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Ayushi Akanksha

Tragedy

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Ayushi Akanksha

Tragedy

हर फूल पराया है।

हर फूल पराया है।

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हवाओं में लिपटी है खुशियां कहीं

कहीं घुटन में बंद कोई काया है,

मैं वो बाग हूं,संसार का 

जिसका हर फूल पराया है।


किसी रात का अंधेरा हूं,

बिना रौशन सवेरा हूं,

आंसू हूं मैं खुद ही की

बेघर गमों का बसेरा हूं।

एक महल है खूबसूरत सा

जो गमों का बसाया है,

मैं वो बाग हूं,संसार का 

जिसका हर फूल पराया है।


ज़ख्म हूं मैं आप की,

बिना पांव किसी छाप की,

वजह हूं हर तकलीफ की मैं खुद ही,

भागीदार किसी अभिशाप की।

एक बगिया है,लाली भरा,

जो जख्मों का बनाया है।

मैं वो बाग हूं संसार का 

जिसका हर फूल पराया है।


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