इश्क और समाज
इश्क और समाज
गीता और लोकेश भाग रहे थे। बीच बीच में दोनों पीछे मुड़कर देखते रहते थे कि कोई उनका पीछा तो नही कर रहा। जब उन्हें यकीन हो गया कि अब वे काफी दूर आ चुके है और कोई उन तक नही पहुंच सकता तो दोनों ने एक दुकान के छप्पर के नीचे पनाह ली।
गीता और लोकेश एक ही स्कूल में पढ़ने वाले अलग अलग समुदाय से तालुक्क रखते थे। दोनों में गहरी दोस्ती थी। वक्त जैसे जैसे आगे बढ़ रहा था वैसे वैसे उनकी दोस्ती प्यार में बदल रही थी। दोनों जानते थे कि उनके परिवार इस रिश्ते के लिए कभी राजी नहीं होंगे इसलिए उन दोनों ने इस बात को छुपाने का फैसला लिया जब तक लोकेश की नौकरी नही लग जाती।
लेकिन जल्दी ही उन दोनों की सारी योजना ध्वस्त हो गई जब किसी गांव वाले ने उन दोनों को एक साथ देख लिया। उनके परिवार वालों ने उन दोनों को मारने का फैसला कर लिया। इसी वजह से वे दोनों घर से भाग रहे थे।
वे दोनों दुकान के छप्पर के नीचे खड़े हुए थे कि तभी कुछ गांव वालो ने उन्हें पकड़ लिया और घसीटते हुए ले गए।
अगले दिन वे दोनों पेड़ो पर लटक रहे थे।
