The Stamp Paper Scam, Real Story by Jayant Tinaikar, on Telgi's takedown & unveiling the scam of ₹30,000 Cr. READ NOW
The Stamp Paper Scam, Real Story by Jayant Tinaikar, on Telgi's takedown & unveiling the scam of ₹30,000 Cr. READ NOW

Sangita Tripathi

Romance

4.7  

Sangita Tripathi

Romance

#बदलते लम्हों की कहानी

#बदलते लम्हों की कहानी

5 mins
426


 कई बार जिंदगी में कुछ लम्हें ऐसे आते है, जो कभी भुलाये नहीं जाते। यादें बन दिल में दफ़न हो जाते है। या ये कहो दफ़न करने के अलावा कोई चारा नहीं होता। क्योंकि अधूरी दास्ताँ जो पूरी नहीं हो सकती, विधाता नें जिस कहानी को लिखते लिखते अचानक कलम रोक ली हो, वो कैसे पूरी होंगी।

जनवरी का सर्द दिन था। शीत लहर चल रही थी सूर्य देवता भी कुछ आलस कर रहे थे,।अपनी रजाई से निकलने में।पर कनु यानि कनुप्रिया को अपनी रजाई से निकलना पड़ा था। माँ की दवाइयाँ लेने बाजार जाना पड़ा सोचा स्कूटी से जाएगी और जल्दी लौट आएगी । माँ नें टोका भी था स्कूटी धीरे चलाना बहुत कोहरा है "बस माँ मै यूँ गई और यूँ आई"कह निकल ली। दवा ले वो वापस लौट रही थी,तो स्कूटी ख़राब हो गई इतनी ठण्ड में उसने भी चलने से इंकार कर दिया। कुछ दूर घसीट कर लाई पर थक गई सामने बस स्टैंड बना था।वही बैठ गई।शाम हो चली हवा में ठंडक बढ़ती जा रही थी कनु ठण्ड से

ठिठुरती समझ नहीं पा रही, स्कूटी वही छोड़ दे या घर ले जाये। आस पास कोई मैकेनिक नहीं दिख रहा । तभी बाइक से कोई गुजरा कनु नें हेल्प के लिए हाथ उठाया फिर घबरा कर नीचे कर दिया पता नहीं वो व्यक्ति कैसा हो। सड़क पर दो तीन लोगों की आवाज आ रही थी अब कनु को डर लगने लगा अपने को कोस रही थी हड़बड़ी में मोबाइल भी छोड़ आई थी घर पर। बाइक के रुकने की आवाज से उसकी तन्द्रा टूटी।अरे ये तो वही बाइक वाला है,जिसे वो हाथ दिखा रही थी। कनु नें धीरे से अपना हाथ पैरों में पहनी सैंडल पर बढ़ाया" अरे मैडम क्या कर रही है मै तो आपकी मदद के लिए आया हूँ। सैंडल से मार खाने नहीं मुझे गलत मत समझिये।" तब झेंप कर हाथ वापस खींच लिए। "हाँ क्या हुआ आपकी स्कूटी को।" कह वो स्कूटी देखने लगा थोड़ी देर में स्कूटी स्टार्ट हो गई। पर बढ़ते ठण्ड को देख बाइक वाले नें चाय पीने का ऑफर दिया कनु बोली" देर हो रही है घर में सब परेशान हो रहे होंगे।" धन्यवाद दे वो स्कूटी से घर आ गई। रात बार बार ध्यान बाइक वाले पर जा रहा था जिसने उसकी स्कूटी ठीक कर उसकी परेशानी दूर की। उफ़ उसने तो नाम भी नहीं पूछा। और बार बार क्यों याद आ रहा। दिल नें कहा "शायद तुम्हे पसंद आ गया"। दिमाग नें कहा" उफ़ कुछ भी अरे उसने मदद की और मैंने धन्यवाद दे दिया बस।" रात देर से आँख लगी। नींद में भी उसी अजनबी के सपनें आते रहे।

सुबह यूनिवर्सिटी गई दिन भर अपने काम में लगी रही, तभी एक परिचित आवाज सुनाई दी देखा वही अजनबी।" अरे आप यहाँपर मै आपका पीछा करते नहीं आया हूँ बाप रे कल तो मुझे सैंडल पड़ते पड़ते बच गई। "सबके ठहाकों से स्टॉफ रूम गूंज उठा। पता चला वो अंग्रेजी का नया प्रोफेसर है। कनु बोली" आप कहीं से प्रोफेसर लगते नहीं मिस्टर प्रतीक मेरा नाम प्रतीक है। कह वह शरारत से मुस्कुरा दिया। मेरी क्लास हैकह वो चला गया पर उसकी शरारत भारी मुस्कान कनु का चैन छीन ले गई।

फिर क्या यूनिवर्सिटी के कैटीन में, स्टाफ रूम में, हर जगह उनके इश्क की चर्चा होने लगी। कहते है ना की,खुशी ज्यादा दिन एक जगह नहीं ठहरती है। वही कनु के साथ हुआ। एक दिन प्रतीक नें बताया की उसका विदेश के किसी कॉलेज में तीन साल के लिए अनुबंध हो गया है। वो बहुत दिन से कोशिश कर रहा था ।आज उसका नियुक्ति पत्र आ गया। प्रतीक की खुशी देख कनु कुछ कह नहीं पाई। अगले दिन प्रतीक नें कनु से पूछा तुम खुश नहीं हो। मै खुश हूँ पर हमारे इस रिश्ते का क्या होगा। मै तीन साल बाद वापस आ जाऊंगा शादी तो मै तुम्ही से करूँगा। पर इतना लम्बा इंतजार कनु रो पड़ी उसके आँसू पोंछते प्रतीक बोला तुम्हे भरोसा नहीं है मुझ पर। है फिर क्यों परेशान हो।और वादों के साथ प्रतीक चला गया।

यूनिवर्सिटी जाने का मन नहीं करता था।। हर जगह प्रतीक की यादें थी पर पेट की आग सिर्फ प्यार से नहीं बुझती। एक साल तक तो प्रतीक नियमित रूप से फ़ोन करता रहा ।फिर धीरे धीरे फ़ोन कॉल कम हो कर, बन्द हो गये ।उसकी कोई खबर नहीं। सात साल बीत गये कनु आज भी इंतजार कर रही छोटे भाई बहनों की शादी हो गई अब कनु अकेली रह गई।माँ -पापा कनु कों दुल्हन बनी देखने की आस ले दुनिया छोड़ गये। एक कहानी पूरी ही नहीं हुई। कभी कभी शायद अधूरी कहानी भी लिखी जाती है। लम्हों का क्या हर पल बदलते रहते है।

शाम का धुंधलका फ़ैल रहा था।  यादों के भंवर से निकल कनु यथार्थ में आ गई। उठ कर लाइट जलाई। अब तो वो यूनिवर्सिटी कैंपस में रहती है।कुछ समय पहले उसे भी एक सेमीनार में ऑक्सफ़ोर्ड जाने का मौका मिला ।वहां उसकी बचपन की सहेली महिमा भी रहती थी कॉल किया उसेदोनों एक रेस्टोरेंट में मिले, जहाँ से उसे महिमा के घर जाना था।महिमा नें वही रहने वाले भारतीय लड़के से शादी कर ली थी।फोटो देख सन्न रह गई कनु। उठ कर वापस होटल आ गई थी महिमा पुकारती रहीअभी मेरे पति भी आने वाले है हम साथ में घर चलेंगे। कैसे बताती,वो उसके पति से नहीं मिलना चाहती।उसका पति यानि प्रतीक। कनु का प्यार , जिस प्यार की कशिश से वो इतने सालों महकती रही,। आज उसी की बेवफाई से दिल टूट गया प्यार में धोखे की बू आते ही सब ख़त्म हो गया।अगले  दिन की फ्लाइट पकड़ वो इंडिया वापस आ गई थी बस तब से वो और उसके स्टूडेंट जिंदगी यहीं तक रह गई थी पर खूबसूरत लम्हें जिंदगी के अक्सर याद आ जाते है।     


Rate this content
Log in

More hindi story from Sangita Tripathi

Similar hindi story from Romance