अगले दिन वे दोनों पेड़ो पर लटक रहे थे। अगले दिन वे दोनों पेड़ो पर लटक रहे थे।
अफसोस रास्ता सामने है, मैं चल नहीं सकता शायद मेरी रुखसती का समय आगया है। अफसोस रास्ता सामने है, मैं चल नहीं सकता शायद मेरी रुखसती का समय आगया है।
एक टुकड़ा कलाकन्द लाकर उनके सामने रख दिया, और उन्हें चुपचाप खाते देखता रहा। एक टुकड़ा कलाकन्द लाकर उनके सामने रख दिया, और उन्हें चुपचाप खाते देखता रहा।
अंकल पारसी समुदाय के थे और उनकी शादी नहीं हुई थी अंकल पारसी समुदाय के थे और उनकी शादी नहीं हुई थी
मैं गुस्से से तमतमा उठा। लगभग चीख कर बोला- "नहीं पीनी है चाय मुझे। मैं गुस्से से तमतमा उठा। लगभग चीख कर बोला- "नहीं पीनी है चाय मुझे।
रमेश को बहुत गुस्सा आ रहा था दिन भर दुकान में बैठे बैठे उसकी कमर अकड़ गयी थी , उस पर दो चार ग्राहक आ... रमेश को बहुत गुस्सा आ रहा था दिन भर दुकान में बैठे बैठे उसकी कमर अकड़ गयी थी , उ...