STORYMIRROR

Ratna Kaul Bhardwaj

Tragedy

4  

Ratna Kaul Bhardwaj

Tragedy

मेरे अपने

मेरे अपने

1 min
321


न जाने एक राह पर चलते चलते

कब हम दोराहे पर आ गए

तुमने एक राह पकड़ी, मैंने एक

कई मोड़ आए वापिस मुड़ने के लिए,

पर न तुम मुड़ गए, न हम, और

इस तरह सिर्फ फासले बढ़ते गए

और यूं जिंदगी से हम हारते रह गए।

काश गफलतों को हवा न दी होती

एक बार खुल के बात की होती

ए नसीब! जिंदगी यह न होती

अपनी कहानी कुछ और ही होती

मेरी रूह में तुम बसे होते,

तेरी में हम सकून पाते

मेरी रूह तेरी गुलाम होती,

तुम मेरे अपने होते, मेरे अपने......



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy