हर स्त्री प्रताड़ित है कहीं ओहदे से,कहीं गुरुर से,कहीं जिम्मेदारियो से,कहीं धर्म संस्कार की आड़ से,क... हर स्त्री प्रताड़ित है कहीं ओहदे से,कहीं गुरुर से,कहीं जिम्मेदारियो से,कहीं धर्म...
दुनिया बराबरी वाली दुनिया बराबरी वाली
अपनी नकारात्मक सोच पर अफसोस हुआ अपनी नकारात्मक सोच पर अफसोस हुआ
जो रिश्ते समय के अभाव में सूख रहे थे वो कुछ पल के छींटों से फिर जीवित होने लगे। जो रिश्ते समय के अभाव में सूख रहे थे वो कुछ पल के छींटों से फिर जीवित होने लगे।
खुद के लिए भी सोचना चाहिए। क्यूंकि जिंदगी हमारी है। खुद के लिए भी सोचना चाहिए। क्यूंकि जिंदगी हमारी है।
क्या यही प्रकृति का न्याय है? क्यों सजा सम्पूर्ण मानवजाति को मिलती है! क्या यही प्रकृति का न्याय है? क्यों सजा सम्पूर्ण मानवजाति को मिलती है!