anil garg

Crime Thriller

4.5  

anil garg

Crime Thriller

बदमाश कंपनी-18

बदमाश कंपनी-18

21 mins
302


" अपने अंकल को खूब बेवकूफ बनाया तुमने! अब तो ये बुड्डा तुम्हें अपने पैसो के लिये परेशान नहीं करेगा " केलकर ने शालू को अपने सीने से कसकर लगाते हुए कहा।

" अब तो जो कुछ हुआ है, उसके सामने हुआ है, अब मुझ पर विश्वास करने के अलावा उसके पास कोई और चारा नहीं है, लेकिन उसे ज्यादा दिन बेवकूफ नहीं बना पाऊंगी, कभी न कभी तो ये फिर से अपने पैसे मांगेगा...तुमने इस बार बुरा फँसा दिया यार मुझे " शालू एक कुटिल मुस्कान के साथ बोली।

" वैसे तू है गजब की एक्टर, तुझे तो फिल्मो में होना चाहिए था, साली क्या लाफा मारा था तुमने..मेरा तो थोबड़ा हिल गया था " केलकर ने अपने गाल को सहलाते हुए बोला।

" ओह्ह!ज्यादा जोर के लग गया क्या मेरे बाबू को, लो अभी सारा दर्द गायब कर देती हूँ " है बोलकर शालू ने केलकर के चेहरे पर चुम्बन की झड़ी लगा दी। कोई दो मिनट के बाद शालू ने अपनी प्रेमलीला को बन्द किया।

" लेकिन एक्टिंग तो उस लोकेश ने भी बहुत मस्त की, साला असली पुलिस वाला लग रहा था, लेकिन यार इस जरा सी एक्टिंग के पच्चीस हजार ले गया वो कमीना " शालू ने केलकर की तरफ देखकर बोला।

" चिंता मत कर कुछ ही दिनों में तेरे ये सारे दुःख दर्द दूर होने वाले है...और अपनी भी कंगाली के दिन ख़त्म होने वाले है " केलकर ने दंभ भरे स्वर में बोला।

" क्यो बाबू!कही सट्टा वगैरह खेलने लगें हो क्या, जो इतनी जल्दी दिन बदलने की बाट कर रहे हो " शालू ने घोर असमंजस से पूछा।

" ये जिंन्दगी भी तो एक जुआ ही है मेरी जान..बस समझ लो अपनी जिंदगी का सबसे बड़ा जुआ खेलने जा रहा हूँ, और उसमें सबसे बड़ा दांव लगाने जा रहा हूँ " केलकर ने पहेली बुझाई।

" साफ साफ बोलो न..क्या करने जा रहे हो, या अब मुझ से भी बातें छुपाने लगे हो " शालू तंज भरे स्वर में बोली।

" एक बार काम हो जाने दे, फिर सभी कुछ बता दूँगा " केलकर ने टालने वाले अंदाज में बोला।

" ठीक है फिर, मत बताओ, मैं तो चली होटल, अपने अंकल के पास " ये बोलकर शालू ने अपना बैग उठाया और केलकर को अपने से दूर धकेलती हुई उठ खड़ी हुई।

" यार तुम लड़कियां भी न नाराज बड़ी जल्दी हो जाती हो..अरे दो चार दिन का सब्र रखो न, पैसा भी तुम्हारे हाथ में होगा, और तुम्हें सब बता भी दूँगा " केलकर ने शालू को मनाने की कोशिश की।

" मुझे तुमसे न कुछ जानना है और न ही तुम्हारे पैसे चाहिये..जब तुम्हें मुझ पर भरोसा ही नहीं है, तो मैं यहां क्या सिर्फ तुम्हारा बिस्तर गर्म करने के लिये हूँ " शालू आहत स्वर में बोली।

" अरे यार! मैंने क्यों इस लड़की के आगे अपना मुंह फाड़ा " केलकर शालू की बाते सुनकर झल्ला चुका था।

" हॉं! अब तो मेरे सामने अपनी जुबान भी सोच समझकर ही खोला करोगे, ताकि मैं तुम्हारे दूसरे स्याह सफेद धंधो के बारे में न जान जाऊं..देखो मुझे सच सच बता दो की तुम अब और कौन सा धोखाधड़ी का खेल खेलने जा रहा हूँ, मैं हर बार तुम्हें जेल जाने से नहीं बचा सकती हूँ, एक इन अंकल से ही पैसो की उम्मीद थी, वो रास्ता भी तुम्हारी वजह से बंद हो चुका है " शालू पहले से ही केलकर की करतूतों से आजिज आ चुकी थी।

" तुम कहाँ की बात को कहाँ ले जाती हो यार! जरा सी बात का बतंगड़ बना दिया तुमने...अब आराम से बैठो और पूरी बात ध्यान से सुनो, बीच में मत बोलना " ये बोलकर केलकर बीते कुछ दिनों में उसके साथ जो भी बीता था, वो बताता चला गया था, शालू उसकी बात का एक एक शब्द गौर से सुन रही थी।

                             ********

" सुन रोहित! उन लोगों ने तुझे अपने जाल में फंसाया है..अब हम उन्हें अपने जाल में फंसायेंगे " गोल्डी ने रोहित के कंधे पर अपना सांत्वना भरा हाथ रखते हुए कहा।

" वो कैसे " रोहित के मुंह से सहसा निकला।

" वो कहावत तो तुमने सुनी होंगी की चोर को मोर पड़ गए " गोल्डी नें गम्भीरता से बोला।

" मतलब वे लोग बैंक लूटेंगे, और हम लोग उन्हें लूटेंगे " रोहित ने गोल्डी की ओर देखकर बोला।

" बिल्कुल सच बोला तुमने, तुम्हारे हिसाब से जिस दिन तुम बैंक लूटोगे, उस दिन बैंक में तकरीबन पांच सौ करोड़ रु होंगे " गोल्डी ने रोहित की ओर देखकर बोला।

" हाँ! उससे ज्यादा भले ही हो! उससे कम नहीं हो सकते है " रोहित ने पुख्ता स्वर में बोला।

" उस लूट में कितने लोग शामिल होंगे " इस बार जूली ने उन दोनों की बातों में दखल अंदाजी की।

" इसकी मुझे जानकारी नहीं है..लेकिन इतनी बड़ी लूट के लिए कम से कम दस लोग तो होंगे " रोहित ने अंदाजा लगाया।

" पांच सौ करोड़ से ज्यादा की दौलत के लिए मैं दस तो क्या बीस लोगो को भी गोली मारने में नहीं हिचकुगी " जूली ने अपने खतरनाक इरादे स्प्ष्ट कर दिए थे।

" इतने लोग मारकर अगर कोई लूट कर भी तो ली, तो क्या तुम पुलिस से बच जाओगे " रोहित जूली की अतिरेक भरी बातो से सहमत नजर नहीं आया।

" ये तो पागल है, इसकी बातों पर ध्यान न दे..मैं कुछ और सोचता हूँ कि हम और कौन से आसान रास्ते से उन पैसो पर कब्जा कर सकते है " गोल्डी ने ये बोलकर एक नजर रोहित पर डाली और दूसरी नजर जूली पर डाली तो उसकी तिरपन कांप गई। जूली रिवाल्वर को उसी की ओर ताने उसे खूंखार नजरो से घूर रही थी।

" तुझे पता है न, कोई मुझे पागल बोले तो मै उसका क्या हाल करती हूँ " जूली ने अब तक पास आकर गोल्डी की गर्दन पर ही लगा दिया था।

" हमारी बिल्ली और हमी से म्याऊं!इस रिवाल्वर में छह गोलियां थी, जो तू इस रोहित को चमकाने के चक्कर मे बर्बाद कर चुकी है, इसलिये मुझे हूल देने की कोशिश मत कर, वरना तू जानती है न कि गोल्डी ऐसी लड़कियो का क्या हाल करता है " गोल्डी ने अपने चेहरे पर दुनिया भर के हरामीपने के भाव लाते हुए कहा।गोल्डी की बात सुनते ही जूली ने अपने हाथ में पकड़े रिवाल्वर को सोफे पर फेंक कर मारा।

" ये डाका किस दिन डालने वाले हो " अचानक से जूली गोल्डी का पीछा छोड़कर रोहित से मुखातिब हो चुकी थी।

" शायद आज ही!क्योकि आज ही शुक्रवार है, फिर कल से दो दिन की बैंक होलीडे है " रोहित ने अंदाजे से बोला। अभी रोहित का वाक्या पूरा हुआ ही था कि उसके मोबाइल पर सेलिना का नंबर चमकने लगा था।

" आधा घँटे में मेरे फ्लैट पर पहुंचो " बस इतना बोलकर सेलिना ने फोन काट दिया था।

" सेलिना थी!अभी अपने फ्लैट पर बुला रही है " रोहित ने सोफे से खड़े होते हुए बोला।

" जाओ!वहां जो भी आखिरी प्लान हो उसे हमे जरूर बताना " गोल्डी ने रोहित को विदा करने के अंदाज में बोला।

गोल्डी के बोलते ही रोहित लंबे लम्बे डग भरते हुए फ्लैट से बाहर निकल गया।

                         **********

" कौन लोग है ये जो तुम्हें इस तरह से अपने जाल में फंसाकर तुम्हें अपने साथ डकैती में शामिल करना चाहते है " शालू, केलकर की जुबानी पूरी कथा सुनने के बाद बोली।

" पता नही, कौन लोग है, लेकिन जो भी लोग है, है बहुत खतरनाक " केलकर उस दिन को याद करके आज भी डरा हुआ था।

" कमाल है तुम्हारे जैसा एक नंबर का हरामी इंसान भी इन लोगो के जाल में फंस गया " शालू ने हैरानी से केलकर को देखा।

" वक़्त खराब होता है तो ऊंट पर बैठे आदमी को भी कुत्ता काट लेता है, शायद मेरे वक़्त ही इस वक़्त बुरा चल रहा है, एक तरफ तुम्हारे अंकल का पच्चीस लाख का कर्जा, जिसे वसूलने वो मुम्बई तक आ गए और ऊपर से एक ये नई मुसीबत, समझ नहीं आता कि कैसे निकलू इन सब झमेलो से " केलकर ने दुखी स्वर में बोला।

" एक तरीका है, अगर दिमाग से चलो तो...तुम करोड़ो रु कमा भी लोगे और पुलिस के कोपभाजन से भी बच जाओगे " शालू ने कुछ सोचते हुए बोला।

" ऐसा कौन सा तरीका है " केलकर ने शालू की ओर अजीब सी नजरो से देखा।

" डकैती की वारदात होने दो..और जब ये मामला अखबार की सुर्खियों में आ जाये! तब तुम पुलिस को मुखबिरी मार कर इन सब लोगो को पकड़वा दो..मैंने सुना है कि बरामद रकम का दस प्रतिशत कानूनन उसके बारे में सूचना देने वालो को मिलता है " शालू ने अपना दिमाग लगाया।

" बेवकूफ है क्या कुछ, तू जानती भी है, इस डकैती में कितना बड़ा गैंग शामिल है, दस प्रतिशत इनाम की छोड़ो, मुझे ही दस टुकड़ों में काट देंगे वे लोग " केलकर के जिस्म में ये सोचकर भी झुरझुरी छूट गई थी।

" लेकिन पुलिस तो ऐसे लोगों का नाम पता गुप्त रखती हैं! फिर तुम्हारे बारे में कैसे किसी को पता चलेगा " शालू अभी भी अपनी बात पर अडिग थी।

" इतनी बड़ी रकम का इनाम मिलता देखकर पुलिसिये ही मुझे मरवाकर मेरी जगह अपने ही किसी फर्जी आदमी को खड़ा कर देंगे..और सारे पैसे की बंदरबांट खुद ही कर लेंगे " केलकर ने शालू की तरफ देखकर बोला।

" क्या!सच मे ऐसा होता है " शालू ने अचरज से पूछा।

" हाँ!इस दुनिया मे जहाँ सिर्फ पैसे की पूजा होती है!वहां कुछ भी हो सकता है " केलकर ने शालू के ज्ञानचक्षु खोले।तभी केलकर के फ़ोन की घँटी बज उठी।

" आधे घण्टे मे फ्लैट पर पहुंचो " उधर से सेलिना की आवाज आई। केलकर के जवाब देने से पहले ही फ़ोन डिसकनेक्ट हो चुका था।

" उन्ही लोगो का फोन था, मुझे अभी जाना होगा, तुम अंकल के पास चली जाओ " केलकर ने शालू को बोला।

" नहीं !मै यही रुकुगी...वहाँ जाते ही वो बुड्डा अंकल फिर पैसा पैसा चिल्लाएगा " शालू ने नफरत भरें स्वर में बोला।

" ठीक है, फिर यही रेस्ट करो..पता नहीं मुझे तो वापस आने में कितना समय लगेगा " केलकर ये बोलकर सोफ़े से उठा और शालू को आलिंगनबद्ध किया और उसके होंठों पर किस करके दरवाजे की तरफ बढ़ गया। केलकर के नजरों से ओझल होते शालू के होंठों पर एक कुटिल मुस्कान उभरी, उसने अपने हाथ से अपने होंठों को साफ किया और मन ही मन बुदबुदाई " तेरा पीछा न मैं छोडूंगी सोनिये " ।

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सेलिना के फ्लैट में एक बार फिर से सभी लोगों का जमावड़ा लग चुका था।एक बड़ी सी डायनिंग टेबल के इर्दगिर्द सभी लोग बैठे हुए थे। बीच की कुर्सी पर सेलिना विराजमान थी, उसके एक बाजू में शीबा और दूसरे बाजू में फरजाना विराजमान थी। उसके बाद मस्ती, जैकाल, बलवन्त, चरसी, बेवड़ा, रोहित मंचनदा और सबसे आखिर में सदाशिव केलकर बैठा हुआ था। सभी दिलचस्पी से सेलिना के बोलने का इंतजार कर रहे थे।ये मीटिंग ठीक उसी प्रकार से की जा रही थी, जैसे कॉरपोरेट में कंपनी का सी ई ओ किसी बड़े प्रोजेक्ट पर काम शुरू करने से पहले उससे संबंधित समूचे स्टाफ के साथ मीटिंग लेता है।

" इतने दिनों की मशक्कत के बाद आज वो दिन आ ही गया है, जिसका हम सभी को बेसब्री का इंतजार था, बैंक में सुरंग बनाने का काम लगभग पूरा हो चुका है..सिर्फ उस जगह की छत को काटना बाकी है, जहां पर वो वॉल्ट स्थित है " सेलिना ने ये बोलकर सभी को गौर से देखा।तत्काल ही उसने फिर से बोलना शुरू किया।

" अभी उस वॉल्ट को खोलने में एक हल्की सी समस्या आ रही है, जिसे रोहित और मस्ती मिलकर हल करेगे " सेलिना ने ये अभी बोला ही था कि केलकर ने कुछ बोलने के लिये अपना हाथ खड़ा कर दिया।सेलिना ने इशारों में ही उसे बोलने की इजाजत दी।

" मैंने भी एक वॉल्ट बनाने वाली कंपनी में काम किया है..अगर मेरी कोई जरूरत हो वॉल्ट खोलने के लिए तो मैं मदद कर सकता हूँ " केलकर की बात सुनकर सेलिना का चेहरा खिल उठा था।

" आप तो बड़े काम की चीज़ निकले केलकर साहब...इस मीटिंग के बाद रोहित और मस्ती के साथ तुम भी वॉल्ट खोलने के डिस्कशन में शामिल हो जाना " सेलिना ने केलकर को बोला।

" लेकिन मैडम जब अभी तक वॉल्ट खुलने का ही मामला फिट नहीं हुआ तो फिर आज ही इस काम को अंजाम कैसे दे पाएंगे " जैकाल ने परेशानी भरें स्वर में कहा।

" तुम धीरज रखो जैकाल, काम आज ही होगा, रही बात वॉल्ट खोलने की तो चाहे बैंक मैनेजर को ही उसके घर से उठाकर लाना पड़े...वॉल्ट भी खुलकर रहेगा " सेलिना ने दृढ़ स्वर में बोला।

" हम यहां पर बाकी तैयारियों के लिए इकट्ठे हुए है..हम सभी को एक किट देंगे, जिसमें एक हेल्मेट जो सभी को लगाना जरूरी होगा, एक फुल्ली लोडेड पिस्टल सभी के पास होगी, जो किसी भी आपातस्थिति में निबटने के काम आयेगी, इसके अलावा एक वेल्डिंग सेट भी हमें वहां लेकर जाना होगा, पांच एयर बैग है, जिनमें हमें वहां रखे हुए पैसो को भरना है " शीबा ने इस बार सेलिना की जगह बातचीत की कमान सम्हाली।

" अगर इतनी सुविधा मिलने के बाद भी हम ये डकैती कामयाबी से नहीं डाल पाए तो ये हमारे लिए बहुत शर्म की बात होगी " बलवन्त ने एकाएक अभिभूत स्वर में बोला।

" प्लानिंग तो जबरदस्त है, बस अब तो इस प्लान पर काम करने के लिए हाथो में खुजली हो रही हैं " ये बोलकर जैकाल ने अपने दोनो हाथो को मला।

" शीबा सभी को उनकी किट दे दो, और बलवन्त तुम दोपहर में ही उस ऑटो में वेल्डिंग मशीन और एयर बैग लेकर उस ऑटो को दुकान में खड़ा करके आ जाओ " सेलिना ने बलवन्त की ओर देखकर बोला।

" बाकी सभी लोग आज यही रुकेंगे, रात को 8 बजे हम लोग बैंक के लिए रवाना होंगे " शीबा ने सभी की ओर देखकर बोला।

" लेकिन शीबा!मेरे घर पर कोई इंतजार कर रहा है " केलकर को तभी शालू का ध्यान आया।

" उन्हें इंतजार करने दीजिए...आज तुम्हे रोहित के साथ बैंक जाकर वहां का भी काम देखना है " शीबा का जवाब सुनकर केलकर मन मसोस कर रह गया।

" मस्ती और केलकर तुम लोग रोहित के साथ मिलकर वॉल्ट को खोलने की प्लानिंग करो, एक घँटे में मुझें तुम लोगो की रिपोर्ट चाहिए, तुम तीनो लोग उस कमरे में जाकर अपना काम शुरू कर सकते हो " सेलिना ने उन तीनों को देखते हुए बोला। तीनो लोग ही उठकर उस कमरे की ओर जाने लगें, लेकिन जाने से पहले शीबा ने एक लैपटॉप को रोहित के हवाले कर दिया।

                        **********

रोहित के जाते ही जूली, गोल्डी की गोद मे चढ़ गई थी और गोल्डी उसे अपनी गोद मे लिये हुए ही अपने बेडरूम की ओर प्रस्थान कर ही रहा था कि उसके फ़्लैट की डोरबेल घनघना उठी।

" इस वक़्त कौन आ गया " जूली ने गोद में लटके हुए ही दरवाजे की तरफ देखा।

" शायद रोहित ही वापस आया होगा, कुछ बोलना भूल गया होगा " अभी गोल्डी ने जवाब दिया ही था कि डोरबेल फिर से अपना गला फाड़ने लगी। गोल्डी ने बुरा से मुंह बनाया और जूली को गोद में लिए हुए ही दरवाजे की ओर बढ़ गया। गोल्डी ने दरवाजा खोला ही था कि एक जोर की लात उसके जिस्म पर पड़ी, और गोल्डी, जूली के साथ ही भरभरा कर फ़र्श पर गिरा।उन दोनों को लगा कि शायद उनके फ़्लैट में अचानक से भूकंप आया है। लेकिन तभी उन दोनों की आंखें दहशत से चौड़ी हो गई, जब उन दोनों को अपने ऊपर एक साथ चार पिस्टल तनी हुई नजर आई।

" बिना किसी चूं चपड़ किये हमारे साथ चलो, अगर जरा भी शोर मचाया तो यही गोलियों से भूनकर रख दिये जाओगे " उन चारों में से एक आदमी ने कर्कश आवाज में बोला।

" कौन हो तुम लोग, हमने तुम्हारा क्या बिगाड़ा है " गोल्डी ने हिम्मत करके सवाल किया।

" अभी बिगाड़ा नहीं है, लेकिन बिगाड़ने का इरादा जरूर बना रहे हो, इसलिए कुछ दिन हमारे मेहमान बनकर रहोगे " उस बन्दे ने फिर से बोला।

" लेकिन भाई!ये तो बता दो की हमें मेहमान बना कौन रहा है " इस बार जूली ने सहमे हुए स्वर में कहा।

" ददुआ ! आज से तुम ददुआ के मेहमान रहोगे " ये सुनते ही वहां सन्नाटा पसर गया था।

                        *********

डोरबेल बजते ही शालू ने चिहुंक कर दरवाजे की ओर देखा था।

" बड़ी जल्दी वापस आ गया " शालू ने दीवार घड़ी पर नजर डालते हुए बुदबुदाया।

" आएगा क्यों नहीं..घर पर इतनी होंठ लड़की जो इंतजार में बैठी है " ये सोचकर शालू न केवल मन ही मन इठलाई बल्कि मन ही मन मुस्करा भी पड़ी थी वो तेजी से दरवाजे की ओर बड़ी। दरवाजा खुलते ही पिस्टल की एक ठंडी नाल शालू के माथे के ठीक बीचों बीच लग गई। मुम्बई के सदाबहार मौसम में यूं तो पसीना आना कोई बड़ी बात नहीं थी, लेकिन पसीना अगर माथे से बहकर पूरे चेहरे को भिगोने लगे तो बड़ी बात कही जा सकती है। माथे पर पिस्टल लगाये हुए ही उस आदमी ने शालू को अंदर की ओर धकेला।

" बिना शोर मचाये हुए!चुपचाप हमारे साथ चलो, कुछ दिन आप हमारी मेहमान बनकर रहोगी, अगर कोई चूं चपड़ की तो फिर हमारी बजाय ऊपर वाले का हमेशा के लिए मेहमान बनने के लिए रवाना कर दी जाओगी " उस बन्दे की बात ने शालू को दहशत से पहले ही भर दिया था। माथे पर पिस्टल लगी होने के बावजूद उसने सहमति में गर्दन हिलाने में कोई कोताही नहीं की।

                          *******

" वॉल्ट की मोटाई कितनी है " केलकर ने रोहित की ओर देखते हुए पूछा।

" वॉल्ट की दीवारें एक फीट मोटी है, और दरवाजा साढ़े तीन फीट मोटा है " रोहित ने बैंक की वॉल्ट का जुग्राफिया बताया।

" अगर इतनी मोटी परत है तो वेल्डिंग सेट से काटने में ही तकरीबन दो घँटे लगेंगे " मस्ती ने केलकर से पहले जवाब दिया।

" लेकिन आजकल जो वॉल्ट आ रही है, वे फायर प्रूफ होती है, वेल्डिंग सेट से उसे काटना ना मुमकिन होता है " रोहित ने मस्ती की बात को सिरे से नकार दिया।

" इस वक़्त तुम्हारी परेशानी ये होगी कि बैंक का सुरक्षा अधिकारी होने के नाते वॉल्ट का एक पासवर्ड तो तुम्हारे पास होगा, लेकिन मैनेजर का दूसरा पासवर्ड तुम्हारे पास नहीं होगा " केलकर ने समस्या को ताड़ लिया था।

" बिल्कुल सही कह रहे हो तुम..हर रोज सुबह मैं और मैनेजर पासवर्ड को बदलते है, वो पासवर्ड तो हम लोगों को पता होता है, लेकिन बैंक बंद करते वक़्त फ़िर से पासवर्ड को बदला जाता हैं, उस पासवर्ड को कोई भी आपस में शेयर नहीं करता है " रोहित ने समस्या की असली जड़ बताई।

" तुम्हें एक काम करना होगा, उस वॉल्ट की कंप्यूटर कोडिंग से छेड़छाड़ कर दो, जिससे शाम को पासवर्ड बदला न जा सके, उस स्थिति में शाम को ही पता चलेगा कि वॉल्ट का पासवर्ड नहीं बदला जा सकता है, इस स्थिति में अगर आप वॉल्ट की कंपनी में कम्पलेंट भी करते हो तो वो या तो वो अगले दिन ही आएगा, तब तुम्हें अपने साथ साथ मैनेजर का भी पासवर्ड पता होगा " केलकर ने रोहित की समस्या का पल भर में निदान कर दिया था।

" लेकिन मुझे कोडिंग के बारे में जीरो नॉलेज है, कहीं ऐसा न हो कि कोडिंग से छेड़छाड़ करते वक़्त कोई ऐसी गलती हो जाये कि फिर वो वॉल्ट किसी भी पासवर्ड से न खुले " रोहित ने अपनी कमजोरी बताई।

" कोडिंग में मैं मदद कर दूंगा..मैं तो आज गार्ड के रूप में बैंक में ही रहने वाला हूँ " केलकर तो इस वक़्त रोहित के लिये देवदूत बनकर आया था।

" मस्ती भाई फिर आपकी तो वॉल्ट के मामले में कोई भूमिका रही नहीं " रोहित ने अभी तक ख़ामोश बैठे मस्ती से पूछा।

" जब तुम लोगों की भूमिका खत्म हो जाएगी, तब मेरी भूमिका शुरू होगी, मान लो तुम लोगों की सारी मशक्कत के बाद भी वॉल्ट नहीं खुला तो मेरे पास एक ऐसा केमिकल हैं जो इस्पात की उस वॉल्ट को पिघला कर रख देगा और उस पर वेल्डिंग मशीन आसानी से काम करेगी " मस्ती ने अपनी उपयोगिता को सिद्ध किया।

" मतलब वॉल्ट बनाने वाली कंपनीयों का ये दावा झूठा हैं कि वॉल्ट सौ प्रतिशत सुरक्षित होता है, जिस पर आग भी असर नहीं करता " केलकर ने आश्चर्य से पूछा।

" जिस तरह हर कानून को बनने से पहले ही ढूंढने वाले उसमे बहत्तर सुराख ढूंढ लेते है, ऐसे ही हर चीज़ में कोई न कोई नुक्स होता ही है बस जरूरत होती है, एक पारखी नजर की " मस्ती ने उन दोनो की ओर देककर मुस्करा कर बोला।

" ठीक है, फिर हमें अभी बैंक निकलना होगा, तुम बैंक के सिक्युरिटी रूम में जाकर अपनी ड्रेस पहन लेना, मैंने वहां पर ड्रेस पहले से रखी हुई है, बाकी ट्रेनिंग तुम्हें रास्ते में दे दूंगा " ये बोलकर रोहित अपनी जगह से उठ खड़ा हुआ, जिसका अनुसरण साथ कि साथ ही सदाशिव केलकर ने भी किया।

                         *********

आज की रात इन लोगों के लिये कयामत की रात थी। जिस काम के लिए ये लोग पिछले दस दिनों से जी तोड़ मेहनत कर रहे थे, आज उस काम को मंजिल तक इन लोगों को पहुंचाना था। मस्ती, चरसी बेवड़ा जैसे मामूली गटर के ढक्कन चोर आज एक बड़ी डकैती के अगुआ बनने जा रहे थे। फरजाना जैसी टके टके में बिकने वाली एक धन्धेबाज लड़की आज एक और बैंडिट क्वीन बनने की राह पर थी। केलकर जैसा श्री चार सौ बीस भी अब मन से इन लोगों के साथ था क्योंकि जिस प्रकार की अय्याशी की जिंदगी का वो जीने का आदि था, उस जिंदगी के सब्जबाग सेलिना ने बड़े करीने से उसकी आँखों में सजाए थे।जैकाल और बलवन्त की तो जिंदगी ही इन कामों में बीती थी। रही बात रोहित मनचन्दा की, तो वो बन्दा मरता क्या न करता के अंदाज में इन लोगों का साथ दे रहा था, दूसरे शब्दों में कहे तो इन लोगो का साथ देना उसकी मजबूरी थी। लेकिन रोहित परेशान था कि दिन भर में गोल्डी और जूली को न जाने कितनी ही बार फोन मिलाए जाने के बावजूद उन लोगों में से किसी ने भी फोन नहीं उठाया था। फोन न उठाने का उसे एक ही कारण समझ में आ रहा था कि उसके सामने लंबी लंबी डींगें हांकने वाले वे लोग ददुआ का नाम सामने आते ही कागजी शेर बन चुके थे। यही हाल केलकर का था, उसकी भी समझ में नहीं आ रहा था कि आखिर शालू उसका फोन क्यों नहीं उठा रही है। लेकिन इन बेचारों को क्या पता था कि वो लोग इस वक़्त कहाँ और किस हाल में थे।

रात को ठीक आठ बजे दो गाड़ियों में वे सभी लोग अपनी अपनी किट को अपने कंधे पर डालकर बैंक की तरफ बढ़ गए थे।अंधेरी से मुम्बई के फोर्ट एरिया की तकरीबन तीस किलोमीटर की दूरी को नापने में उन्हें पैंतालीस मिनट लग गए थे। गाड़ी से उतरने से पहले ही उन लोगों ने अपने हेल्मेट पहन लिए थे। गाड़ी से उतरकर बलवन्त ने दुकान का शटर खोला। जब पहली गाड़ी के सभी लोग उतरकर दुकान में समा गये, तब दूसरी गाड़ी दुकान के सामने आकर खड़ी हुई थी। उसमे से भी उतरकर बाकी लोग दुकान के अंदर चले गए। उसके बाद वे दोनों गाड़ी बैंक से कोई पांच सौ मीटर आगे जाकर खड़ी हो गई।

एक सप्ताह में ही दुकान का अंदर का नक्शा पूरी तरह से बलवन्त ने बदल दिया था। दुकान के अंदर घुसते ही पांच फीट की दूरी के बाद एक लकड़ी की दीवार खड़ी कर दी गई थी। जिसके पीछे क्या चल रहा है, रोड पर सामने से आने जाने वालो को उसकी भनक भी नहीं लग सकती थी। सुरंग की खुदाई और कटाई के दौरान निकलने वाले मलबे को दो दिन पहले ही वहां से बड़ी सफाई से साफ कर दिया गया था। उस लकड़ी की दीवार के साथ इतनी जगह छोड़ी गई थी कि एक छोटा टेम्पो आराम से अंदर जाकर उस दीवार के पीछे जाकर खड़ा हो सकता था।बलवन्त ने जो गाड़ी आज दिन में यहां लाकर खड़ी की थी, वो गाड़ी सिक्युरिटी कंपनी की ही कोई गाड़ी थी, जो बैंक का पैसा इधर से उधर करने के काम में लाई जाती थी। दुकान में घुसते ही बलवन्त, जैकाल, मस्ती ने सुरंग के दरवाजे से लकड़ी का फट्टा हटाया और वे लोग सुरंग में घुस गए। जैकाल ने जल्दी से कटर को छत के उस हिस्से पर लगाया, जिस हिस्से को काटने के बाद उन्हें सीधा वॉल्ट रूम में प्रवेश करना था।

" अगर वॉल्ट सही सलामत खुल गया तो, हमे फिर बैंक के दूसरे हिस्सो को देखने की जरूरत नहीं पड़ेगी..हम इसी रास्ते से जाकर वापिस आ सकते है " सेलिना ने शीबा और फरजाना की ओर देखकर बोला।

" लेकिन सेलिना..ये जो छत को काटने के बाद जो घेरा बनेगा उसमें से एक बार में सिर्फ एक ही आदमी ऊपर जा पाएगा, फिर हम नोट से भरे हुए इन एयर बैग को कैसे वहां से निकालेंगे " शीबा ने आज पहली बार उस जगह को देखा था।

" इस तरफ तो किसी ने सोचा ही नहीं था " सेलिना ने चिंतित स्वर में बोला।

" इस घेरे का व्यास और ज्यादा बढ़वाना पड़ेगा..नहीं तो फिर हमारी सारी मेहनत पर पानी फिर जाएगा " फरजाना ने शीबा की बात का समर्थन किया।

" छत में घेरा बन गया है, जल्दी इधर आ जाओ " तभी जैकाल की खुशी से भरी आवाज उन लोगों के कानों में पड़ी। वे तीनों जैकाल की आवाज सुनते ही सुरंग में घुस चुकी थी। सेलिना ने देखा कि मस्ती और रोहित उस घेरे में से ऊपर चढ़ भी चुके थे।

" बलवन्त एक प्रॉब्लम है..ये एयर बैग नोट भरने के बाद इस घेरे में से निकल नहीं पायेंगे..इस घेरे को और काटना पड़ेगा " सेलिना ने बलवन्त को बोला।

" उसकी जरूरत नहीं पड़ेगी सेक्सी! दो लोग नीचे ही रुकेंगे, एयर बैग को इस घेरे के नीचे ही ओपन करके रखेगे, हम लोग वॉल्ट से नोट के बंडल निकाल कर यही पर ऊपर से डालते रहेंगे " जैकाल ने तुरंत उनकी समस्या का समाधान किया।

" तुम दोनो फिर नीचे ही रुको...नीचे के काम की जिम्म्मेदारी तुम दोनो की रहेगी " सेलिना ने शीबा और फरज़ाना की ओर देखकर बोला।दोनो ने सहमति में अपने सिर को हिलाया।

उसके बाद जैकाल बलवन्त और सेलिना भी बारी बारी से उस घेरे से उस वॉल्ट रूम में पहुंच चुके थे, जहाँ रोहित और मस्ती अभी तक वॉल्ट खोलने के लिये अपने हाथ आजमाना शुरू कर चुके थे। बलवन्त, जैकाल और सेलिना धड़कते हुए दिलो के साथ उन दोनों की कोशिश को देख रहे थे। रोहित अपने मोबाइल फोन से कोई कोड देखकर वॉल्ट पर लगी नंबर प्लेट पर उस कोड को लिख रहा था। ऐसा वो अब तक तीन बार कर चुका था। नंबर डालने के बाद मस्ती दरवाजे के हैंडल को घुमाकर देखता था, लेकिन वॉल्ट का दरवाजा टस से मस नहीं हो रहा था।


क्रमशः



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