Akanksha Gupta (Vedantika)

Tragedy

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Akanksha Gupta (Vedantika)

Tragedy

यादें

यादें

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सुबह विनय का फोन आया तो सुषमा रसोई में निकल कर बाहर आई। उसने जब फोन उठाया तो उसे पता चला कि आज अम्मा की संपत्ति का बंटवारा होने जा रहा है जिसके लिए उसका वहां पर होना बहुत जरूरी था। वैसे तो सुषमा का मन नहीं हो रहा था वहाँ जाने का लेकिन सवाल अम्मा की इच्छा का था और इसलिए वो दोपहर तक अपने मायके जा पहुंची।


इन अट्ठारह सालों में बहुत कुछ बदल गया था। जो कुसुम भाभी मम्मी के सामने बुत बनी उनके प्रति अपने मन में विष पाल रही थी, आज खुलेआम उनकी बुराई करने पर उतर आई थी। जब सुषमा से यह सब देखा नहीं गया तो वह उठकर अपने कमरे में आ गई।


थोड़ी देर बाद ही उसकी भाभी भी उसके पीछे आ पहुंची और उसे आराम करते हुए देखकर चौंक गई। फिर उन्होंने धीरे से कहा- “छोटी, मृत्यु तो जीवन का अटल सत्य है, इसे भला कौन टाल सकता है? चल अपना जी छोटा मत कर वरना अम्मा की आत्मा को शांति न मिलेगी।


सुषमा की आँखों में आँसू आ गए और वो रुंधे गले से बोली- भाभी, अम्मा तो उसी दिन मर गई थीं आपके लिए जब आप उन्हें मियाँ बीवी के उस झगड़े का जिम्मेदार ठहरा कर बिन बताए घर से चली गई थी जो झगड़ा उनके सामने हुआ ही नहीं। उन्होंने आपको हमेशा मुझसे ऊपर और भैया से ऊपर रखा और आपने एक पल में उनके प्यार को भुला दिया।


मैं यहाँ कुछ लेने नहीं आई। मैं तो बस आखिरी बार अपनी अम्मा की यादों से मिलने आई थीं और अपने साथ यादें ही लेकर जाऊंगी


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