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मिली साहा

Tragedy

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मिली साहा

Tragedy

ग़ज़ल ( गुज़रती तन्हाई )

ग़ज़ल ( गुज़रती तन्हाई )

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कहना था तुमसे कुछ पर दिल में ही दिल की बात रह गई,

इन गुज़रती तन्हाई के लम्हों में बस परछाई ही साथ रह गई,


अब ग़मों से हो गई मोहब्बत सी तनहाई का क्या जिक्र करें,

लकीरें अधूरी थीं हाथों की तभी तो इश्क़ की सौगात रह गई,


अंँधियारी रात सी हो गई ये ज़िंदगी ना मंजिल है न ठिकाना,

सावन भी हो गया पतझड़ सा बस यादों की बरसात रह गई,


तोहफ़े में दी है किसी ने हमें ये तन्हाई तो कैसे न कबूल करें,

वो खुश है अपनी दुनिया में यहाँ ज़ख्मों की बस रात रह गई,


किसी ने कहा था तुम्हारी मुस्कुराहट पर हमें प्यार आता है,

पर दर्द ने छीनी जो खुशियांँ, बस ख़ामोशी ही साथ रह गई।


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