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S N Sharma

Abstract Tragedy

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S N Sharma

Abstract Tragedy

मैं चला जाऊंगा।

मैं चला जाऊंगा।

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मेरे हमदम तुझे मुझसे न कल गिला होगा।

मैं चला जाऊंगा यादों का सिलसिला होगा।

बहुत कम वक्त है ए मेरे यार खुशी से जी ले।

जाने क्या कल को ,जिंदगी का फैसला होगा।

यह तो तय है कि ये रोशनी है शाम भर के लिए

अंधेरा रात में ए दोस्त तुझे भी तो मिला होगा।

रात भर कैद में थे मधुकर कमल के फूलों में।

दिन में तो हर फूल चटक धूप में खिला होगा।

यह जो बादल से बरस कर  नदी में बहता है।

पिघल के जो बहता है कभी हिम शिला होगा।



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