आजकल
आजकल
आजकल वो बहुत बदलने लगे हैं,
नजदीकियों के साए में दूर होने लगे हैं।
यह कौन सी गलतफहमी होने लगी है,
जिसके शिकार हम और वो होने लगे हैं।
इतना मासूम दिल गहरे जख्म कैसे सहे,
उनकी रुखसत से आंखों में दरिया बहे।
बहुत कोशिशों से दिल को संभाला है,
ऐसा लगता होश जिंदगी ने संभाला है।
तसव्वुर अब वक्त को हमसफ़र बनाया है,
फिर गिरें इश्क में हम किसी के होकर के,
ऐसी जिंदगी को लानत उनकी याद अच्छी,
जिसने हर बार लगी ठोकर से संभाला है।
