Sangita Tripathi

Tragedy Inspirational

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Sangita Tripathi

Tragedy Inspirational

कौन करेगा, इससे शादी..

कौन करेगा, इससे शादी..

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चौराहे पर भीड़ देख, मेरे पैर उधर मुड़ गये। देखा एक लड़की सड़क के किनारे तड़प रही थी। किसी से पूछा "क्या हुआ इसे।" जवाब मिला, "एसिड डाल दिया किसी ने।" दूसरे ने बोला -"अजी किसी ने नहीं, इसके बॉयफ्रेंड ने डाला होगा, आजकल की लड़कियाँ कम बदमाश हैं" कह मुँह बिचका चल दी वो। मैं उन्हें कोई जवाब देना चाहती थी, पर तब तक लड़की की चीखें तेज हो गईं। मेरे हाथ में दूध के पैकेट थे, तुरंत खोल उसके ऊपर डालना शुरू किया। मुझे देख, कुछ और लोग भी दूध के पैकेट ले आये। किसी ने एम्बुलेंस बुला ली

लड़की को अस्पताल ले जाया गया। लड़की का चेहरा देख मैं सन्न हो गईं ये तो माधवी भाभी की बेटी मोना लग रही थी। मोना को कौन एसिड डालेगा। उसकी तो सगाई हो चुकी है।


   दौड़ कर मैं घर पहुंची, बगल में माधवी भाभी के घर गईं, तो देखा वो लोग घबराये हुये अस्पताल जाने की तैयारी कर रहे थे। मुझे देखते ही रो पड़ी माधवी भाभी।

  "क्या बिगाड़ा था मेरी फूल सी बच्ची ने "रोते हुये माधवी भाभी बोली। माधवी भाभी को चुप करा अस्पताल भेजा। घर आई।

  सासु मां ने कहा -"क्या होगा मोना का, सुना हैं एसिड चेहरे पर ही डाला हैं। कैसे होंगी उसकी शादी, रोका तो हो गया, कहीं लड़के वाले रिश्ता ना तोड़ दें।"


   " अब जो होगा देखा जाएगा "कह मैं काम में लग गईं। पर मन सासुमां की बातों में अटका था। माधवी भाभी के परिवार के लिये भी खाना बना। मैं उनके घर देने गईं तो, आंटी यानी माधवी भाभी की सासुमां बिलख रही थी। उनको शांत करा खाना खिलाया। माधवी भाभी, उनके पति और बेटा अस्पताल में थे। आंटी बोली "पता नहीं उन लोगों ने कुछ खाया होगा या नहीं।" आंटी को खाना खिला। मैं अस्पताल पहुंची। कौन था, जिसने ये हरकत की, कुछ पता नहीं चल रहा। मोना होश में आएगी तभी बता पायेगी।


         अस्पताल के लॉबी में माधवी जी को ढूंढ़ने का प्रयास किया, तो एक कोने में निश्छल प्रतिमा सी बैठी मिल गयी। कंधे पर हाथ रखा तो चौक गईं। पास बैठे, सोलह वार्षिय बेटे की आँखों में एक अव्यक्त प्रतिशोध दिख रहा था। माधवी जी शून्य में देख रही थी। किसी तरह बेटे को, खाने के लिये तैयार किया। वो माधवी जी को बाहर ले आया। अचानक माधवी जी फफक पड़ी -अब क्या होगा, "कौन करेगा इससे शादी? " चेहरा इतना ख़राब हो गया हैं।


   "भाभी शादी तो तय हैं, फिर क्यों परेशान हो रही हैं।"

 "पूनम!, मोना के ससुराल वालों को खबर कर दी, कोई आया नहीं। ना दामाद बाबू फ़ोन उठा रहे हैं।"

  "हो सकता हैं भाभी, मोना का मंगेतर बिजी हो कहीं।"

"पता नहीं "कह माधवी भाभी अनमनी हो गईं। सबको दिलासा दें मैं घर लौट आई।


 पर मन वहीं माधवी भाभी के पास अटका रहा। दूसरे दिन दूध लेने निकली तो, पड़ोसियों की कुछ अस्पष्ट बातें सुनाई दी। कोई बोला -अरे लड़की बहुत तेज थी, अपने आगे किसी को समझती नहीं थी। ये वहीं पड़ोसी हैं। जिनके लिये माधवी भाभी हमेशा खड़ी रहती थी। कल तक जो माधवी भाभी की तारीफ़ करते नहीं, अघाते। आज वहीं माधवी भाभी निर्दोष होते हुये भी, सब की आँखों की किरकिरी बनी हुई हैं।


       कुछ दिन बीत गये, मैं रोज अस्पताल जाती थी। पता चला वो लड़का पकड़ा गया। वो किसी और पर एसिड डालना चाह रहा था, मोना की कद -काठी उस लड़की की तरह थी, इसलिये गलती से मोना के ऊपर डाल दिया। पर इस गलतफहमी की सजा तो मोना ही भुगत रही हैं।


    मोना के ससुराल में से कोई नहीं आया। मैं मोना को बहुत समझाती, माधवी भाभी को दिलासा दिलाती, सब ठीक हो जाएगा। पर ठीक कुछ नहीं हुआ। मोना इंतजार करती रही, पर अंकित (मोना का मंगेतर )नहीं आया।

     आज मोना घर आ गईं। मैं मिलने गईं तो, देखा मोना की उँगली से वो हीरे की अंगूठी गायब थी। मेरी प्रश्नवाचक दृष्टि देख, मोना फीकी मुस्कान से बोली "आंटी, कोई मुझे छोड़े, मैं उससे पहले उसे छोड़ देना चाहूँगी, वैसे भी इस अंगूठी ने, मुझे बेड़ियों से जकड़ा हुआ था। आज मैं आजाद हो गईं। मुझे आगे बढ़ना हैं, एक नये सिरे से जीवन को संवारना हैं।" कहते -कहते मोना, सिसक उठी, पर मजबूत भी बनी।


   "मोना तुम तो बहादुर हो, जो भी परिस्थिति आई हैं, डट कर सामना करो। चेहरा अच्छा बुरा होने से कुछ नहीं होता, इंसान का दिल अच्छा होना चाहिए, साथ ही इतना काबिल बनो कि लोग तुम्हारा चेहरा नहीं तुम्हारे गुण देखें। दिल अच्छा हो तो चेहरा अपने आप अच्छा दिखने लगेगा। बस वो आँखें चाहिए, जो दिल कि खूबसूरती देख सके।"


"पर कौन करेगा इससे शादी " मोना की दादी बोल पड़ी।

"शादी, जरूरी नहीं हैं माँ "इतने दिनों से चुप रही माधवी भाभी बोल पड़ी।

 "मोना अपनी आगे की पढ़ाई पूरी करेगी, अच्छा हुआ रिश्ता ख़त्म हो गया।" मेरी भी आँखें खुल गईं हैं।" कभी जवाब ना देने वाली माधवी भाभी ने मजबूती से जवाब दिया।


   समय अपनी तेज रफ़्तार से चल रहा था। मोना के बिगड़े चेहरे ने, उसके हौसलों को और हिम्मत दी। आज मोना भागती हुई आई -"आंटी में सिविल सर्विसेज में चुन ली गईं। आप ने साथ ना दिया होता तो, मैं इतना ना कर पाती " आँखों में आँसू भरे, उसे कहा।

  "ना बेटे, ये तुम्हारी काबिलीयत और मेहनत हैं, जिसने तुमको यहाँ तक पहुंचाया" कह मैं उसे गले लगा ली।


    समय ने करवट ली, उसके एक कलीग ने, मोना के दिल की खूबसूरती देख ली थी, शादी का पैगाम, मोना के घर भेजा। पहले मोना तैयार नहीं हुई, पर जब हर्ष ने उसे बताया, वो तरस खा कर नहीं, प्यार करता हैं, इसलिये शादी करना चाहता हैं। क्योंकि उसने भी बड़े संघर्ष देखें हैं।


     मोना और हर्ष की शादी हो गईं। कहाँ वो, बैंक के एक कलर्क की पत्नी बन रही थी, और कहाँ आज आई. पी. एस. अधिकारी की पत्नी बन गईं। किस्मत क्या -क्या गुल खिलाती हैं। भविष्य के गर्भ में क्या छुपा हैं। कोई नहीं जानता।


      सखियों, अपने आस -पास, आपको कई निर्दोष ऐसे ही, गलतफहमी के घेरे में, मारे दिखाई देते हैं। कुछ ना कर सके तो आलोचना भी ना करें।

कुछ उनका मनोबल बढ़ाये।



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