Unmask a web of secrets & mystery with our new release, "The Heel" which stands at 7th place on Amazon's Hot new Releases! Grab your copy NOW!
Unmask a web of secrets & mystery with our new release, "The Heel" which stands at 7th place on Amazon's Hot new Releases! Grab your copy NOW!

Sangita Tripathi

Others

5  

Sangita Tripathi

Others

#नदी के दो किनारें

#नदी के दो किनारें

4 mins
567



माधव केबिन में चेयर पर ढह सा गया..। फाइल के अम्बार उसे मुँह चिढ़ाते प्रतीत हुए..। आँखे बन्द कर ली,....। आज ना जाने किसका मुँह देख कर उठा था... सुबह से कुछ भी अच्छा नहीं हो रहा..। रमा का मुँह फूला हुआ हैं..। कल मोबाइल घर में छूट गया था.. जैसे ही भाग कर लेने आया, तब तक विस्फोट हो चुका था..।


कल से रमा को यक़ीन दिला रहा... जो सोच रही हो वैसा कुछ नहीं..., दिल से आवाज आई क्या तुम सही बोल रहे...। माधव चुप रह गया... इस सच्चाई से भी इंकार नहीं कर पाया, कि रोमा के बगैर भी जीवन सोच नहीं पाता..।


नौकरी पर लगते ही बाबू जी ने माधव का विवाह कर दिया...। रमा उनके घनिष्ठ मित्र की बेटी थी... माधव शहर में नौकरी करता था.. शहर की चकाचौध से प्रभावित था..।वो कुछ समय शादी नहीं करना चाहता था,...पर बाबूजी के आगे उसकी एक ना चली..। रमा कस्बे की सीधी -सादी लड़की थी,..।उसकी सोच, सिर्फ घर -परिवार ही था.।उसे आधुनिक लटके -झटके नहीं आते थे.। कुछ समय बाद रमा दो बेटों की माँ बन गई, बच्चों के परवरिश में, भूल गई वो एक पत्नी भी हैं...। रमा के व्यस्त होते ही माधव जी के पास समय ही समय हो गया... रमा उनके बोलने से पहले ही सब कुछ हाजिर कर देतीं थी...।कोई शिकायत का मौका नहीं देतीं थी... इंसान को जब सब कुछ सहजता से मिल जाता,तो उस वस्तु की कद्र कम हो जाती..। जग की यहीं रीति हैं... और यहीं माधव ने किया .। कब और कैसे अपनी सेक्रेटरी रोमा से उनके सम्बन्ध बन गए... उन्हे याद नहीं..।रोमा का खूबसूरत तन तो देखा, पर रमा का खूबसूरत मन नहीं देख पाये..। आधुनिक रोमा.. को पता था, सामने वाले को किस तरह आकर्षित किया जाये..। माधव उसका अधिकारी था...,। जाने क्यों माधव की सरलता उसका मन मोह गई.....,। और एक कदम माधव ने बढ़ाया तो दो कदम रोमा ने बढ़ा दिया... रोमा जानती थी माधव विवाहित हैं, दो बच्चों के बाप हैं...। पर उसे उम्मीद थी की माधव उसका हो जाएगा... इसके लिए प्रयत्नशील थी... कभी -कभी उसकी माँ डांटती थी... क्यों किसी का घर उजाड़ रहो हो... कोई दूसरा पसंद कर लो...,। पर रोमा को अपने ऊपर बहुत विश्वास था... एक दिन जीत उसकी ही होंगी..।


इसमें कोई शक नहीं,कि रमा अच्छी पत्नी और माँ थी, पर पुरुष का चंचल मन... लगाम खींच कर रखो तो ठीक, नहीं तो गुल खिला ही देता..।रमा को याद आया एक दिन माधव के घनिष्ठ मित्र ने रमा को आगाह किया था... पर धर्मभीरू रमा अपने पति पर अविश्वास नहीं कर पाई...। पर कल माधव अपना मोबाइल भूल गया था.. आधे रास्ते से वापस आया,तो रमा को मोबाइल लिए बैठा पाया...। रमा काठ सी हो गई थी,.. वो यकींन ही नहीं कर पा रही थी,..कि उसका पति उसे धोखा भी दे सकता हैं..।माधव मोबाइल भूल कर चला गया था... मोबाइल पर कॉल आने से रमा का ध्यान मोबाइल पर गया... भाग कर कॉल का बटन दबाया ही था कि उधर से आवाज आई... "क्या बात हैं डार्लिंग अभी तक आये नहीं..। मै इंतिजार कर रही हूँ...।" उधर से कोई जवाब ना पाकर रोमा ने "पूछा कौन हैं... "बड़ी मुश्किल से थूक निगलती रमा बोली.. "वो मोबाइल घर भूल गए... "तभी माधव घबराते हुए अंदर आये...। पर जो होना था हो गया..।


माधव ने ऑफिस से छुट्टी ले रमा को बहुत सफाई दी..., पर रमा ने कुछ ना बोलने कि कसम खा ली..। सुबह से रात हो गई रमा ने एक बूंद पानी का नहीं पिया..।माधव परेशान थे.., उधर रोमा को लगा लोहा गर्म हैं, अब बात बन सकती हैं... माधव को उकसाया.. रमा को सबकुछ बता कर तलाक ले लो..।


रात भर परेशान रहने पर भी कोई हल ना मिला... बच्चों के सहमे चेहरे, माधव को कष्ट दे रहे थे....।.. सबसे ज्यादा दिल चीर रहा था रमा का मौन..। रमा लड़ती -झगड़ती तो उनको कुछ सहजता रहती,..., पर रमा का मौन उनको असहनीय लग रहा था..।आज उनकी आभास हुआ रमा से उनको बेहद प्रेम हैं... पर फिर रोमा... एक प्रश्नचिन्ह सामने आ जाता..। बहुत विश्लेषण किया... समझ में नहीं आया, एक समय दो लोग कैसे दिल के करीब हो सकते हैं..।


सुबह रमा के हाथ एक चिट रख आये थे... गलती हुई है मुझसे,.. पति -पत्नी के गरिमा पर दाग लगा दिया , माफ कर दो, आगे शिकायत नहीं होंगी.। माफ कर दोगी तो कॉल करना मै घर आ जाऊंगा...।


शाम ढल रही थी, रमा का फ़ोन नहीं आया...रोमा सुबह से उनके साथ थी... मंद मंद मुस्कुराते रोमा बोली.. "अब आप मेरे घर चलिए..." तभी मोबाइल बज उठा... रमा का कॉल था...।


माधव जी रोमा को हाथ जोड़ घर लौट गए... सुलह की उम्मीद में..। रमा भारतीय नारी थी... अपने स्वार्थ के लिए बच्चों को क्यों पिता से जुदा करती..। माधव जी को बच्चों के पिता के रूप में अपना लिया... पर पति के रूप में नहीं अपना पाई..।माधव जी ने अपना ट्रांसफर करवा लिया..।


बच्चें बड़े हो गए, पर माधव जी नदी के उस किनारें पर नहीं पहुंच पाये, जो रमा को जोड़ती हैं उनसे..। समर्पित दिल जब टूटता हैं, तो जुड़ता नहीं... अपने साथ सब बहा ले जाता हैं..।पति -पत्नी नदी के दो किनारें की तरह रह जाते..।



Rate this content
Log in