्रवेश कर सकते है" बलवन्त ने सुरंग की प्रोग्रेस के बारे में बताया।

" पैसो के भरने के लिये पांच एयर बैग आ चुके है...जैसे ही वॉल्ट खुलता है..उन बैग में नोट भरने का काम शुरू कर देना है" शीबा ने उन सभी लोगों को बताया है।

" वैसे अगले दिन शनिवार है और बैंक की छुट्टी भी है...लेकिन हमें हर हाल में सुबह चार बजे से पहले उस जगह से निकल जाना है" इस बार सेलिना ने बोला।

" जिस वैन में नोट से भरे बैग रखें जाएंगे..उस वैन में बलवंत और शीबा जायेगे...ये लोग ददुआ के बताए ठिकाने पर उस गाड़ी को लेकर जाएंगे..गाड़ी को बलवन्त चलाएगा" सेलिना की बात सुनते ही जैकाल के चेहरे पर अजीब से भाव उभरे, और उसने अपनी कुर्सी पर बेचैनी से अपना पहलू बदला। जिसे सेलिना ने तुरन्त भांप लिया।

" क्यो जैकाल !तुम्हे कुछ बोलना है क्या" सेलिना ने जैकाल से पूछा।

" मैं ये कह रहा था की इतनी बड़ी रकम के साथ केवल दो लोगों को भेजना अक्लमंदी नहीं है..हम सभी को उस वैन में साथ जाना चाहिये" जैकाल ने सेलिना को बोला।

" नहीं...हमारी प्लानिंग में सबसे ख़ास बात ये है कि कहीं पर भी हमारा न तो बैंक के किसी कर्मचारी से टकराव होना है और न ही पुलिस हमारे पीछे लगने वाली है..इसलिए दो आदमी भी साथ जाएंगे तो कोई परेशानी नहीं है..इसके अलावा कवर अप के लिए हम सभी लोगों की गाड़ी उस वैन के पीछे होगी" सेलिना ने जैकाल की बात का जवाब दिया।

" सेलिना मुझे भी कुछ बोलना था" तभी चरसी ने अपना हाथ उठाया।

" तुम तो आज तक कभी कुछ बोला ही नहीं है...इसलिए तुम तो जरूर कुछ बोलो मिस्टर चिलगौजे उर्फ चरसी" सेलिना ने चरसी का पूरा नाम लेते हुए उसे बोला।

" सेलिना! इतनी बड़ी रकम को लूटने के बाद हम लोगो को हिस्सा बहुत कम दिया जा रहा है...इस बारे में जरा फिर से सोचो" चरसी ने बोला तो सेलिना कुछ पल उसी की ओर देखती रही, उसके बाद उसने जवाब देने के लिये अपना मुंह खोला।

" तुम शायद एक बात को भूल रहे हो कि तुम इस कंपनी में एक कर्मचारी हो...कोई मालिक या पार्टनर नहीं है जो तुम हिस्से की बात करो..तुम्हे जो दो करोड़ रु देने का वादा किया गया है, वो केवल एक बार देने के लिये नहीं किया है..ये तुम्हें जब तक तुम जिंदा रहोगे, तब तक मिलता रहेगा" सेलिना ने खुले शब्दो में समझाया।

" लेकिन इस धंधे में ये क्या गारन्टी है कि हम कितने साल जीयेंगे..क्या पता कब किस तरफ से कोई गोली आये और हमें मारकर चलती बने" चरसी ने अपनी तर्कशक्ति का प्रदर्शन किया।

" इस दुनिया में तुम्हारे कोई आगे पीछे है.., .तुम्हारे माँ बाप बीवी बच्चे या फिर कोई रिश्तेदार..या कोई गर्लफ्रैंड, कोई है क्या तुम्हारी जिंदगी में" सेलिना के इस सवाल के जवाब में चरसी ने इनकार में अपना सिर हिलाया।

" नहीं है...लेकिन पैसा पास में होगा तो माँ बाप को छोड़कर सब आ जायेंगे" चरसी ने लाख रु की बात बोली।

" तो ऐसे लालची लोगो पर पैसा लुटाकर क्या करोगे.., जो सिर्फ पैसे की वजह से तुमसे आकर अपना रिश्ता जोड़ेंगे..और अकेले से तो तुमसे दो करोड़ रु एक साल में भी खर्च नहीं होने है" सेलिना की बात सुनकर चरसी अब बिल्कुल चुप्पी साध कर बैठ गया।

" किसी और के दिमाग मे भी यही सवाल घूम रहा हो तो बता दो..क्योकि ऐसा सवाल सभी के मन मे आना स्वभाविक है" सेलिना ने सभी लोगों पर अपनी नजर डालते हुए पूछा।किसी ने भी सहमति में अपना सिर नहीं हिलाया..बल्कि हर किसी ने इनकार की मुद्रा में ही सिर को हिलाया।

" एक बात पूछनी थी..अगर वॉल्ट किसी कारणवश नहीं खुलता है...और वॉल्ट को छूते ही उसका सायरन पास के थाने में बज जाता है..उस स्थिति में हम अपना बचाव कैसे करेगे" मस्ती ने सबसे काम का सवाल पूछा था।

" ये सबसे काम की बात पूछी है तुमने...हर बिल्डिंग में आग लगने की सूरत में कुछ आपातकालीन रास्ते बने होते है, ऐसी हालत अगर बनती है तो हमें उन रास्तों का प्रयोग करना है" सेलिना ने मस्ती की बात का जवाब दिया।

" अगर ऐसी घटना हो जाती है तो थाने से बैंक तक आने में पुलिस को आने में कितना वक्त लगेगा" फरजाना ने भी काम का सवाल किया था।

" दस मिनट!महज दस मिनट में पुलिस बैंक को घेर लेगी" सेलिना ने सहज स्वर में बोला।

" लेकिन अगर सायरन थाने में बजता है, तो साथ कि साथ वॉल्ट रूम में भी बजेगा..उस हालत में हमें बिना कुछ भी सोचे उन आपातकालीन दरवाजे की ओर भागना है, और पुलिस के पहुंचने से पहले ही हमें वहां से निकलना है" इस बार जवाब शीबा ने दिया था।

" क्या दस मिनट में वहां से भागना सम्भव होगा" जैकाल ने इस बार प्रश्न किया।

" मेरे ख्याल से तो ये संभव नहीं है...अगर ऐसा कुछ हुआ तो हम लोग या तो पकड़े जायेगे या फिर पुलिस की गोलियों के शिकार हो जायेगे" इस बार बेवडे ने बोला।

" दस मिनट तो हमे बाहर निकलने का रास्ता ढूंढने में ही लग जायेंगे...क्योकि हमें बैंक के अंदर के भूगोल की कोई जानकारी नहीं है" फरजाना ने सही पॉइंट पकड़ा था।

" अब मैं तुम सभी लोगों के सवालों का जवाब दे दूं" सेलिना ने वहां मचे शोर के बीच में अपनी आवाज को ऊंची करके बोला।सेलिना की आवाज सुनते ही वहां एकदम खामोशी पसर गई।

" तुम सभी लोगों ने वाजिब सवाल उठाए है...पहली बात तो ऐसी नौबत नहीं आयेगी की वॉल्ट तोड़ते वक़्त थाने में कोई अलार्म बजेगा...उस अलार्म के नहीं बजने की हमने पूरी तैयारी कर ली है...इसी बारे में मस्ती की भी एक बन्दे से मैं मुलाकात करवाने वाली हूँ..वो वॉल्ट खोलने के बारे में मस्ती से बात करेगा, उसके बाद तुम लोगों को भी तसल्ली हो जाएगी, ...दूसरी बात अंदर के भूगोल को जानने की..अंदर पहुंचने के बाद हम लोग एक बार अंदर ही अंदर बैंक का चक्कर लगायेंगे और बैंक का सारा भूगोल अपने दिमाग में बिठा लेंगे..उसके बाद ही हम अपनी लूट की कार्यवाही शुरु करेंगे..और एक सबसे बड़ी बात...आधी रात के वक़्त भी हम कल रात को सड़क पर ऐसे अवरोधक लगा देंगे कि पुलिस चाहकर भी बीस मिनट से पहले बैंक तक नहीं पहुंच पाएगी"

सेलिना ने कुछ ऐसी तैयारियां भी पहले से की हुई थी, जिसकी इन लोगों को कोई भनक तक नहीं थी।

" अगर बीस मिनट हमे वहां से निकलने के लिये मिल जाते है तो हम आराम से निकल सकते है" मस्ती ने इस बारे अपनी सहमति प्रदान की।

" आज की रात सभी लोग अपनी नींद अच्छे से पूरी कर लो..क्योकि कल रात तक फिर तुम्हे आराम नहीं मिलने वाला" सेलिना ने तखलिया के अंदाज में अपनी कुर्सी से उठते हुए कहा।बाकी लोग भी अब उठकर अपने अपने बिस्तर में समाने के लिए चले गए।

                           ********

" यकीन हुआ या नहीं हुआ...की मै भी गोलियां चला सकती हूँ..या फिर सीने में गोली खाने के बाद यकीन आएगा" जूली ने बड़ी अदा से रोहित के सीने पर अपनी रिवाल्वर को घुमाया।

" आ गया मेरी माँ!पक्का यकीन आ गया, तू अब इस रिवाल्वर को एक तरफ कर ले..नहीं तो मुझे हार्ट अटैक आ जाएगा" रोहित ने एक हाथ से उसके रिवाल्वर वाले हाथ को अपने सीने से हटाते हुए कहा।

" चल अब तो बता!ये डकैती तू किस बैंक में डालना वाला है" जूली ने फिर से पूछा।

" और कहां डालेगा ये डकैती..अपने ही बैंक में डालेगा..क्योकि वहां की सुरक्षा का जिम्मा तो इसी का है" तभी गोल्डी उन लोगो के करीब आकर बोला।

" दाई से पेट नहीं छुपाया करते..तू अगर नहीं बताएगा तो क्या हमे पता नहीं चलेगा" इस बार जूली फिर से मनुहार करने लगी थी।

" चलो!तुम्हे एक आफर देता हूँ...हमे भी अपने साथ शामिल कर ले..तेरे बीस लाख भी माफ और जो तुमने अभी एक लाख हमे दिया है, वो भी तू वापस ले जा" गोल्डी की बात सुनते ही रोहित की आँखों मे एकबारगी चमक उभरी और वो तत्काल लुप्त भी हो गई।

" ये मेरा अकेले का प्लान नहीं है..बल्कि मुझे कोई और यूज़ कर रहा है अपने प्लान के लिये..बदले में मुझे दो करोड़ रु मिलेंगे, मैं उसी में से तुम्हें बीस लाख देने की बात कर रहा था" रोहित मनचन्दा ने उसके सामने आखिर उल्टी कर ही दी थी।

" बैंक में डकैती डाल रहा है या किसी बनिये की दुकान लूट रहा है..सौ करोड़ से कम रकम क्या होगी..और तुझे सिर्फ दो करोड़? इस डकैती के काम मे तेरे जिम्मे काम क्या है" गोल्डी अब हर बात कुरेद कुरेद कर पूछ रहा था।

" बैंक का वॉल्ट मुझे ही खोलना है" रोहित ने बोला।

" मतलब सबसे मुख्य काम तू करेगा और तुझे सिर्फ दो करोड़ देगे..रोहित तू मेरा छोटा भाई है...तू दो करोड़ जैसी हक़ीर रकम के लिए अपनी जिंदगी में और दुश्वारियां मत पैदा कर...तू पहले ही सुसाइड करने के कगार पर पहुंच चुका है" गोल्डी ने उसे प्यार भरे स्वर में कहा।

" लेकिन अब मै पीछे नहीं हट सकता है..वे बहुत खतरनाक लोग है...अब पीछे हटने का मतलब है की अपनी जान से जाना" ये बोलते ही रोहित के शरीर में एक झुरखुरी दौड़ गई।

" कौन लोग है ये" गोल्डी ने पूछा।

" ददुआ का नाम सुना है" रोहित ने गोल्डी की तरफ देखकर बोला।

" तुम ददुआ के लिए काम कर रहे हो...तू उनके हत्थे कैसे चढ़ गया" गोल्डी शायद ददुआ से परिचित था।

" बस या तो मेरे सितारे गर्दिश में है, या फिर मेरे सितारे बुलंदियों को छूने वाले है, तभी मैं ददुआ के जाल में फंस कर उसके लिए काम कर रहा हूं" रोहित मनचन्दा के पास अब छुपाने के लिये कुछ बचा नहीं था।

" तुम कैसे उसके जाल में फंस गए! तुम्हारा उसका क्या वास्ता" इस बार जूली ने पूछा।

" तुम तो नही! लेकिन शायद गोल्डी जरूर उस सेलिना को जानता होगा..जो रेसकोर्स के मैदान में अक्सर मेरे साथ नजर आती थी..वो सेलिना ही ददुआ का यहाँ का सारा काम सम्हालती है" रोहित ने गोल्डी की ओर देखकर बोला।

" लेकिन उसने तुम्हें अपने जाल में कैसे फंसाया" गोल्डी बस यही जानने के लिए आतुर था।

" ददुआ बड़े प्रोफेशनल तरीके से काम करता है..वो जब भी किसी काम की प्लानिंग करता है, तो सबसे पहले उस काम के लिए काम के बंदों की तलाश करता है, जब वो बन्दे उसे मिल जाते है तो सबसे पहले उन आदमियो की कमजोरियों का पता लगाता है..अब कमजोरी तो हर इंसान में होती है..बस उन्हीं कमजोरियों का फायदा उठाकर वो अपने जाल में अपने काम के आदमियो को फंसाता है" रोहित एक सांस में ही बोलता चला गया।

" तुम्हारी कमजोरी थी रेस का मैदान...जो उसने भांप ली..उसके बाद तुम्हे अपने घेरे में लिया" जूली ने दिलचस्पी के साथ बोला।

" हाँ! मैं तो बस शौकिया रेसकोर्स जाता था... कोई ज्यादा बड़ा दांव भी नहीं लगाता था, लेकिन तभी सेलिना का वहाँ आना जाना शुरू हुआ और उसने मेरे साथ अपनी नजदीकियां बढ़ानी शुरू कर दी, उसके साथ रहकर मेरी ये घुड़दौड़ पर सट्टा लगाने की लत बढ़ती जा रही थी..वो मुझे दांव लगाने के लिए उकसाती थी, फिर अचानक से मुझे दांव लगाने के लिये पैसा भी लोग मुहैया करवाने लगे...और मैं चंद दिनों में ही वहां लोगों के पचास लाख का कर्जदार हो गया, अब कर्जदारों ने मेरा रेसकोर्स में आना जाना हराम कर दिया, मुझे रोज जान से मारने की धमकियां मिलने लगी...मेरी कुंडली में एक साथ नौ के नौ ग्रह आकर बैठ गए और सब ही एक दूसरे को क्रूर निगाहों से देखने लगे, कर्जदार अब घर तक पहुंचने लगे थे, जिससे मेरी वाइफ भी मुझ से उखड़ी उखड़ी रहने लगी..फिर एक दिन सेलिना ने मेरी मदद को हाथ बढ़ाया, उसने मेरे सारे कर्जदारों को निबटाया, उसने मुझ से बोला कि वो ये सब इसलिए कर रही है क्योंकि वो मुझ से बेइंतेहा मोहब्बत करती है, ..मैं काठ का उल्लू उसकी बातों को सच समझ बैठा और एक दिन होटल में उसके साथ प्यार का नंगा नाच रचा बैठा, बस वो मेरी खुशहाल जिंदगी का आखिरी पन्ना था, उसके बाद होटल की उन रंगरलियों की फ़ोटो और वीडियो मेरी वाइफ के पास भेज दी गई..उन्हें देखते ही मेरी बीवी मुझ से बात किये बिना ही घर छोड़कर चली गई, मेरा घर तो छोड़कर चली गई, लेकिन वो कानपुर में अपने घर भी नहीं पहुंची, आज तीन महीने से वो लापता है, मैं इस दलदल में बहुत गहरे तक धंस चुका हो दोस्त, अब उन लोगों की बात मानने के अलावा कोई और रास्ता नहीं है" ये बोलकर रोहित अपने सिर पर दोनों हाथ रखकर जमीन पर अपनी नजरें जमाकर बैठ गया। तभी गोल्डी और जूली की नजरे आपस में मिली और उन्होंने आंखों ही आँखों में कुछ इशारा किया और जूली ने आगे बढ़कर रोहित के सिर को ऊपर उठाया और उसे अपने आगोश में लिपटा लिया।


क्रमशः



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