मेरे अंकल की कहानी
मेरे अंकल की कहानी
आप सभी को सच्ची बात बताता हूँ,
किरदारों की पहचान छुपा बताता हूँ।
एक मेरे अंकल की कहानी सुना रहा,
दर्द-भरी अंकल की कहानी सुना रहा।
बहुत ही ज़्यादा ख़ुशहाल परिवार था,
हसमुख संयुक्त उनका वो परिवार था।
अंकल पर मुसीबतें आनी शुरू हो गई,
जिस दिन नौकरी करके रिटायर हुए थे।
कुछ दिन तक सबकुछ सही चलता था,
हँसते मुस्कुराते चेहरों को मैंने देखा था।
अंकल के दो बेटे और दोनों शादी-शुदा,
उनकी दो बहुएं और घमंडी जो ज़्यादा।
अंकल ने बहुत बड़ी गलती नहीं की थी,
बल्कि बहुत बड़ा गुनाह जैसे किया था।
उन्होंने सबकुछ बेटों के नाम किया था,
उस दिन उनका भाग्य ही रूठ गया था।
अंकल और आंटी का जीना हराम हुआ,
उनके साथ रोज़ ही बुरा बर्ताव हुआ था।
जो शहर की नामी-गिरामी हस्ती हुए थे,
घर में सांस लेना तक दुर्भर हो गया था।
अंकल और आंटी ने सब बर्दाश्त किया,
नौकर से भी ज़्यादा बुरा बर्ताव हुआ था।
आंटी को एक दिन हार्ट अटैक हुआ था,
अंकल को तन्हा आंटी ने छोड़ दिया था।
उन हैवानों ने घर से तभी निकाल दिया,
अंकल की मदद करने कोई न आया था।
अंकल का मानसिक संतुलन बिगड़ा था,
अंतिम वक़्त पागलखाने में तो बीता था।
