चुनाव
चुनाव
चुनाव आए
तमाम वादें -दावे और गारंटियां की गईं !
चुनाव संपन्न हुए ,
लो आज नतीजे भी आ गए ,
मगर जनादेश किसको मिला ?
अगले चुनाव तक जनता भी अनभिज्ञ है इससे !
कुछ इसी तरह से चुनाव आते हैं और चले जाते हैं ,
और जनादेश घूमता रहता है ,
और जनता वही के वहीं रहते हैं!
उनकी समस्याएं भी धरी की धरी रहती हैं।