नाव
नाव


वेदान्तिका घर से निकल कर पैदल ही चलने लगी। यह गाँव कितना बदल गया था। जब वो छोटी थी तो क्या था इस गांव में? न बिजली ना पानी, कच्ची सड़क पर लकड़ी की पगडंडियों के सहारे जीवन जीने के आदी हो चुके लोग अब बदल चुके थे। गांव कस्बे में बदल चुका है, बिजली और पानी घर घर अपनी पहुंच बना चुके है। आधुनिकता पैर पसार रही हैं। सब कुछ बदल गया है सिवाय सड़कों पर बने नालों के।
“सामने वाले पेड़ से अमरूद तोड़ कर खाने में कितना मजा आता है ना?” मंजुला अमरूद खाते हुए सड़क पर चल रही थी।
अगर किसी ने आंटी को बता दिया तो हमारी खैर नहीं। वेदान्तिका ने अपना डर बताया तो मंजुला को हंसी आ गई।
उसने अमरूद खत्म करते हुए कहा- “अगर उन्हें पता चल गया तो नानी से हमारी शिकायत कर देंगी और नानी हमें थोड़ा समझा बुझा कर प्यार से समझा देंगी। चल अब घर तक कौन पहले पहुंचता हैं, देखते हैं।
“पहले तो मैं ही पहुँचूंगी।” इतना कहते हुए वेदान्तिका घर की ओर दौड़ पड़ती हैं। मंजुला भी उसके पीछे दौड़ पड़ी।
दोनों में रेस जीतने की होड़ लगी हुई थी। वेदान्तिका मंजुला से आगे ही थीं। वेदान्तिका इस खुशी में दौड़े ही चली जा रही थीं कि उसका पैर एक नाले में जा पड़ा। नाले में बारिश की वजह से पानी भरा हुआ था।
नाले में पैर पड़ते ही उसका सन्तुलन बिगड़ गया। ऐसा होते ही वो मुंह के बल जमीन पर गिर पड़ी। उसके मुंह से खून आ गया। मंजुला यह देखकर घबरा गई और वेदान्तिका को सहारा देकर उठाया। इतनी ही देर में अपने घर के बाहर खड़े दयाल जी नानी को बुलाकर ले आये।
नानी को वहाँ देखते ही मंजुला की सिट्टी पिट्टी गुम हो गई। वेदान्तिका के मुंह से खून निकलता देख नानी के गुस्से का पारा सातवें आसमान पर था। शायद दयाल जी ने उन्हें सब कुछ बता दिया था।
वे उन दोनों को अपने साथ घर के अंदर ले गई। फिर वेदान्तिका को ले जाकर उसका मुंह धुलवाया और फिर हल्दी लगाई। उसे अपने कमरे में लिटाकर नानी मंजुला के पास के आई। उनके पास एक पतली सी कांटे वाली छड़ी थीं।
थोड़ी देर बाद जब वेदान्तिका कमरे से बाहर आई तो उसने देखा कि मंजुला कुर्सी पर बैठी हुई थी। उसका मुंह लटका हुआ था। वेदान्तिका को देखते ही उसके मुंह से निकला- “इस नाले ने पिटाई करवा दी और अब तो अमरूद भी गए।
इतना सुनते ही वेदान्तिका को हंसी आ गई। उसने कहा- “हाँ अगर मैं नाले में ना गिरती तो शायद.....
“यार वैसे नानी को गुस्सा भी आता है, आज पता चला। पूरी जिंदगी की कुटाई आज ही कर दी।” कहते हुए मंजुला को भी हंसी आ गई।