प्रिय बेटे !
प्रिय बेटे !
कुछ अधूरे ख़्वाब ,
अपने साथ लेकर |
तुम कहाँ ,
क्यों खो गए ?
सुलगते जज्बात ,
दिल की ढेर सारी बात लेकर |
तुम कहाँ ,
क्यों खो गए ?
क्या हुए हालात ,
क्या थी बात |
दास्ताँ तुम सुनाते ,
क्यों खो गए ?
किसका था यह शाप ,
यम की पड़ी ऎसी थाप |
विवश मन को छटपटा ,
क्यों खो गये ?
बाप के काँधे पे ,
तेरी लाश |
सारे तीर्थ , पुण्य-प्रताप ,
क्यों खो गए ?