anil garg

Crime Thriller

4.5  

anil garg

Crime Thriller

बदमाश कंपनी-21

बदमाश कंपनी-21

40 mins
435


मस्ती और उसके साथियों को अलीबाग पहुंचने में लगभग साढ़े तीन घँटे का समय लग गया था। अच्छी बात अब तक ये रही थी की सेलिना के होशोहवास अभी तक कायम थे।

" कोलाबा का फोर्ट आने में बस दस मिनट लगेंगे" मस्ती ने पीछे मुड़कर फरजाना को बोला।

" फोर्ट में ददुआ कहाँ मिलेगा" फरजाना ने ये सुनते ही सेलिना को हिलाकर उससे पूछा था। सेलिना की शक्ल से इस वक़्त लग रहा था की वो अर्धबेहोशी की हालत में है।

" फोर्ट से कोई एक किलोमीटर दूर जाकर एक रास्ता जंगल की ओर जा रहा है, उसी रास्ते पर एक खंडहरनुमा हवेली है, उसी जगह पर हमें आने को बोला गया था, लेकिन वहां ददुआ मिलेगा या नहीं, ये मुझे पक्का नहीं पता...लेकिन जिस गाड़ी में लूट की रकम है, उसे यही लाया गया है" सेलिना इस वक़्त गहरी सांस लेते हुए बोल रही थी।

" मस्ती मुझे नहीं लगता कि ये लड़की अब ज्यादा देर जिंदा बचेगी...इसका खून बहुत बह गया है" फरजाना ने मस्ती को सेलिना की हालत के बारे में बताया।

" एक बार इसकी बताई जगह पर पहुंच जाए..अगर हमें वो बैंक की गाड़ी वहां मिल जाती है तो, इसे गोली मारकर इसे मुक्ति दे देना" जैकाल ने मस्ती की जगह सपाट लहजें में जवाब दिया।

" बस आ ही गया है जंगल, मैं गाड़ी को यही लगाता हूँ, यहां से हमें पैदल ही बिना किसी की नजरों में आये हुए आगे बढ़ना चाहिये" मस्ती ने जंगल के नजदीक पहुंचते ही अपनी अक्ल लड़ाई।

" तुम सही कह रहे हो, लेकिन इस सेलिना का क्या करे, इसे तो पैदल ले जाना मुश्किल होगा" सेलिना अब उन लोगों के लिए मुसीबत बन चुकी थी।

" बलवन्त गाड़ी में सेलिना के साथ ही रुकेगा...और इसे हर वक़्त अपनी पिस्टल के निशाने पर रखेगा, अगर हमें वहां हमारी लूटी हुई दौलत मिल गई तो, वापसी में इसे गोली मार देंगे" मस्ती ने गाड़ी को एक झाड़ी के पीछे इस तरह से लगाया कि कोई पास आकर ही उस गाड़ी को देख सकता था। दूर से उस गाड़ी को कोई नहीं देख सकता था। पीछे वाली गाड़ी को भी केलकर ने ठीक उसके पीछे ही लगा कर खड़ी किया, अब वे सभी गाड़ी से निकल कर एक साथ इक्कठे हो चुके थे।बलवन्त को सेलिना के साथ छोड़कर वे सभी अब उस खंडहरनुमा हवेली की ओर बढ़ने लगे थे।

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गार्ड पर नजर पड़ते ही जावड़ेकर ने उसे अंदर आने का इशारा किया।जावड़ेकर का इशारा पाते ही, गार्ड अपनी चाल में तेजी लाते हुए तुरन्त ही उसके पास आकर खड़ा हो गया।

" परसो रात को यहां किसकी ड्यूटी थी" जावड़ेकर ने आते ही उससे पूछा।

" परसो रात को तो मैं ही ड्यूटी पर था साहब..क्या हुआ, गोल्डी साहब के साथ कुछ गड़बड़ हुआ है क्या" गार्ड ने इधर उधर नजर दौड़ाते हुए गोल्डी को देखने की कोशिश की।

" दो दिन से उनका कुछ अतापता नहीं है..आख़िरी बार तुमने उसे कब देखा था" जावेडकर ने फिर से पूछा।

" सर!कल सुबह उनको चार पांच लोगों के साथ बाहर जाते हुए देखा था, उनके साथ एक लड़की भी थी साहब" गार्ड अपनी याददाश्त पर जोर डालते हुए बोला।

" उसके बाद तुमने उसे नहीं देखा" जावड़ेकर ने संशय भरी नजर उस पर डाली।

" साहब फिर मेरी ड्यूटी ऑफ हो गई थी, दिन में आये हो तो मुझे पता नही" गार्ड ने जवाब दिया।

" दिन में ड्यूटी पर कौन था" जावड़ेकर ने फिर से पूछा।

" साहब! दिन में तो यहां सरोज बाला ड्यूटी पर थी, दिन में यहां पर लेडीज गार्ड होती है और रात में यहां पर पुरुष गार्ड होते है" गार्ड हर बात का विस्तार से जवाब दे रहा था।

" जो लड़की गोल्डी के साथ थी, उसे पहले भी कभी देखा था" जावड़ेकर ने अगला सवाल किया।

" वो लड़की तो बहुत बार यहां आती थी साहब, अपने गोल्डी साहब रंगीले किस्म के आदमी है साहब, उनके साथ तो रोज कोई न कोई लड़की आती ही है साहब" गार्ड ने खीसे निपोरते हुए बोला।

" ऐसे आदमी को रंगीला नहीं अय्याश बोला जाता है" जावड़ेकर ने अजीब से स्वर में बोला। गार्ड जावड़ेकर की बात सुनकर सकपका कर रह गया था।

" मुझे सोसाइटी के सीसीटीवी कैमरे देखने है...उन कैमरो का कंट्रोल रूम कहाँ है" जावड़ेकर ने गार्ड से फिर पूछा।

" साहब!मै इस अपार्टमेंट के सेक्रेट्री को बुला लाता हूँ, सीसीटीवी तो वही दिखा सकते है" गार्ड ने बोला तो जावड़ेकर ने सहमति में अपना सिर हिलाया। सहमति मिलते ही गार्ड ने वहां से फूटने में पल भर की भी देरी नहीं की।

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उन लोगों के दूर जाते ही बलवन्त ने सिगरेट का पैकेट निकाला और एक सिगरेट जलाकर उसके सुट्टे मारने लगा।

" एक कश मुझे भी मारने दे बलवन्त" सेलिना की आवाज सुनते ही बलवन्त एकदम चिहुंक कर पड़ा था।

" तुम होश में हो" बलवन्त अभी भी हैरानी से उसकी ओर देख रहा था।

" बडी सख्त जान हूँ बलवन्त, एक गोली से मरने वाली नहीं हूँ" ये बोलकर सेलिना ने एक लात चलाई, जो सीधा बलवन्त के चेहरे पर पड़ी थी। लात लगते ही बलवन्त का सिर गाड़ी के  शीशे पर जाकर टकराया था। तभी सेलिना ने अपनी उसी लात को फिर चलाया और इस बार उसने सीधा बलवन्त के गुप्तांग पर प्रहार किया था। बलवन्त को ऐसे हमले कि तो आशंका ही नहीं थी। इस वक़्त अपने दोनो हाथो से अपने गुप्तांग दबाकर दर्द से बिलबिलाने लगा था। तभी सेलिना का हाथ उसके खीसे में घुसा और उसके पिस्टल को अपने कब्जे में ले लिया।पिस्टल हाथ में लेते ही उसका एक प्रहार बलवन्त की कनपटी पर किया। गुप्तांग और कनपटी की दोहरी मार को बलवन्त के बस की सहन करना नहीं था, नतीजे में वो अब तक ढेर हो चुका था। सेलिना ने पिस्टल को उसके सीने में सीधे उसके दिल पर रखा और किसी बेदिल लड़की की तरह गोली उसके दिल में उतार दी। बेहोशी की हालत में ही बलवन्त के देवता इस दुनिया से कूच कर चुके थे।गोली की आवाज ने शायद उस गाड़ी में ही दम तोड़ दिया था। इसलिए उस जंगल में गाड़ी के बाहर अभी तक शांति छाई हुई थी। सेलिना ने दरवाजा खोला और गोली लगे हुए पैर को उसने जमीन पर रखा, एक दर्द की लहर उसके पूरे जिस्म में दौड़ गई। उस दर्द को पीने की जिजीविषा शायद सेलिना में अभी तक बची हुई थी। उसने अपना दूसरा पैर भी बाहर जमीन पर रखा और दरवाजे के सहारे वो गाड़ी से बाहर आकर खड़ी हो गई। उसने दरवाजे को बन्द किया और उसी ओर लंगड़ाते हुए बढ़ गई, जिस ओर मस्ती और उसके साथी गए थे।

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सोसाइटी के सेक्रेटरी से पहले फोरेंसिक टीम आ चुकी थी। जावड़ेकर के दिशा निर्देशन में टीम वहां से फिंगर प्रिंट और दूसरे सबूत जुटाने में जुट गई थी। इसी दरम्यान वो गार्ड सोसाइटी के सेक्रेटरी को लेकर पहुंच चुका था। सोसाइटी के सेक्रेटरी आत्माराम अजीब सी निग़ाहों से उस पूरे हाल में मंडरा रहे फोरेंसिक टीम के लोगों को इधर उधर घुमते हुए देख रहा था।

" आप हो इस सोसाइटी के सेक्रेटरी....मेरा नाम इंस्पेक्टर जावड़ेकर है, मुझे आपकी सोसाइटी की सीसीटीवी फुटेज देखनी है" सेक्रेटरी को जब ये पता लगा कि ये सादी वर्दी में मुम्बई पुलिस उस फ्लैट में मौजूद है तो उसके लिए इंकार करने की कोई सूरत ही नहीं रही थी।इन्स्पेक्टर जावड़ेकर अपनी फोरेंसिक टीम को वही अपने काम में व्यस्त छोड़कर सेक्रेटरी के साथ सीसीटीवी के कंट्रोल रूम की तरफ चला गया।

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मस्ती उन सभी साथियों के साथ उस खंडहर के बिल्कुल समीप पहुंच चुका था। सभी लोग इस वक़्त चौकन्नी निग़ाहों से उस हवेली नुमा खंडहर को ही देख रहे थे।

" शाम तो ढल चुकी हैं, क्यो न हम अंधेरा होने का इंतजार करें, क्योकि अभी हमें ये नहीं पता कि अंदर हमें कितने लोगों से सामना करना पड़ सकता है" केलकर ने मस्ती की ओर देखते हुए अपनी राय प्रकट की।

" लेकिन अगर रात से पहले ही उन लोगों ने कोई और मूवमेंट किया तो हम क्या करेगे" जैकाल अभी उस हवेली में घुसने का पक्षधर था।

" कैसी मूवमेंट" मस्ती की समझ में नहीं आया कि जैकाल क्या कहना चाहता था।

" मस्ती भाई, ये सारा समुंद्री इलाका है, इतनी सारी दौलत को ये लोग हमेशा के लिए तो यहां रख कर नहीं बैठ सकते है, हो सकता है, समुंदर के रास्ते रात में ही कही और जाने का इरादा हो..नहीं तो सोचो की लूट के बाद मुम्बई से सौ किलोमीटर दूर आने की क्या जरूरत थी, वो भी इतने सुनसान इलाके में" जैकाल की बात ने मस्ती के दिमाग की भी बत्ती जला दी थी।

" बात तो तुम्हारी सही है..क्यो न हम इस हवेली का तीन तरफ से घेराव करे" मस्ती भी अब उसी दिशा में सोच रहा था, जिस दिशा में जैकाल सोच रहा था।

" तीन दिशा से कैसे घेराव करे" इस बार फरजाना ने उनकी बात में दखलंदाजी की।

" हम तीन ग्रुप बनाते है, एक मेरा ग्रुप होगा, एक फरजाना का ग्रुप होगा, और एक जैकाल का ग्रुप रहेगा, फरजाना के साथ केलकर और रोहित जायेगे, मेरे साथ बेवड़ा, और जैकाल के साथ चरसी.. हर ग्रुप सौ मीटर की दूरी से इस हवेली पर नजर रखतें हुए आगे बढ़ेगा, जो भी रास्ते में मिले उसे उड़ाते हुए चलो" मस्ती ने अपना प्लान समझाया।

" प्लान तो सही है, लेकिन हम सब एक दूसरे के सम्पर्क में कैसे रहेंगे" फरजाना ने पूछा।

" हम लोगों के मोबाइल तो सेलिना ने पहले से ही अपने कब्जे में लिए थे...लेकिन हमारी मंजिल तो एक ही है, हमें हवेली तक पहुंचने तक कोई ज्यादा समय नहीं लगेगा..हवेली में पहुँचने के बाद हम सभी साथ ही रहेंगे" मस्ती ने बोला। मस्ती की बात पर सभी ने सिर हिलाकर सहमति जताई। फरजाना केलकर और रोहित के साथ हवेली के दायी तरफ चली गई और जैकाल चरसी के साथ हवेली के बायीं और चला गया। मस्ती ने बेवड़े के साथ हवेली का पिछवाड़ा चुना था, वो इस ओर बढ़ गया। जैसे ही वे लोग वहां से कोई बीस मीटर दूर पहुंचे थे, तभी पेड़ो के एक झुरमुट के पीछे से सेलिना अपने चेहरे पर एक विषैली मुस्कान लिए हुए निकली और उसने अपने कदम उस दिशा में बढ़ा दिए। जिस दिशा में फरजाना गई थी।

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फोरेंसिक वालो ने वहां के सभी फिंगरप्रिंट के साथ साथ वहां पर मिली दारू की बोतलों के साथ गिलास और उस पिस्टल को सील बन्द लिफाफे में पैक कर लिया था। उस कालीन के उन सभी हिस्सों को भी काटकर अपने कब्जे में ले चुके थे, जहां जहाँ पर गोलियो ने अपने निशान छोड़े थे, कालीन के नींचे खाली कारतूस के खोल भी फोरेंसिक वाले बरामद कर चुके थे। जब तक जावड़ेकर वापिस आया तब तक फोरेंसिक टीम अपना काम समेट चुकी थी। जावड़ेकर के आते ही फोरेंसिक टीम ने उस फ्लैट को सील किया, और फिर जावड़ेकर वहां से सीधा अपने पुलिस स्टेशन के लिये रवाना हो गया। महात्रे से वो दोबारा पता कर चुका था, वे अंकल अभी पुलिस स्टेशन में ही थे, जो केलकर नाम के उस गार्ड के बारे में रपट लिखवाने के लिए आये थे।

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" यार ये मेरे जूते आज बहुत परेशान कर रहे है, मैं जरा इसके फीते बांध कर आता हूँ...तुम लोग आगे बढ़ो..मैं कुछ देर में आता हूँ" रोहित ने केलकर की तरफ़ देखकर निरीह स्वर में बोला।

" तू बांध लें फीते, हम लोग रुक जाते है थोड़ी देर" केलकर ने सीधे स्वभाव से जवाब दिया।

" नहीं तुम लोग क्यो समय खराब कर रहे हो..तुम निकलो मैं आता हूँ यार" रोहित पता नहीं क्यो उन लोगों के साथ जाने में आनाकानी कर रहा था।

" कोई गेम तो नहीं खेल रहा है न, तू हमारे साथ" फरजाना ने अजीब से स्वर में कहा।

" मैं क्या गेम खेलूंग़ा, यहाँ तक तुम्हारे साथ आया हूँ, तो तुम्हारा साथ देने ही तो आया हूँ, उस रकम में मेरा भी तो हिस्सा है" रोहित ने अनमने से स्वर में कहा।

" चल ठीक है जल्दी आ" ये बोलकर फरजाना, केलकर का हाथ पकड़कर आगे बढ़ गई। दरअसल रोहित की हिम्मत नहीं हो रही थी, किसी भी तरह के खून खराबे में शामिल होने की। वो दूर से ही सारा तमाशा देखना चाहता था, अभी तक वो हर काम में दूर ही खड़ा हुआ नजर आया था।उसने सबसे पहले अपने फीते कसे, उसके बाद उसने अपनी जेब से अपनी पसंदीदा सिगरेट के पैकेट् से एक सिगरेट निकाल कर अपने होठो से लगाई। अभी वो अपनी जेब में लाइटर ढूंढ ही रहा था, की एक लाइटर की लौ उसके होठो के आगे लहराने लगीं।रोहित ने नजर उठाकर देखा तो सामने एक हाथ में पिस्टल लिये हुए सेलिना को देखते ही उसके प्राण हलक में अटक गये, वो इस वक़्त पूरे जोर से चिल्लाना चाहता था, लेकिन उसके प्राणों के साथ ही उसकी आवाज भी हलक में अटक चुकी थी। सेलिना ने बिना कुछ बोले ही पिस्टल को उसके चेहरे के आगे किया और बिना किसी चेतावनी के ही पिस्टल का ट्रिगर दबा दिया।रोहित का चेहरा ठीक उसी तरह से बिखर गया, जैसे तरबूज पर गोली मारने से तरबूज बिखरता है। रोहित को गोली मारते ही सेलिना फिर से उन पेड़ो के झुरमुट के पीछे लापता हो चुकी थी।

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इंस्पेक्टर जावड़ेकर जब पुलिस स्टेशन पहुंचा तो शालू के अंकल को अपने इंतजार में वही बैठा हुआ पाया।जावड़ेकर ने अपनी कुर्सी पर बैठते ही उन्हें अपने पास बुलाया।

" क्या हुआ है, आपके साथ, इतनी बड़ी धोखाधड़ी कैसे हो गई आपके साथ" जावड़ेकर ने उन अंकल जी से पूछा।जावड़ेकर के पूछते ही अंकल जी ने शुरू से आखिर तक कि पूरी कहानी बिना रुके एक ही सांस में जावड़ेकर को बता दी।जब अंकल जी की बात खत्म हुई तो जावड़ेकर अवाक सा अंकल जी का चेहरा देख रहा था।

" क्या नाम बताया आपने उस एसआई का जो आपके साथ उस केलकर के फ्लैट पर गया था" जावड़ेकर ने एक बार फिर से पूछा।

" कोई मनोज दामले था सर!" अंकल जी की याददाश्त ठीक ठाक थी।

" लेकिन इस नाम से तो कोई एसआई हमारे पुलिस स्टेशन में नहीं है" जावड़ेकर ने कुछ सोचते हुए बोला।

" जी वो पुलिस वाला तो सीधा उस फ्लैट पर ही पहुंचा था, और मेरी भतीजी ही उससे लगातार बात कर रही थी" अंकल जी को अभी तक अपनी भतीजी के द्वारा ही ठगे जाने का एहसास नहीं हुआ था।

" आप हमारे साथ चलिये, आपने उस केलकर के फ्लैट को तो देख़ा होगा" जावड़ेकर अपनी सीट से खड़े होता हुआ बोला।

" हाँ सर!यही अंधेरी में ही उसका फ्लैट है, मैं आपको वहां ले चलूंगा" अंकल जी भी जावड़ेकर के साथ ही खड़े हो चुके थे।

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" ये गोली चलने की आवाज कहाँ से आई है" केलकर के कानों में गोली के धमाके की आवाज पड़ चुकी थी।

" लगता है मस्ती या जैकाल के हत्थे कोई चढ़ गया है, मस्ती ने तो बोला ही था कि जो भी मिले उसे उड़ाते चलो" फरजाना लापरवाही भरे स्वर में बोली।

" लेकिन गोली की आवाज से तो हमारे दुश्मन भी तो चौकन्ने हो जायेगे" केलकर बराबर अपना दिमाग चला रहा था।

" मजबूरी है केलकर डार्लिंग, इस वक़्त हमारे पास पिस्टल के अलावा कोई और हथियार नहीं है" फरजाना मुस्कराते हुए बोली।

" फिर तो हो सकता है कि इस गुरिल्ला युद्ध की जगह कुछ ही देर में आमने सामने का युद्ध न शुरू हो जाए" केलकर ने बोला।

" जब ओखली में सिर दे दिया तो मुसलो से क्या डरना" फरजाना ने अर्थपूर्ण मुस्कान के साथ जवाब दिया।

" वो रोहित अभी तक जूतों के फीते बाँधने में ही लगा हुआ है क्या, अभी तक तो उसे आ जाना चाहिए था" केलकर के पांव एकाएक चलते हुए रुक गए थे।

" हाँ यार!उसका तो मुझे ध्यान ही नहीं रहा, मुझे तो वो साला एक नंबर का फट्टू लग रहा है, उस बेमतलब इंसान को पता नहीं क्यो इस लूट में शामिल किया, कहीं भी किसी काम में तो वो शामिल नहीं रहा है" फरजाना के स्वर में रोहित के प्रति एक अजीब सी हिक़ारत थी।

" सही कह रही हो मेरी जिगर के छल्ले, बेकार में उसे हिस्सेदार बना रखा है उसे, लेकिन अब साथ में है, तो उसका ख्याल तो करना पड़ेगा" वे लोग चलते हुए और बात करते हुए हवेली तक का फासला तय कर चुके थे।

" देखकर आओ उस नाकारा इंसान को, मुझें तो लग रहा है वो डरकर कहीं छुपा हुआ बैठा है" फरजाना ने केलकर की ओर देखकर बोला।फरजाना की बात सुनते ही केलकर वही खड़े खड़े मुड़ गया। वो इस उम्मीद में सामने की ओर अपनी निगाहे जमाये हुए चला जा रहा था कि शायद रोहित उसे सामने से आता हुआ नजर आ जाये, लेकिन पचास मीटर से भी ज्यादा चलने के बाद बावजूद केलकर की वो उम्मीद पूरी नहीं हुई थी। तभी केलकर की निगाह एक नजारे पर पड़ते ही उसके कदम जहां के तहां रुक गए।न केवल उसके कदम रुक गए, बल्कि उसकी पिस्टल भी निकलकर अब उसके हाथ में आ चुकी थीं। सामने ही रोहित की लाश पथराई हुई आँखों से आकाश की ओर ही देख रही थी। केलकर के अब समझ में आया कि ये गोली की आवाज कहाँ से आई थी।उसने एक अनजाने भय से अपनी पिस्टल पर अपने हाथ को मजबूती से जमाकर अपने चारो और निगाह घुमाई। लेकिन उसे कहीं कोई नजर नहीं आया। तभी केलकर को ध्यान आया कि गोली की आवाज सुने हुए उसे काफी देर हो चुकी थी। रोहित का हत्यारा अभी तक वहां रुका हुआ नहीं हो सकता था, उसे अब खुद का भी वहां अकेले ठहरना मुनासिब नहीं लग रहा था। उसने रोहित की लाश के करीब भी जाना जरूरी नहीं समझा और वही से मुड़ गया। उसकी चाल में उस वक़्त गजब की फुर्ती आ चुकी थी। लेकिन तभी पेड़ो के उस झुरमुट के पीछे से एक सरसराहट हुई और सेलिना अपने हाथों में पिस्टल थामें हुए, केलकर की पीठ पर निशाना साधकर खड़ी हो चुकी थी।

" रुक जा केलकर!आज तक मौत की चाल से तेज कोई नहीं चल सका है" सेलिना की आवाज सुनते ही केलकर के कदम एकबारगी ही हल्के से ठिठके, लेकिन वो पलभर के लिए भी वहाँ रुका नहीं था, उसने एकाएक अपने पूरे दमख़म से दौड़ लगाई। तभी सेलिना की पिस्टल से निकली गोली कि रफ्तार ने सेलिना की इस बात को सच साबित कर दिया कि मौत से तेज आज तक कोई नहीं दौड़ सका है, गोली भागते हुए केलकर की पीठ को चीरते हुए केलकर के शरीर के ही किसी कोने में अपना रेन बसेरा बना चुकी थी। सेलिना ने एक हिक़ारत भरी नजर केलकर पर डाली।

" साले जो पीठ दिखाकर भागते है, वे पीठ पर ही गोली खाते है" सेलिना खुद से ही बड़बड़ाई। सेलिना एक पैर से ही घिसटते हुए फिर से उन पेड़ो के झुरमुट के पीछे खुद को पहुंचा चुकी थी।

उधर गोली की आवाज फरजाना के कानों में भी पड़ चुकी थी।इस बार गोली की आवाज उसके करीब से ही आई थी, इसलिये उसने गोली चलने की दिशा को तुरन्त भांप लिया। फरजाना की छठी इंद्री उसे किसी अनजाने खतरे का एहसास करवा चुकी थी। उसने अब उसी दिशा में बढ़ना शुरू किया, जिस तरफ केलकर रोहित को ढूंढने के लिये निकला था। केलकर को ढूढने में उसे किसी मसक्कत का सामना नहीं करना पड़ा था। चंद कदम चलते ही उसे केलकर की खून से लथपथ लाश नजर आ चुकी थी। लाश की स्थिति बता रही थी कि केलकर किसी से बचने के लिए उसी की ओर वापस भागा था, क्योकि केलकर इस वक़्त मुंह के बल उसी की दिशा में गिरा हुआ था, और गोली के सुराख के बारे में उसकी पीठ से बहता हुआ खून बता रहा था।ये सीन फरजाना की उम्मीदों के विपरीत था। ऐसा कौन शख्स था जो पीछे से आकर उन लोगों पर हमला कर रहा था।फरजाना इस वक़्त मन ही मन अपने दिमाग के घोड़े दौडा रही थी। अगर केलकर यहां मरा पड़ा है, तो रोहित भी इस वक़्त जिंदा शायद ही हो, फरजाना अभी तक ये फैसला नहीं कर पाई थी कि वो आगे जाकर रोहित को भी देखे या यही से वापिस लौट जाये।लेकिन इस वक़्त वापिस लौटना भी उसे खतरे से खाली नहीं लग रहा था। उसका दिमाग कह रहा था कि, जिसने भी केलकर को मारा है, वो जो कोई भी हो उसे आसपास ही होना चाहिए था। फरजाना की पिस्टल भी इस वक़्त उसके हाथ में चमकने लगी थी, उसने चौकन्नी निग़ाहों से अपने आसपास का जायजा लिया। अंधेरा अब घिरने लगा था। कुछ ही समय की बात थी कि जब वो जंगल का सुनसान इलाका अँधेरे और सन्नाटे में डूब जाना था। तभी पेड़ो के पीछे पत्तो के बीच में एक सरसराहट सी हुई। फरजाना ने एक सेकेण्ड के सौवें हिस्से से भी कम समय में उस सरसराहट को सुनते ही खुद को जमीन पर गिरा लिया था। तभी एक पिस्टल से निकली हुई गोली का धमाका गूंजा और गोली फरजाना के ऊपर से होती हुई पीछे की झाड़ियों में कहीं अपने अस्तित्व को तलाश करने लगी।फरजाना जमीन पर वही नहीं पडी रही, बल्कि वो जमीन पर ही लुढ़कती हुई बार बार अपनी जगह को बदलने लगी। लेकिन उस गोली के बाद वहां फिर से सन्नाटा छा चुका था। तभी फरजाना ने अपना पैतरा बदला और एक दम से उछल कर खड़ी हो गई और जिस दिशा से उसके ऊपर गोली चली थी, उसी दिशा में एक के बाद एक दो गोलियां झोंक दी। लेकिन उन चलाई हुई गोलियो का प्रतिफल फरजाना को मिल न सका। फरजाना अब दबे पांव उन पेड़ो के झुरमुट की तरफ बढ़ी। बढ़ता हुआ अंधेरा भी इस वक़्त फरजाना के लिये मुफीद साबित हो रहा था।लेकिन तभी! पिस्टल की ठण्डी नाल फरजाना की गर्दन पर लग गई। फरजाना की नजर जैसे ही उसकी गर्दन पर पिस्टल लगाने वाली शख्शियत पर पड़ी, तत्क्षण ही उसे समझ में आ गया कि बलवन्त भी मारा जा चुका है और अब बलवंत, रोहित और केलकर के बाद अब उसका टिकट भी इस दुनिया से कटने वाला है।

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इंस्पेक्टर जावड़ेकर एसआई सुनील महात्रे और अंकल जी इस वक़्त केलकर के फ्लैट में दाखिल हो चुके थे। गोल्डी के फ्लैट की तरह ही केलकर का फ्लैट भी खुला हुआ ही मिला था। दरवाजा खुला हुआ देखकर जावड़ेकर के मन में भी शालू को लेकर किसी अप्रिय आशंका ने जन्म ले लिया था।जावड़ेकर, महात्रे ने फ्लैट के अंदर कदम रखा, लेकिन जावड़ेकर को गोल्डी के फ्लैट की तरह से ये फ्लैट अस्तव्यस्त नहीं मिला था। जावड़ेकर फ्लैट के बाहरी हिस्से को अपनी बारीक निग़ाहों से देख रहा था, जबकि महात्रे, केलकर के बेडरूम की ओर बढ़ गया था। अंकल जी भी अब तक जावड़ेकर के पास आकर खड़े हो गए थे।

" फ्लैट में तो कोई नहीं है सर" महात्रे ने बैडरूम से बाहर आकर बोला।

 " कहीं शालू भी तो उस बैंक डकैती में शामिल नहीं है" केलकर ये बात मन ही मन बुदबुदाया था।

" फ्लैट की तलाशी अच्छी तरह से लो, देखो शायद शालू के गायब होने का कोई सुराग मिल जाये" प्रत्यक्ष में जावड़ेकर ने महात्रे को बोला।जावड़ेकर का आदेश पाते ही महात्रे अब फ्लैट को खंगालने लगा था।

" उस हरामी ने मेरी भतीजी को कहीं ले जाकर मार न डाला हो" तभी अंकल परेशान स्वर में बोले।

" अब आपकी भतीजी के साथ क्या हुआ होगा, ये तो मैं अभी कह नहीं सकता, लेकिन हम उसे ढूंढने की पूरी कोशिश करेगें" जावड़ेकर ने अंकल जी को दिलासा दिया।

" साहेब! इधर आइए" तभी महात्रे का तेज स्वर जावड़ेकर को सुनाई दिया तो जावड़ेकर तुरन्त उसके पास पहुंचा।

" ये एक डायरी है, इसमें बहुत सारी लड़कियों के नाम लिखे है और उस नाम के आगे पैसे भी लिखे है, जो कि लाखों में है" म्हात्रे ने एक डायरी जावड़ेकर कि तरफ बढ़ाई।जावड़ेकर ने फोरन से पेश्तर उस डायरी को खोला। डायरी में कम से कम एक दर्जन लड़कियों के नाम और उनसे ठगी गई रकम का ब्यौरा दर्ज था।

" ये आदमी तो ठग नहीं बल्कि महाठग था, हमें यहाँ की सोसाइटी की भी सीसीटीवी फुटेज देखनी पड़ेगी" जावड़ेकर ने डायरी के पन्ने पलटते हुए बोला, पन्ने पलटते हुए एकाएक एक जगह उसकी नजर ठहर गई।डायरी के एक पन्ने पर सेलिना का नाम पता और उसका फोन नंबर सब बड़े करीने से लिखा हुआ था...सेलिना के साथ ही फरजाना और शीबा के भी नाम और फोन नंबर दर्ज थे।

" एक बात समझ नहीं आई, जिन लड़कियों से इसने पैसे ठगे है, उन लोगों का तो सिर्फ नाम और रकम दर्ज है, लेकिन इन तीन लड़कियों का नाम के साथ फोन नंबर और पते तक दर्ज है" जावड़ेकर अपने पुलिसिया दिमाग को दौडा रहा था।

" हो सकता है, की ये लड़कियां उसका अगला निशाना हो" महात्रे ने कुछ सोचते हुए बोला।

" अगर ये लड़कियां उसका अगला निशाना होगी तो वो जरूर अभी इन लडकियों के संपर्क में होगा" जावडेकर इस वक़्त हर संभावना पर विचार कर रहा था।

" इन तीनो नंबर पर काल करके देखते है, कोई तो इस आदमी के बारे में बताएगा" महात्रे ने जावड़ेकर को सलाह दी। महात्रे की दी हुई सलाह जावड़ेकर को तुरन्त भा गई थी, और उसने सबसे पहले सेलिना का नंबर ही डायल कर दिया। सेलिना का नंबर इस वक़्त स्विच ऑफ आ रहा था। उसके बाद बारी बारी से जावड़ेकर ने शीबा और फरज़ाना का नंबर भी मिलाया, लेकिन नतीजा वही ढाक के तीन पात, वे नंबर भी स्विच ऑफ ही आ रहे थे।

" कमाल है!सभी नंबर स्विच ऑफ आ रहे है" जावड़ेकर ने महात्रे की तरफ देखतें हुए बोला।

" सर!इस बन्दे के फ्लैट को सीज करते है, और इसके कंप्यूटर को भी किसी एक्सपर्ट से जांच करवाते है, तभी इस बन्दे की जन्मकुंडली निकल कर सामने आएगी" महात्रे ने बोला तो जावड़ेकर ने भी सहमति में सिर को हिलाया।

" यहां के सीसीटीवी फुटेज देखने के बाद इस सेलिना नाम की लड़की के फ्लैट पर भी चलते है, यही पास की ही सोसाइटी में रहती है, अगर मिल जाती है, तो ऐसे ठग और फ्रॉड आदमी से तो कम से कम उसको अवगत करवा दी, और हो सकता है कि केलकर के बारे में भी कोई और जानकारी वहां से मिल जाये" जावड़ेकर ने महात्रे को बोला।

" ठीक है साहेब, चलिए फिर गार्ड रूम की तरफ चलते है" महात्रे ने बोला।

" तुम फ्लैट को ताला लगाओ फिर चलते है गार्ड के पास" जावड़ेकर ये बोलकर फ्लैट से बाहर गैलरी में खड़ा हो गया। महात्रे ने अंकल जी को भी फ्लैट से बाहर चलने का इशारा किया, और फ्लैट को बन्द करके उस फ्लैट की तालाबन्दी करने लगा।

    " इतनी गोलियां कहाँ पर चल रही है" मस्ती के कानों तक भी उन गोलियो की आवाज पहुंच चुकी थी।

" कहीं ददुआ के आदमियो से तो हमारे लोगों की मुठभेड़ नहीं हो गई है" बेवड़े ने अपना अंदाजा बताया।

" इतनी गोलियां चलने का तो यही मतलब है, और आवाज भी उधर से आ रही है, जिधर फरजाना का ग्रुप है" मस्ती ने बेवड़े की बात से सहमति जताई।

" गुरु फिर तो हमें उधर ही चलना चाहिए, क्योकि मुझे नहीं लग रहा है कि रोहित और केलकर में ऐसी किसी गोलीबारी का सामना करने की हिम्मत है..फरजाना इस लड़ाई में अकेली पड़ जाएगी" बेवड़े की बात से उसकी चिंता झलक रही थी।

" ठीक है, पहले उन दुश्मनों से ही मिल लिया जाए, जो अपने बिलो से बाहर आ गए है" ये बोलकर मस्ती के बढ़ते हुए कदम वापिस उस दिशा में मुड़ चुके थे, जिधर से गोलियो की आवाज आई थी।

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" जैकाल भाई !हम लोगों ने ये अलग अलग ग्रुप बनाकर अपनी ताकत को बांट तो नहीं लिया है...मुझे तो गोलियो की आवाज भी आने लगी है, कही हमारे लोगों को ददुआ के आदमियो ने घेर तो नहीं लिया है" चरसी भी गोलियो की उन आवाज से विचलित हो चुका था।

" लेकिन हम हवेली के इतने करीब आ चुके है, हमें अभी तक कोई आदमी क्यो नहीं दिखाई दिया" जैकाल का दिमाग इस वक़्त कुछ और सोच रहा था।

" क्या मतलब" चरसी उसके दिमाग को पढ़ नहीं पाया था।

" मतलब मुझे लग रहा है कि हमने सेलिना नाम कि नागिन को जिंदा छोड़कर बहुत बड़ी गलती कर दी है" जैकाल की सोच सबसे अलग थी।

" लेकिन सेलिना की हालत तो ऐसी नहीं है कि वो उस गाड़ी से उतरकर एक कदम भी चल सके" चरसी को जैकाल की सोच से इत्तेफाक नहीं था।

" सेलिना को मैं तुमसे ज्यादा जनता हूँ, मैं उसकी आखिर तक हार नहीं मानने की जिजीविषा को बहुत नजदीक से जानता हूँ, मैंने उसके साथ कई काम किये है" जैकाल ने चरसी को सेलिना की खूबियां बताई।

" अगर ऐसी बात है तो, उसके साथ बैठे हुए बलवन्त का तो अब तक बैंड बज चुका होगा" चरसी को अचानक ही बलवन्त का ख्याल हो आया था।

" तुम सही सोच रहे हो...हमें इस सेलिना को पहले घेरना होगा" जैकाल मन ही मन कुछ सोच चुका था।

" मैं तो तुम्हारे हुकुम का ताबेदार हूँ, जिधर कहोगे उधर ही चल पडूँगा" चरसी ने किसी सेवक के मानिंद अपने सिर को झुकाते हुए कहा। जैकाल भी उसकी इस अदा पर मुस्कराए बिना नहीं रह सका था। लेकिन अब उन दोनों के कदम भी वापसी की दिशा में बढ़ चुके थे।

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" सीसीटीवी फुटेज से एक बात तो साफ नजर आ रही है, की केलकर अकेला ही यहां से गया था, शालू को बाद में दूसरे लोग अपने साथ लेकर गये है, ये बिल्कुल वही पैटर्न है, जो मैंने गोल्डी की सीसीटीवी फुटेज में देख़ा था, वहां भी रोहित मनचंदा अकेला ही वहां से गया था, उसके बाद गोल्डी और उसकी माशूका को दूसरे लोग वहां से अपने साथ लेकर जाते हुए नजर आए थे" इंस्पेक्टर जावड़ेकर और सुनील महात्रे इस वक़्त जिप्सी में सेलिना के फ्लैट की ओर ही जा रहे थे।

" इसका मतलब तो एक ही है सर, की इस डकैती को किसी बड़े गिरोह के द्वारा संचालित किया गया है, और इन लोगों को मोहरा बनाकर इस्तेमाल किया गया है" महात्रे का दिमाग भी दो धारी तलवार की तरह से सोचने की क़ुव्वत रखता था।

" लेकिन अगर केलकर और रोहित मंचनदा किसी गिरोह के साथ काम कर रहे थे, तो इस गोल्डी और उसकी माशूका और फिर शालू को केलकर के फ्लैट से लेकर जाने का क्या मतलब है" जावड़ेकर ने महात्रे की ओर देककर पूछा।

" सर एक बात पर गौर नहीं किया आपने, शालू के अंकल बोल रहे है कि उनके साथ लाखो रु की धोखाधड़ी की गई है, फिर भी वो लड़की एक धोखेबाज के साथ उसके फ्लैट में रुकती है, और अपने अंकल को जबर्दस्ती वहां से अपने होटल भेज देती है, वो इस फ्लैट से तब भी नहीं जाती, जब केलकर फ्लैट से जा चुका होता है, बल्कि उसके जाने के बाद भी वो शायद केलकर के वापस आने के इंतजार में वहीं रुकी होती है, ये रिश्ता तो कुछ और ही बयां करता है" महात्रे ने जावड़ेकर की ओर देखकर बोला।

" मतलब!ये धोखाधड़ी का मामला एक नूरा कुश्ती है, जो अपने अंकल के सामने शालू, केलकर के साथ खेल रही है" जावड़ेकर अब हकीकत के करीब पहुंच चुका था।

" हालात तो यही इशारा कर रहे है" महात्रे ने बोला।

" लेकिन इन सबकी पुष्टि तो तभी होगी, जब ये लोग मिल जायेंगे, लेकिन मेरे सवाल का जवाब अब भी नहीं मिला है कि गोल्डी और शालू को क्यो गायब किया गया।

" इसका जवाब भी मिल जाएगा, पहले तो आप जिप्सी रोकिए, सेलिना वाला अपार्टमेंट आ गया है" महात्रे ने मुस्करा कर जवाब दिया। महात्रे की बात सुनते ही जावड़ेकर ने जिप्सी को उस अपार्टमेंट के अंदर घुसाने में कोई कोताही नहीं बरती। जिप्सी को अपार्टमेंट की उसी विंग के सामने रोका गया, जिस विंग में सेलिना का फ्लैट था।चंद मिनटों में ही जावड़ेकर और महात्रे सेलिना के फ्लैट के सामने खड़े थे।

" फ्लैट तो लॉक है सर" महात्रे ने दरवाजे के हैंडल को घुमाते हुए कहा।

" लगता है, मैडम फ्लैट पर नहीं है, बाद में आना पड़ेगा" जावड़ेकर की बात अभी खत्म ही हुई थी कि अंदर से ऐसी आवाज आई मानो कोई चीज़ ऊपर से नीचे गिरी हो।

" महात्रे फ्लैट में तो लग रहा है की कोई तो है" जावड़ेकर को वो कुछ गिरने की आवाज साफ साफ सुनाई दी थी।तभी ऐसा लगा मानो कोई घिसटता हुआ दरवाजे के पास आने की कोशिश कर रहा हो, कुछ ही पलों में अब किसी के गू गू करने की आवाज भी अब उनके कानों में आने लगी थी। जावेडकर ने असमंजस से महात्रे की ओर देखा।

" ऐसा लग रहा है कि कोई अंदर से मदद मांग रहा है" इस बार महात्रे ने भी पुष्टि की।

" आसपास के फ्लैट वालो को बुलाओ और उनकी उपस्थिति में दरवाजा खोलने का प्रयास करते है" जावड़ेकर ने महात्रे को बोला।जावड़ेकर की बात सुनते ही महात्रे दौड़ दौड़ कर उस फ्लोर के दूसरे फ्लैट की बेल बजाने लगा। कुछ ही देर में लोग अपने अपने फ्लैट से बाहर आकर सेलिना के फ्लैट के सामने मजमा लगा चुके थे।महात्रे ने वहां आये हुए लोगों को वहाँ की स्थिति के बारे में बताया। फिर उन लोगों के सामने ही उस दरवाजे पर जोर जोर से धक्के मारने लगा, पुलिस की मदद के लिए अब कुछ और उत्साहित लोग भी आगे आकर अपने कंधों का जोर उन दरवाजों पर आजमाने लगे।ज्यो ज्यो लोग दरवाजे पर धक्का मार रहे थे, वैसे ही अंदर से वो गू गू की आवाज और तेज होती जा रही थी।

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फरजाना को सेलिना के खतरनाक इरादों की भली भाँति जानकारी थी, वो जानती थी कि सेलिना अब किसी भी हाल में उसे जिंदा छोड़ने वाली नहीं है, लेकिन गर्दन पर पिस्टल लगी होने के बावजूद फरज़ाना जरा भी विचलित नहीं थी, और उसका दिमाग निरंतर अपने बचाव की दिशा में ही चल रहा था।

" अपने ऊपरवाले को आखिरी बार याद कर ले, क्योकि तुझ पर तो अपनी पिस्टल की बाकी बची हुई सारी गोलियां खर्च करने वाली हूँ, तूने सेलिना पर गोली चलाने की हिम्मत की है, तुझे अपनी इस हिम्मत की तो कीमत चुकानी ही पड़ेगी, दो टके की धंधेबाज" सेलिना ने ये बोलकर पिस्टल के ट्रिगर पर अपनी उंगलियों का दबाव बढ़ा दिया था।

" पता है मुझे, की तू मुझे जिंदा नहीं छोड़ेगी, लेकिन मरने से पहले सिर्फ इतना बता दे, की ये ददुआ कौन है, साले से मिलने के लिए ये दिल बहुत मचल रहा था" फरजाना ने सेलिना को बातो के फंदे में फ़साने की सोची।

" ददुआ तो एक छलावा है बस, वो कभी किसी के सामने नहीं आता...बस वो सुनाई देता है, दिखाई नही" सेलिना ने फरजाना की बात का जवाब दिया।

" तुमने तो ददुआ का बिस्तर जरूर गर्म किया होगा, इसलिये तुमने तो देखा होगा ददुआ को, बता कैसा दिखता हैं वो" फरजाना फिजुल की बातों में उसका वक़्त बर्बाद करना चाह रही थी।

" ज्यादा ख्याली पुलाव मत पका, चल बहुत बकलोली कर चुकी तू, अब जहन्नुम के लिए रवाना होने की तैयारी कर" सेलिना ने ये बोलकर जैसे ही पिस्टल का ट्रीगर दबाया वैसे ही फरजाना का जिस्म एकदम से नीचे की ओर बैठता चला गया। पिस्टल से निकली गोली फरजाना के पीछे पेड़ो के झुरमुट में बर्बाद हो गई।

" साली किस्मत की बहुत तेज है तू, लेकिन इस गोली से नहीं बच सकती तू" ये बोलकर सेलिना ने फिर से फरजाना पर निशाना साधा, लेकिन उससे पहले ही उसकी कनपटी पर एक पिस्टल लग चुकी थी।

" बहुत खेल चुकी तू मौत का खेल, अब तू मरने के लिए तैयार हो जा" वहां पर ये आवाज मस्ती की गूँजी थी, जो बेवड़े के साथ वहां पहुंच चुका था।लेकिन सेलिना ने मस्ती की बात का कोई जवाब नहीं दिया। वो एक पांव पर ही फिरकी की तरह घूमी, और मस्ती की पिस्टल की जद से खुद को दूर कर लिया, दूर होते ही उसने अपने पिस्टल से एक फायर मस्ती की दिशा में झोंका, फायर के तुरन्त बाद वहां एक चीख़ उभरी, अंधेरे की वजह से ये पता नहीं चल रहा था, की वो चीख़ किसकी थी, लेकिन फायर करते ही सेलिना फिर पेड़ो की ओट में दिखाई देनी बन्द हो गई।

" बेवड़े तू ठीक है न" ये मस्ती की आवाज थी जो उस अंधेरे में गूँजी थी।।तभी फरजाना लेटे हुए ही मस्ती के करीब आई, मस्ती के करीब ही बेवड़ा गिरा पड़ा हुआ था। तब तक दो जौडी कदमो की आवाज उन लोगों के अपने करीब दौड़कर आती हुई सुनाई दी। कुछ ही पल में जैकाल और चरसी उन लोगों के पास पहुंच चुके थे।

" ये औरत बहुत खतरनाक है, उसे हल्के में लेकर जिंदा छोड़ना हमारी सबसे बड़ी भूल थी" जैकाल की नजर भी दम तोड़ चुके बेवड़े पर पड़ चुकी थी।

" उसे ढूंढो, और उस साली में इतनी गोलियां भर दो की फिर कभी वो इस दुनिया में पैदा ही न होने पाए" चरसी अपनी भीगी आंखों के साथ बेवड़े के पास बैठ चुका था।

" अंधेरा घिर चुका है, इस जंगल में उसे इस वक़्त ढूंढ़ना, भूसे के ढेर में सुई ढूंढने के बराबर होगा" फरजाना ने इधर उधर नजर दौड़ाते हुए कहा।

" इसी अंधेरे में उसे ढूंढना है, मुझे नहीं चाहिये कोई करोड़ो की दौलत, मुझे इस वक़्त बस सेलिना की लाश चाहिए" चरसी एकदम से गुर्रा उठा था।

" हम सब बेवड़े और अपने बाकी साथियों की मौत का बदला लेगे, लेकिन अभी ये सोचो की उसका अगला कदम क्या हो सकता है" जैकाल इस वक़्त भावनाओ की बजाय सूझबूझ से काम लेना चाह रहा था।

" वो चार लोगों की जान ले चुकी है, मतलब उसकी पिस्टल में चार गोली तो चार लोगों को मारने पर खर्च हो चुकी है, दो गोली मुझ पर चलाते हुए वो बर्बाद कर चुकी है, इसका मतलब उसके पिस्टल में एक भी गोली नहीं बची है" फरजाना ने सोचते हुए बोला।

" तुम्हारी बात में दम है, अगर इस वक़्त उसकी पिस्टल में गोली होती तो वो हम पर चला चुकी होती" मस्ती को भी फरजाना की बात सही लगी थी।

" उसने चालाकी से काम लिया है, उसकी छापामार लड़ाई की वजह से हमारे इतने लोग मारे गये है" जैकाल ने बोला।

" जब वो पीछे से ही हमला कर रही है तो, हो सकता है वो पीछे से एक ही बार में पूरी पिस्टल हम सभी पर खाली कर देती, इस वक़्त हमारे चार ही लोग मरे है, उस समय और ज्यादा लोग मर सकते थे" मस्ती ने बोला।

" लेकिन वो इस समय या तो हवेली की तरफ जायेगी, या फिर वो यही कहीं घात लगाकर, हमारी किसी गलती का इंतजार कर रही होगी" जैकाल ने उन सभी की ओर देखते हुए बोला।लेकिन जैकाल ये बोलते हुए उन लोगों से पीछे की तरफ चलने के लिए भी बोल रहा था।पहले तो मस्ती को भी समझ नहीं आया, लेकिन फिर जैकाल का मन्तव्य समझ कर वो भी उल्टे पैर गाड़ी की तरफ चल दिया।इस वक़्त सभी लोग गाड़ी की तरफ बढ रहे थे, अब उनका पहला लक्ष्य सेलिना को मौत के घाट उतारना था।कुछ ही पलो में वे गाड़ी से कोई बीस मीटर दूर पेड़ो की ओट में खड़े हो चुके थे। वो पहले देखना चाहते थे कि कोई हलचल गाड़ी में नजर आ जाये, वो तभी उस गाड़ी पर चारों तरफ से गोलियां बरसाए।लेकिन गाड़ी में बिल्कुल शांति थी, वहां सेलिना नहीं पहुंची थी। इस वक़्त वे चारो आपस में बिल्कुल भी बात नहीं कर रहे थे।

" वो यहां तो नहीं पहुंची है" फरजाना हल्के से फुसफुसाई।

" अगर वो इधर नहीं आई है तो इसका मतलब वो हवेली की तरफ गई है, हों सकता है, इस बार वो अपने आदमियों के साथ हम पर हमला करें" जैकाल ने भी फुसफुसा कर ही जवाब दिया।

" हमें अब इस रास्ते की बजाय दूसरे रास्ते से हवेली की तरफ बढ़ना चाहिए" फरजाना ने कुछ सोचते हुए बोला।

" लेकिन इस वक़्त हवेली जाने वाला कोई भी रास्ता हमारे लिये सुरक्षित नहीं होगा, उन लोगों को ये खबर लग चुकी है, की हम लोग यहाँ पहुंच चुके है" जैकाल ने चिंतित स्वर में।बोला।

" लेकिन हम यहाँ तक आये है तो कुछ करके जायेगे, नहीं तो मर कर जायेगे" तभी चरसी ने बोला।

" चलो फिर!सोचना क्या है, चरसी की बात पर ही अपनी श्रद्धा के फूल चढ़ाते है" फरजाना ने भी चरसी की बात से सहमति जताई।

" हम लोग सीधे रास्ते से न जाकर समुंदर के रास्ते से उस हवेली के समुंदर की तरफ वाले रास्ते पर जाए तो शायद वो ज्यादा मुफीद रहेगा, क्योंकि समुंदर के रास्ते से वो हमारे आने की कल्पना भी नहीं कर सकते है" मस्ती ने अपना सुझाव दिया।

" मुझे ऐसा लग रहा है कि बैंक से लूटी हुई दौलत को ये लोग किसी निर्जन टापू पर लेकर जाना चाहते है, क्योकि मुम्बई में तो अब तक आग की तरह से ये खबर फैल चुकी होगी, और पुलिस हमें कुत्तो की तरह से सूँघती हुई ढूंढ रही होगी" जैकाल ने बोला।

" जो भी करना है, सोच समझ कर करना है, हमारी आधी ताकत तो खत्म हो चुकी है, बस हम चार लोगों को ही उन लोगों का मुकाबला करना है, जिनके बारे में हमें ये नहीं मालूम कि वे चार है, या चालीस" मस्ती ने जैकाल की तरफ देखते हुए बोला।

" चलो फिर समुंदर की तरफ से ही बढ़ते है, इस वक़्त जो अंधेरा है, उसका भी हमें फायदा मिलेगा" जैकाल ने बोला।जैकाल के बोलते ही वे लोग समुंदर के तट की ओर बढ़ने लगे।

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काफी लोगों की मसक्कत के बाद जाकर दरवाजा खुला था। दरवाजा खुलते ही जावड़ेकर की नजर फर्श पर पड़ी एक लड़की पर पड़ी जिसके हाथ पांव बुरी तरह से बंधे हुए थे। पुलिस को देखते ही उस लड़की की गू गूं की आवाज और तेज हो गई थी। जावडेकर से पहले ही महात्रे दौड़कर उस लड़की के पास पहुंचकर उसे बंधन मुक्त करने करने लगा। कुछ ही पलो में वो लड़कीं बंधन मुक्त होकर इस वक़्त लंबी लम्बी सांसे ले रही थी।तभी उस भीड़ में से एक आदमी किचन की ओर दौड़ा, और एक गिलास में पानी लेकर आया और उस लड़की को घूँट घूंट पिलाने लगा। पानी पीने के बाद उस लड़की की जान में कुछ जान आई थी।

" सर!उस कमरे में दो लोग और मेरी तरह से ही बंधे हुए पड़े है" उस लड़की ने एक कमरे की तरफ इशारा करते हुए बोला।

" पहले तुम अपना नाम बताओ, और तुम्हारी ये हालत किसने बनाई हैं" जावडेकर ने उतावले स्वर में पूछा।

" जी मेरा नाम शालू है, मुझे मेरे दोस्त के घर से किडनैप करके यहां लाया गया है" बंधक बनी हुई लड़की का नाम शालू सुनते ही जावडेकर के साथ साथ म्हात्रे के कान भी खड़े हो चुके थे।

" तुम्हारे उस दोस्त का नाम सदाशिव केलकर है" जावडेकर ने

अपनी तीक्ष्ण दृष्टि शालू पर डालते हुए पूछा।

" जी, लेकिन आपको कैसे मालूम, उन्होंने मेरे बारे में कोई पुलिस रिपोर्ट लिखवाई है क्या" शालू ने असमंजस भरी आवाज में पूछा।

" केलकर भी तुम्हारी तरह ही लापता है, रिपोर्ट तो तुम्हारे अंकल ने लिखवाई है" जावडेकर ने शालू की बात का जवाब दिया। तब तक महात्रे अंदर के कमरे से गोल्डी और जूली को भी वहां लेकर आ चुका था।

" आइए गोल्डी साहब!आप भी बता दीजिए कि आप लोग यहां कैसे पहुंचे और इसके पीछे की वजह क्या है" जावडेकर ने उन दोनों को ऊपर से लेकर नीचे तक निहारते हुए पूछा।

" जी हमें तो खुद नहीं मालूम कि हमें इस तरह से दो दिनो से बंधक बनाकर इस खाली फ्लैट में क्यो रखा गया है" गोल्डी ने अनजाने स्वर में बोला।

" इस फ्लैट में कोई नहीं रहता, लेकिन हमें तो बताया गया है, की यहां पर सेलिना नाम की लड़की रहती है" महात्रे ने इस बार बातचीत के बीच में दखल दिया।

" हमें तो जब यहां लाया गया था, तब से तो ये फ्लैट खाली ही पड़ा है" गोल्डी की जगह इस बार जूली ने जवाब दिया।

" जिन लोगों ने आपका किडनैप किया, उन लोगों के बारे में जानते हो, कौन लोग है वो" जावडेकर अब शालू को भूलकर गोल्डी के पीछे लग चुका था।

" नहीं जानता सर" गोल्डी ने सपाट लहजें में बोला।

" रोहित मंचनदा को तो जानतें होंगे...उन छह गोलियों के बारे में तो जानते होंगे, जो आपने अपने फ्लैट में किसी को मारी थी, उस बन्दे को तो जानते ही होंगे, जिसके साथ आप कल की रात में हमप्याला और हमनिवाला हो रहे थे" जावडेकर के शब्दों और तल्ख होती आवाज से लग रहा था कि वो गोल्डी के जवाब से संतृष्ट नहीं है।लेकिम गोल्डी एक साथ इतने सवाल सुनकर हक्काबक्का रह गया था।

" आपको ये सब कैसे मालूम" गोल्डी ने हैरानी से पूछा।

" पहले मेरी बात का जवाब दो, रोहित मंचनदा को जानते हो" जावडेकर ने उसी तल्ख स्वर में बोला।

" जी जानता हूँ!वो रेसकोर्स में रेस खेलने आता है, उसी दौरान रेस में पैसा लगाने के लिए उसने मेरे से बीस लाख रु लिए थे, जिन्हें वो लौटा नहीं रहा था, तो उसी विषय में बात करने के लिए मैंने उसे अपने घर बुलाया था" अब गोल्डी किसी रट्टू तोते की तरह से बोलता चला गया।

" उसी रकम की वसूली के लिए उस पर छह गोलिया चला दी तुमने" इस बार महात्रे ने बोला।

" नहीं साहब!वो तो बस उसे डराने के लिए उसके पैरो के आसपास फर्श में मारी थी" गोल्डी ने अब सब सच बताने में ही भलाई समझी।

" सच बोल रहे हो, उन गोलियों से किसी की जान तो नहीं ली तुमने" जावडेकर ने गहरी नजरों से उन दोनों को देखते हुए पूछा।

" नहीं साहब! किसी की जान नहीं ली, आप भी जब घर गए होंगे, तो आपको भी घर बिखरा हुआ मिला होगा..हमें तो कुछ समेटने तक का मौका नहीं मिला, रोहित मंचनदा के घर से जाते ही चार लोग मेरे फ्लैट में घुसे, और हमें अपनी पिस्टल की नोंक पर उठा लाये" गोल्डी ने बोला। इनमें से कुछ बाती की तस्दीक जावडेकर पहले ही सीसीटीवी के जरिए कर चुका था।

" अब रोहित मंचनदा ने तो तुम्हारा किडनैप करवाया नहीं होगा, कुछ तो अंदाजा होगा कि तुम्हे किडनैप करने वाले कौन लोग है" जावडेकर ने फिर से पूछा।

" सर!वे लोग किसी ददुआ का नाम ले रहे थे" तभी शालू ने जावडेकर की बात का जवाब दिया। ददुआ का नाम सुनते ही वहां एकबारगी खामोशी पसर गई।

" तुम्हारे सामने भी ददुआ का नाम लिया गया था" जावडेकर फिर से गोल्डी से मुखातिब हो चुका था।

" जी!वे ददुआ का ही नाम ले रहें थे" गोल्डी ने मरी सी आवाज में बोला था।

" म्हात्रे थाने से और कुछ लोगों को बुला लो, मुझे लगता है यहां इस फ्लैट में ही कोई बड़ा खेल हुआ है, इस फ्लैट का चप्पा चप्पा छान मारो...अभी यहाँ के सीसीटीवी कैमरे भी खंगालने होंगे" जावडेकर अब एक ठोस नतीजे पर पहुंच चुका था।

" जी साहेब" महात्रे ये बोलकरअपने फोन से थाने में अपने किसी मातहत को फोन मिलाने लगा था।जावडेकर अब घूम घूम कर पूरे फ्लैट को चेक कर रहा था।

" महात्रे फोरेंसिक टीम को भी तलब करो, मुझें लगता है बैंक रॉबरी में शामिल सभी लोगों ने इसी फ्लैट को अपना ठिकाना बनाया हुआ था" जावडेकर फ्लैट की किचन से ही तेज आवाज में महात्रे को बोला। जावडेकर की उत्साह में डूबी हुई आवाज को सुनकर महात्रे भी तेज कदमों से किचन में पहुंच गया था।

" सिंक में झूठे बर्तनों का ढेर देखो महात्रे, लगता है, यहाँ करीब आठ दस लोग रह रहे थे" जावड़ेकर अब हर सूक्ष्म सी सूक्ष्म चीज़ को बारीकी से देख रहा था।

" अब तो ये गुत्थी भी सुलझती जा रही है कि ये तीनो लोग यहां कैसे आये है सर" महात्रे ने हल्की सी मुस्कान के साथ बोला।

" तुम्हारी समझ में गुत्थी का कोई हल सुझा है तो बताओ, वैसे कुछ कुछ तो मैं भी समझ गया हूँ" जावडेकर ने महात्रे की ओर देखकर बोला।

" केलकर और रोहित मंचनदा दोनो ही इन लोगों के कर्ज में डूबे हुए थे, और रकम भी कोई छोटी मोटी नहीं थी, ये लड़की भी अपने अंकल के साथ दिल्ली से यहां तक केलकर पर अपने पैसे की वापसी का ही दबाव बनाने के लिए ही आई होगी, ऐसे ही गोल्डी ने रोहित मंचनदा के ऊपर भी दबाव बनाया होगा, उसी दबाव के चलते इन दोनों आदमियो ने इन लोगों के सामने डकैती की बाबत अपना मुंह फाड़ा होगा, और उसी मुंह फाड़ने की बदौलत इन लोगों का किडनैप किया गया होगा, ताकि ये लोग किसी और के सामने डकैती की बाबत मुंह न फाड़ सके" महात्रे हर सूरत में इस केस के सॉल्व होने के बाद तरक्की का हकदार था, ये उसकी सोच दर्शा रही थी। जावडेकर मन्त्रमुग्ध सा महात्रे को निहारता रहा।

" बिल्कुल सही जगह पहुंचे हो महात्रे, अब इन लोगों को हल्का सा डरा धमका कर इनके ही मुंह से ये सच्चाई भी उगलवा लेते है" ये बोलकर जावडेकर तेज कदमो से हाल की तरफ बढ़ गया। महात्रे ने भी उसी का अनुसरण किया।

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समुंदर की तरफ से भी हवेली में घुसना कोई आसान काम नहीं था, हवेली की तरफ जंगल से आते हुए जिन गुर्गों के दर्शन तक दुर्लभ थे, इस तरफ हर दस कदम पर कोई न कोई गुर्गा अपनी उपस्थिति दर्ज करवा रहा था।उन गुर्गो पर नजर पड़ते ही उन चारों के कदम वही पर ठिठक गए थे।

" इधर तो ददुआ ने अच्छी खासी फौज तैनात कर रखी है" जैकाल के मुंह से एक स्वत् स्फूर्त आवाज निकली।

" कोई नही, इन भाड़े के लोगों का इलाज भी करेंगे, बस ये देखो की अपनी अपनी पिस्टल में गोलियां कितनी है, बस एक भी गोली बिना कोई शिकार किये खाली नहीं जानी चाहिए" फरजाना ने हौसला बढ़ाने वाले शब्द बोले।

" लेकिन एक भी गोली चलते ही सभी लोग न केवल चौकन्ने हो जायेंगे, बल्कि एक साथ हम पर टूट भी पड़ेंगे, इस वक़्त एक मात्र रास्ता इन लोगों पर सीधा हमला ही नजर आ रहा है, बस जो भी नजर आए उसे गोली मारो और आगे बढ़ो, बीस तीस लोगों से ज्यादा गुर्गे नहीं होंगे, क्योंकि इन लोगों को सपने में भी ये उम्मीद नहीं होगी कि हम में से कोई यहाँ आ भी सकता है" मस्ती ने गंभीरता से पूरे हालात को समझते हुए बोला।

" मस्ती सही कह रहा है, खुद को छुपाते हुए आगे बढ़ो, और जो भी दिखे उसे गोली मारते चलो, और जिन लोगों के हथियार काबू में कर सकते हो, उस मौके को भी हाथ से जाने न दो" फरजाना भी अब मस्ती के बताए हुए रास्ते पर ही चलना चाहती थी। फरजाना की बात पर जैकाल और चरसी ने भी अपना सिर सहमति से हिलाया और अब वो हवेली की तरफ अपने अपने हाथों में पिस्टल लेकर चल पड़े थे। एक नजरिये से ये एक आत्मघाती कदम था, लेकिन इसके सिवा अब कोई रास्ता भी नहीं था।लेकिन वहाँ अब तक छा चुका घनघोर अंधेरा उन लोगों के इरादों को परवान चढ़ा सकता था।

                          ********

फ्लैट में स्थानीय पुलिस स्टेशन से पांच पुलिसकर्मी उन लोगों की सहायता के लिये वहां पहुंच चुके थे। बे सभी लोग इस वक़्त उस फ्लैट की चप्पे चप्पे की तलाशी ले रहे थे।

" साहब यहां तो मोबाइल का ढेर लगा हुआ है" एक पुलिसिये की आवाज सुनते ही जावडेकर की तवज्जो उधर जा चुकी थी, और वो तेज कदमो से उस पुलिसिये तक पहुँच चुका था।

" ये लगता है उन्ही लोगों के फोन है, जो यहां रुके हुए थे" जावडेकर ने उन फोन की थैली को अपने हाथ में पकड़ते हुए बोला।

" जी साहब, यहां तो ऐसा लग रहा है जैसे किसी कॉरपोरेट कंपनी का आफिस चल रहा हो, यहाँ तो नक्शे वगेरह सब मिल रहे है साहब" तभी दूसरे पुलिसिये की आवाज ने भी जावडेकर को चौंका दिया था। तब तक वो पुलिसिया उस नक्शे को लेकर जावडेकर के पास पहुंच चुका था।

" ये तो फोर्ट एरिया का नक्शा है, जहाँ पर वो डिज्नी बैंक है, जिसमें डकैती हुई थी" जावडेकर उस नक्शे पर गौर से अपनी नजर जमाते हुए बोला।

" सर, अब इन फोन से ये पता लगाना तो आसान होगा कि कौन कौन लोग इस डकैती में शामिल है, किसी न किसी फोन में सभी लोगों के नाम डायलर लिस्ट में मिल जायेंगे..अब हमें ये पता लगाना है कि उन लोगों का डकैती के बाद इतनी बड़ी रकम को लेकर कहाँ जाना था" महात्रे ने जावडेकर को बोला।

" ये फरेंसिक टीम अभी तक क्यों नहीं पहुँची, महात्रे जरा फिर से उन लोगों को फोन लगाओ और दरवाजे से इस भीड़ को भी हटाओ" जावडेकर ने महात्रे की बात सुनने के बाद बोला।

" जी सर" ये बोलकर महात्रे मोबाइल पर किसी से बात करते हुए, दरवाजे पर खड़ी भीड़ को हटाने के लिये जाने लगा। अंदर पुलसिये उस फ्लैट को अच्छे से उधेड़ने में लगे हुए थे। गोल्डी, जूली और शालू सहमें हुए से एक कोने में खड़े हुए अब अपने बचाव की सूरत तलाश रहे थे।

" साहब फोरेंसिक टीम भी पहुंच चुकी है, वो अपार्टमेंट में ही लिफ्ट में है" महात्रे ने आकर जावडेकर को बताया। जावडेकर अब इस डकैती की सभी कड़ियों को आपस में जोड़ने के लिये गहन सोच में डूब गया था। तभी फोरेंसिक टीम का भी फ्लैट में प्रवेश हो चुका था।

क्रमशः


   

                          



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