Prafulla Kumar Tripathi

Tragedy

4.8  

Prafulla Kumar Tripathi

Tragedy

प्रिय बेटे !

प्रिय बेटे !

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कुछ अधूरे ख़्वाब ,

अपने साथ लेकर |

तुम कहाँ ,

क्यों खो गए ?


सुलगते जज्बात ,

दिल की ढेर सारी बात लेकर |

तुम कहाँ ,

क्यों खो गए ?


क्या हुए हालात ,

क्या थी बात |

दास्ताँ तुम सुनाते ,

क्यों खो गए ?


किसका था यह शाप ,

यम की पड़ी ऎसी थाप |

विवश मन को छटपटा ,

क्यों खो गये ?


बाप के काँधे पे ,

तेरी लाश |

सारे तीर्थ , पुण्य-प्रताप ,

क्यों खो गए ?




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