मेरे अपने
मेरे अपने
न जाने एक राह पर चलते चलते
कब हम दोराहे पर आ गए
तुमने एक राह पकड़ी, मैंने एक
कई मोड़ आए वापिस मुड़ने के लिए,
पर न तुम मुड़ गए, न हम, और
इस तरह सिर्फ फासले बढ़ते गए
और यूं जिंदगी से हम हारते रह गए।
काश गफलतों को हवा न दी होती
एक बार खुल के बात की होती
ए नसीब! जिंदगी यह न होती
अपनी कहानी कुछ और ही होती
मेरी रूह में तुम बसे होते,
तेरी में हम सकून पाते
मेरी रूह तेरी गुलाम होती,
तुम मेरे अपने होते, मेरे अपने......
