समय
समय


कल तक समय नहीं था रिश्ते निभाने का पर आज समय ही समय है अतुल सोच रहा था।
तीन दिन हो गए लाक्डाउन के। ऋचा के कामों में मदद किया ऑफ़िस का भी कुछ काम निपटाया पर अब बोरियत हो रही घर में।
ऋचा ने सुझाव दिया क्यूँ ना हम विडिओ कॉल के ज़रिये सब रिश्तेदारो से बात करते हैं, समय भी कट जाएगा और सबको देख और बात कर लेंगे।
फिर हम जुट गए, सच को बहुत अच्छा लगा, जिन बच्चा को छोटा देखा वो थोड़े बड़े हो गए, जो रिश्ते समय के अभाव में सूख रहे थे वो कुछ पल के छींटों से फिर जीवित होने लगे।