anil garg

Crime Thriller

4.6  

anil garg

Crime Thriller

बदमाश कंपनी-15

बदमाश कंपनी-15

56 mins
335


एक आशिकमिजाज शख्स था जो अब चालीस की उम्र के लपेटे में पहुँच कर भी गुलाटियां मारने से बाज नही आता था। यही कारण था कि फरज़ाना जैसी खेली खाई औरत के लिये केलकर को अपने पर लट्टू करने में कोई ज्यादा मेहनत नही करनी पड़ी थी। इस वक़्त दोनो ही ऐसे घुलमिलकर बातें कर रहे थे मानो फरज़ाना घर से ही केलकर के साथ ही आई हो और वो अपने साथ के बाकी लोगो को जानती भी नही हो। उसका यू केलकर के साथ घुलमिल जाना उन लोगो मे से सिर्फ चरसी को हजम नही हो रहा था। मस्ती तो सेलिना के साथ बातो में तल्लीन हो चुका था। बेवड़ा अपने सूट की जेब मे मौजूद एक दारू की फ्लास्क से थोड़ी थोड़ी देर में खिड़की से बाहर की तरफ देखते हुए एक घूँट मार लेता था। चरसी भी अपनी तरंग में था। लेकिन उसे उतनी ही डोज दी जा रही थी।जिससे कि उसके कुत्ते फेल न हो...और उसकी गंजेडी की तरह से अधोगति भी न हो।

"मुम्बई पहुंचने के बाद तो तुमसे मुलाकात का कोई चांस नही होगा"फरज़ाना ने इस अदा से पूछा कि केलकर उसका मुरीद हुए बिना नही रह सका।

"क्यों नही होगी मुलाकात...मैं तो मरा जा रहा हूँ..तुमसे अकेले में मिलने के लिए"केलकर उसके कान के नजदीक आकर फुसफुसाया।

"लेकिन जनाब!इतनी बड़ी मुंबई में तुम्हे ढूँढूगी कहाँ पर...अपना कुछ अता पता तो बताओ"फरज़ाना केलकर को पूरी तरह से अपने काबू में कर चुकी थी।

"लो मेरा कार्ड रख लो...मुम्बई में अंधेरी में एक अपार्टमेंट में रहता हूँ...कभी भी फोन करके आ जाना...बन्दा आपके इंतजार में पलक पाँवड़े बिछाए हुए दरवाजे पर ही खड़ा मिलेगा"केलकर ने अपने स्वर को शहद से भी मीठा बनाते हुए कहा।

"क्यों जनाब!घर पर बीवी नही है क्या जो मेरे इंतजार में पलक पाँवड़े बिछाओगे"फरज़ाना ने केलकर की ओर देखकर मुस्करा कर पूछा।

"बीवी भी थी किसी जमाने मे...लेकिन अब तलाक हो चुका है....अब वो भी आज़ाद है..मैं भी आज़ाद हूँ"केलकर ने लापरवाही भरे अन्दाज में बोला।

"आज़ादी मुबारक हो..अपने मुल्क में बहुत कम लोगों को ऐसी आज़ादी नसीब होती है"ये बोलकर फरज़ाना खिलखिला कर हँस पड़ी। जवाब में केलकर भी उसी अंदाज में हँस पड़ा। दोनो को यू खिलखिलाता हुआ देखकर उन चारों की भी तवज्जो उन दोनो की तरफ़ भी हो चुकी थी।

"गैरो पर करम अपनो पर सितम...ऐ जाने तमन्ना ये जुल्म न कर"अचानक से चरसी अपनी तरंग में ही तरन्नुम में ग़ा उठा।

"चुप साले बैजू बावरा...क्यों गधे की तरह से रैक रहा है"बेवड़े ने तुरन्त ही उसके मुंह को अपने हाथ के ढक्कन से बन्द कर दिया। बेवड़े की इस हरकत पर एक बार फिर से उस कूपे में हँसी की बयार बह चुकी थी। तभी केलकर फरज़ाना के कान में कुछ फुसफुसाया और अपनी जगह से खड़ा होकर वाशरूम की ओर बढ़ गया। कुछ ही समय के अंतराल के बाद फरज़ाना भी उसी वाशरूम की ओर बढ़ गई थी। उसके पीछे ही चरसी भी खड़ा हुआ और वो भी बेवड़े की तरफ अपनी सबसे कनकी उंगली उठाकर उसी वाशरूम की दिशा में बढ़ गया था।

                            ********

यादव के सामने इस वक़्त जो बन्दा उस पेड़ के नीचे खड़ा था...उसका नाम सलीम लंगड़ा था। जिसका धन्धा किसी जमाने मे साईकल चुराने का हुआ करता था..जो बाद में तरक्की करते हुए स्कूटर चुराने तक पहुंच गया था। लेकिन एक दिन एक स्कूटर चुराकर भागने के चक्कर मे एक ट्रक की चपेट में आ गया और सरकारी अस्पताल के डॉक्टरों ने उसकी एक टांग काटकर उसकी उस बेगैरत सी जिंदगी को बचाया था। उसके बाद से वो रेलवे रोड पर चाय का खोखा चला रहा था..जिसमें वो बीड़ी सिगरेट और गुटका सुपारी भी बेचा करता था। उसके पुराने धंधे के जानकर भी उसके खोखे पर ही अपना डेरा जमाए रहते थे। जिससे इलाके में होने वाली चोरी चकारी की घटनाओं के बारे में उसे पता रहता था...उसके बाद इन जानकारी को वो यादव को देने लगा...जिससे उसकी आमदनी में यादव द्वारा दिये गए इनाम इकराम की बदौलत इजाफा होने लगा।इस वक़्त अपने उसी मुखबिर के सामने यादव खड़ा था और सलीम लंगड़े की तरफ घूर कर देख रहा था।

"नही साहब !उन लोगो के बारे में तो कहीं कोई चर्चा नही सुनाई दे रही है...और जब किसी बड़ी लूट के बाद ऐसी खामोशी होती है तो समझ लीजिए कि बन्दा ददुआ के हत्थे चढ़ चुका है"सलीम लंगड़े ने यादव के ज्ञान चक्षु खोलते हुए कहा।

"अगर ददुआ के हत्थे वे लोग चढ़ गए है तो इस बात की पूरी उम्मीद की जा सकती है कि वे लोग शहर से भी बाहर जा चुके होंगे"यादव अपनी सोच की गहराई से उबरते हुए बोला।

"उम्मीद नही!सौ प्रतिशत गारन्टी है कि वे लोग अब इस शहर में नही होंगे...गिने चुने लोग ही शहर में है..जिनके यहां वो लोग पनाह पा सकते थे...लेकिन उनमें से किसी भी ठिकाने पर वे नही पहुंचे है"सलीम विश्वास से भरें शब्दों में बोला।

"अब तो मुझे भी यही लगने लगा है..अगर शहर में होते तो कहीं तो उनकी हलचल सुनाई पड़ती"यादव ने भी सलीम की बात से सहमति जताई।

"ददुआ के गैंग की अंदर की खबर निकलना बहुत मुश्किल काम है साहब...क्योकि ददुआ हर मुंह फाड़ने वाले गुर्गे को सिर्फ मौत देता है"सलीम ने लाचारी भरे स्वर में कहा।

"मुझे भी यही लगता है कि अब इस शहर से बाहर दूसरे शहर में इन लोगो को ढूंढना पड़ेगा"यादव अपने होठो में ही बुदबुदाया।

"क्या साहब!पचास लाख की एक मामूली सी तो लूट हुई है...उसके लिए कहाँ तक उन लोगों के पीछे जाओगे"सलीम लंगड़े ने अजीब सी नजरो से यादव को देखा।

"तू नही समझेगा...उन्हें पकड़ना क्यों जरूरी है...तू बस अपने नाक कान आंख खुले रख और उनके बारे में जैसे ही कोई खबर पता चले....मुझे फोरन बता"यादव ने सलीम की ओर देखते हुए बोला।

"क्या साहब!आजकल धंधा बहुत मंदा चल रहा है..आप ही इस गरीब की कुछ बोनी करवा दो"सलीम ने वहां से हिलने से पहले अपनी लालची और कुटिल मुस्कान के साथ यादव की ओर देखा। यादव हल्का सा मुस्कराया और अपनी जेब से निकाल कर पांच सौ के दो नोट सलीम लंगड़े की ओर बढ़ा दिए। सलीम लंगड़ा यादव की जय जय कार करते हुए वहां से विदा हो गया।

                          *********

वाशरूम की तरफ जाने के बाद उसके नजदीक पहुँच कर केलकर ने एक सिगरेट सुलगाई और और उसके सुट्टे लगाने लगा। तभी फरज़ाना भी उसके नजदीक आकर खड़ी हो गई। केलकर ने सिगरेट को फरज़ाना की ओर बढ़ाया तो फरज़ाना ने उसे लपकने में कोई कसर बाकी नही रखी। अब फरज़ाना ने दो बार सिगरेट को फूंका और केलकर की ओर बढ़ा दिया।

"तुम्हे पता है साथ सिगरेट पीने से भी आपस मे प्यार बढ़ता है"केलकर ने फिर से कश खींचते हुए बोला।

"अच्छा!मैने तो कभी किसी से प्यार किया ही नही...इसलिए ऐसा प्यार का एहसास कभी हुआ नही...,बस मर्द की एक ही जात की पहचान है मुझे"फरज़ाना एक कुटिल हँसी हँसते हुए बोली।

"बहुत साफगोई से बोलती हो...तुम्हारी ये आदत पसंद आई मुझे"केलकर एक खिसियाई सी हँसी हँसते हुए बोला।

"सुनो!कल सुबह हम लोग मुंबई पहुँच जाएंगे...कल शाम को ही क्या मैं तुम्हारे फ्लेट पर आ सकती हूँ"फरज़ाना अपना एक हाथ केलकर की बाजू में फसाते हुए बोली।

"शाम तक का भी क्यो इंतजार कर रही हो..सुबह ट्रेन से उतरते ही मेरे साथ चलना..जब तक मन करे मेरे साथ ही रहना"केलकर अपना अलग ही स्वेग तैयार करके बैठा था।

"नही!अभी कंपनी के लोग साथ है...इन लोगो के साथ ही जाना पड़ेगा...मुम्बई में रहने का इंतजाम भी कंपनी ने ही किया हुआ है...मैं एक बार वहां अपना सामान रख कर फिर तुम्हारे पास आऊंगी"फरजाना पूरी तरह से केलकर को अपने शिकंजे में फंसा चुकीं थी।

"क्या काम करती है तुम्हारी कंपनी"केलकर के इस सवाल पर फ़रजाना एकबारगी तो सकपका गई थी।लेकीन उसने तुरन्त ही सम्हल कर जवाब दिया।

"इवेंट मैनेजमेंट का काम है...अलग अलग स्टेट में हम इवेंट मैनेजमेंट की सर्विस देते है"फरज़ाना ने एकदम सटीक जवाब दिया था और उसका असर भी केलकर के चेहरे पर देखा जा सकता था। उसने अभिभूत नजरो से फरज़ाना की ओर देखा।

"काफी ग्लैमरस भरा काम है तुम्हारा..लेकिन तुम्हारी वो मैडम का पारा क्या इसी तरह से हमेशा चढ़ा रहता है...माइला !अपने पुट्ठे पर हाथ ही नही रखने दे रही थी"केलकर ने अजीब से स्वर में सेलिना को याद करके बोला।

"कुछ नही है वो..साली ऐसे ही भाव खाती है...एक दिन उसे भी तुम्हारे कदमो में लाकर डाल दूँगी"फरजाना ने केलकर को और ऊंचे ख्वाब दिखाए।

"नही!किसी भी तौबा शिकन लड़की को मैं कदमो में नही अपने बिस्तर में देखना पसंद करता हूँ"केलकर के चेहरे से उसकी वासना दो फीट नीचे तक टपक रही थी।

"नॉटी बॉय"फरज़ाना ने उसके गाल पर एक चुटकी भरी और वापस अपनी सीट की ओर बढ़ गई। जैसे ही फरज़ाना वहां से हटी केलकर वाशरूम में प्रवेश करके अभी अंदर से दरवाजा बंद कर ही रहा था कि चरसी वहाँ एकाएक प्रकट हुआ और दरवाजे को बन्द होने से पहले ही अपना जूता दरवाजे में अड़ा दिया।

"इतनी भी क्या जल्दी है जनाबेआली...एक बार हमसे भी मिल लो"ये बोलकर चरसी दरवाजा धकेल कर वाशरूम में दाखिल हो चुका था।

"ये क्या बदतमीजी है"केलकर चरसी की ये हरकत देखकर उस पर झल्ला कर पड़ा था।

"बदतमीजी तो तू कर रहा है...जो मेरे माल पर हाथ साफ करना चाह रहा है"चरसी ने उसे पीछे की ओर धकेलना चाहा तो जिस्मानी तौर पर केलकर को उसने अपने से मजबूत पाया था।

"कौन सा माल"प्रत्यक्ष में केलकर अनजान स्वर में बोला था।

"वही जिसके साथ तू अभी इश्क लड़ा रहा था"चरसी ने कठोर स्वर में बोला।

"लेकिन वो तो खुद मुझे लाइन दे रही हैं...और तुम्हारे सामने दे रही है..तो तुम उसे रोको न...मुझें क्यो बोल रहे है"केलकर ने एक वाजिब बात उसे बोली।

"मेरा उसका झगड़ा चल रहा है..इसीलिए वो मुझे जलाने के लिए तेरा मामू बना रही है..उससे दूर रह वरना मुझ से बुरा कोई नही होगा"ये बोलकर इस बार चरसी ने सीधा उसकी गिरेबान में हाथ डालकर उसकी कमीज की कालर को पकड़ लिया। केलकर ने कुछ पल उस चरसी को और उसके मर्गिल्ले से जिस्म को हिक़ारत भरी नजर से देखा और फिर अपने घुटने का एक जोर का वार उसके गुप्तांग पर कर दिया। चरसी वही दोहरा होता चला गया।

"साले दोबारा केलकर के साथ बदतमीजी की तो जितना जमीन के ऊपर है उतना ही जमीन के अंदर गाड़ दूंगा"केलकर ने चेतावनी नुमा लहजें मे उसे बोला और वाशरूम से बिना अपना कार्य निबटाये ही बाहर निकल आया औऱ लम्बे लम्बे डग भरता हुआ अपनी सीट पर आकर बैठ गया...जहाँ पहुंचते ही फरज़ाना ने उसका एक दिलफरेब मुस्कान से उसका स्वागत किया। तभी चरसी भी अपनी लूटी पिटी हालत में वहां पहुँचा और चुपचाप अपनी सीट पर जा बैठा। वो फरज़ाना को इस बात का पता नही चलने देना चाहता था कि उसने उसे लेकर केलकर को हूल देने की कोशिश की थी और केलकर ने उसके ही पिछवाड़े पर प्याज काट दी थी। केलकर ने एक गर्वीली मुस्कान के साथ चरसी को देखा। चरसी ने अब उसकी और देखना भी गवारा नही किया और अपनी नजरो को विपरित दिशा में घुमा दिया।

                            *********

अगले दिन राजधानी एक्सप्रेस ने उन लोगो को सुबह नौ बजे मुम्बई के छत्रपति शिवाजी टर्मिनल पर उतार दिया था। फरज़ाना ने अपनी गजब एक्टिंग के जरिये बड़े ही भारी मन से सदाशिव केलकर को शाम को मिलने का वादा करके विदाई दी थी। चरसी ने भी उसे जाता देखकर राहत की सांस ली थी। वहां से वे लोग अंधेरी के लिए रवाना हो गए जो वहां से कोई घँटे भर का रास्ता था। अंधेरी में जिस अपार्टमेंट में वो पहुंचे थे...उसका नाम सनशाइन अपार्टमेंट था। लिफ्ट से उस अपार्टमेंट की आठवीं मंजिल के एक फ्लैट के अंदर वे सभी इस वक़्त दाखिल हो चुके थे। चरसी और बेवड़ा तो फ्लैट में घुसते ही सामने ही पड़े सोफे में धंस चुके थे। मस्ती और फरज़ाना ही उस पचास लाख के बैग को लिफ्ट से फ्लैट तक ढो कर लाये थे।

"इतनी बडी रकम को इतने छोटो नोटों में लेकर क्यो घुम रहे हो तुम लोग...कल हमारा आदमी आएगा और वो इन पैसों को दो हजार के नोटो में बदल देगा"सेलिना ने मस्ती की ओर देखकर बोला।

"तुम्हे इस बात की खबर है कि हमारे पास इस वक़्त पचास लाख की रकम है"मस्ती ने आश्चर्य से सेलिना से पूछा।

"जब हम लोग किसी को अपने साथ काम करने के लिए नियुक्त करते है तो हमे ये तक पता होता है कि वो कौन से रंग की चड्डी पहने हुए है...इसलिए ये सब पूछना तो फिजूल की बात है मस्ती बाबू"सेलिना ने मुस्करा कर मस्ती को बोला।

"लेकिन एक बात अभी तक मेरी समझ मे नही आई है कि हम लोगो मे ददुआ ने ऐसी क्या खास बात देखी की इतने बड़े काम के लिए हम पर भरोसा किया"इस बार फरज़ाना ने सवाल किया।

"तुम्हारे सभी सवालों का जवाब मिलेगा..लेकिन पहले कुछ खा पी लो..उसके बाद तुम लोगो के साथ पूरे प्लान पर डिसकस करूँगी..और तुम लोगो की इस काम में क्या उपयोगिता है...वो भी बता दूँगी"सेलिना ये बोलकर फ़ोन पर किसी को वहां आने के लिए बोलने लगी।

"अभी नाश्ता आ रहा है तब तक सब लोग फ्रेश हो जाओ... टेबल पर बात करते समय किसी के भी चेहरे पर आलस नजर नही आना चाहिये"ये बोलकर सेलिना अंदर की तरफ बढ़ गई। सेलिना के जाते ही वे सभी लोग असमंजस से एक दूसरे को देखने लगे। इतने सिस्टम से तो इन लोगों ने कभी जिंदगी को जिया ही नही था।

                            ********

नाश्ता लेकर जो लड़की वहां आई थी उसका नाम शीबा था। हल्के से सावंले रंग की वो लड़की जब से आई थी तब से उसके चेहरे से मुस्कान हटी नही थी। वो इस वक़्त टेबल पर नाश्ता लगा चुकी थी।सभी लोग नाश्ते की उस टेबल पर बैठ चुके थे।

"ये शीबा है और जब तक हम लोग यहां रहेंगे...ये हम लोगो के खाने पीने का ध्यान रखेगी...ध्यान रखना की इस लड़की के साथ कोई भी बदतमीजी न होने पाए...वरना इसके पास जो पिस्टल है वो कंप्यूटर से भी तेज चलती है"सेलिना ने विशेष रूप से चरसी और बेवड़े की तरफ देखकर ये चेतावनी दी थी।

"हमारे साथ जो भी लोग होंगे वो सभी कंपनी के वफादार सिपाही है...और ददुआ इस बात को जरा भी पसंद नही करता कि उसके किसी भी सिपाही के साथ कोई भी गलत व्यवहार हो..कंपनी में हर गलती की सजा स्वयं ददुआ मुकर्रर करते है...और वो सजा मौत की सजा से कम नही होती है"सेलिना ने अब दूसरी चेतावनी भी लगे हाथो दे डाली थी।

"इसका मतलब हमे यहां सांस भी लेनी होगी तो ददुआ से पूछ कर लेनी होगी"मस्ती ने गंभीर स्वर में बोला।

" अगर जिस्म में सांस बचानी है तो ददुआ के हिसाब से ही सांस लेनी होगी" सेलिना ने साफ शब्दों में बोला।

"अगर इन धमकियों की बजाय हम प्लान पर बात करे तो ज्यादा अच्छा नही होगा"फरज़ाना ने उकताए स्वर में बोला।

"प्लान पर भी बात करेंगे...पहले आप लोगो की वो जिज्ञासा शांत कर दूं..जिसे जानने के लिए तुम सब लोग बेचैन हो कि आखिर तुम्हे किस वजह से इस काम के लिए चुना गया है"सेलिना ने उन सभी के चेहरो को गौर से देखते हुए बोला। सच मे इस बात को जानने की उत्कंठा हर किसी के चेहरे पर पढ़ी जा सकती थी।

"तुम लोगों की सबसे बड़ी क्वालिटी तो यही है जो कि ददुआ ने भी तुम्हे बताई है कि तुम लोगो के कोई भी आगे पीछे रोने वाला नही है..हमारे धन्धे में शामिल होने के लिए ये गुण सभी में होना आवश्यक है"सेलिना ने साफगोई से बोला।

"मतलब आपके बाग का भी कोई माली नही है सेलिना"इस बार ये फैंसी बात बेवड़े ने बोली थी।

"हाँ मैं भी तुम लोगो की तरह से लावरिस ही हूँ"सेलिना ने सपाट लहजें में बताया।

"गम न कर यार !तुम्हारा कन्यादान अपन करेगा"चरसी ने ऑमलेट का एक टुकड़ा हाथ मे उठाकर बोला। उसकी बात सुनते ही वहां एक हँसी का फव्वारा छूट पड़ा। सेलिना भी उसकी बात पर मुस्कराए बिना नही रह सकी।

"अब दूसरी क्वालिटी बताओ क्या है हमारी"इस बार मस्ती ने पूछा।

"तुम्हे दुनिया का कोई भी ताला और वाल्ट खोलने में महारत हासिल है....इसलिए तुम्हे इस काम के लिए चुना गया है"सेलिना ने मस्ती की उपयोगिता उसे समझा दी। मस्ती की इस क्वालिटी से कोई भी इंकार नही कर सकता था।

"मुझ में तो ऐसी कोई क्वालिटी नही है" बेवड़े ने चाय की प्याली में एक घूँट भरते हुए बोला।

"तुम चाकू से किसी के भी जिस्म पर हिंदुस्थान का नक्शा पलक झपकते ही बना सकते हो...किसी भी इमेरजेंसी की स्थिति में तुम्हारी ये कला बहुत काम आने वाली हैं...और फरज़ाना के अंदर अदम्य साहस है जो किसी की भी जान लेने में नही हिचकती और फैसला भी तुरन्त करती है"सेलिना ने बेवड़े और फरज़ाना को एक साथ निबटा दिया था। लेकिन अब चरसी अपना हाथ उठा चुका था।

"सेलिना मैडम मेरे जैसा नाकारा आदमी भी आपके किसी काम आ सकता है क्या"चरसी ने दयनीय स्वर में बोला।

"नही तुम्हे बस इन लोगों का साथी होने का फायदा मिला है...इस वक़्त पुलिस इन लोगो के साथ साथ तुम्हे भी ढूँढ रही है..इसलिए हम तुम्हें वहाँ अकेला नही छोड़ सकते थे...क्योकि तुम्हारे पकड़े जाने का मतलब इन सभी का पकड़ा जाना होता"सेलिना की बात सुनकर चरसी के चेहरे की चमक गायब हो चुकी थी।

"फिर भी कल इस काम के लिये और भी आदमी आने वाले है..उन सभी के सामने पूरा प्लान तुम सभी को बताया जाएगा..तब तुम बताना की तुम उस प्लान में कहाँ फिट हो सकते हो"सेलिना ने चरसी की उम्मीदों को फिर से जिंदा किया।

"ठीक है मैडम...मैं जरूर बताऊंगा...वैसे मेरा निशाना अचूक है मैडम"चरसी ने भी अपनी क्वालिटी को बताया।

"ठीक है फिर कल प्लान देखकर आगे की बात करते है"सेलिना ने तखलिया के अंदाज में इस वाक्य को बोला।

"सेलिना !तुम्हारे कहने के मुताबिक केलकर को मैंने पूरा शीशे में उतार लिया है..आज शाम को उससे मिलने के लिए उसके फ्लैट पर जाना है..वहां जाकर मुझे क्या करना है"फरज़ाना ने सेलिना से पूछा।

"सबसे पहले तो उसकी असलियत पता लगानी है..की कही वो पुलिस का आदमी तो नही है...दूसरी बात अगर वो बैंकिंग सेक्योरिटी में ही हो तो उससे उसे पूरी तरह से अपने काबू में करके उसके साथ अपने कुछ अंतरंग फ़ोटो लेना...ताकि उससे हम उन फ़ोटो के बल पर अपना मनचाहा काम उससे करवा सके" सेलिना की बात सुनकर फरज़ाना ने मुरीद नजरो से सेलिना कि ओर देखा। कितनी जल्दी इस बन्दी ने केलकर से काम निकलवाने की योजना बना ली थी।

"इस काम मे तुम्हारे साथ शीबा भी जायेगी...जब तुम उसके साथ बेड पर होगी तब ये वहां पहुंचकर तुम लोगो की फ़ोटो लेगी"सेलिना के दिमाग में उसकी योजना का पूरा खाका फिट था। फरजाना के साथ साथ शीबा का सिर भी सहमति में हिल चुका था।


उसी रात को फरज़ाना और शीबा केलकर के फ्लैट के लिए रवाना हो चुकी थी। केलकर की सोसाइटी भी अंधेरी में ही उनकी सोसाइटी की पिछली वाली लाइन में ही थी। फरज़ाना के साथ शीबा को भी देखकर केलकर के चेहरे पर अजीब से भाव उभर आये थे। उसने उन्ही भावों के साथ फरज़ाना को देखा तो फरज़ाना को समझते हुए देर नही लगी कि शीबा को साथ देखकर केलकर ने जो आज रात के हसीन अरमान संजो रखे है वो धूल धूसरित होने की नौबत न आ जाये। फरज़ाना केलकर के भावों को तुरन्त समझ कर मुस्कराई और सीधा जाकर केलकर के गले में अपनी बाहों का हार डाल दिया।

"शीबा की चिंता मत करो डार्लिंग...इसे तो बस मैं इसलिए साथ ले आई क्योकि मैं मुम्बई के रास्तो से अंजान हूँ"फरज़ाना ने केलकर के गले उतरने वाली सफाई दी।

"ओह्ह!अच्छा है इन्हें तुम साथ ले आई...अगर ये चाहेगी तो हमारी रात और भी रंगीन हो सकती है"केलकर ने अपने होठो पर एक हरामीपने से भरपूर मुस्कान बिखेरते हुए कहा।

"नही मिस्टर केलकर रात तो आप मैडम के साथ ही अपनी रंगीन कीजिये..मुझे तो बस मेरे सोने का कमरा बता दीजिए...क्योकि अब रात को मैं अकेली तो वापस जाउंगी नही"शीबा ने केलकर की मंशा को समझने ने पल भर की भी देरी नही लगाई थी।

"मैं तो यहां अकेला रहता हूँ शीबा..इसलिए ये सिंगल बैडरूम ही लिया है..तुम्हे यही हाल में ही इसी सोफे पर सोना पड़ेगा...वैसे मैं बैडरूम का दरवाजा खुला रखूंगा...कभी भी अंदर आना चाहो तो आ सकती हो"केलकर ने अभी भी अपनी उम्मीदों को तिलांजलि नही दी थी।

"ठीक है!सोचूंगी आपकी इस ऑफ़र के बारे में!अभी तो अगर आप लोगो को बैडरूम में जाना हो तो आप जा सकते हो"शीबा अब रूम में पड़े सोफे पर विराजमान हो चुकी थी। केलकर ने फरज़ाना के गले मे अपना हाथ डाला और फरज़ाना के साथ बैडरूम की और बढ़ गया था। उनको कमरे में गए हुए तकरीबन आधा घन्टा होने के बाद शीबा सोफे से उठी और बेदरूम की ओर बढ़ी। केलकर ने अपनी उम्मीदों को जिंदा रखने के लिए दरवाजा पूरा खुला ही छोड़ा हुआ था। शीबा दबे हुए पाँव से दरवाजे तक गई...उसने खुद को केलकर की नजर से छुपाते हुए कमरे में झांका। कमरे में तूफान आने की पूरी तैयारी हो चुकी थी। मतलब ये वो पल थे जब आदमी घर मे आग भी लग जाये तो वो जल्दी से बाहर आकर आग देखने की कोशिश भी नही करता। शीबा निश्चित भाव से पलटी और उसी हाल के एक कोने में लगे हुए एक कंप्यूटर की टेबल पर जाकर बैठ गई। शीबा ने आहिस्ता से उस टेबल की दराज को खोला..और बिना कोई शोर मचाये उन दराज में पड़े हुए सामान को देखने लगी। दराज में जब उसने झाँक कर देखा तो उसकी आंखें फटी की फटी रह गई। दराज में बहुत सारे आई कार्ड पड़े हुए थे। उसने उन आई कार्ड को निकाल कर देखा। सभी आई कार्ड सदाशिव केलकर के नाम से ही नही बने हुए थे। हर आई कार्ड पर अलग अलग नाम दर्ज था...लेकिन सभी पर फ़ोटो इसी बन्दे की लगी हुई थी।

"ये साला तो कोई फ्रॉड है"शीबा मन ही मन बुदबुदाई।उसने एक बार फिर से उन आई कार्ड पर एक सरसरी नजर दौडाई। अलग अलग कंपनियों के नाम से वो आई कार्ड बने हुए थे। अब शीबा की दिलचस्पी उसके कंप्यूटर में भी झांकने की होने लगी थी।अलग अलग नाम से एक ही इंसान के इतनी कंपनियों के आई कार्ड होने का औचित्य उसकी समझ मे नही आ रहा था।शीबा एक बार फिर से बैडरूम की तरफ गई। तब तक बेडरूम से उन दोनों की तूफानी आवाजे बाहर तक सुनाई देने लग गई थी। शीबा तेजी से बैडरूम में घुसी और एक नजर उन दोनो आदम और हव्वा पर डाली।

"कम से कम दरवाजा तो बन्द कर लो..तुम लोगों की आवाजें पूरे फ्लैट में गूंज रही है...इतना तो सोचो कि एक शरीफ लड़कीं बाहर सोने की कोशिश कर रही है"शीबा की आवाज सुनते ही उन दोनो की हरकतों पर ब्रेक लग चुका था।

"यार तू बाहर से दरवाजा बंद कर ले ना...क्यों हमारी इस रात का सत्यानाश करने पर तुली हुई हो"फरजाना ने केलकर से लिपटते हुए कहा।

"अब तो यही करना पड़ेगा..नही तो तुम दोनो लैला मजनूं तो मुझे सोने नही दोगे"ये बोलकर शीबा तेजी से बाहर की ओर बढ़ी। दरवाजे को बन्द किया और उसकी बाहर से कुंडी लगा दी। कुंडी लगाते ही उसके चेहरे पर एक कुटिल मुस्कान उभरी। अब वो निर्विघ्न केलकर के कंप्यूटर को खंगाल सकती थी।

                       *********

कोई आधी रात के बाद का वक़्त हुआ होगा जब सेलिना के मोबाइल पर शीबा का नंबर चमकने लगा था। सेलिना की मोबाइल की पहली घँटी पर ही आँख खुल गई थी और उसकी दूसरी घँटी बजने से पहले ही सेलिना फोन रिसीव कर चुकी थी।

"बोलो शीबा!क्या ख़बर है"सेलिना ने तत्काल पूछा।

"सेलिना ये बन्दा तो श्री चार सौ बीस है...या यूं कहिये की नटवर लाल का भी बाप है"शीबा उधर से फुसफुसाते हुए बोली थी।

"लगता है तुमने उसकी जन्मकुंडली निकाल ली है...शाबाश शीबा..तुम हर बार अपना काम बखूबी करती हो"शीबा ने प्रशंसा भरे स्वर में बोला।

"इस बन्दे का असल नाम अजीत दोबलेकर है..पुणे का रहना वाला है..इसका असली काम है मैरिज ब्यूरो की साइट पर अपनी फेक प्रोफाइल डालकर लड़कियों को अपने जाल में फँसा कर उनकी अस्मत को लूटना और फिर उन्हें ब्लेकमेल करके उनसे पैसा ऐठना"शीबा ने हिक़ारत भरे स्वर में कहा।

"अभी उस बन्दे पर कुछ भी जाहिर न होने दो की हम उसके बारे में सब जान चुके है..तुम उसके फ्लैट से जितने भी उसकी धोखाधड़ी के सबूत मिले उन्हें अपने कब्जे में करो...ये नटवर लाल भी हमारे काम आएगा"सेलिना ने शीबा को बोला।

"ठीक है सेलिना...मैंने उसके कंप्यूटर से ही उसकी सारी जानकारी निकाली है..मैं एक फोल्डर बनाकर अपनी मेल पर सारा डेटा ट्रांसफर कर लेती हूँ"शीबा ने सेलिना को बोला। सेलिना ने उसके बाद फोन को काटा और कुछ सोंचते हुए अपने बिस्तर में उठकर बैठ गई।उधर शीबा मुस्तैदी के साथ डेटा को अपने मेल पर ट्रांसफर करने लगी थी। डेटा ट्रांसफर करने के बाद वो उठी ओर फिर से बैडरूम की ओर बढ़ गई।

                           ********

अगले दिन उस फ्लैट में जिस आदमी ने कदम रखा था...वो कोई एक चालीस के लपेटे में पहुंचा हुआ घुटे हुए चेहरे का मालिक था। उसके चेहरे की कठोरता दूर से ही नजर आ जाती थी। उस बन्दे का सबसे पहला सामना मस्ती से ही हुआ था। क्योकि फ्लैट का दरवाजा मस्ती ने ही खोला था।

"सेलिना मैडम से मिलना है"उस बन्दे ने मस्ती को गौर से देखते हुए बोला।

"रुको!बुलाता हूँ उन्हें"ये बोलकर मस्ती अंदर की ओर वापस मुड़ गया। लेकिन वो बन्दा वही नही रुका बल्कि दरवाजे से अंदर आकर खड़ा हो गया। तभी अंदर वाले कमरे से एक चुस्त जीन्स और कुर्ती में सजी हुई सेलिना ने कमरे में कदम रखा।

"बैठो जैकाल!नासिक से आने में कोई परेशानी तो नही हुई"सेलिना ने सोफ़े की तरफ बैठने का इशारा करते हुए बोला।

"सभी लोग आ गए क्या"जैकाल ने सोफे पर बैठते हुए पूछा।

"बस बलवंत का आना बाकी है...वो भी कुछ ही देर में आता होगा...तुम बताओ इस बार की जेल यात्रा कैसी रही तुम्हारी"सेलिना इस बार मुस्करा कर पूछी थी।

"जिस काम के लिए जेल में गया था...वो काम पूरा हो गया तो समझ लो कि यात्रा सफल ही हो गई"जैकाल ने भी मुस्करा कर ही जवाब दिया। तभी दरवाजे की बेल फिर से बजी। इस बार सेलिना दरवाजा खोलने के लिए गई थी। दरवाजा खुलने में जो शख्स दरवाजे पर नजर आया वो जैकाल से भी उम्रदराज था। सेलिना ने उसके अंदर आने के लिए एक तरफ हटकर रास्ता छोड़ा और उसे भी उसी सोफे की ओर बैठने के लिए इशारा किया।जिस पर पहले से ही जैकाल विराजमान था। जैकाल को देखकर वो शख्स मुस्काया और जैकाल से गर्मजोशी से हाथ मिलाया।

"मुंबई शहर के सारे बड़े खलीफा आज एक ही छत के नीचे जमा है बलवंत प्यारे"जैकाल ने उस आने वाले शख्स को उसके नाम से पुकारा।

"कुछ दिल्ली के खलीफा भी इस वक़्त यही मौजूद है..मैं उन लोगो से भी तुम लोगो को मिलवा देती हूँ"सेलिना ये बोलकर अंदर की तरफ बढ़ गई। कुछ देर के बाद ही मस्ती फरज़ाना बेवड़ा और गंजेड़ी सेलिना के पीछे आते हुए नजर आए।

"इन लोगो से मिलो...जैसे तुम लोगों का यहाँ मुम्बई की जेल में आना जाना लगा रहता है...वैसे ही इन लोगो का दिल्ली की जेल में आना जाना लगा रहता है"सेलिना ने बारी बारी से नाम लेकर उन लोगों का आपस मे परिचय करवाया।

"मतलब हम सभी एक ही थैली के चट्टे बट्टे यहां इक्कठे हुए है" बलवंत ने उन चारों पर बारी बारी से अपनी नजर डालते हुए बोला।

"तुम सभी लोगो का काम भी एक जैसा है..इसलिए ददुआ ने इस काम के लिए तुम लोगो को चुना है"ये समझ लो कि इस देश के इतिहास में सबसे बड़ी डकैती तुम लोग डालने जा रहे हो"सेलिना ने अब अपने पत्ते खोलने शुरू कर दिए थे। तभी एक नाश्ते की ट्राली को धकेलते हुए शीबा आती हुई नजर आई। बलवंत के साथ साथ जैकाल भी शीबा को देखकर मुस्कराया।

"हेलो मिस वर्ल्ड...कैसी हो तुम"जैकाल उसे देखते ही चहक उठा था।

"अभी तक तो बेहाल थी...अब तुम्हारे आने से जरूर अच्छी हो जाउंगी"ये दोनों लोग यहां के पुराने चावल थे।

"चाय भी अपनी तरह कड़क बना कर लाई हो न... मैं अब यही रुकने वाला हूँ..तो जरा खास ख्याल रखना मेरा"जैकाल का अलग ही भौकाल था।

"अब हम लोग काम की बात कर ले"सेलिना ने जैकाल की तरफ देखकर बोला।

"तुम शुरू करो सेलिना..ये अपनी आदत से बाज नही आने वाला..जहाँ कोई खूबसूरत लड़की देखी नही और इसकी आशिकी शुरू"बलवंत ने कुछ खफा स्वर में बोला।जैकाल ने उसे खा जाने वाली नजरो से देखा।

"लो अंकल चाय पी लो"इस बार शीबा जैकाल की तरफ एक चाय की प्याली बढ़ाते हुए बोली।

"दूर हट फिटे मुंह...दारू से मुंह धोने वाले आदमी को तुम चाय का पूछती हो"जैकाल ने शीबा की ओर बुरा सा मुंह बनाकर बोला।

"लो बेटा बेवड़े..तुम्हारा जोड़ीदार तो मिल गया"जैकाल की बात सुनते ही गंजेडी ने मुस्करा कर बेवड़े की ओर देखकर बोला। अभी जैकाल ने फिर से कुछ बोलने के लिए अपना मुंह खोला ही था कि सेलिना के चेहरे पर उसकी नागवारी के सख्त भाव देखकर जैकाल ने चुप्पी साध ली।

"तुम्हे पहले भी कई बार समझा चुकी हूँ की काम के वक़्त अपनी फालतू की बकवास मत किया करो"सेलिना ने कुपित स्वर में बोला।

"जो आज्ञा मैडम...अब अपन एक शब्द भी नही बोलेगा"जैकाल ने अपने होठो पर एक उंगली रखते हुए बोला। तभी सेलिना ने उन चारों को भी सोफे पर बैठने का इशारा किया और सेंट्रल टेबल पर अपने हाथ मे पकड़ा हुआ एक नक्शा बिछा दिया। वे सभी लोग अपने हाथो में चाय का कप पकड़े हुए उस टेबल को घेर कर खड़े हो गए थे।

"ये मुम्बई का फोर्ट एरिया है....मुंबई का सबसे व्यस्त इलाका...यहा पर है ये डिज्नी बैंक....इस बैंक के वॉल्ट को हम लोगो ने साफ करना है"सेलिना ने उस नक्शे पर नजर जमाये हुए ही बोला।

"लेकिन हम लोगो ने इतना बड़ा काम कभी किया नही है..अपन का तो कभी आज तक बैंक के अंदर जाने का भी कभी कोई चांस नही हुआ है"मस्ती ने साफगोई से बोला।

"चिंता मत करो तुम लोगो को कोई बैंक एकाउंट खुलवाने के लिए नही जाना है..बल्कि उस बैंक की वाल्ट को लूटने के लिए जाना है"सेलिना ने मस्ती की बात का जवाब दिया।

"क्या हम लोगो को बैंक में जाकर लोगो को बंधक बनाकर बैंक लूटना है"इस बार फरज़ाना ने सेलिना की ओर देखकर बोला।

"नही ऐसी कोई बेवकूफी हमने नही करनी..हम इस काम को इतनी सफाई से करेगे की बैंक वालो को दो दिन बाद ही पता चलेगा कि उनके बैंक में कोई डकैती भी हुई है"सेलिना ने गंभीर स्वर में बोला।

"ऐसी कौन सी प्लानिंग है कि बैंक से इतनी बड़ी रकम चोरी भी हो जाएगी और बैंक वालो को उसकी खबर भी दो दिन बाद लगेगी"

"उसी प्लानिंग को बताने के लिए ही तो आप सभी लोगो को यहां बुलाया है"सेलिना ने उन सभी के चेहरे पर अपनी नजर जमाते हुए बोला।

"ठीक है शुरू हो जाओ तुम...अब हम सबसे आखिर में पूरी प्लानिंग को सुनने के बाद ही कोई सवाल करेगे"मस्ती ने सेलिना को बोला। सेलिना ने मस्ती की ओर एक बार मुस्करा कर देखा और उसकी नजरे फिर से उस नक्शे के ऊपर जम चुकी थी।

सेलिना ने एक भरपूर नजर उन पर डाली...सभी टकटकी लगाए हुए सेलिना को ही देख रहे थे। सेलिना ने एक बार फिर से अपने सामने टेबल पर बिछे हुए नक्शे को देखना शुरू किया और फिर कुछ ही पलों में अपना चेहरा ऊपर उठाकर उन लोगों से मुखातिब हुई।

"मैंने इस बैंक के वॉल्ट पर हाथ साफ करनें के लिए जो प्लान तैयार किया है....मैं वो प्लान तुम लोगो के समक्ष रख रही हूँ...अगर तुम लोगो की सहमति बनेगी तो हम उसी प्लान पर आगे बढेंगे"सेलिना उन सभी की ओर देखते हुए बोली।

"हम सुन रहे है जानू...तुम प्लान बताना शुरू करो"जैकाल ने लापरवाही भरे स्वर में बोला। सेलिना ने एक बार बुरा सा मुंह बनाया...लेकिन जैकाल को बिना कोई जवाब दिए ही उसने फिर से बोलना शुरू किया।

"इस बैंक के साथ एक दुकान है जिसे हमने उस दुकान के मालिक से उसकी मुंह मांगी कीमत पर ख़रीद लिया है..उस दुकान में हम कल से फर्नीचर बनाने का काम शुरू करेगे...जो कि दिखावे के तौर पर होगा...असल मकसद हमारा बैंक तक एक सुरंग बनाने का होगा"सेलिना की बात सुनते ही बेवड़ा और चरसी के चेहरे पर तो पसीना उभर आया था...लेकिन जैकाल के चेहरे की मुस्कान गहरी हो गई थी।

"इसी तर्ज पर मुम्बई में पहले भी एक डकैती पड़ चुकी है..जो कि एक सुनार की दुकान को लूटने के लिये हुई थी और सुनार के उस शो रूम से तकरीबन अस्सी करोड़ के गहने चुराये गए थे...लेकिन वे डकैत कुछ ही दिन में पुलिस के हत्थे चढ़ गए थे।

"जानती हूँ!वे लोग अपनी बेवकूफी से पुलिस के हत्थे चढ़े थे..उस केस में जिस पड़ोस की दुकान को उन डकैतों ने किराए पर लिया था..उस दुकान के मालिक ने ही उन डकैतों में से एक आदमी का हुलिया पुलिस को बता दिया था...लेकिन तुम क्या ददुआ से ऐसी बेवकूफी की उम्मीद करते हो"सेलिना ने जैकाल की आशंका को सिरे से खारिज कर दिया था।

"नही मैं तो बस उस डकैती के बारे में तुम्हे बता कर आगाह कर रहा था की उन गलतियों से सबक लेकर ही हमे इस योजना पर काम करना चाहिए"जैकाल ने इस बार किंचित गंभीरता से बोला था।

"पहले पूरा प्लान सुन लो...उसके बाद इसकी खामियों पर चर्चा करेगे"इस बार सेलिना की जगह शीबा ने जैकाल की बात का जवाब दिया था।

"फर्नीचर बनाने का काम बलवंत करेगा..और बतौर हेल्पर गोगी चरसी और बेवड़ा उसके साथ रहेंगे"सेलिना ने बलवंत चरसी और बेवड़े कि तरफ़ देखकर बोला।

"ठीक है..तुम्हे पता है की तुम्हारे धंधे से जुड़ने से पहले मैं कारपेंटर ही था"बलवंत ने मुस्करा कर सेलिना को बोला।

"मस्ती और जैकाल वहां खुदाई का काम करेंगे....जमीन की आठ फीट गहरी खुदाई करके हमे बैंक में उस जगह पहुँचना है जहाँ बैंक का वॉल्ट बना हुआ है"सेलिना ने बोला तो मस्ती ने कुछ बोलने के लिए अपना हाथ खड़ा कर दिया। सेलिना ने उसकी ओर देखा और उसे बोलने का इशारा किया।

"इतनी गहरी खुदाई हम सिर्फ़ दो लोग ही कैसे करेगे"मस्ती ने अपना सवाल रखा।

"फर्नीचर बनाने का काम सिर्फ दिखावे के तौर पर दिन में होगा..जिसे हम रात में भी करेगे...उस दुकान के बाहर हम "ओपनिंग शॉर्टली"का एक बैनर लगा देंगे..जिससे हमारे वहां दिन रात काम करने पर कोई संशय नही करेगा...रात में सभी लोग खुदाई का काम करेगे"सेलिना ने हर बात का गहराई से प्लान तैयार किया हुआ था।

"लेकिन आठ फीट नीचे तक भी हमे नींव का लेंटर ही मिलेगा...उसे कैसे काटेंगे"बलवंत ने एक वाजिब सवाल किया।

"उसके लिए एक कटर मशीन का इंतजाम किया हुआ है"जो कि उस नींव को काटने का काम करेंगी"सेलिना ने बलवंत की बात का जवाब दिया।

"लेकिन कटर मशीन तो शोर बहुत करेगी..उस शोर को सुनकर रात को गश्त करनें वाली पुलिस ही वहां धमक सकती है..या फिर बैंक का गार्ड ही आकर हमसे सवाल जवाब कर सकता है"इस बार फरज़ाना ने सवाल किया।

"गार्ड का सॉल्यूशन तो हमारे पास अब केलकर के रुप मे है...उसे कैसे काबू में करना है और उससे क्या काम करवाना है वो मैं तुम्हे अलग से समझाऊंगी फरज़ाना...रही बात रात को पुलिस की गश्त का तो उस बीट की पुलिस को ददुआ हैंडल करेगा...एक सप्ताह तक कोई भी पुलिसिया उस जगह पर झांकेगा नही"सेलिना आत्म विश्वास से लबरेज शब्दों में बोली।

"लेकिन उसके लिए हमारे पास सटीक जानकारी होनी चाहिये कि हमे कहा तक सुरंग बनानी है"जैकाल ने काफी देर के बाद अपना मुंह खोला।

"वो सारी जानकारी मेरे पास है..वो जब सुरंग बनाने का काम शुरू होगा तब मैं तुम्हे दे दूँगी"सेलिना ने मुस्करा कर जैकाल को बोला।

"चलो मान लिया..हमने सुरंग भी खोद ली और हम बैंक के अंदर पहुंच भी गए...तो हम उस सुरक्षा अलार्म का क्या करेगे...जो कि आधी रात को वॉल्ट को छूते ही बज उठेगा"मस्ती ने फिर से बोला।

"उस अलार्म को भी खराब कर दिया जाएगा...वो नही बजेगा..इस बात की मेरी गारन्टी है"सेलिना हर आशंका का निवारण पहले से ही करके बैठी थी।

"लेकिन इस बात की क्या गारन्टी है कि हमे वहां पर पांच सौ करोड़ जैसी बड़ी रकम मिल ही जाएगी"फरज़ाना ने फिर से अपनी आशंका जताई।

"ये बैंक की हेड ब्रांच है...और जिस रात को हम वहां से माल साफ करेगे...उसके बाद दो दिन तक बैंक हॉलिडे है...मतलब बैंक खुलेगे ही नही..इसलिए वही दिन उस बैंक की बाकी ब्रांच का मूविंग डे होगा...मतलब उस दिन उस बैंक के वॉल्ट में पांच सौ करोड़ से ज्यादा की रकम भले ही हो...उससे कम नही हो सकती है"सेलिना ने अपने एक एक शब्द पर जोर देते हुए बोला। सेलिना की बात सुनते ही वहां बैठे हुए हर आदमी के चेहरे की मुस्कान और ज्यादा गहरी हो गई थी।

"मतलब अभी हम सब से पहले उस दुकान की खुदाई में लग जाये"बलवंत ने सेलिना की ओर देखकर बोला।

"हाँ...आगे मूवमेंट कैसे कैसे होगी वो मैं तुम लोगों को साथ कि साथ बताती रहूंगी"सेलिना ने बलवंत की बात का जवाब दिया।

"इस सारे काम मे मेरा रोल क्या होगा"फरज़ाना ने सेलिना को देखते हुए बोला।

"बाकी के सारे पत्ते हम तीनों हसीनाओं को ही बिछाने है फरजाना डार्लिग...तुमने उस फ्राड़िये केलकर को सेट करना है..मैं और शीबा उस बैंक के सुरक्षा अलार्म को बन्द करवाने का काम करवाएगी"सेलिना ने फरज़ाना को इशारों में ही बता दिया था कि उन तीनों हसीनाओं का काम भी कितने महत्व का होने वाला था।

"अभी कुछ और भी बताना बाकी है क्या"मस्ती ने पूछा।

"इस प्लान की खूबियों और कमियों के बारे में तुम लोग बता सकते हो"सेलिना ने उस मीटिंग को तखलिया करने से पहले सभी की ओर देखकर बोला।

"ये प्लान दिखने और बात करने में तो आसान है...लेकिन कुछ सवाल है जिनका जवाब नही मिला...पांच सौ करोड़ की इतनी बड़ी रकम को वहाँ से लेकर कैसे जायेगे"बलवंत ने इस बार अपनी बात को रखा।

"जिस दौलत को लूटने के लिये इतनी बड़ी प्लानिंग कर रहे है...तुम्हे क्या लग रहा है कि उसे ले जाने के लिए हम लोगो ने कुछ भी नही सोचा होगा...इतनी बड़ी लूट में कुछ लोग सामने से काम कर रहे है और कुछ लोग पर्दे के पीछे से काम कर रहे है....वो लोग अपने काम के समय सही समय पर सामने आ जायेंगे...बस जिस आदमी को जो काम सौंपा जाए..उसे ईमानदारी से करो बाकी के काम कंपनी के ऊपर छोड़ दो"सेलिना के इस जवाब के बाद वहां कुछ और पूछने के लिए बचा ही नही था।

"कल से हम लोग इस प्लान के हिसाब से काम शुरू कर दे...कल सुबह फर्नीचर बनाने का सारा सामान वहां पहुँच जायेगा...सुबह बलवंत के साथ तुम दोनो लोग वहां जाकर काम शुरू कर दोगे...दिन में सिर्फ तीन लोग ही वहां पब्लिक को नजर आने चाहिये"इस बार शीबा ने बलवंत की तरफ देखकर बोला।

"हम लोगो को क्या उस दुकान पर शाम को जाना होगा"मस्ती भी इस बार शीबा से ही मुखातिब हुआ।

"तुम्हे और जैकाल को मार्किट बन्द होने के बाद वहां जाना है और सुबह होते ही वहां से निकल आना है"शीबा ने मस्ती की बात का जवाब दिया।

"ठीक है शीबा डार्लिंग..तुम्हारा आदेश सिर माथे पर"जैकाल ने एक दिलफेंक मुस्कान के साथ शीबा को बोला।शीबा उसकी तरफ देखकर सिर्फ मुस्करा कर रह गईं।

"चलिये!अब सब लोग खाना खा लिजिये...उसके बाद मुझे और फरज़ाना को यहां से निकलना है...बाकी के काम करने के लिए"सेलिना ने सभी से मुखातिब होकर बोला। सेलिना ने ये बोलकर उस नक्शे को उस टेबल से समेट लिया। उस टेबल पर अब कुछ ही देर में सभी के लिए खाना लगने वाला था।

                            *******

सेलिना ने पेडर रोड की उस बिल्डिंग के जिस फ्लैट की बेल बजाई थी उसमें से एक लगभग पैंतीस वर्षीय चेहरे से आकर्षक दिखने वाला आदमी निकला था। सेलिना को देखते ही उसके चेहरे पर वही मुस्कान उभर आई थी जो चूहे को देखकर बिल्ली के चेहरे पर उभर आती है।उसने उसी मुस्कान के साथ सेलिना के लिए दरवाजे से अंदर आने के लिये जगह दी। सेलिना ने अंदर आते ही उस आदमी को आपने गले से लगाया और उसके गाल पर एक चुम्बन अंकित करके अंदर की ओर चली गई। उस आदमी ने दरवाजा बंद किया और सेलिना के पीछे ही उसी कमरे में आ गया जहाँ के बेड पर जाकर सेलिना अधलेटी अवस्था मे लेट चुकी थी। उस बन्दे ने किसी भूखे भेड़िए की तरह से बेड पर छलांग लगाई और सेलिना के ऊपर छा गया और सेलिना के चेहरे को अपने चुम्बनों से भरने लगा...कोई दो मिनट तक सेलिना ने उस शख्स को अपनी मनमानी को करने से नही रोका..लेकिन जब उसके हाथ सेलिना के बाकी बदन पर रेंगने लगे तो सेलिना किसी मछली की तरह से उसके नीचे से फिसल कर उससे दूर जा चुकी थी। उस शख्स ने उन्ही भूखी निगाहों से उसे घूरा।

"पहले काम की बात कर ले रोहित"सेलिना एक क़ातिल मुस्कान बिखेरते हुए बोली।

"तुम मानोगी तो हो नही...फिर काम की बात ही कर लेते है...लेकिन आज तुम्हे बिना भोग लगाए जाने नही दूंगा"रोहित ने बुझे स्वर में सेलिना को बोला।

"पहले काम की बात करो..और मत भूलो कि तुम्हारे काम की तुम्हारी मुंहमांगी कीमत से दोगुना दे रहे है..इसलिए अपने बाकी इरादो को तो तिलांजलि ही दे दो"इस बार सेलिना ने बदले हुए स्वर में कहा।

"लेकिन यार मैं तुम्हे प्यार करता हूँ...ये काम अगर मैं करने को राजी हुआ हूँ तो ये समझ लो कि सिर्फ तुम्हारे प्यार के कारण"रोहित ने सेलिना की ओर देखकर बेचारगी भरे स्वर में बोला।

"हमारे धन्धे में सिर्फ पैसा बोलता है...हम आदमी की औकात से दोगुना उसे देते है...मत भूलो की हम लोगों ने तुम्हारी मदद ऐसे समय पर की थी जब रेस के शौक में तुम बाल बाल कर्जे में डूब चुके थे...तुम्हारी बीवी तक तुम्हे छोड़कर भाग गई थी...इसलिए सिर्फ काम की बात करो...क्योकि अब एक्शन का समय आ चुका है"सेलिना ने सीधे और सपाट लहजें में बोला।

"तुमने जो काम मुझे सौपा था वो काम हो जायेगा...मैं पूरी सेटिंग कर चुका हूँ"रोहित ने फंसे हुए स्वर में बोला।

"गुड!एक्शन वाले दिन वहां पर जिस सुरक्षा गार्ड की ड्यूटी होगी..वो भी हमारा आदमी होगा...तुम अपनी कंपनी के गार्ड को उस दिन वहाँ से कही और भेज दोगे"सेलिना ने रोहित को बोला।

"ये तो मामूली काम है..हो जाएगा...मैं अपनी कंपनी की वर्दी और उस आदमी का आई कार्ड तैयार कर दूंगा"रोहित सेलिना की हर बात पर अपनी सहमति जता रहा था।

"थाने में वहाँ से कोई भी इंडिकेशन न जा पाए इसके लिए तुम्हे उस दिन सिक्योरिटी रूम में खुद मौजूद रहना होगा..तुम्हे ही सारे सिक्युरिटी के अलार्म खराब करने है"सेलिना ने फिर से बोला।

"लेकिन बैंक में डकैती के बाद मुझ से पुलिस की पूछताछ जरूर होंगी..मैं अभी तक अपना डिफेंस सोच नही पाया हूँ"रोहित ने असमंजस से सेलिना की ओर देखा।

"अभी एक्शन होने में एक हफ्ता बाकी है...तब तक कुछ सोच लो"सेलिना ने रोहित को बोला।

"लेकिन तुमने वादा किया था कि तुम मेरी बीवी की कमी पूरी करोगी...अब उस वादे से क्यों पलट रही हो"रोहित ने अचानक से बदले हुए स्वर में बोला।

"मैं कब अपने वादे से पलट रही हूँ..काम पूरा होने दो..तुम्हारी जो बीवी तुम्हे छोड़कर गई है..वही तुम्हारे साथ होगी"सेलिना की बात सुनते ही रोहित ने गहरी नजरो से सेलिना की ओर देखा।

"तुम सच बोल रही हो...मेरी बीवी मेरी जिंदगी में वापस आ जायेगी"रोहित को सेलिना की बात पर विश्वास ही नही हो रहा था।

"ददुआ अपने हर साथी के दुख सुख का ख्याल रखते है...तुम चिंता मत करो हम तुम्हारी बीवी को वापस तुम्हारी जिंदगी में ला देंगे"सेलिना ने विश्वास भरे स्वर में बोला।सेलिना की ओर रोहित ने मुरीद नजरो से देखा...मानो सेलिना ने ये दिलासा देकर उसके मन की कोई मुराद पूरी कर दो।

"अगर तुम लोग मेरे बारे में इतना सोच रहे हो तो...चाहे अब मुझे मुम्बई और ये नौकरी छोड़कर हमेशा के लिए यहां से भागना पड़े...मैं आप लोगो का साथ जरूर दूंगा"रोहित ने दृढ़ स्वर में सेलिना को बोला। सेलिना ने मुस्करा कर उसकी और देखा...उसके बाद अपने बैग से दो हजार के नोटो की एक गुलाबी गड्डी रोहित की ओर उछाली जिसे रोहित ने उसी अंदाज में लपका,जिस अंदाज में कोई कुत्ता अपने मालिक द्वारा फेकी गई बोटी को लपकता है। गड्डी हाथ मे आते ही रोहित के चेहरे की मुस्कान और ज्यादा गहरी हो गईं थी।

"जाओ! रेसकोर्स तुम्हारा इंतजार कर रहा है"ये बोलकर सेलिना तेज कदमो से उस कमरे से बाहर निकल गई।

                         *********

रोहित का पूरा नाम रोहित मनचंदा था। जो कि यू पी के कानपुर से मुंबई आकर बस गया था। मुम्बई में एक ईगल सिक्योरिटी नाम की कंपनी में अच्छे पद पर कार्यरत था। इस कंपनी का सुरक्षा के मामले में बैंकिंग के क्षेत्र में अच्छा खासा रसूख था। मुंबई के अधिकांस बैंकों में इसी कंपनी के जिम्मे बैंकों की बाहरी और अंदरूनी सुरक्षा का जिम्मा था। डिज्नी बैंक का जो प्रमुख सुरक्षा अधिकारी था वो रोहित मनचंदा ही था। जब तक ये बन्दा कानपुर में रहता रहा तब तक ये अपने मुकद्दर का सिकंदर था। एक बढ़िया नौकरी के साथ साथ एक बेइंतेहा खूबसूरत बीवी भी इस बन्दे को मिली थी। लेकिन मुम्बई में पांव रखते ही इस कनपुरिये को मुम्बई की हवा लग गई और रेस में घोड़ो पर सट्टा लगाने के गलत शौक़ में पड़ गया। उसी रेस के मैदान में उसका पाला सेलिना से पड़ा था। सिर्फ दो महीने से भी कम समय मे सेलिना ने अपने मोहपाश ने रोहित मनचंदा को जकड़ लिया था। फिर बड़ी सफाई से सेलिना के साथ रोहित के कुछ अंतरंग फ़ोटो उसकी बीवी सलोनी के पास पहुंच गए। उन फ़ोटो का ही साइड इफ़ेक्ट था कि उसकी बीवी खड़े पाँव उसे छोड़कर मुम्बई से कानपुर के लिए रवाना हो गई थी। लेकिन आज तक न तो वो कानपुर ही पहुंची थी और न ही उसका कोई अता पता रोहित को मिल पा रहा था। बीवी के गम में रोहित ने शराब का सहारा लिया...उधर सेलिना ने जिस मकसद से रोहित के ऊपर डोरे डाले थे..उस मकसद को पूरा करने के लिए उसके शराब और रेस के शौक को और ज्यादा उड़ने के लिए पंख परवान कर दिए। नतीजा ये निकला कि रोहित मनचंदा गिने दिनों में ही रेसकोर्स के बुकियो के पचास लाख के कर्ज के नीचे आ गया। जब वे बुकी अपने पैसे की वसूली के लिए उसकी जान के पीछे पड़ गए तब सेलिना ने सामने से आकर रोहित को उन बुकियो के फंदे से बचाया और उसके सारे कर्ज की अदायगी भी की। सेलिना के इन्ही एहसानों के बोझ के तले दबा हुआ ये इंसान कब सेलिना के हाथों का मोहरा बनता चला गया...इसका पता तो खुद रोहित को भी नही पता था। फिर एक दिन ऐसा मौका आया जब दो करोड़ के लालच में रोहित भी सेलिना के बैंक रॉबरी की योजना में शामिल हो गया। आज सेलिना ने रोहित को उसकी बीवी से मिलाने की बात कोई यूं ही हवाबाजी में नही की थी। बल्कि जिस दिन रोहित की बीवी कानपुर के लिए घर से निकली थी उसी दिन उसे रास्ते से ही सेलिना के गुर्गों ने गायब कर दिया था और आज वो मुम्बई में ही एक अपार्टमेंट में ददुआ की मेहमान बनकर रह रही थी। एक जबर्दस्ती की मेहमान।रोहित की बीवी एक ऐसा तुरुप का पत्ता थी..जिसे बहुत आपात स्थिति में सेलिना ने प्रयोग करने का मन बनाया हुआ था।

                           *******

फरज़ाना इस वक़्त केलकर के बेडरूम में केलकर के पहलू में ही लेटकर सिगरेट के कश लगाने में मशगूल थी।केलकर प्यार से उसके बालो में अपनी उंगलियां फिरा रहा था।

"मुझे अपनी किस्मत पर यकीन नही हो रहा कि इतनी खूबसूरत औरत मेरी जिंदगी में यूं अचानक से आ गई"केलकर किन्ही ख्यालों में खोया हुआ बोला।

"बहुत कुछ जिंदगी में अचानक ही होता है डार्लिंग...अब यकीन तो मुझे भी नही हो रहा कि मेरे साथ प्रेम के कसीदे पढ़ने वाला ये इंसान कोई केलकर नही बल्कि अजीत दाभोलकर है"फरज़ाना के ये बोलते ही केलकर ऐसे उछला था,मानो बिस्तर में अचानक किसी ने करंट छोड़ दिया हो।

"कौन अजीत"केलकर ने आश्चर्य मिश्रित स्वर में उल्टे फरज़ाना से ही पूछा।

"तुम मेरी जान!पूछ सकती हूँ कि मेरी जान ने मुझ से ये झूठ किस खुशी में बोला था" फरज़ाना ने तंज भरें शब्दो मे बोला।

"मेरा नाम सदाशिव केलकर ही है..तुम्हे कोई गलतफहमी हो गई है"केलकर ने पुरजोर शब्दो मे फरजाना की बात का विरोध किया।तभी फरज़ाना ने अपने बैग से केलकर के सभी आई कार्ड उसके सामने पटक दिए।

"फिर तुम्ही बताओ कि इसमें से तुम्हारा असली नाम कौन सा है"फरजाना की बात सुनते ही केलकर की नजर अब उन आई कार्ड पर जम चुकी थी।

"ओह्ह तो कल तुम अपनी सहेली को मेरी जासूसी करवाने के इरादे से यहां लेकर आई थी"केलकर का स्वर अचानक ही बदल गया था।

"मुझे तुम्हारी जासूसी करवाने का कोई शौक नही है..वो तो शीबा को कल रात को नींद नही आ रही थी तो वो ऐसे ही तुम्हारा कंप्यूटर खोल कर बैठ गई थी...तभी तुम्हारी सच्चाई उसे पता चली...तुम तो लड़कियों को अपने जाल में फंसाकर उनकी अस्मत से लेकर उनका पैसा तक लूट लेते हो"फरज़ाना ने व्यंग्य भरे शब्दो मे बोला।

केलकर अजीब सी नजरो से उसे ही घूर रहा था। एक अजीब सी वहशत उसकी आँखों मे फरज़ाना महससू कर चुकी थी। तभी केलकर फरज़ाना के ऊपर झपटा और उसे अपने नीचे दबोच लिया।

"मेरे बारे में जानकर बहुत बड़ी गलती कर दी है तुमने..लेकिन अभी भी अधूरी जानकारी तेरे पास है मेरे बारे में..तुम शायद नही जानती की जो लड़की मेरे चुंगल में फंसने के बाद मेरी बात नही मानती है,वो फिर इस दुनिया मे जिंदा रहने के काबिल नही रहती है"केलकर ने फरजाना के गले पर अपने हाथों का फंदा कसते हुए बोला।फरज़ाना केलकर की इस हरकत के बावजूद मन्द मन्द मुस्करा रही थी।पहले तो इस हालत में भी फरजाना का मुस्कराना उसकी समझ में नही आया।लेकिन जब कोई ठंडी लोहे जैसी चीज केलकर को अपनी पसलियों में धँसती हुई महसूस हुई तो उसकी आँखों की वहशत ने अब दहशत का रूप ले लिया था। फरजाना की पिस्टल उसकी पसलियों में घुस चुकी थी।


अपनी पसलियों में पिस्टल की नाल के लगे होने का एहसास होते ही केलकर फरजाना के ऊपर से ऐसे उछला मानो उसे किसी बिच्छू ने काट लिया हो।

"साले!फरजाना थी किसी समय मे बाजारु औरत...आज तेरे जैसे टटपुँजिये को खड़े खड़े खरीद सकती है...ज्यादा हवा में मत उड़ और चुपचाप से बता,..कौन सा गौरखधंधा करता है तू...नही तो तेरे शरीर मे इतना पीतल भर दूंगी की पूरी उम्र तेरा पिछवाड़ा सिर्फ पीतल ही उगलेगा"फरजाना ने बर्फ से भी ठंडे स्वर में बोला तो केलकर के समूचे शरीर मे एक कंपकंपी की लहर दौड़ गई।

"मैं कुछ खास नही करता...मुझे जाली डॉक्यूमेंट बनाने में महारत हासिल है...बस उन्ही की बदौलत ऊंची महत्वाकांक्षी लड़कियों को फंसाता हूँ...फिर उनसे उनका सब कुछ लूटकर उनकी जिंदगी से निकल जाता हूँ" केलकर ने अब अपने बारे में बता देना ही सही लगा था।

"अब तक कितनी लड़कियों को अपना शिकार बना चुके हो"फरजाना की आवाज से उसकी हिक़ारत झलक रही थी।

"बारह लड़कियां मेरा शिकार बन चुकी है"केलकर ने फंसे हुए स्वर में बोला।

"उनसे कितना पैसा लूट चुका है"फरजाना न सिर्फ उससे पूछ रही थी बल्की इस वक़्त उसकी रिकॉर्डिंग भी हो रही थी।

"यही कोई सत्तर अस्सी लाख रु"केलकर के सामने अब पूरा खुलने के अलावा कोई और चारा नही था।

"चल अपने कपडे उतार"अचानक से फरजाना ने उसके सामने एक अजीबोगरीब फरमाइश रख दी।

"क्या"केलकर ने असमंजस भरी निगाहों से फरजाना को देखा।

"साले!वैसे तो तू चलती ट्रेन में भी कपडे उतारने के लिए हमेशा तैयार रहता है..यहां अब बन्द कमरे में भी तुझे कपड़े उतारने में शर्म आ रही है"फरजाना ने अपने हथियार का निशाना उसके हथियार की ओर लगाते हुए बोला। केलकर की निगाह जब फरजाना की पिस्टल और उसके निशाने की दिशा की तरफ पड़ी तो उसके देवता तक कुच कर गये। वो यन्त्रचलित सा अपने कपड़ों को उतारने लगा। सिर्फ दो मिनट में ही वो फरजाना के सामने आदम वाली स्थिति के खड़ा था।

"चल अब घूम जा"फरजाना पता नही उसके साथ क्या खेल रही थी। केलकर मरता क्या न करता के अंदाज में घूम गया।

"चल अब तुझे तेरे कर्मो की बहुत छोटी सी सजा दे रही हूँ...इसी स्थिति में मुर्गा बन जा"फरजाना का खेल अब चर्मोत्कर्ष पर था।केलकर ने बेचारगी भरी नजरों से फरजाना को देखा।लेकिन फरजाना की नजरो में रहम की कोई गुंजाइश न देखकर उसने मुर्गा बनने में ही गनीमत समझी।

केलकर मुर्गा बना और झक मारकर बना...वैसे भी असली मुर्गे ने कौन सा थ्री पीस सूट पहना होता है जो केलकर नाम के इस मुर्गे ने पहना होता। तभी शीबा ने अपने हाथ मे एक हैंडीकैम पकड़े हुए कमरे में प्रवेश किया। केलकर ने मुर्गा बने हुए ही अपनी नजरो को उठाया और शीबा पर नजर पडते ही उसके रहे सहे होश भी गुम हो गए।

"चल अब खड़ा हो जा...इससे पहले की तुझे ब्रा और पैंटी भी पहनाकर तेरा फ़ोटोशूट करूँ...जल्दी से अपने कपडे पहन लें"फरजाना ने गर्जना करते हुए बोला। केलकर इस वक़्त कुछ भी बोलने की स्थिति में नही था,और न ही कुछ करने की स्थिति में था।उसने खामोशी के साथ अपने कपडे पहनना शुरू कर दिया। पांच मिनट के बाद वो अपनी नजरे झुकाए हुए उस बैडरूम के एक कोने में खड़ा हुआ था।

"तेरी सारी करतूत इस कैमरे में रिकॉर्ड हो चुकी है...,अब बोल तेरे साथ क्या सलूक किया जाए"फरजाना ने केलकर की ओर देखकर बोला।

"मैं क्या बताऊँ...जो तुम लोगो की मर्जी हो"केलकर की आवाज मानो किसी गहरे कुँए से आ रही थी।

"अस्सी लाख रु तुमने प्यार और शादी के नाम पर उन मासूम और भोली भाली लड़कियों से ठगा है...जिन्होंने तुम पर विश्वास किया...उससे डबल मतलब डेड करोड़ रु अब हमें चाहिए...साले ब्लैकमेलिंग क्या होती है..तुझे अब पता चलेगा"इस बार शीबा उसके करीब पहुंचकर बोली।

"मेरे पास इतना पैसा नही है अब..मुश्किल से बीस लाख रु मेरे एकाउंट में होंगे"केलकर ने लगभग मिमियाते हुए बोला।

"साले...जो कुछ भी तेरे पास हो वो सब बेच दे...जरूरत पड़े तो खुद को बेच दे...लेकिन हम लोगो को डेढ़ करोड़ चाहिये तो चाहिए..वरना तू जानता है की अब तेरा क्या हाल होने वाला है"फरजाना अब तक उस पर अच्छे से शिकंजा कस चुकी थी।

"लेकिन मैं इतनी बडी रकम लाऊंगा कहाँ से"केलकर की आवाज से लग रहा था कि वो अब किसी भी क्षण रोने वाला था।

"वो लड़कियां भी तो कही से लाई होगी..उनको लूटते हुए जब तेरे दिल मे कभी रहम नही आया तो हम क्यों तुझ पर रहम खाये भूतनी के"शीबा ने इस बार बोलते हुए उसके बालो को झिंझोड़ दिया था।

"मेरा यकीन मानो मेरे पास और कुछ नही है...जो है वो ले लो और मेरा पीछा छोड़ दो..मेरी तौबा मेरे बाप की तौबा...आज के बाद ये काम मैं दोबारा नही करूँगा"केलकर अब किसी भी तरह से अपनी जान छुड़ाना चाहता था।

"अगर तुमने ये धन्धा छोड़ दिया तो तू करेगा क्या,तू खायेगा क्या केलकर प्यारे"फरजाना भी उठकर अब उसके पास आ गई थी और अपनी पिस्टल की नाल को उसकी नंगी पीठ पर फिराने लगी थी।

"चोरी करूँगा..डाका डालूंगा...लेकिन अब ये लड़कियो को धोखा नही दूँगा और न उनसे कोई पैसा ही लूटूँगा"केलकर ने उन दोनों को यकीन दिलवाने वाले अंदाज में बोला।

"अच्छा!तू चोरी भी कर सकता है और डाका भी डाल सकता है"फरजाना ने अविश्वाश भरे स्वर में बोला।

"अगर करना ही पड़ेगा तो करूँगा"केलकर ने फंसे हुए स्वर में बोला।

"तेरी डाकू बनने की तमन्ना को मैं पूरा कर देती हूँ...कम से कम दो करोड़ रु कमाएगा...हमारा डेढ़ करोड भी हम तुझ पर माफ कर देगे"शीबा ने इस बार अपनी उंगलियों को उसके चेहरे पर फिराते हुए बोला।

"क्या मतलब"केलकर, शीबा कि बात को समझ ही नही पाया था।

"मतलब समझना है तो,इस पते पर कल सुबह पहुँच जाना...नही तो दोपहर तक ये वीडियो पुलिस के पास पहुंच जाएगी..और सुन..मुम्बई से भागने की गलती मत करना...तेरे  ऊपर हमारे आदमियो की चौबीस घँटे नजर है" फरजाना ने उसके बाकी बचें हुए कुत्ते भी फेल करते हुए बोला।

"कौन हो तुम लोग..मुझे ऐसा क्यों लग रहा है,की अपने किसी जाल में फ़साने के लिए ही तुम लोगों ने मुझ से अपनी नजदीकियां बढ़ाई है"अब जाकर केलकर सही पॉइंट पर पहुंचा था।

"समझदार तो हो...लेकिन बात तुम्हारे भेजे में जरा देर से घुसती है"शीबा ने इस बार एक हल्की सी चपत उसके गालो पर लगाते हुए बोला।

"सुनो कल सुबह 11 बजे इस पते पर आकर मिलो...तुम्हारे घर से सिर्फ दस मिनट की दूरी पर है" ये बोलकर फरजाना ने अपने मोबाइल से एक मैसेज केलकर को भेजा...तभी उस मैसेज की टोन केलकर के मोबाइल में गूँजी।

"अब चलते है...उम्मीद है आज का सबक याद रखोगे...और फिर कभी किसी लड़की में साथ ऐसा नही करोगे"ये बोलकर फरज़ाना दरवाजे की तरफ बढ़ गई, उसके पीछे ही शीबा भी चल पड़ी और सदाशिव केलकर अपनी लूटी पिटी हालत में उन दोनों को जाते हुए देखता रह गया।

                          ********

अगले दिन सुबह ही डिज्नी बैंक की बगल वाली दुकान के सामने एक प्लाई और बोर्ड से भरा हुआ एक टेम्पो पहुंच चुका था। टेम्पो के आने से पहले ही चरसी और बेवड़ा दोनो अपने नए साथी बलवंत के साथ पहुंच चुके थे। टेम्पो के आते ही वे सभी उस लकड़ी के माल को दुकान के अंदर डालने लगे थे। दुकान बैंक की दीवार के समांतर ही थी। दुकान की गहराई और चौड़ाई दोनो ही आम दुकानों से ज्यादा थी। सामान उतरवाने में ही उन सभी को आधा घन्टा लग गया।

"बलवंत भाई कोई चाय का इंतजाम देखो यार...इतनी मेहनत तो बस तभी करते थे जब नशे पानी के लिए मेनहोल के ढक्कन चुराया करते थे" चरसी ने बलवंत की ओर देखकर बोला।

"यहां आसपास के लोगों से हमे कोई व्हवहार नही रखना है...चाय भी पीनी है तो कहीं आगे से जाकर खुद ही लेकर आनी है..ताकि कल को पुलिस की पूछताछ में कोई हमारे बारे में बता न सके"बलवंत ने समझदारी से जवाब दिया। बलवंत की बात पर चरसी और बेवड़े दोनो ने अपना सिर सहमति से हिलाया।

"ठीक है मैं आगे से जाकर चाय और सिगरेट के पैकेट ले आता हूँ...ताकि बार बार हमें जाना न पड़े"ये बोलकर चरसी बाहर की ओर निकल गया।

"सबसे पहले हमें आज ही रात होने से पहले दुकान में एक पार्टीशन करना है ताकि उस पार्टीशन के पीछे हम रात को सुरंग के लिए खुदाई कर सके"बलवंत ने बेवड़े को बोला।

"बाबा! जो काम करना है तुम्हे करना है...इस मामले के खिलाड़ी तो तुम ही हो..अपन को तो बस ये बतातें रहना की कब तुम्हे आरी उठाकर देनी है और कब हथौड़ी"बेवड़े ने बलवंत को बोला तो बलवंत मुस्कराए बिना नही रह सका।

"चलो फिर सबसे पहले वो औजारों का थैला दो उठाकर"बलवंत ने कुछ दूर रखे हुए एक थैले की ओर इशारा करते हुए बोला। बेवड़ा बलवंत का आदेश पाते ही चुपचाप उस थैले की तरफ बढ़ गया।

                            *******

ठीक ग्यारह बजे केलकर उस फ्लैट की बेल को बजा चुका था।दरवाजा शीबा ने खोला था। केलकर को देखते ही उसके चेहरे पर एक कुटिल मुस्कान उभर आई।

"आओ तुम्हारा ही इंतजार कर रहे थे"शीबा ने दरवाजे से एक तरफ हटते हुए बोला।

"नही आने की हालत में तो तुम लोगो ने छोड़ा ही नही है"ये बोलकर केलकर अंदर कदम रख चुका था। तब तक हाल में फरजाना और सेलिना एक साथ आ चुकी थी।

"बैठिये!केलकर साहब यहां आने में कोई तकलीप तो नही हुई तुम्हे..वैसे तुम्हारे आने से पहले फरज़ाना मुझे रात वाला ही वीडियो दिखा रही थी...मानना पड़ेगा बिना कपड़ों के बहुत शानदार दीखते हो तुम"सेलिना की बात सुनकर केलकर अंदाजा ही नही लगा पाया कि सेलिना उसकी तारीफ कर रही है या उसका मजाक उड़ा रही है।

"ये बताइये मुझ से क्या काम करवाना चाहतीं हो जो मुझे इस तरह से फंसाया गया है"केलकर ने बेबाक तरीके से सेलिना से पूछा था।

"अच्छा जल्दी ही मतलब की बात पर आ गए...मैं भी बात को ज्यादा नही खींचना चाहती थी..सीधी भाषा मे बोलू तो एक बैंक में डाका डालना है और उसके लिए हमे तुम्हारी मदद की जरूरत है"सेलिना ने बिना किसी लागलपेट के बोला।

"मैं क्या मदद मर सकता हूँ..मैंने तो आज तक सिर्फ लड़कियो के साथ ठगी का धंधा ही किया है...आज तक कोई डकैती तो डाली नही है"केलकर ने सीधा जवाब दिया।

"तुम्हारी पर्सनल्टी किसी सुरक्षा अधिकारी के साथ मैच करती है...हम चाहते है कि जिस दिन हम लोग बैंक में डकैती डाले उस दिन वहाँ सारे लोग हमारे अपने हो...गेट पर खड़े गार्ड से लेकर अंदर सुरक्षा का जिम्मा भी हमारे लोगो के पास ही हो....लगभग अस्सी प्रतिशत हम अपने प्लान के मुताबिक अपने काम को अंजाम दे चुके है..अगर तुम भी हमारे काम मे   शामिल हो जाओ तो हमारा प्लान पूरा हो जायेगा और काम की सफलता भी सौ फीसदी होगी"सेलिना ने केलकर को बोला।

"अगर मैं तुम्हारे इस काम मे शामिल होने से मना कर दूं तो"केलकर ने सेलिना की तरफ देखकर बोला।

"तो !तुम्हारी बर्बादी की दास्तान सुनहरे अक्षरों में लिख दी जाएगी"सेलिना ने साफ शब्दो में केलकर को धमकी दी। केलकर ने असहाय भाव से उन सभी को देखा।

"मुझे मिलेगा क्या तुम्हारा साथ देने के बदले"केलकर अब अपने मतलब की बात पर आया।

"हमारी कंपनी में एक पक्की जॉब..जिसका पैकेज सालाना दो करोड़ होगा..साथ मे एक इज्जतदार सफेदपोश शहरी की जिंदगी"सेलिना ने केलकर की ओर देखकर बोला।

"ये कैसी कम्पनी है जो अपराध के धंधे करवा कर भी इज्जतदार शहरी की जिंदगी देने की बात करती है"केलकर ने उलझन भरे स्वर में बोला।

"तुम पहले अपना इरादा बताओ...हमारी कम्पनी में शामिल होने के बाद यहां से बाहर जाने का कोई रास्ता नही होगा...बाहर जाने के हर रास्ते पर मौत अपनी बाहें पसारे तुम्हे तुम्हारा इंतजार करती हुई मिलेगी"सेलिना ने साफ शब्दों में कंपनी के कायदे कानून से केलकर को अवगत करवाया।

"जब तुम लोग किसी भी आदमी को गले तक फंसा कर ही उसे अपनी कंपनी में शामिल करते हो तो उसके पास बाहर जाने का ऑप्शन ही कहाँ बचता है"केलकर ने हारे हुए स्वर में कहा।

"मतलब तुम हमारी टीम में शामिल होने को तैयार हो"सेलिना ने मुस्करा कर केलकर से पूछा।

"क्या मेरे पास कोई और चारा है, सिवाय तुम्हारी बात मानने के अलावा"केलकर फंसे हुए स्वर में बोला।

"चिंता मत करो!हमारे साथ रहकर काम करने का तुम्हे कभी कोई अफसोस नही होगा..और ये मासूम लड़कियों की बद्दुआ लेने से भी बच जाओगे जो तुम ये चिंदीचोरी करके उन लड़कियों की लेते हो..हमारे साथ रहकर शराब शवाब और पैसा जीवन के इन तीनो सोपान की कभी कमी महसूस नही करोगे"सेलिना की बात सुनकर पहली बार केलकर की आंखों में एक चमक उभरी थी।

                             *******

मस्ती बलवंत बेवड़ा चरसी और जैकाल सभी लोग पूरी तन्मयता से दुकान के रास्ते से बैंक तक सुरंग बनाने के काम मे लगे हुए थे।आज काम करते हुए चौथा दिन हो चुका था। तकरीबन सुरंग का काम आज रात को खत्म होने के कगार पर था। रात के कोई दो बजे थे और वे सभी लोग थोड़ी देर सुस्ताने के लिए बैठे हुए थे।तभी किसी ने दुकान के अधखुले शटर के नीचे से झांका।

"क्यो भाई लोगो...किस चीज़ की दुकान खुल रही है यहाँ..जो रात को भी इतने जोरों शोरो से काम चल रहा है"वो शायद कोई राह चलता अजनबी था।

"इस साले को क्या चुल मची है"ये बोलकर जैकाल शटर की तरफ बढ़ा।

"क्या बात है...तुझे क्या रात को ही दुकान से शॉपिंग करनी है जो आधी रात को भी तुझे नींद नही आ रही है"जैकाल ने बन्द शटर के पीछे से ही आवाज दी।

"नींद कैसे आएगी...मेरा घर इस दुकान के पीछे ही है..पूरी रात को इतना शोर मचता है कि मैं सो नही पाता हूँ...चार दिन से बड़ी मुश्किल से सहन कर रहा हूँ...जब आज भी नींद नही आई तो तब देखने आया हूँ कि यहां चल क्या रहा है"वो कोई खब्ती किस्म का इंसान था।

"भाई बस आज रात का काम ही बचा है..कल से आराम से सो जाना..आज की रात एक नींद की गोली लेकर सो जाओ"जैकाल ने उस खब्ती को मशवरा दिया।

"नही..आप लोग ये काम दिन में किया करो...नही तो मैं अभी पुलिस बुलवा कर काम बंद करवाऊंगा"वो फिर से बोला।

"देखिए क्यो बेकार में बात को बढ़ा रहे है...हमारा आज रात को काम खत्म हो जाएगा तो सेठ कल हमारा पैसा दे देगा...बस आज की रात और सहन कर लो..कल से नींद नही खराब होगी तुम्हारी"जैकाल अभी बोल ही रहा था कि बाकी लोग भी उठकर उसके पास आ गए।

"क्या हुआ भैया!क्यो इतना हंगामा काट रहे हो आधी रात को"इस बार बलवंत ने उस खब्ती इंसान से पूछा।

"भाई साहब दुसरो की नींद हराम करते हो...और पूछ रहे हो कि क्या हुआ...अब तुम खुद देखना की क्या होने वाला है...अभी पुलिस बुलवा कर ये सारा काम नही बन्द करवाया तो मेरा नाम भी महतो नही"ये बोलकर वो आदमी अपनी जेब मे अपने मोबाइल को ढूंढने लगा। लेकिन मोबाइल शायद वो अपने घर पर ही छोड़ आया था।वो बन्दा भुनभुनाता हुआ वापस मुड़ा और अपने घर की ओर जाने लगा।

"रोको उसे...अगर पुलिस यहां आ गई तो हमारी सारी मेहनत पर पानी फिर जाएगा"मस्ती की इस बात को सुनते ही जैकाल ने तुरन्त शटर को उठाया और दुकान से निकल कर उसी दिशा मे भागा...जिस दिशा में वो महतो नाम का बन्दा गया था। जैकाल के पीछे ही बेवड़ा भी दौड़ पड़ा था।कुछ कदम भागने के बाद ही साथ लगती हुई एक पतली सी गली में वो बन्दा तेज कदमो से अपने घर की ओर जाता हुआ नजर आया। जैकाल तुरन्त दौड़कर उसके सिर पर सवार हो गया था। एकाएक जैकाल को अपने सिर पर सवार देखकर उस महतो के देवता कूच कर गए।

"क्यो रे हरामी...तू पुलिस बुलायेगा..पुलिस तो यहां आयेगा....लेकिन तेरी लाश को पोस्टमार्टम के वास्ते ले जाने के लिए आएगा"जैकाल ने अपनी जेब से चाकू निकाल कर उसकी गर्दन पर लगा दिया था।

"मैं किसी को नही बुलाऊंगा..मैं नींद की गोली ख़ाकर सो जाऊंगा...मुझे माफ़ कर दो"चाकू को अपनी गर्दन पर लगा हुआ देखते ही उसकी सारी क्रांति हवा हो चुकी थी। तब तक बेवड़ा भी उन लोगो के नजदीक पहुंच चुका था।

"इसे मारकर इसके घर में ही डाल दो..क्या पता चलेगा कि साला किसने इसे मारा है"बेवड़े ने आते ही जो बोलवचन बोले उसे सुनकर ही महतो का कच्छा गीला होने के कगार पर पहुंच चुका था।कहते है की अगर मौत सिर पर आकर सवार हो जाये तो या तो इंसान उसकी दहशत से ही उसका शिकार हो जाता है या फिर बन्दा उस मौत से बचने के लिये अपनी जान की बाज़ी लगा देता है। इस वक़्त उस महतो नाम के खब्ती इंसान ने अपनी जान की बाजी ही लगा दी थी।उसने अचानक ही जैकाल को एक जोरो का धक्का दिया और अपनी जान लगाकर वो अपने घर की ओर दौड़ गया।जैकाल को जैसे ही धक्का लगा, वो बेवड़े के ऊपर जाकर गिरा, जिससे जैकाल और बेवड़ा दोनो ही एक साथ जमीन सूंघने के लिए मजबूर हो गए। लेकिन जब तक वे दोनों उठकर खड़े होते वो बन्दा किसी छलावे की तरह वहां से गायब हो गया था।

"वो तो गायब हो गया...उसका हमारे हाथ से निकल जाना..कहीं हम पर भारी न पड़ जाये"बेवड़े ने आशंका जाहिर की।

"तुम सही कह रहे हो..जल्दी से जल्दी दुकान को बन्द करके यहां से निकलते है...वरना अगर उस हरामी ने सच मे पुलिस को फोन कर दिया,और पुलिस आकर अंदर दुकान में घुस गई तो उसे पलभर में पूरा माजरा समझ मे आ जायेगा"जैकाल ने बेवड़े की ओर देखकर बोला। जैकाल की बात को समझते ही बेवड़े के कदम तेजी से जैकाल के साथ ही दुकान की ओर बढ़ गए।

"जल्दी दुकान बंद करके निकलो यहां से...वो बन्दा हम लोगो की पकड़ से छूटकर गायब हो गया है"जैकाल ने दुकान के अंदर घुसते ही जब ये खबर सुनाई तो वहां एकबारगी तो सन्नाटा पसर गया।

"भाई लोगो सोचने का वक़्त नही है..जल्दी दुकान के ताला लगाओ और निकलो यहां से...अगर उसने पुलिस बुला ली तो..सारे किये कराये पर पानी फिर जाएगा"जैकाल ने एक बार फिर से बोला तो मानो सभी नींद से जगे हो। सबसे पहले मस्ती और चरसी दुकान से बाहर निकले। बलवंत दुकान की चाबियां लेने के लिये अंदर की ओर दौड़ा। तब तक जैकाल और बेवड़ा भी दुकान से बाहर निकल चुके थे। बलवन्त दुकान से बाहर निकला और तेजी के साथ शटर को गिराया और फोरन से पेश्तर ताला लगा दिया। उसके बाद वो फोरन ही दुकान से दूर होते चले गये।

"सेलिना को आज की घटना के बारे में बता दो"मस्ती ने जैकाल की तरफ देखकर बोला।जैकाल मस्ती की बात सुनते ही सेलिना को फोन मिलाने लगा।

                          ********

इस वक़्त सभी लोग खामोशी की चादर लपेटे हुए सेलिना के चेहरे को तक रहे थे। मस्ती सेलिना को सारा किस्सा सुना चुका था।

"जो हुआ अच्छा नही हुआ...लेकिन ये अच्छा हुआ कि तुम लोग वहां से निकल आये..अगर वो सनकी इंसान पुलिस को बुला लेता तो पुलिस अंदर घुसे बिना नही मानती, और सारा खेल उसी वक़्त खत्म हो जाता"सेलिना ने वहां छाई हुई खामोशी को तोड़ा।

"लेकिन हमें ये कैसे पता चलेगा कि वहाँ कोई पुलिस आई भी थी या नही"बलवंत ने सभी कि ओर देखकर पूछा।

"ऐसी हालत में जबकी वो इंसान अपनी जान बचा कर वहां से भागा है तो नब्बे फीसदी चांस तो यही है कि वो अब इस लफड़े से खुद को दूर ही रखेगा"सेलिना ने बलवंत की बात का जवाब दिया।

"लेकिन अगर दस फ़ीसदी उसने पुलिस को बुला लिया तो क्या होगा"फरज़ाना ने सेलिना से पूछा।

"फिर हमें अपने प्लान और अपने काम को कुछ दिनो के लिये मुल्तवी करना होगा"सेलिना ने कुछ सोचते हुए जवाब दिया।

"वो आदमी कह रहा था कि उस दुकान के पीछे ही उसका घर है...तो क्यो न कल दुकान में काम शुरू करने से पहले उस बन्दे से ही मिल लिया जाए"इस बार मस्ती ने सुझाव दिया।

"अगर उसने पुलिस नही बुलाई होगी तो इसका मतलब है कि वो चाकू देखकर डर गया है...लेकिन इस तरीके के आदमी कभी भी कोई भी बखेड़ा कर सकते है"फरजाना ने फिर से अपनी राय प्रकट की।

"तुम ठीक कह रही हो..उस बन्दे को तुम जाकर टटोलो..की उसने आज रात को क्या किया है..अगर उसने पुलिस कंप्लेंट नही की है तो उसे तीन चार दिन के लिये वहाँ से कहीं और ले जाने का आइडिया सोचो"सेलिना ने फरज़ाना की तरफ देखकर बोला।

"उसे शीबा के साथ हनीमून पर किसी टूर पर भेज दू क्या"फरजाना ने मजाकिया लहजे में बोला।

"अगर बन्दा रंगीला टाइप का हो तो फिर किसी कॉलगर्ल को बुलाकर उसे उसकी सेवा में लगा दो...अगर बन्दा अड़ियल हो तो उसे कुछ दिनों के लिए वहां से गायब करके अपने रेस्ट हाउस में पहुंचा दो"सेलिना ने फाइनल तरीका सुझाया।

"मतलब कल दुकान में काम शुरू करने से पहले फरज़ाना उस आदमी के पास जाएगी"बलवंत ने सेलिना की ओर देखते हुए पूछा।

"हॉं! फरज़ाना की तरफ से हरी झंडी मिलने के बाद ही काम फिर से शुरू करना है..ऐसा भी कोई पंगा हो सकता है, ये तो हमने सोचा ही नही था"सेलिना ने कुपित स्वर में बोला।

"चलो यार फिर सोते है...वैसे भी रात तो अब खत्म होने को आई"जैकाल ने अपनी सीट से उठते हुए कहा।

"सही कह रहो हो जैकाल बाबू...अब सोना चाहिये"ये बोलकर सेलिना भी उठ खड़ी हुई।सेलिना के उठते ही सभी लोग उठकर अपने अपने कमरो की ओर चल दिये।

                            *******

अगले दिन दस बजे ही फरजाना उस महतो नाम के आदमी के पास बैठी थी।

"तो ये दुकान आपने खरीदी है"महतो फरजाना के बुर्के से झांकती हुई उसकी झील से गहरी आंखों को लगभग घूरते हुए बोला।

"हाँ!अभी बताया तो है तुम्हे...हम यहां पर लेडीज गारमेंट्स का एक बहुत बड़ा शोरूम बना रहे है" फरजाना इस वक़्त एक बादामी कलर के बुर्के में थी। इस आदमी से मिलने के लिए फ़रज़ाना जान बूझकर बुर्का पहन कर आई थी।

"आपने काम करने के लिये कारीगर रखें हुए है या गुंडे मवाली रखे हुए है...रात को जरा सी बात पर वे लोग मेरी जान लेने पर उतारू हो गए थे"महतो ने रुष्ट स्वर में बोला।

"देखिए ! जैसे ही मुझे इस बात के बारे में पता लगा...मैने तुरंत उन कारीगरों को भगा दिया..इस वजह से अभी तक काम भी शुरू नही हो सका है..और मैं खुद आपसे रात की उन लोगो की हरकत की माफी मांगने आई हूँ"फरजाना ने महतो को खुशामद भरे स्वर में बोला।

"माफी मांगने की कोई बात नही है...वो तो रात को मैने बात को आगे नहीं बढ़ाया और पुलिस को इस बात की खबर नही की..नही तो पुलिस रात को ही उन लोगो को खोज कर गिरफ्तार कर लेती..किसी पर चाकू से हमला करना कोई आम बात है क्या"बोलते बोलते महतो को हल्का सा गुस्सा आ चुका था।

"अच्छा किया आपने जो पुलिस को खबर नही की...आप हमारी शाप के सबसे वीआईपी कस्टमर होंगे...आपको हर माल पर फिफ्टी परसेंट का डिस्काउंट मिलेगा"फरजाना ने फिर से खुशामद भरे स्वर में बोला।

"अभी आपका ये काम कब तक खत्म होगा"महतो के तेवर अब नम्र पड़ चुके थे।

"अभी तीन चार दिन लगेंगे...आप एक काम कीजिये न आप तीन चार दिन के लिये लोनावाला घूम आइए...आपका वहां आने जाने का और रहने खाने का सारा खर्च भी हम दे देंगे..और अगर मौज मेले के लिये किसी को साथ ले जाना चाहते हो तो उसका भी सारा खर्च हम देगे"फरजाना ने एक ही सांस में उसे हनीमून पैकेज काआफर भी दे दिया।फरजाना की बात सुनते ही उसके होठो पर एक अर्थपूर्ण मुस्कान उभर आई।

"सच बोल रही हैं आप, सोच लीजिये कम से कम पचास हजार का खर्चा हो जाएगा"महतो के चेहरे से लार टपक रही थी।

"आप पैसो की चिंता मत कीजिये...बस हम नही चाहते कि हमारी वजह से किसी को कोई परेशानी हो..आपके अलावा यहां और किसी को तो कोई परेशानी नही है"फरजाना ने अपने बैग से पांच सौ के नोटो की एक गड्डी निकाल कर महतो के लालच टपकाते चेहरे के आगे घुमाया, महतो ने उस हरियाली को लपकने या यूं कहिये की झपटने में कोई कोताही नही बरती।

                         *********

"मामला मैंने सेट कर दिया है..वो बंदर कुछ देर में घर से लोनावाला के लिये निकल जाएगा...कुछ दूर जातें ही अपने आदमी उसको वैन में डालकर रेस्ट हाउस पहुँचा देगे,,उस हरामी को पचास हजार देकर आई हूँ,, उससे वो भी वापस छीन लेने है"फरजाना ने महतो के घर से निकलते ही सेलिना को फोन लगा दिया था।

"बहुत बढ़िया काम किया है तुमने फरजाना..आगे का काम तभी शुरू करना है..जब ये बन्दा रेस्ट हाउस पहुंच जाए"सेलिना ने फरजाना को शाबाशी भरें अंदाज में बोला।

"ठीक है सेलिना..मेरे लिये अब कोई और भी काम है क्या"फरजाना ने सेलिना से पूछा।

"तुम केलकर के यहां पहुंचो..मैं भी वही पहुंच रही हूँ..वही अब आगे की स्ट्रेटेजी बनानी है"सेलिना ने बोला।

"ठीक है सेलिना...मैं आधा घँटे में केलकर के यहां पहुंचती हूँ"ये बोलकर फरजाना ने फोन काटा और गाड़ी को केलकर के फ्लैट की दिशा में मोड़ दिया।

क्रमशः


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Crime