anil garg

Crime

4.5  

anil garg

Crime

बदमाश कंपनी-16

बदमाश कंपनी-16

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आज दुकान में उस बैंक के नीचे की नींव को काटते हुए छठा दिन था और दो आदमियो के खड़े होने की जगह वे लोग बना चुके थे। अब महज एक गोल घेरा काटना था,जो कि नक्शे के मुताबिक वॉल्ट रूम के अंदर ही जाकर खुलना था। सारा काम अभी तक कि योजना के मुताबिक ही चल रहा था। वॉल्ट तक जाने के लिये जो रास्ता तैयार किया जा रहा था..वापसी भी उसी रास्ते से होनी थी...लूट वाले दिन एक वैगनर को दुकान के अंदर लाकर खड़ी करना था। ताकि लूट की सारी दौलत को उस गाड़ी में भरा जा सके। जिसके लिए दुकान से बाहर एक लकड़ी का स्लैब तैयार किया गया था...जिससे गाड़ी अंदर आसानी से आ सके।हर काम पूरी तरह से चाकचौबंद और सतकर्ता के साथ किया जा रहा था। सेलिना का काम था हर छोटी से छोटी बात का ध्यान रखना और हर स्तर पर होने वाली चूक को समझना और उसका फोरन से पेश्तर निदान ढूंढना। लेकिन इससे इतर कुछ लोगों के दिमाग में एक अलग ही खिचड़ी पक रही थी।उस पड़ोसी महतो को बाइज्ज्ज्त रेस्ट हाउस पहुंचा दिया गया था। तभी जैकाल ने कटर को छत की तरफ लगाया ही था कि बलवंत चीख़ पड़ा था।

"रुको!जिस दिन एक्शन का दिन हो उसी दिन छत को काटना है..पहले से ही काटकर रख दोगे तो बैंक वालो की नजर में नही आ जायेगा"बलवंत की बात सुनते ही जैकाल के हाथों को ब्रेक लग गया था।

"मैं पूरा नही काट रहा हूँ...ऊपर की परत को छोड़ दूंगा..नही तो एक्शन वाले दिन बहुत वक़्त जाया होगा"जैकाल ने बलवंत को समझाते हुए कहा।

"बड़े भाई!हमे कोई अंदाज नही है कि अभी कितनी देर काटने के बाद छत में सुराख होगा...क्योकि हम बहुत सारा काट चुके है...अब अगर यहाँ कटर चलाया और गलती से भी आर पार सुराख हो गया तो लेने के देने पड़ जाएंगे"बलवन्त को शायद ऐसे मामलों का ज्यादा तजुर्बा था।

"क्या लेने के देने पड़ जायेंगे...बस इतना ही होगा कि आज ही हमे अपनी लूट को अंजाम देना होगा...वैसे भी हमे आज ही लूट लेना चाहिए बैंक...साली पांच सौ करोड़ की रकम में से हमे चिड़िया का फुग्गा दिया जा रहा है..सारी मेहनत हम लोग कर रहे है और हमारी मेहनत का फल खायेगा वो साला ददुआ"जैकाल कुपित स्वर में बोला।उसकी बात सुनते ही वहां एक दम से सन्नाटा पसर गया।सभी लोगो की नजरें जैकाल के चेहरे पर आकर जम चुकी थी।

"तुम जानते हो कि हम चाह कर भी ददुआ से गद्दारी नही कर सकते है...एकबारगी हम कानून के पंजे से तो बच सकते है...लेकिन ददुआ के हाथों से बचना,मुश्किल ही नही नामुमकिन है"बलवन्त ने जैकाल के दिमाग से फितूर निकालने की कोशिश की।

"लेकिन जैकाल कुछ गलत भी नही बोल रहा है...कम से कम लूटी गई रकम का आधा हिस्सा तो हम लोगों में बंटना चाहिये"इस बार चरसी ने जैकाल की हाँ में हॉं मिलाई।

"हक तो सारे पैसो पर हम आठो लोगो का ही बनता है जो पिछले दस दिनों से अपने दिन और रात दोनो काले कर रहे है...लेकिन हक मांगते ही हमारी गर्दन उतार ली जाएगी"बलवन्त ने फिर से समझाया।

"जब से मैं आया हूँ..बस ददुआ का नाम सुना है...ये कौन है कहाँ है...दिखने में कैसा है..कोई जानता है क्या"मस्ती ने पहली बार अपनी जुबान को खोला।

"आज तक उसकी आवाज को सिर्फ स्पीकर पर ही सुना है..उसने किसी को आज तक फोन भी नही किया है..कुछ ही लोगो को उसके फोन आते है..और उनमे हमारी गिनती कहीं नही है"बलवन्त ने मस्ती का ज्ञानवर्धन किया।

"हमने भी बस तीन बार ही उसकी आवाज को स्पीकर पर सुना है"बेवड़ा बोला।

"अगर ये पता हो कि ये ददुआ है कौन..फिर तो ये हमारी गर्दन क्या उतरेगा..हम ही उसकी गर्दन उतार लेंगे"मस्ती ने पहली बार अपने मन के खतरनाक इरादो के बारे में बताया।

"तुम लोगो की बात सुनकर तो ऐसा ही लग रहा है कि अंदर से तुम सभी लोग मेरी बात से सहमत हो...लेकिन बस मन में ददुआ का एक अनजाना डर समाया हुआ है"जैकाल ने मुस्कराते हुए कहा।

"कौन नामुराद पांच सौ करोड़ किसी को कमाकर देगा और महज दो करोड़ लेकर खुश हो सकेगा..अगर हम सब एक हो जाये तो ददुआ की भी लंका लगा सकते है"बेवड़ा फिर से बोला।

"तुम ददुआ की पावर को बहुत कम करके आंक रहे हो..हो सकता है कि हम जो बातें यहां कर रहे है..वो कहीं बैठकर हमारी बाते सुन रहा हो..और वो कहीं भी हो सकता है..मुम्बई के समुंदर पार भी और सात समुंदर पार भी"बलवन्त की बात सुनते ही वहां एक बार फिर से खामोशी पसर गई।

"चलो यार मिट्टी हटाओ..ये जैकाल भाई भी मन को भटका देते है..वो भी आधी रात को"ये बोलकर मस्ती ने एक तसला चरसी की तरफ बढ़ाया और मिट्टी को इक्कठा करने के काम मे लग गया। तभी बेवड़ा अपने बेसुरे स्वर में शुरू हो गया।

"मन क्यो बहका रे बहका आधी रात को,शोला दहका रे दहका आधी रात को"

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रोहित मनचंदा के साथ इस वक़्त सेलिना और शीबा दोनो ही लैपटॉप की स्क्रीन पर झुकी हुई थी। रोहित इस वक़्त बैंक की सुरक्षा के लिए बनाए हुए कोड को डिकोड करनें में लगा हुआ था। कोड डिकोड होते ही फिर चाहे वे लोग बैंक में रात के वक़्त क्रिकेट मैच भी खेलते तब भी पास के थाने में कोई अलार्म नही बजना था। रोहित को अलार्म के साथ वॉल्ट की भी डीकोडिंग करनी थी..बिना डीकोडिंग किये वॉल्ट का भी खुलना नामुमिकन था।अभी तक वॉल्ट के बारे में जो जानकारी उन लोगो को उपलब्ध थी...किसी भी प्रकार की वेल्डिंग मशीन से या आरी से उस वॉल्ट को खोला नही जा सकता था।

"अलार्म तो डिकोड हो जाएगा...लेकिन वॉल्ट का डिकोड होना तब तक नामुमकिन है जब तक बैंक मैनेजर की इसमे खुद मिली भगत न हो"रोहित ने निराशा से अपनी गर्दन को इन्कार की शक्ल में हिलाकर बोला।

"कोई प्रोफेशनल चोर भी इस वॉल्ट में सेंध नही लगा सकता है क्या"सेलिना ने उम्मीद भरी नजरों से रोहित को देखा।

"आजकल सभी वॉल्ट कंप्यूटरीकृत होतें है...इसलिए तुमने भी देखा होगा अब रात के समय बैंक में वॉल्ट तोडकर चोरी होने की घटनाएं कम हो गई हैं..अब लोग दिन दहाड़े बन्दूक की नोंक पर ही बैंक में लूटपाट करते है"रोहित ने सेलिना की ओर देखकर बोला।

"हमारे पास एक बन्दा है...जो हर प्रकार के वॉल्ट खोलने में सिद्धस्त है"सेलिना को तत्काल मस्ती का ख्याल आया।

"उस बन्दे की मेरे साथ एक मीटिंग करवा दो...मैं उसका ज्ञान भी परख लेता हूँ...अब जब जिंदगी और नौकरी दोनों ही इस काम के लिए दांव पर लगा दी है तो किसी भी जगह फेल होने का मतलब होगा कि सुसाइड करने के अलावा कोई रास्ता नही होगा"रोहित मनचंदा ने सेलिना की ओर देखकर निरीह स्वर में बोला।

"सुसाइड की नौबत नही आएगी...फेल होने की सूरत में ददुआ का एक ही आर्डर है...सभी को एक लाइन में खड़ा करके गोली मार दो"सेलिना ने इतने ठंडे स्वर में इस बात को बोला था कि मुंबई के उस गर्म मौसम में भी रोहित के शरीर मे कंपकपी छूट गई थी।

"मतलब हर हाल में कामयाब होना है...नही तो मौत निश्चित है"रोहित ने फंसे हुए स्वर में बोला।

"इसलिये हमे अपना सौ नही बल्कि एक सौ दस प्रतिशत योगदान इस काम को सफल बनाने में देना होगा"सेलिना ने रोहित की ओर देखकर सपाट लहजें में बोला।

"ठीक है तुम अपने उस तालातोड़ बन्दे से मिलवाओ...हम दोनों मिलकर कोई न कोई रास्ता निकालते है"रोहित ने सेलिना को बोला।

"ठीक है...अगली मीटिंग में वो बन्दा हमारे साथ ही होगा"ये बोलकर सेलिना दरवाजे की ओर बढ़ गई। रोहित मनचंदा आज भी उसे अपनी प्यासी नजरो से सिर्फ जाते हुए देखता रहा।

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सुबह के चार बजते ही चुंकि घरों और सड़कों पर लोगो की आवाजाही शुरू हो जाती थी, तो सुबह के चार बजते ही ये लोग अपना काम बंद करके दुकान से बाहर निकल आते थे।

"नींद से आंखे बोझल हो रही हैं..,,अब तो बस फ्लैट पर पहुंचते ही लंबी तान कर सोऊंगा"बलवन्त ने दुकान को ताला लगाकर बोला।

"तुम अपने साथ चरसी और बेवड़े को भी ले जाओ...मैं और मस्ती थोड़ा मॉर्निंग वॉक करके आयेगे"जैकाल ने मस्ती के हाथ मे अपना हाथ डालकर उसका हाथ दबाते हुए बोला।

"अरे रात भर इतनी मेहनत करने के बाद भी तुम्हारे शरीर मे वॉक करने की हिम्मत बची हुई है क्या"बलवन्त ने हैरानी से जैकाल की ओर देखा।

"अभी इतना भी बुढ़ापा नही आया है कि शरीर मे एक रात काम करने से ताकत खत्म हो जाये...बस आधा पौना घन्टा घूमकर फ्लैट पर पहुंच जायेगे" जैकाल ने बलवन्त की बात का जवाब दिया।

"एक मशवरा है मेरा...अगर कोई अलग से खिचड़ी पकाने की सोच रहे हो तो मत सोचना...क्योकि ऐसे मामलों में आपस के अलग अलग रास्ते सिर्फ मौत के रास्ते पर लेकर जाते है..अगर हिस्से को लेकर मन मे कोई बात है तो सेलिना से बात कर लेंगे...वो हमारी बात को ददुआ तक जरूर पहुंचाएगी"बलवन्त ने एक बार फिर से जैकाल को समझाने की कोशिश की।

"वो चैप्टर तो रात को ही खत्म कर दिया था...अगर तुझे ऐसा कोई शक है, तो हम नही जाते है वाक पर"ये बोलकर जैकाल फ्लैट की दिशा में ही मुड़ गया।

"अरे यार नाराज क्यो हो रहा है...मैं शक नही कर रहा हूँ..मैं तो बस समझा रहा हूँ...तुम्हे जाना है तो जाओ..बाद में आ जाना तुम दोनो"बलवन्त ने जैकाल का हाथ पकड़ कर रोका।

"ठीक है अब तू बोल रहा है तो हम वॉक करके आते है...और एक बात का ध्यान रख,अगर हम कुछ भी करेगे, वो सब साथ मिलकर करेगे"ये बोलकर जैकाल ने अपनी हथेली को आगे किया,जिस पर मजबूती से बलवन्त ने भी अपना पंजा जमा दिया,उसके बाद मस्ती,चरसी,बेवड़े के हाथ भी उस पर जमते चले गए।

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"ये बलवन्त!ददुआ का बहुत बड़ा भक्त है...इसके सामने कोई भी ददुआ के खिलाफ बात मत करना"जैकाल और मस्ती इस वक़्त फोर्ट एरिया के बाजार में एक जल्दी खुलने वाली चाय की दुकान से चाय के गिलास लेकर एक ग्रिल के साथ टेक लगाए खड़े थे।

"लेकिन बात तो तुमने ही शुरू की थी"मस्ती ने जैकाल को बोला।

"रात को मेरे मुंह से ऐसे ही बात निकल गई थी..लेकिन ये देखकर खुशी हुई कि एक बलवन्त को छोड़कर सभी लोग मेरी बात से सहमत थे"जैकाल ने मुस्करा कर मस्ती को बोला।

"हमारे अलावा एक और साथी भी हमारी बातो से सहमत हो सकती है"मस्ती ने ये बोलकर जैकाल की तरफ देखा और चाय की एक घूँट भरी।

"फरजाना की बात कर रहे हो...वैसे लड़की मस्त है"जैकाल ने अपनी आदत के मुताबिक बोला।

"जितनी मस्त है उससे ज्यादा खतरनाक है,और भरोसे के काबिल बिल्कुल नही है"मस्ती ने पल भर में फरजाना का चित्रण जैकाल के आगे कर दिया।

"इस धंधे में तुम्हारी पुरानी साथी है क्या"जैकाल ने दिलचस्पी से पूछा।

"हम लोगो के साथ एक ही काम किया है..एक फैक्ट्री में घुसकर उसके मालिक को लूटा था...हमने हमारी औकात से ज्यादा बड़ी रकम लूटी थी..इसलिए फरजाना पचा नही पाई...और दगाबाजी कर बैठी"मस्ती ने जैकाल को फरजाना की सच्चाई बताने में कोई गुरेज नही हुआ।

"दगाबाजी के बावजूद उसे जिंदा कैसे छोड़ दिया"जैकाल ने कोतुहल से मस्ती से पूछा।

"जिसके साथ मिलकर इसने हमसे दगाबाजी की थी..उस बन्दे को इसने अपने हाथों से गोली मारी दी थी..तभी हालात कुछ ऐसे बने की पिक्चर में ददुआ की एंट्री हो गई...और फरजाना की गद्दारी को भूल गए...लेकिन अगर इसने फिर से

कोई गेम खेली तो इस बार इसको इनाम में मौत ही मिलेंगी"मस्ती ने फरजाना के बारे में अपने विचार बता दिये।

"अभी मैं तुम्हे किसी और उद्देश्य से यहां लेकर आया हूँ, पहले हम उसके बारे में बात कर लेते है..ये फरजाना तो बहुत छोटी चीज़ है,इसे तो जब मर्जी निबटा देंगे"जैकाल ने लापरवाही भर स्वर में कहा।

"बोलो क्या सोचा है तुमने"मस्ती ने जैकाल की तरफ प्रश्नभरी दृष्टि से देखा।

"लूट के बाद मेरा इरादा गाड़ी को सेलिना के बताए हुए स्थान की जगह अपने स्थान पर ले जाने की योजना है"जैकाल ने साफ साफ बोला।

"लेकिन ये कैसे संभव होगा...लूट के वक़्त तो सेलिना और शीबा दोनो साथ होगी"मस्ती ने उलझन भरी निगाहों से जैकाल को देखा।

"उन्हें साथ होने दो..ज्यादा दिक्कत हुई तो उन दोनों को वही दुकान में गोली मार देंगे..,उन दोनों की लाशें बरामद होने के बाद पुलिस का सारा ध्यान ददुआ पर लग जाएगा, और हम उसकी नजरो में शायद कभी आये ही नही"जैकाल ने मस्ती को अजीब से स्वर में बोला।

"बिना ठोस प्लानिंग के कोई काम नही करना...कही ऐसा न हो कि लेने के देने पड़ जाये"मस्ती अभी भी असमंजस की स्थिति में था।

"तुम सिर्फ इतना बताओ कि तुम और तुम्हारे साथी मेरा साथ देगे या नही"जैकाल ने स्पष्ट शब्दों में पूछा।

"वैसे तो मेरी फितरत किसी को भी धोखा देने की नही होती..लेकिन मुझे ये रकम का बंटवारा तर्कसंगत नही लग रहा है..इसलिए ये धोखा देने से न मुझे गुरेज होगा न मेरे साथियो को, लेकिन मुझे एक बात बलवन्त की भी पसंद आई कि हमे बंटवारे के बारे में एक बार सेलिना से भी बात कर लेनी चाहिए"मस्ती ने एक साथ दोतरफा बात की।

"सेलिना से इस बारे में बात करने का मतलब समझते हो...वो फिर हमारी तरफ से न केवल शंकित हो जाएगी,बल्कि हमारी निगरानी भी करवा सकती है...उसके बाद हमारा हर प्लान फेल हो जाएगा"जैकाल ने मस्ती को हकीकत से रूबरू करवाया।

"फिर ऐसी स्थिति में बलवन्त क्या हमारा साथ देगा"मस्ती ने शंकित नजरो से जैकाल को देखा।

"अगर साथ नही देगा तो उसका भी हाल फिर सेलिना और शीबा वाला होगा"जैकाल ने बलवन्त के बारे ने निर्णय लेने में एक पल भी नही लगाया।

"और अगर हमे तुमसे ही धोखा मिला तो"मस्ती ने बिना किसी हिलहुज्जत के पूछा।

"तो तुम्हारे चार हाथो में पिस्टल होगी..लेकिन मेरा सीना एक ही होगा"जैकाल ने इस बात को जिस अंदाज में बोला था..उस अंदाज ने मस्ती को कुछ और बोलने के काबिल नही छोड़ा था।

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रोहित मनचंदा इस वक़्त शराब के नशे में धुत मुम्बई के मशहूर रेस के बुकी गोल्डी की आरामगाह में बैठा हुआ था। टेबल पर रखी हुई एक महंगी व्हिस्की की बोतल अब तक पूरी खाली हो चुकी थी। गोल्डी भी उतना ही नशे में धुत था जितना इस वक़्त रोहित मनचंदा था।गोल्डी के पहलू में ही एक अधनंगी हालत में जो लड़की उससे लिपटी हुई थी,उसका नाम जूली था। पूरा नाम था जूली डिसिल्वा, कभी मुम्बई के किसी बीयर बार की रौनक हुआ करती थी..लेकिन जब से गोल्डी की संगत में आई थीं, तब से जूली की रंगत भी बदल चुकी थी।

"तो तू कह रहा है कि मेरा बीस लाख रुपया तू सिर्फ हफ्ते भर के अंदर चुका देगा...क्यों साले तेरी कोई लाटरी लगने वाली है या तू उसी बैंक को लूटने वाला है..जिंसमे तू नौकरी करता है"गोल्डी इस वक़्त नशे की ऐसी तैशी कर रहा था।

"ये सिर्फ बेवकूफ बनाता है तुझे गोल्डी...ये साला फुकरा हो चुका है..तू क्यो इसके ऊपर इतना विश्वास करके इससे लाखो की उधार करता है"जूली ने इस वक़्त आग में घी डालने का काम किया था।

"औए बेवड़ी..तू मेरे और गोल्डी के बीच मे मत बोल..वरना मुझ से बुरा कोई नही होगा"रोहित,जूली की जलीकटी बातें सुनकर अपना आपा खो बैठा था।

"गोल्डी!ये हरामी मुझें धमका रहा है..और तू चुपचाप बैठा देख रहा है"रोहित के धमकी भरे लहजें से तपी हुई जूली ने आहत नजरो से गोल्डी को देखा।

"तू थोड़ी देर खामोश रह डार्लिंग...आज इसका पूरा हिसाब करके ही यहां से भेजूंगा"गोल्डी ने जूली को शान्त करने की कोशिश की।

"इसे अब कोई मोहलत नही देनी है...ये फुकरा या तो आज पैसे देकर जाएगा नही तो मैं इसकी जान ले लूँगी"जूली रोहित के ऊपर दहाड़ के पड़ी थी।

"गोल्डी यार!तुझे हजार बार बोला है कि इस बेवड़ी को ज्यादा मत पिलाया कर..या फिर इसे हमारे साथ मत बिठाया कर..कमीनी ने सारा नशा उतार कर रख दिया"रोहित ने गोल्डी की ओर देखकर शिकायती लहजें में बोला।

"तू बकलोली बन्द कर बेटा..ये बता एक हफ्ते में तेरे पास बीस लाख रु कहाँ से आने वाला है"गोल्डी ने फिर से अपने मतलब का राग अलापा।

"मेरी बात का विश्वास कर यार!मैं सच बोल रहा हूँ!बस मैं ये नही बता सकता हूँ कि पैसा कहाँ से आने वाला है,और कैसे आने वाला है,लेकिन बस आने वाला है"रोहित ने विश्वास भरे स्वर में बोला।

"लेकिन तेरे इतने वादों पर ऐतबार कर चुका हूँ कि अब तेरे किसी भी वादे का भरोसा नहीं रहा है"गोल्डी ने साफ़ और स्पष्ट लहजें में बोला।रोहित ने बेबस नजरो से एकबारगी गोल्डी को देखा,फिर अपनी जेब मे हाथ मारा और दो हजार के कुछ नोट उसकी और बढ़ाये।

"ये एक लाख है पेशगी...अगर मैं एक हफ्ते में तुझे बाकी रकम न दूँ तो ये एक लाख तेरे...बीस लाख का तेरा देनदार मैं फिर भी रहूंगा"रोहित ने गोल्डी से बोला तो गोल्डी के चेहरे पर एक कुटिल मुस्कान उभर आई।

"आज की है तुमने असल मर्दों वाली बात..जूली डार्लिग इस साले का नशा उतर चुका है..इसकी गोद मे बैठकर इसको फिर से नशे में इतना डूबा दे कि ये अपने होश खोकर यहां तेरे पहलू में ही गर्क हो जाये"ये बोलकर गोल्डी वहां से उठा और रोहित की ओर बिना देखे ही लंबे लंबे डग भरता हुआ सामने लगी बार अलमारी का दरवाजा खोला और एक और बोतल निकाल कर रोहित के सामने रख दी। तभी जूली ने उस बोतल को खोला और इस बार रोहित की आँखों मे मनुहार भरी दृष्टि डालते हुए पेग बनाने लगी।रोहित ने एक अजीब सी दृष्टि जूली पर डाली और अपनी नजरो को उससे दूर कर लिया। वो जूली की जात को अच्छे से पहचानता था।

"ये आखिरी चांस है....जो तुझे इस एक लाख रु के बदले में दे रहा हूँ...इस बार अगर तेरा वादा फेल हुआ तो इस रिवाल्वर की सारी गोलियां तेरे भेजे में उतार दूँगा"गोल्डी ने तभी अपने खीसे से रिवाल्वर निकाली और उसकी और तान दी।

"गोल्डी डार्लिंग!तुम्हे भले ही इसकी बात पर भरोसा हो गया हो..लेकिन मुझे अभी तक नही हुआ है...इसको इस रिवाल्वर का ट्रेलर दिखाओ तब इसके भेजे में तुम्हारी बात घुसेगी"जूली लगभग गुर्राते हुए बोली थी।

"तू शांत रह यार..अपने दिमाग को ठण्डा रख, सिर्फ एक हफ्ते की ही बात है न...एक हफ्ते के बाद ये कहाँ बचकर जाएगा..जहाँ जाएगा हमे पायेगा..ठोकर खायेगा वापस आएगा"गोल्डी ने फिर से अपने चेहरे पर कुटिल मुस्कान को ओढ़ लिया था।

"लेकिन इसके वादे की वजह से जो तुमने मुझे इतने दिनो से पैसो के लिए लटका रखा है...इसकी वजह से मैं क्यों भुगतु यार"जूली की नाराजगी की असल वजह अब सामने आई थी।गोल्डी ने आंखे तरेर कर जूली को चुप रहने की हिदायत दी। गोल्डी के दिमाग मे इस वक़्त कुछ और ही चल रहा था।

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सदाशिव केलकर को समझ नही आ रहा था कि उस जैसा शातिर दिमाग का आदमी कैसे इन लोगो के चुंगल में फंस गया। आज तक एक दर्जन लड़कियों के साथ उसने गुलछर्रे भी उड़ाए और उनसे पैसा भी वसूला,या यूं कहिये की उसने हर लड़की के पैसो पर ही अपनी अय्याशियां की।लेकिन आज जिस जाल में वो फँसा था..वो उसके गले से नही उतर रहा था।लेकिन तभी उसे उन दो करोड़ का ख्याल आया,जिनका प्रलोभन सेलिना ने उसे दिया था।उन दो करोड़ का ख्याल आते ही उसकी आँखों में फिर से चमक आ गई थी।अभी उसकी आँखों की चमक लुप्त भी नही हुई थी कि उसके दरवाजे का जहांगीरी घन्टा बज उठा था।फ्लैट की बेल बजते ही उसकी आँखें अकस्मात ही दीवार पर लगी घड़ी की ओर उठ गई थी।रात के ग्यारह बजे कौन आ सकता है,यही सोचते हुए केलकर ने दरवाजा खोला तो सामने ही उसे एक पुलिसिया खड़ा नजर आया और उसके साथ एक लड़की और एक कोई पचास के लपेटे में पहुंचा हुआ आदमी नजर आया।

"यही है वो आदमी सर!जिसने मेरे साथ फ्रॉड किया है"केलकर की शक्ल पर नजर पड़ते ही उस लड़की ने तेज आवाज में बोला था।

"आपको पुलिस स्टेशन चलना होगा मिस्टर केलकर"उस एएसआई लेबल के पुलिसिया,जिसकी वर्दी पर मनोज दामले नाम की पट्टी लगी हुई थी,ने थोड़ी शराफत से बोला था।

"लेकिन मैंने किया क्या है...जो मुझे पुलिस स्टेशन चलना होगा"केलकर ने असमंजस से उससे पूछा।

"आपने इस लड़की की बात नही सुनी क्या...इसका इल्जाम है कि आपने इस लड़की के साथ पच्चीस लाख की धोखाधड़ी की है"दामले ने केलकर को बोला।

"इस लड़की ने सिर्फ शिकायत दर्ज करवाई है या कोई सबूत भी दिया है इसने आपको"केलकर बराबर अपनी अकड़ दिखा रहा था। लड़की कोई सत्ताईस साल के आसपास थी और शक्ल सूरत से भी माशाअल्लाह लग रही थी।केलकर की बात सुनकर वो एकदम से दमक कर उसके सामने आ गई थी।

"सबूत है तभी इतनी दूर से चलकर यहां तक आई हूँ"लड़की गुस्से में बोली।

"अभी तो आपसे पुछताछ करनी है केलकर साहब...जब धुंआ उठा है तो आग भी तो कहीं न कही लगी ही होगी"दामले इस बार जरा हड़काते हुए बोला था।

"पूछताछ के लिए पुलिस स्टेशन जाने की क्या जरूरत है...हम यहां बैठकर भी तो बात कर सकते है"केलकर ने कुछ सोचते हुए बोला।

"पुलिस स्टेशन तो आपको चलना ही होगा केलकर साहब...हमे मजबूर मत कीजिये...वरना हमे लेकर जाने के और भी बहुत तरीक़े आते है"हर बीते पल के साथ ही दामले के तेवर भी बदलते जा रहे थें।

"ठीक है जनाब...अब आप जबर्दस्ती पर उतर ही आये है तो एक शरीफ शहरी कर भी क्या सकता है,...लेकिन मुझे एक काल करने की इजाजत तो होगी"केलकर ने नाटकीय अंदाज में दामले से पूछा।

"अभी आप अरेस्ट नही है केलकर साहब अभी आप कुछ भी करने के लिए आज़ाद हो...सिवाय यहां से फरार होने के"दामले ने केलकर को बोला तो केलकर अंदर की ओर बढ़ गया।

कोई दस मिनट के बाद केलकर उस अंदर वाले कमरे से बाहर आया।दामले और वो लड़की केलकर को ही घूर रहे थे।

"चलिये दामले साहब...जहां लेकर चलना है चलो"केलकर के चेहरे पर इस वक़्त कोई तनाव नही था।अभी दामले ने बाहर की ओर कदम बढ़ाया ही था कि दामले के फ़ोन की घण्टी बज उठी। दामले ने नंबर देखते ही फोरन से पेश्तर फोन उठाया।कोई दो मिनट तक फोन पर यस सर..यस सर की तान छेड़ने के बाद दामले ने फोन काटा और खा जाने वाली नजरो से केलकर को घूरा।

"बहुत ऊंची पहुंच है मालिक आपकी तो...मुझे आदेश हुआ है कि आपसे पूछताछ आपके घर पर ही करूँ और अगर कोई गिरफ्तारी लायक पुख्ता सबूत मिले तभी आपको गिरफ्तार करूँ..चलिये बैठिये,..यही पूछताछ कर लेते है"दामले ने बेबसी से बोला।

"दामले साहब ये आप क्या कह रहे है...किसने आपको ये बेहूदा आदेश दिया है..मेरी बात करवाइए,..मैं बात कर लेती हूँ आपके ऑफिसर से"उस लड़की ने अचानक दामले के द्वारा तेवर बदलते हुए देखकर बोला।

"आप चिंता मत कीजिये मैडम..सिर्फ अभी यही पर पूछताछ करनें के लिए बोला है...इसकी गिरफ्तारी पर कोई रोक नही लगाई है...वैसे भी बकरे की माँ कब तक खैर मनाएगी"ये बोलते हुए दामले ने तपी हुई नजरो से एक बार फिर से केलकर की ओर देखा, केलकर अभी भी मंद मंद मुस्करा रहा था।

"हॉं तो मैडम!शुरू से बताइये...इस आदमी ने किस तरीके से आपके साथ ठगी की"दामले अब पहले उस लड़की की ही कहानी सुन लेना चाहता था।

"जी,मेरा नाम शालू है...पूरा नाम शालिनी कश्यप है।इसने एक मैरिज वेबसाइट पर अपनी प्रोफाइल डाली थी, उस प्रोफाइल में इसने खुद को नेवी का एक बहुत बड़ा अफसर बताया था,मेरी बचपन से ही ख्वाइश थी कि मैं एक नेवी के बन्दे से शादी करूँ...इसकी प्रोफाइल देखकर मुझे लगा की मेरा सपनो का राजकुमार मुझे मिल गया,फिर उसी वेबसाइट के जरिये मेरी और इसकी बात होने लगी,छह महीने तक इसने मुझे जरा भी भनक नही लगने दी कि ये कोई जालसाज है,मैं इसकी मीठी मीठी बातो में आ गईं,जब मैं पूरी तरह से इसकी बातों में आकर इसकी मुरीद बन गई,जब सोते जागते उठते बैठते इसके ही ख्याल मुझे सताने लगें...तब इसने अपना जाल मुझ पर फेंका और मैं इसके झाँसे में आ गई"ये बोलकर शालू ने एक बारगी चुप्पी साधी।

"इसने आपके साथ अपनी नेवी की ड्रेस में फ़ोटोग्राफ भी तो शेयर की होगी...आप पर अपना विश्वास जमाने के लिये"दामले ने बीच में ही शालू को टोका।

"जी की थी..लेकिन इस जालसाज ने वो सभी फ़ोटो बड़ी सफाई से मेरे मोबाइल से डिलीट कर दी...जब ये मुझ से मिलने के लिए दिल्ली आया था"शालू ने अफसोस भरें लहजें में बोला।

"आजकल तो सोशल मीडिया का जमाना है...आपके पास तो इसके झूठ के सबूतों का पूरा पुलंदा होना चाहिए...इसके साथ आपकी चैट इत्यादि का भी रिकॉर्ड होगा आपके पास"दामले ने फिर से शालू से पूछा।

"जी सब था..इसके साथ व्हाटसअप चैट इत्यादि सब था...लेकिन जब ये मुझ से मिलकर दिल्ली से वापिस गया..तब एकाएक मेरे मोबाइल से इसकी चैट का सारा डाटा ही उड़ गया...यहां तक कि उसके बाद भी मैंने जितनी बार भी इसके साथ बात की...वो चैट खत्म होते ही अपने आप डिलीट हो जाती थी"शालू ने अजीब सी नजरो से केलकर की ओर घूरते हुए बोला।

"क्यो भाई साहब!ऐसा क्या खेल कर दिया था आपने मैडम के मोबाइल के साथ"दामले अब केलकर के साथ मुखातिब हुआ।

"जनाब!मुझे तो ये लडक़ी खुद कोई जालसाज लग रही है..और मनघडंत कहानी बनाकर मुझ से ही पैसा ऐठना चाहती है..भला ऐसा भी कभी होता है कि मैं मुम्बई में बैठकर दिल्ली की इस लड़की के मोबाइल से उसका डाटा ही गायब कर दूंगा"केलकर ने परेशानी भरें स्वर में कहा।

"कोई बात नही..हम मैडम के मोबाइल का सारी चैट रिकवर करवा लूँगा..हमारी फोरेंसिक लैब में इसकी सुविधा मौजूद है"दामले ने केलकर की ओर देखकर बोला।

"मैं अपने मोबाइल की कोई फोरेंसिक जाँच नही कराउंगी"शालू की ये बात सुनते ही वहां मौजूद हर आदमी असमंजस से शालू की ओर देखने लगा।किसी को समझ नही आ रहा था कि मैडम फोरेंसिक जांच क्यों नहीं करवाना चाहती है। केलकर के भी होठों की मुस्कान अब और ज्यादा गहरी हो गई थी।

क्रमशः


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