anil garg

Crime Thriller

4.5  

anil garg

Crime Thriller

बदमाश कंपनी-12

बदमाश कंपनी-12

10 mins
437


मिल के अहाते में कदम रखते ही उन दोनों का पीछा करने वाले उन दोनों जोड़ी कदमो की चाल पर भी विराम लग चुका था। चरसी और बेवड़ा दोनों ही अपना पीछा करने वालो से बेखबर होकर अपने ठिकाने की ओर बढ़े जा रहे थे। उनका पीछा करने वाले कदमो में फिर से हरकत आ चुकी थी। उस आगे वाले बन्दे ने लगभग दौडतें हुए मिल के अहाते में प्रवेश किया..लेकिन तब तक बेवड़ा और चरसी दोनो ही न जाने मिल के किस हिस्से में मुड़कर उस आदमी की नजरों से ओझल हो चुके थे। वो बन्दा सधे हुए कदमो से अपनी नजरो को तीक्ष्ण तरीके से इधर उधर डालते हुए आगे बढ़ रहा था। तभी उसके आसपास कुछ ऐसी आवाज हुई मानो किन्ही पत्तो की सरसराहट हो। उसके आगे बढ़ते हुए कदमो पर फिर से ब्रेक लग गया था। उसने वही खड़े होकर अपनी चौकन्नी निग़ाहों से फिर से इधर उधर देखा...लेकिन रात के अंधेरे में जबकि हाथ को हाथ नही सुझाई दे रहा था...उसका किसी को देख पाना असंभव ही था। उसने कुछ देर वही खड़े होकर कुछ सोचा और उस वक़्त उसका उस मिल के अंदर तक जाने का शायद साहस नही हुआ होगा..इसी वजह से उसके आगे बढ़ते हुए कदमो ने वापस मुड़ना शुरू कर दिया। लेकिन अभी वो मुड़ा ही था की उसकी उसकी गर्दन पर किसी की बाजुओं का शिकंजा कसता चला गया। वो बाजू जिस किसी बन्दे की थी...उसकी पकड़ बहुत मजबूत थी...वो बन्दा उस शिकंजे में सिर्फ फड़फड़ा कर रह गया था। उसके बाद उस बन्दे में उसे अंदर की ओर घसीटना शुरू कर दिया था। वो बिना किसी प्रतिरोध के जमीन पर घसीटता चला जा रहा था। अब तक उसे ये एहसास हो चुका था कि घसीटने वाला बन्दा अकेला नही था..उसके साथ एक बन्दे के कदमो की आहट और भी उसे सुनाई दे रहे थे। उस बन्दे को अब लगने लगा था कि आज की रात शायद उसकी जिंदगी की आखिरी रात होने वाली थी।

                                  ********

उसी बन्दे के पीछे आने वाला बन्दा भी कुछ देर बाहर इंतजार करके इस वक़्त मिल में प्रवेश कर चुका था। उसे वहां होने वाली घटना का अभी तक कोई अंदाजा नही था। उस बन्दे ने बेफिक्री के आलम में अपनी जेब से एक सिगरेट का पैकेट निकाला और जैसे ही उसने सिगरेट जलाने के लिये लाइटर जलाया वैसे ही लाइटर की आग की रोशनी में उसका चेहरा चमकने लगा। वो कोई और नही पुलिसिया फूलचंद यादव ही था।शायद पुलिसिया होने की वजह से ही वो बेफिक्री से सिगरेट के कश लगाते हुए आगे बढ़ा जा रहा था। क्योकि वो अपने शिकारों के बारे मे जानता था कि वो लोग उसके सामने पड़ते ही मूत देगे। तभी वो हुआ जिसका यादव का जरा सा भी अंदाजा नही था। यादव को भी किसी ने अपनी बाजुओं के शिकंजे में कस लिया था। यादव भी उस पहले वाले बन्दे की तरह से ही उस शिकंजे में फड़फड़ा कर रह गया था। उसके बाद यादव को भी उसी प्रकार से घसीटते हुए ले जाया जाने लगा। यादव भी कोई प्रतिकार करने की हालत में नही था। उसे इस बात का एहसास जरूर हो गया होगा कि हर वक़्त पुलिसिया अकड़ में नही रहना चाहिए..वैसे भी इतने अंधकार में पुलिस की वर्दी किसी को कहां नजर आई होगी।

                            ************

"वही हुआ जिसका डर था"मस्ती इस वक़्त बेवड़े और चरसी के सामने खड़ा होकर थोड़े से रोष भरे स्वर में बोला।

"यादव का तो तेरे पीछे आना समझ मे आता है..लेकिन वो तेरी उस सांसी का आदमी कैसे तेरे पीछे आ गया..तुमने जरूर उसके आगे इस लूट के बारे में मुंह फाड़ा होगा"फरजाना अब तक बेवड़े के सिर पर आकर सवार हो गई थी।

"अभी ये वक़्त बातो में जाया करने वाला नही है...जितनी जल्दी हो सके यहां से निकलो...क्योकि जब यादव यहाँ पहुंच सकता है तो वो इंस्पेक्टर राज तो इस यादव का भी बाप है..इससे पहले की ये दोनों होश में आये...यहाँ से निकल लो"कल्लन ने समझदारी भरी बात की।

"इन दोनों को यहीँ मार कर गाड़ देते है....किसको पता होगा कि ये दोनों यहां आए हुए हैं "तभी बेवड़े ने नशे में बकलोली की।

"ताकि पूरे राजनगर की पुलिस हमारी जान के पीछे हाथ धोकर पड़ जाए..और हमे पाताललोक से भी ढूंढ कर हमारा एनकाउंटर कर दे"मस्ती ने बेवड़े की तरफ तिरष्कार भरी नजरो से देखते हुए बोला।

"नही अभी तक हमने किसी की जान नही ली है...हम किसी की जान नही लेगे" फरज़ाना ने भी मस्ती की बात का समर्थन किया।

"बाकी बाते बाद में करेंगे...मैं तो इस झमेले में अपने यार गंजेडी को भूल ही गया था...उसकी पुड़िया उसे दे दो गुरु..बेचारा कब से तड़प रहा है"बेवड़े ने अपनी जेब से कुछ पुड़िया निकाल कर मस्ती की तरफ बढ़ाई।

"गंजेडी की बात बाद में करते है...ये बता चरसी तुझे कहाँ मिल गया..और इसे पुलिस ने बिना किसी की जमानत लिए छोड़ कैसे दिया"मस्ती ने उन पुडियो को पकडते हुए पूछा।

"गुरु ये तो मुझे उस सांसी के अड्डे पर ही मिला था"बेवड़े ने चरसी की ओर देखते हुए बोला।

"हम पुलिस के ट्रैप में फंस चुके है...चरसी को उन्होंने जान बूझकर छोड़ा है...और चरसी के पीछे लग कर ही यादव यहां तक पहुंचा है"फरजाना ने तुरन्त अंकगणित लगाया।

"मतलब पुलिस अपने दलबल के साथ कभी भी यहाँ पहुंच सकती है"कल्लन ने सभी की ओर देखकर बोला।

"बशर्ते यादव पुलिस के प्लान के अनुसार यहाँ आया होग़ा तो..समझ लो हमारी आज़ादी कुछ ही समय की बात रह गई है"मस्ती ने कुछ सोचते हुए बोला।

"अब यहां खड़े खड़े बाते मत बनाओ...इस मिल के पीछे वाले गेट से निकलो सब"कल्लन ने बोला।

"लेकिन गंजेडी की लाश का क्या करे"तभी फरज़ाना के मुंह से निकला।

"गंजेडी की लाश..क्या हुआ गंजेडी को"बेवड़ा बदहवास स्वर में बोला।

"नशे की पुड़िया न मिलने की वजह से वो तुम्हारे जाते ही मर गया था"मस्ती ने दुखी स्वर में बेवड़े को बोला।

"लाश को तो हमे यही छोड़कर जाना होगा...पुलिस तो यहां पहुंचेगी ही अब..वही उसकी मिट्टी को ठिकाने लगायेगी"कल्लन के मुंह से ये निकलते ही बेवड़े ने जलतीं हुई निगाहों से उसकी और देखा।

"कल्लन ठीक कह रहा है...इस वक़्त अगर हम यहां और ज्यादा देर ठहरे तो हमारी भी लाशें यही पड़ी मिलेगी"मस्ती ने बेवड़े की निगाहो का ताप समझते हुए बोला।

"लेकिन गंजेडी की लाश को ऐसे लावरिस की तरह से कैसे छोड़कर जाए"इस बार चरसी ने आपत्ति जताई।

"अगर तुरन्त यहाँ से नही निकले तो हम सबकी लाशें भी यहाँ लावरिस ही पड़ी होगी"फरज़ाना चिंतित स्वर में बोली।

"मैं तो जा रहा हूँ...जिस किसी ने आना है वो मेरे पीछे आ सकता है"मस्ती को अब इसके अलावा और कोई रास्ता नहीं नजर आ रहा था। उसके ऐसा करने से हो चरसी और बेवड़े को वहाँ से हिलाया जा सकता था।मस्ती ने पैसो से भरा बैग उठाया और वहां से बाहर निकल गया। उसके पीछे ही पहले फरजाना और फिर कल्लन भी बाहर निकल गए। वे लोग अब मिल के पीछे वाले रास्ते की ओर बढ़ रहे थे। कुछ देर के बाद मस्ती ने पीछे मुड़ कर देखा तो बेवड़ा और चरसी भी कदम ताल मिलाते हुए उनके पीछे आ रहे थे। उन दोनों को पीछे आते हुए देखकर मस्ती ने राहत की सांस ली थी।

                              ***********

"अभी तक यादव का कोई फ़ोन क्यो नही आया...उसने चरसी को उसके दूसरे साथी के साथ देखे हुए तो दो घँटे से ऊपर हो चुके है"इंस्पेक्टर राज इस वक़्त अपने कुछ मातहतों के साथ कोरवाली मे ही ही बैठा हुआ था। चरसी को छोड़ना और उसका पीछा करके उसके साथियों तक पहुंचने की पूरी योजना का खाका राज ने ही खिंचा था। स्केचर की मदद से जो तस्वीर उभर कर आई थी..उसने मस्ती और फरज़ाना का चेहरा पुलिस के सामने उजागर कर दिया था। उसके बाद ही यादव ने मस्ती के बाकी साथियों के बारे में राज को बताया था और मस्ती तक पहुंचने के लिये चरसी को पुलिस की हिरासत से छोड़ा गया था...चरसी के छूटते ही यादव साये की तरह से चरसी का पीछा कर रहा था। उसकी मेहनत रात होते होते रंग ले आई थी जब चरसी की उस दारू के अड्डे से निकलते हुए बेवड़े से मुलाकात हो गई थी। चरसी और बेवड़े की मुलाकात के बाबत यादव ने इंस्पेक्टर राज को खबर कर दी थी...और उसके अगले फ़ोन का इंतजार करने के लिये बोला था। इंस्पेक्टर राज इस वक़्त यादव की उसी फोन कॉल का इंतजार कर रहा था। वो इस वक़्त अपनी पूरी टीम के साथ मस्ती और उसके साथी लुटेरो को पकड़ने के लिये कोतवाली में तैयार बैठा था।

"यादव साहब कही उन बदमाशो के हत्थे ही तो नही चढ़ गए...उनके फ़ोन की लोकेशन का पता कीजिये सर" देशराज मीणा नाम के उस हवलदार ने राज की तरफ देखते हुए बोला।

"अब तो लगता है यादव की लोकेशन ही ट्रेस करनी पड़ेगी...क्योकि अब तक तो यादव का फोन आ जाना चाहिए था"राज ये बोलकर कोतवाली के वायरलेस रूम की ओर बढ़ गया। रूम में पहुंचकर उसने ऑपरेटर से यादव के फोन को सर्विलांस पर लगाने का आदेश दिया। राज का आदेश मिलते ही ऑपरेटर तुरन्त उसके पालन में जुट गया।

                               **********

मिल के पिछले गेट से निकलते ही एक सफेद रंग की मारुती aउनके इंतजार में खड़ी हुई मिली। गाड़ी का इंतजाम कल्लन ने उसी वक़्त किया था। वे सभी लोग गाड़ी में सवार हुए और शहर से बाहर जाने वाले रास्ते की ओर बढ़ गए।

"मेन रोड से मत चलना..अंदर के रास्तों से निकलना...मुख्य मार्ग पर पुलिस की नाकेबंदी हो सकती है"कल्लन गाड़ी के ड्राइवर से बोला।

"जी भाईजान...आप बेफिक्र रहिये....पुलिस की नजर से बचाकर शहर से बाहर बन्दों को निकालने के पुराने खिलाड़ी है ...आप बेफिक्र होकर बैठे रहिये"ड्राइवर कोई इस लाइन का पुराना चावल लग रहा था। ड्राइवर की बात को सुनकर कल्लन के चेहरे पर एक अर्थपूर्ण मुस्कान उभर आई थी। गाड़ी रात के अंधेरे को चीरती हुई इस वक़्त अपनी पूरी रफ्तार से दौड़ रही थी।

                             **************

"जनाब यादव साहब के मोबाइल की लोकेशन तो उस मिल की आ रही है जो वर्षो पहले बंद हो चुकी है"ऑपरेटर ने राज की तरफ देखकर बोला।

"ओह्ह..तो ये लोग यहां छिपे हुए थे...हम लोगों के ध्यान में ये जगह क्यो नही आई"राज मानो अपने आप से बड़बड़ाया हो।

"साहब ये लोकेशन एक ही जगह की आ रही है...कोई मूवमेंट नही है..या तो यादव साहब एक ही जगह पर रुके हुए या कोई और वजह भी हो सकती है"ऑपरेटर ने शायद राज की बात को सुन लिया था।

"हमे फोरन मिल पर धावा बोलना चाहिए....किसी को मिल की पूरी भौगोलिक जानकारी है क्या"राज ने असमंजस से ऑपरेटर की तरफ ही देखा।

"साहब!उस एरिया का बीट ऑफिसर ही इस बारे में कुछ बता सकता है"ऑपरेटर की बात सुनकर राज हल्का सा ये सोचकर झुंझला उठा था कि ये मामूली सी बात उसे क्यो नही समझ मे आई। वो वहां के बीट वाले सिपाही को तलब करने के लिये तुरंत बाहर निकल गया था।

                               *********

उन लोगो की गाड़ी एक सीमांत गांव में इस वक़्त एक बड़े से मकान में घुस चुकी थी। गाड़ी के रुकते ही सबसे पहले असमंजस से मस्ती ने ही कल्लन की ओर देखा था।

"गाड़ी यहां क्यो लेकर आये हो..हमे तो शहर से बाहर जाना था "मस्ती ने कल्लन को बोला।

"आज की रात यही रुकना होगा..यहां से कल सुबह निकलेंगे...क्योकि हम शहर के आखिरी गांव में है...लेकिन रात को चेकपोस्ट आसानी से पार नही हो पाएगी...इसलिए सुबह निकलेंगे मस्ती भाई"कल्लन की बात सुनकर मस्ती ने संशय से कल्लन की ओर देखा। लेकिन उसने कुछ बोला नही और चुपचाप गाड़ी से उतर गया।वो मकान कोई पांच सौ गज में बना हुआ पुराने टाइप से बना हुआ दुमंजिला मकान था। बे पाँचों लोग गाड़ी से उतर कर अंदर की ओर बढ़ गए थे। कल्लन उन लोगो के आगे आगे चल रहा था। फरज़ाना बेफिक्री के अंदाज में चल रही थी। बात बात पर सवाल खड़ा करने वाली इस लड़की ने एक बार भी कल्लन से यहाँ रात को रुकने पर सवाल नही किया था। मस्ती को फरज़ाना की यही चुप्पी हजम नही हो रही थी। मस्ती ने एक बात और नोट की थी...लूट होने के बाद से फ़रज़ाना हर बात में कल्लन की हाँ में हां मिला रही थी। मस्ती की छठी इंद्री इस वक़्त किसी अनहोनी की आशंका जता रही थी।

क्रमशः



Rate this content
Log in

Similar hindi story from Crime